बेटे औऱ बेटियां
 हम क्यों एक ही को मान देते हैं क्यों नही दोनों को सम्मान देते  माना पहले जमाने में बेटों को ज्यादा मान देते थे  पर आज हम  उल्ट कर रहें हैं  अब बेटियों को उच्चता दे रहे हैं ,औऱ बेटों को कमतर बता देते हैं ,वो ग़लत थे, तो क्या हम सही है?  बेटे बेटियां दोनों अच्छे हैं , ये कब मानेंगे  दोनों ही अपने बच्चे हैं ,दोनो ही सच्चे हैं ये कब स्वीकारेंगे,  दोनों आपके मान हैं , दोनों आपका सम्मान हैं,  परवरिश पे अपनी रखो भरोसा,  दोनों  ही पुरेंगे आपकी आशा,  एक को नेक बताने के लिये दूसरे में खोट  निकालनी क्या जरूरी है ,  ये नहीं कह सकते ,बेटों के साथ बेटियां जरूरी है, सोच बदलनी होगी ,  अब भी फर्क रख रहे हो ,  बेटों से बेटियों को अच्छा बता रहे हो  ये फ़र्क़ मिटाना कब सीखोगे,  समान्तर रेखा  कब खींच पाओगे,  अपने मानदंड  बदल लो  तुलनात्मकता के पलड़े में परिवार को मत डालो,