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गरीब बनाम आमिर

एक दिन गर्व से इतरा कर पुछ ही लिया  वैभव ने गरीबी से  तुझ  में और  मुझ  में  कितना  फर्क है ? गरीबी ने कहा -हाँ  है तो  कुछ  शब्दों  का  , सिर्फ शब्दों  का.     नहीं  तुम गल्त हो .  गरीब   ने आह  भरते हुए कहा  - मैं  तो सच  होकर  भी हमेशा  गल्त ही रहा  तुम्हारे  सामने  ,   सच  हाँ   ये भी एक फर्क  है १ तुम बता पाओगे  वैभव ने फिर इढ्लाकर के कहा / गरीब  ने कहा हाँ हाँ एक दम साफ है ; सारा व्याकरण तो न समझा पाऊंगा  कुछ उदाहरण ही दे पाऊंगा  जैसे _ तुम्हारी  फैशन हमारी  माली  हालत  तुम्हारे  फैशन -ए- बुल  कपड़ों  से झांकता  जिस्म , हमारे  फटे हाल  कपड़ों  में बेबस  जवानी  तुम्हारे टकराते पैमाने   हमारी लुढ़कती बोतले  तुम्हारा कबरे डांस  यंहा गरीबी का नंगा नाच  तुम्हारे नौनिहालो  के मुंह में सिगरेट सिगार...