रंग के रंग

रंग के रंग 


रंग में वह जादू है जो रंगने वाले, भीगने वाले और देखने वाले तीनों के मन को विभोर कर देता है। -
रंगके रस जो रंग जाये प्रभु  के रंग में तो वियोगी कर देता है .रंग से रंग मिल जाये तो तलीन करता है 

रंग के अजब ढंग भी देखे ज़माने में शान्ति के सफ़ेद पे पड़ जाये प्रेम का लाल रंग तो जनाब गुलाबी होते है 

पांच से हजारो रंग दे देना ये करामात या तो प्रभु या तो योगी या तो सिर्फरंग ही कर सकता है 


जिस तरह रंग सादगी को निखार देते हैं उसी तरह सादगी भी रंगों को निखार देती है। 

रंग,औऱ उमंग खुशी तभी देती है जब उसमें उज्ज्वल विचारों की अबरक़ चमचमा रही हो। - 

 रंग(प्यार ) की उम्र व चमक  बढानी है, तो उसे प्यार की नरम  छाँव\ में रखो .औऱ तदन्तर
देखो कमाल ,बस बरस कटेंगे ,रंग नहीं

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