नमुत्थुणं (25 बोल ) क्लास का7
*25 बोल विस्तृत विवेचन* 💫💫💫💫💫💫💫 *संकलन कर्ता : अंजुगोलछा* 💫💫💫💫💫💫 *अध्याय*, 💫💫💫💫💫💫💫 *देव गति* 🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷 **9:6:21* *आहार* देवता वैक्रिय पुद् गलों का आहार करते हैं,देवताओं के रोम आहार होता है। मनुष्य की तरह वे मुख से भोजन नहीं करते । भोजन का भी उनका अपना एक क्रम है। उसके अनुसार ही वे भोजनार्थ पुद्गल खींचते हैं। इनके आहार को रोमाहार/लोमाहार कहते है। *एक झलक ऊर्ध्वलोक की* समतल भूमि के ऊपर 900 योजन से प्रारम्भ होकर लोक के अग्र भाग तक *ऊर्ध्वलोक* है।इसकी लम्बाई 7रज्जू प्रमाण है। *उर्ध्वलोक में क्या क्या है?* 12 देवलोक है। 3 किल्विषक है। 9 लौकांतिक है। 5 अनुत्तर विमान है। सिद्धशिला और सिद्धक्षेत्र है। *समतल भूमि से 900 योजन ऊपर तक मेरुपर्वत का हिस्सा है।* *उर्ध्वलोक में मुख्यतया वैमानिक देव रहते हैं।* विमान में रहने के कारण इन देवों को वैमानिक देव कहते हैं। *7 रज्जू के उर्ध्वलोक को* *समतल भूमि से क्रमशःइस प्रकार समझ सकते हैं–* *डेढ़ रज्जू ऊपर*---पहला-दूसरा देवलोक है। *अढा़ई रज्जू ऊपर*---तीसरा-चौथा देवलोक है। *सवा तीन रज्जू ऊपर*---पाँचवाँ देव...