नरक

*नरक*

गतागति - चौथी नरक के आगत भेद कितने ?

18

भूज पर और खेचर को छोड़कर


प्रश्न 1
नरक के कितने भेद में 3 दृष्टि पाई जाती है??
उत्तर
7 नरक के पर्याप्त

प्रश्न 2
कौनसे तिर्यंच में 3 दृष्टि पाई जाती है?
उत्तर
सन्नी तिर्यंच पञ्चेंद्ररिय का पर्याप्त।

प्रश्न 3
मनुष्य के कितने भेद में 3 दृष्टि?
उत्तर
15 कर्म भूमि के मनुष्य

प्रश्न 4
कौन कौन से देवता में 3 दृष्टि पाई जाती है?
उत्तर
76 भेद में
99 देवता के पर्याप्त में से 15 पर्मधर्मक, 3 किलविशी ओर 5 अनुत्तर विमान के देव कम करके।

प्रश्न 5
नरक के पर्याप्त या अपर्याप्त में सस्वादान समकित?
उत्तर
पर्याप्त में।
नरकानुपुरवी का उदय सस्वादान समकित में नहीं होता है, इसलिए अपर्याप्त में नहीं।

प्रश्न 6
कौन कौन से तिर्यंच में सास्वदन समकित??
उत्तर
18 भेद में।
5 सन्नी तिर्यंच पंचेंडरिय के पर्याप्त और अपर्याप्त
5 असन्नी तिर्यंच पंचेंद्ररिया ओर 3 विकलेन्द्रिय के अपर्याप्त।

प्रश्न 7
मनुष्य में युग्लीक में सस्वदान समकित क्यों नहीं??
उत्तर
क्यूंकि युग्लीक़ जिस दृष्टि में जन्म लेते उसी में काल करते, वाहा दृष्टि नहीं बदलती, वह समकित से गिरते नहीं।

प्रश्न 8
मनुष्य के कितने भेद में सस्वादान समकित??
उत्तर
15 कर्म भूमि मनुष्य के पर्याप्त और अपर्याप्त ऐसे 30 भेद।

प्रश्न 9
सस्वादान समकित में देवता के कितने भेद??
उत्तर
143 भेद।

प्रश्न 10
देवता के 143 भेद को खुला करे??
उत्तर
143
देवता के 198 भेद में से 15 पर्मधर्मके, 3 किलविशी, 5 अनुत्तर विमान इन 23 के पर्याप्त और अपर्याप्त ऐसे 46 भेद ओर 9 ग्रैवेयक के अपर्याप्त, कुल 55 भेद कम करने।

प्रश्न 11
वेदक समकित में नरक के कितने भेद लेने??
उत्तर
3 नरक के अपर्याप्त।

प्रश्न 12
वेदक समकित कौनसे तिर्यंच में पाई जा सकती??
उत्तर
1 थलचर युग्लिक में।


प्रश्न १
नरक के कौनसे भेद में सम्यक दृष्टि नहीं होती है??
उत्तर
7 वी नरक के अपर्याप्त में।

प्रश्न 2
सम्यक दृष्टि में तिर्यंच के कौनसे ओर कितने भेद??
उत्तर
18 भेद।
5 सन्नी तिर्यंच के पर्याप्त और अपर्याप्त।
5 असननी तिर्यंच ओर 3 विकलेन्द्रिय के अपर्याप्त।

प्रश्न 3
कौनसे मनुष्य में सम्यक दृष्टि नहीं होती है??
उत्तर
101 समूर्चिम मनुष्य ओर 56 अंतर द्वीप के मनुष्य में सम्यक दृष्टि नहीं होती है।

प्रश्न 4
कितने देवता में सम्यक दृष्टि नहीं होती है??
उत्तर
15 परमधर्मिक ओर 3 किलविशी के पर्याप्त और अपर्याप्त ऐसे 36 भेद में सम्यक दृष्टि नहीं होती।

प्रश्न 5
जीव के कितने भेद में मिथ्या दृष्टि नहीं होती है??
उत्तर
5 अनुत्तर विमान के पर्याप्त और अपर्याप्त ऐसे 10 भेद में मिथ्या दृष्टि नहीं होती।

प्रश्न 6
जीव की कौनसी अवस्था (पर्याप्त ओर अपर्याप्त) में ही मिश्र दृष्टि पाई जाती है??
उत्तर
पर्याप्त में मिश्र दृष्टि।

प्रश्न 7
मिश्र दृष्टि में जीव के कितने भेद??
उत्तर
103 भेद।
7 नरक के पर्याप्त
5 सन्नी तिर्यंच पञ्चेंद्रिय के पर्याप्त
15 कर्म भूमि मनुष्य के पर्याप्त
76 देवता के पर्याप्त (99 में से 15 परमाधर्मिक, 3 किलविशी ओर 5 अनुत्तर विमान के कम करके)

प्रश्न 8
एकांत सम्यक दृष्टि में नरक के कितने भेद??
उत्तर
एक भी नहीं।

प्रश्न 9
एकांत मिथ्या दृष्टि में नरक के कितने भेद??
उत्तर
1, 7वी नरक का अपर्याप्त।

प्रश्न 10
एकांत मिथ्या दृष्टि में जीव के कितने भेद??
उत्तर
280 भेद।
7 वी नरक का अपर्याप्त।
22 एकेंद्रीय 
3 विकलेन्द्रिय के पर्याप्त
5 असन्नी तिर्यंच के पर्याप्त
101 समुर्चिम मनुष्य
56 अंतर द्वीप के पर्याप्त और अपर्याप्त 112
15 पर्माधर्मिक ओर 3 किलविशी के पर्याप्त और अपर्याप्त 36

प्रश्न 11
एक दृष्टि में देवता के कितने भेद??
उत्तर
46 भेद
15 पर्माधर्मिक ओर 3 किलविशी के पर्याप्त और अपर्याप्त इन *36 भेद* में 1 मिथ्या दृष्टि
5 अनुत्तर विमान के पर्याप्त और अपर्याप्त ऐसे *10 भेद*

प्रश्न 12
दो दृष्टि में नरक के कितने भेद??

उत्तर
1-6 नरक के अपर्याप्त में 2 दृष्टि सम्यक ओर मिथ्या।

प्रश्न 13
मनुष्य के कौनसे कौनसे भेद में 2 दृष्टि??
उत्तर
75 भेद में।
15 कर्म भूमि मनुष्य के अपर्याप्त
30 अकर्म भूमि मनुष्य के पर्याप्त और अपर्याप्त, 60 भेद।

प्रश्न 14
कुल जीव के कितने भेद में 2 दृष्टि??
उत्तर
170 भेद में 2 दृष्टि।
1-6 नरक के अपर्याप्त, *6 भेद*
5 सन्नी तिर्यच पंचेंद्रिया, 5 असन्नि तिर्यंच पंचेंड्रिया, ओर 3 विकेलेंद्रिय  के अपर्याप्त, *13 भेद*
*15* कर्म भूमि मनुष्य के अपर्याप्त
30 अकर्म भूमि मनुष्य के पर्याप्त और अपर्याप्त, *60 भेद*।
*76 भेद* देवता के
99 देवता के अपर्याप्त में से 15 पर्मधर्मके, 3 किलविशी ओर 5 अनूउत्तर विमान के कम करके।


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1⃣ *"मुझे नरक नही जाना"* किसने किससे कहा?
🆗 श्रेणिक महाराज ने महावीर स्वामी से।

2⃣ वीर प्रभु ने नरक गमन टालने के लिए श्रेणिक महाराज को कितने उपाय बताए?कोन कोन से?
🆗 पांच उपाय बताए।
(यहां मतभेद हो सकता है🙏☝)
 1) यदि कपिला दासी सुपात्रदान दे ।
2)यदि काल सौरिक क़साई एक दिन के लिए 500 भैंसें का वध छोड़ दे ।
3) यदि पुणिया श्रावक की एक सामायिक खरीद लो ।
4) यदि तुम एक नवकारसी कर लो ।
5) यदि तुम्हारी दादी मेरे दर्शन कर ले ।

3⃣ इनमें से कौन-सा उपाय सफल रहा?
🆗 एक भी नहीं।
सभी उपाय निष्फल गए।

4⃣ इससे क्या सिख मिलती है?
🆗 कर्मसत्ता किसीको नहीं छोड़ती। फिर चाहे राजा हो या रंक।

5⃣ श्रेणिक महाराज अभी कौनसी नरक में है?
🆗 प्रथम नरक।

6⃣ आनेवाली चौवीसी में कौनसे नंबर के तीर्थंकर होंगे और क्या नाम होगा?
🆗 प्रथम तीर्थंकर पद्मनाभ से।

7⃣ नरक गति से आये हुए तीर्थंकर की क्या पहचान होती है ?
🆗 तीर्थंकर की माता 12वा स्वपन भवन देखती है।

8⃣ नरक से निकल कर जींव नरक में उत्पन्न हो सकता है?
🆗 नहीं।
तीर्यच या मनुष्य गति।

9⃣ नरक की कितनी पृथ्वीयां है?
🆗 सात।

1⃣0⃣ नरक में जीवों की उत्पत्ति का स्थान क्या है?
🆗 कुंभी।

1⃣1⃣ इस काल के कितने चक्रवर्ती नरक गये? नाम दिजिए?
🆗 ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती।
      सुभम चक्रवर्ती।

1⃣2⃣ वीर प्रभु के कथन को मिथ्या बताकर,जमाली कौन सी नरक गये?
🆗 जमाली जी नरक नहीं गये....किल्विषिक देव बने।
नरक आयु कौनसे गुणस्थान मेँ बंधता हे ?
A पहली नरक तक नरक  बंध का मुख्य कारण पाप हिंसा होता है और यह मिथ्यात्व के कारण ही होती हैं

1⃣3⃣ *यदि*
*1- 13*
*2 -11,* 
*3 -9,*
*4 -7*, 
तो
*7 - ??*
🆗 सातवीं नरक में एक पटल/प्रतर। *7 - 1*
नरक और प्रतर☝

1⃣4⃣ सातों नरकों में कुल कितने पटल (प्रतर) हैं ?
🆗 प्रथम नरक में १३, द्वितीय में ११, तीसरे में ९, चौथे में ७, पांचवें में ५, छठे में ३ और सातवें नरक में १ इस तरह कुल ४९ पटल होते हैं।

1⃣5⃣ *यदि*
*1 - 1*
*2 - 3*
*3 - 7*

*तो*

*7 - ??*
🆗 *7 - 33 सागरोपम*
*उत्कृष्ट आयुष्य*☝

1⃣6⃣ सातों नरक के कुल नरकवास कितना?
🆗 84 लाख।

1⃣7⃣ श्रेणिकराजा  के जीव के साथ अभी रह रहा एक जीव काल कर के उत्कृष्ट कितने आयुष्य वाला देव बन सकता है?
🆗 श्रेणिक महाराज का जीव अभी नरक में हे, तो उनके साथ अभी रह रहा कोई भी नारकी देव बन ही नही सकता। क्योंकी नरक से जीव निकलकर नारकी या देवता नही बनता।

1⃣8⃣ क्या नरक में स्त्री - पुरुष होते हैं?
🆗 नहीं। वहां नपुंसक ही होते हैं।

1⃣9⃣ नरक की एक नदि का नाम?
🆗 वैतरणी।

2⃣0⃣ परमाधामी देव कितनी नरक तक जीवों को दु:ख दे सकते हैं?
🆗 तीसरी नरक तक।

2⃣1⃣ मैं अंधकार में से  बालु(रेत) पर गिरा। मुझे पहचानो??
🆗 वासुदेव कृष्ण।

2⃣2⃣ चौथी और सातवीं नरक का मैं मेहमान बना?
🆗 महावीर स्वामी।

2⃣3⃣ 1रत्न,2कंकर,3बालु, 4?, 5??
🆗 4 कीचड़/5 धुंवा।

2⃣4⃣ *प्रभा* का अर्थ है प्रकाश/किरण,मगर नाम से विपरीत हमारे गुण है!!!!
🆗 सात नरक के गोत्र।

2⃣5⃣ उत्कृष्ट अवगाहना।👇
चतुर्थ --साढ़े बासठ धनुष।
पंचम --125 धनुष।
छठम-- ????
सप्तम --500 धनुष।
🆗 250 धनुष।
उत्कृष्ट अवगाहना

1 - नारकी 
प्रथम नारकी - पौने आठ धनुष 6 अंगुल
द्वितीय---"----- साढ़े पंद्रह धनुष 12 अंगुल
तृतीय --//-------सवा इकत्तीस धनुष
चतुर्थ।  ---//-----साढ़े बासठ धनुष
पंचम -----//------125 धनुष
छठम----//-------250  "
सप्तम ---//--------500 "

1 से लेकर 7 वि नरक में अवगाहना क्रमशः दुगुनी है।

2⃣6⃣ तम:तम:प्रभा में हमारा निषेध हैं??
🆗 स्त्री।

2⃣7⃣ स्वप्न में नरक के भयंकर दृश्य देखकर कौन संयम के लिए प्रतिबध्द हुई ?
🆗 पूष्पचूला जी।

2⃣8⃣ नरकगमन👇
१)प्राणातिपात --- ???
२)महापरिग्रह --- ???
३)भाव से हिंसा ---????
ज्ञानीयो मुझे पहचानो??
🆗 १) काल सौरिक।
       २) मम्मण सेठ।
       ३)तंदुल मत्स्य।

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06 - 07 - 2020 (8::30---)

Hansraj Ji Bhansali 

Topic -::- नरक द्वीप की सैर कराते है

1चरम शरीरी जीव कहा से निकला बन सकता है
चौथी पृथ्वी

2भुजंग कौनसी नरक तक जाता है
4नरक

3तिर्यंच कितने देवलोक तक जा सकता है
8वे देवलोक

4सुदर्शन मेरु कहा है
जम्बू द्वीप

5सातवी नरक में जीव कितनी बार जा सकता है
2बार

6 किसे जाना है
किसी को नहीं😆

7छठी पृथ्वी से निकला जीव कय्या हो सकता है
देश व्रती श्रावक

8कौनसे गति का हम से भिन्न वेद होता है
नरक गति का
नपुंसक वेद

9घातकी खण्ड में कौनसा मेरु है
विजय अचल

10कौनसे द्वीप में5मेरु है
ढाई द्वीप में

11ढाई द्वीप में कितने आर्य खण्ड है
170

12ढाई द्वीप में कितनी कुभोग भूमि है
16

13छ भोग भूमि कौनसे द्वीप में है
जम्बूद्वीप

14 नारकी जीव कहा रहते है
अधोलोक की सात पृथ्वियां में

15 ऋद्धि  कितने प्रकार की है
7

16 द्वितीय नरक के पटल का नाम बताए
ततक

17 हम कौनसी नरकावास में है
कोई सी भी नहीं

18 छठी नरक के नारकी की अवगाहना कितनी
250धनुष प्रमाण

19 सातवी नरक में कौनसी लेश्या है
परम् कृष्ण लेश्या

20 पहली नरक में जीव कितनी बार जा सकता है
लगातार8वी बार

21 दूसरी पृथ्वी में अवधिज्ञान क्षेत्र कितना
साढ़े3कोस प्रमाण

22 सातों पृथ्वी के प्रकीर्णक बिल कितने है
8370386

23 नरक किस को अति प्रिय है
*किसी को नहीं जी*


2⃣9⃣ नरक के जीवों को कितने प्रकार की पीड़ा होती हैं?
🆗 नरक के जीवों को तीन प्रकार की पीड़ा होती है:~
1-परमाधामी देवो द्वारा दिये जाने वाली पीड़ा,
2-दुसरे नारकी जीवो द्वारा पीड़ा,
3-नरक के श्रेत्र(जमीन )की पीड़ा।

3⃣0⃣ *क्या गर्भस्थ जीव मृत्यु पाकर नरक जा सकता है??*
🆗 *हां, जा सकता है। गर्भ में जीव अन्तमुहूर्त में सारी पर्याप्तिया पूर्ण कर लेता हे। उसके पूर्वभव के वैर के संस्कार वहा जाग्रत हो सकते हे। वहीँ वो वेक्रिय समुद्द्घात कर के शत्रु के साथ युद्ध करता हे, हिंसा करता हे भाव से, उसवक्त वह काल कर के वह प्रथम नरक तक जा सकता है।*

*ठीक वेसे ही पूर्व भव के सुसंस्कार से उसे शुभ संयोग मिले, गर्भ में माता के द्वारा धर्म श्रवण करे, और शुभ भाव में मृत्यु पाये तो प्रथम देवलोक तक जा सकता है।*

*यानी गर्भ में जीव की प्रवृत्ति माता की प्रवृत्ति अनुसार होती है, पर उसके कर्म स्वतंत्र होते है।*



1 नरक किसे कहते है ?
1 घोर पापो के विशेष फल भोगने के एक निशचित स्थान को नरक कहते हैँ ।
2 नरक कहा है .?
2 इस धरती से 1000 (एक हजार) योजन नीचे हैं ।
3 प्रथम नरक को रत्नप्रभा क्यों कहते है ?
3 वह काले रंग के भयंकर रत्नों से व्याप्त है ।
4 शर्करप्रभा का क्या अर्थ है ?
4 वहाँ की धरती भाले,बर्छी आदि से भी अधिक तीक्ष्ण कंकरों से व्याप्त है।
5 बालुकाप्रभा का क्या अर्थ है ?
5 वहाँ की जमीन भाड़ की गर्म रेत से भी अनन्तगुणी गर्म है ।
6 चौथी नरक को पंकप्रभा क्यों कहते है ?
6 उसमे खून,मांस और पीप का कीचड है ।
7 पाँचवी नरक को धुमपर्भा कहने का क्या अभिप्राय है ?
7 वहाँ राई,मिर्च के धुंए से भी अधिक सारा धुआं है ।
8 तमप्रभा का क्या अर्थ है ?
8 जहाँ घोर अँधेरा हो,उसे तम:प्रभा कहते है ।
9 महातम:प्रभा को समझाइए ?
9 जहाँ घोरातिघोर अँधेरा हरदम रहे।
10 नरक मै कौन जीव जाते है ?
10 मांस-शराब का सेवन करने वाले , वेश्यागामी ,परस्त्रीगामी,जुआरी,शिकारी और महाहिंसाकारी व्यापार करने वाले तथा धन  मै तीव्र आसक्ति रखने वाले जीव नरकों मै जाते है ।
11 नरकावास कुल कितने है ?
11 84 लाख ।
12 नरकावास किसे कहते है ?
12 नारकी जीवो के रहने के स्थान को नरकावास कहते है ।
13 नारकी जीव का जन्म कैसे होता है ?
13 उनका जन्म छुरी जैसी तीखी धार वाली कुम्भियो मे होता है ।
14 नरको मे क्या दु:ख है ?
14 नरक मे तीन तरह की वेदना होती है - (1) परमाधामी देवकृत वेदना
(2) परस्पर उदिरित वेदना (3) क्षेत्र वेदना ।
15 दूसरी नरक की आयु कितनी है ?
15 जघन्य एक सागर ,उत्कृष्ट -3 (तीन) सागर ।
16 तीसरी नरक की आयु कितनी है ?
16 जघन्य 3 सागर ,उत्कृष्ट 7 सागर ।
17 चौथी नारकी की आयु बताओ ?
17 जघन्य 7 सागर, उत्कृष्ट 10 सागर ।
18 पाँचवी नरक की स्थिति कितनी है ?
18 जघन्य 10 सागर , उत्कृष्ट 17 सागर
19 छठी नरक की स्थिति बताओ?
19 जघन्य 17 सागर ,उत्कृष्ट 22 सागर ।
20 सातवी नरक की स्थिति बताओ ?
20 जघन्य 22 सागर , उत्कृष्ट 33 सागर ।
21 स्त्री कौन -सी नरक तक जा सकती है ?
21 छठी नरक तक ।
22  नारकी सम्यग्दृष्टि होते है या मिथ्यादृष्टि ?
22 दोनों तरह के होते है ।
23 नारकी जीव मे कषाय कितनी होती है ?
23 चार - क्रोध ,,मान,माया,लोभ ।
24 नारकी मे इंद्रिया कितनी होती हैं ?
24 पांचो ।
25 कालसौकरिक कसाई सातवी नारकी मे क्यों गया ?
25 वह प्रतिदिन 500 भैसो को मारता था ।
26 मम्मन सेठ के नरक गमन का कारण बताओ ?
26 महापरिग्रह ( असीम तृष्णा )
27 कुण्डरीक नरक मे क्यों गया ?
27 भोगो की तीव्र अभिलाषा के कारण ।
28 तिन्दुलमच्छ सातवी नरक मे क्यों जाता है?
28 वह मन मे तीव्र हिंसा की भावना रखता है ।
29 कोणिक मरकर कहा गया ?
29 छठी नरक मे ।
30 नरक मे लेश्या कितनी होती है ?
30 तीन - कृष्ण ,नील और कपोत ।
31 नारकी जीव मे योग कितने होते है ?
31 तीन - मन, वचन और काय ।
★★★★★★★★★★

नरक के द्वार को बंद करने के लिए कितने नवकार गिनने चाहिए?

9 लाख 



.नारकी जीव                   
उत्तर— नारकी जीव अधोलोक की सात भूमियों में रहते हैं ।
प्र.नरक की भूमियों के नाम बताईये ?
उत्तर—‘‘रत्नशर्कराबालुकापंकधूमतमोमहातम: प्रभाभूमयो घनाम्बुवाताकाश प्रतिष्ठा: सप्ताधोऽध:।’’ रत्नप्रभा, शर्कराप्रभा, बालुकाप्रभा, पंकप्रभा, धूमप्रभा, तमप्रभा, तथा महातमप्रभा ये सात नरक की भूमियाँ हैं और क्रम से नीचे—नीचे घनोदधिवातवलय, घनवातवलय, तनुवातवलय, और आकाश के आधार हैं।
प्र.नरक की सभी भूमियों के साथ प्रभा शब्द क्यों लगाया गया है ?
उत्तर— प्रभा शब्द से समस्त भूमियों की विशेषता का बोध होता है इसलिये इसे सब भूमियों के साथ लगाया गया है । उदाहरण— रत्नों के समान प्रभावाली भूमि रत्न प्रभा है।
प्र.नरक की सात भूमियां किसके आधार पर स्थित हैं ?
उत्तर— नारक की सातों भूमियाँ घनवातवलय से वेष्टित हैं । घनवातवलय घनाम्बुवातवलय के आश्रय से स्थित है। घनाम्बुवातवलय तनुवातवलय से वेष्टित है तथा तनुवातवलय आकाश के आश्रय से स्थित है ।
प्र.घनोदधिवातवलयघनवातवलय तथा तनुवातवलय के वर्ण बताईये।
उत्तर— घनोदधिवातवलय गोमूत्र के रंग सा है, घनवातवलय का रंग मूंगे जैसा है तथा तनुवातवलय अनेक वर्णी है।
प्र.रत्नप्रभा भूमि के कितने भाग हैं और उनमें कौन से जीव रहते हैं ?
उत्तर— रत्नप्रभा भूमि के ३ भाग हैं— (१) खर भाग (२) पंक भाग (३) अब्बहुल भाग । (अ) खरभाग में सात प्रकार के व्यंतर और नौ प्रकार के भवनवासी देव रहते हैं । (ब) पंकभाग में राक्षस और असुरों के भवन हैं । (स) अब्बहुल भाग की घम्मा नामक प्रथम पृथ्वी में नारकी जीव निवास करते हैं।
प्र.सातों नरकों में कुल कितने पटल (प्रतरहैं ?
उत्तर— प्रथम नरक में १३, द्वितीय में ११, तीसरे में ९, चौथे में ७, पांचवें में ५, छठे में ३ और सातवें नरक में १ इस तरह कुल ४९ पटल होते हैं।
प्र.लोक के कितने भेद हैं और उनका आकार कैसा है ?
उत्तर— लोक के ३ भेद हैं— ऊर्ध्व लोक— मृदंग के समान, मध्यलोक झालर के समान तथा अधोलोक वेत्रासन के समान है।
प्र.सातों नरकों में कुल कितने बिल हैं ? स्पष्ट कीजिये 
उत्तर— रत्नप्रभा भूमि में ३० लाख, शर्कराप्रभा में २५ लाख, बालुका में १५ लाख, पंकप्रभा में १० लाख, धूम प्रभा में तीन लाख, तम प्रभा में ५ कम एक लाख और महातमप्रभा में सिर्फ पाँच ही बिल हैं। इस तरह कुल ८४ लाख बिल हैं।
प्र.१०नारकियों की विशेषता बताईये 
उत्तर— ‘‘नारकानित्याशुभतरलेश्या परिणाम देहवेदना विक्रिया:’’। नारकी जीव निरंतर अशुभतर लेश्या, परिणाम, देह, वेदना और विक्रिया वाले हैं।
प्र.११.नरक में होने वाली शीत उष्णता संबंधी वेदना स्पष्ट करें।
उत्तर— प्रथम से चतुर्थ नरक तक— उष्ण वेदना । पांचवी पृथ्वी में ऊपर के दो लाख नरक उष्ण वेदना वाले तथा छठवीं और सातवीं भूमि में शीत वेदना है।
प्र.१२नारकियों के अन्य दु: कौन से है ?
उत्तर— ‘‘संक्लिष्टासुरोदीरितदु:खाश्च प्राक् चतुर्थ्या:,’’ अर्थात् चौथी भूमि से पूर्व तक संक्लेश परिणामी असुरकुमार जाति के देव उन्हें परस्पर दु:ख देते हैं।
प्र.१३नारकियों की आयु कितनी है ?
उत्तर— ‘‘तेष्वेकत्रिसप्तदशसप्तदशद्वाविंशतित्रयस्त्रिंशत्सागरोपमा सत्वानां परास्थिति:’’। नरकों में उत्कृष्ट आयु इस प्रकार है— प्रथम नरक में १ सागर, दूसरे में ३ सागर, तीसरे में सात सागर, चौथे नरक में दस सागर, पांचवे नरक में सत्रह सागर, छठे नरक में बाईस सागर तथा सातवें नरक में तैंतीस सागर।
प्र.१४तिर्यकलोक से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर— अधोलोक से ऊपर मध्यलोक है, जिसमें जंबूद्वीप से लेकर स्वयंभूरमण समुद्र तक तिर्यंक प्रचय विशेषण से अवस्थित असंख्यात द्वीप समूद्र अवस्थित हैं, इसलिये इसे तिर्यक्लोक कहते हैं।
प्र.१५तिर्यक् अथवा मध्यलोक में कितने द्वीप समुद्र हैं ?
उत्तर— तिर्यक लोक में जम्बूद्वीप, लवणसमुद्र आदि शुभ नाम वाले असंख्यात द्वीप, समुद्र हैं। जैसा कि सूत्र है— ‘‘जम्बूद्वीपलवणोदादय: शुभनामानोद्वीपसमुद्रा:’’।
प्र.१६जम्बूद्वीप का नाम जम्बूद्वीप क्यों पड़ा है ?
उत्तर—जम्बूवृक्ष से उपलक्षित होने से इस द्वीप का नाम जम्बूद्वीप पड़ा है। ये जंबूवृक्ष अकृत्रिम, अनादि—निधन, शाश्वत् एवम् पृथ्वीकायिक है ।
प्र.१७द्वीप और समुद्रों का कितना विस्तार है तथा उनका आकार कैसा है ?
उत्तर— ‘‘द्विर्द्विर्विष्कम्भा: पूर्व पूर्व परिक्षेपिणो वलयाकृतय:’’। प्रत्येक द्वीप समुद्र दूने—दूने विस्तार वाले, पहले—पहले के द्वीप समुद्रों को घेरे हुए हैं तथा इनका आकार वलयाकार (चूड़ी के आकार का) होता है।
प्र.१८विष्कंभ से क्या आशय है ?
उत्तर— विष्कंभ का अर्थ है विस्तार।
प्र.१९जम्बूद्वीप कहां है तथा उसका विस्तार कितना है ?
उत्तर— समस्त द्वीप समुद्रों के मध्य में एक लाख योजन विस्तार वाला जम्बूद्वीप है। इसके मध्य में सुमेरुपर्वत है।
प्र.२०.नाभिवृत्तो से क्या आशय है ?
उत्तर— नाभिवृत्तो से आशय है नाभि के समान अर्थात् जिस तरह शरीर के मध्य में नाभि होती है उसी प्रकार असंख्यात द्वीप समुद्रों के मध्य में जम्बूद्वीप और जम्बूद्वीप के मध्य में सुमेरुपर्वत है।
प्र.२१चारों दिशाओं की पाण्डुक शिलाओं के नाम  रंग बताईये।
उत्तर — दिशा शिला का नाम रंग १. ईशान दिशा पाण्डुक शिला स्वर्णमयी २. आग्नेय दिशा पाण्डुकंबला शिला रजतमयी ३. नैऋत्य दिशा रक्त शिला स्वर्णमयी ४. वायव्य दिशा कम्बला शिला। लालमणी मयी
प्र.२२जम्बूद्वीप में कितने क्षेत्र हैं ?
उत्तर — भरतहैमवतहरिविदेहरम्यकहैरण्यवतैरावत वर्षा: क्षेत्राणि भरत, हेमवत, हरि, विदेह,रम्यक, हैरण्यवत और ऐरावत ये सात क्षेत्र हैं।
प्र.२३भोगभूमि और कर्मभूमियों की संख्या बताइये।
उत्तर — ३० भोगभूमि और १४ कर्मभूमियां हैं।
प्र.२४कल्पवृक्ष कितने और कौन से हैं ?
उत्तर — कल्पवृक्ष १० हैं— १. मद्दांग, २. वादित्रांग, ३, भूषणांग, ४. माल्यांग, ५. ज्योतिरांग, ६. दीपांग , ७. गृहांग, ८. भोजनांग, ९. भाजनांग, १०. वस्त्रांग।
प्र.२५कुलाचल (पर्वतकितने हैं ?
उत्तर — तद्विभाजिन: पूर्वापरायता हिमवन्महाहिमवन्निषधनील रुक्मिशिखरिणो वर्षधर पर्वता:। भरत आदि सात क्षेत्रों का विभाग करने वाले, पूर्व से पश्चिम तक लंबे हिमवान् , महाहिमवान् ,निषध, नील, रुक्मि और शिखरिन् ये अनादि निधन नाम वाले छ: पर्वत हैं।
प्र.२६छह कुलाचलों के वर्ण कौन से हैं?
उत्तर — हेमार्जुनतपनीयवैडूर्यरजतहेममया:। ये छहों पर्वत क्रम से सोना, चांदी, तपाया हुआ सोना, वैडूर्यमणी, चांदी और सोना इनके समान रंग वाले हैं।
प्र.२७छह कुलाचलों की विशेषतायें बताईये।
उत्तर— ‘‘मणिविचित्रपाश्र्वा उपरि मूले च तुल्य विस्तारा:’’। इन पर्वतों के पाश्र्वभाग अर्थात् तट मणियों से चित्र—वचित्र हैं तथा वे ऊपर—मध्य व मूल में समान विस्तार वाले हैं।
प्र.२८कुलाचलों के मध्य स्थित तालाबों के नाम बताईये।
उत्तर—‘‘पद्ममहापद्मतिगिंछ केसरिमहापुण्डरीकपुण्डरीका हृदास्तेषामुपरि।’’ पर्वतों के ऊपर क्रम से पद्म महापद्म, तिगिंछ, केसरी, महापुण्डरीक, और पुण्डरीक ये छह तालाब हैं।
प्र.२९पद्म तालाब का आकार
प्रश्न-119 नारकी किसे कहते है ?
जवाब- 119 नरकवासी जीवों को नारकी कहते है ।
प्रश्न-120 नरक किसे कहते है ?
जवाब- 120 जीव के द्वारा किये गये बुरे-पापकारी कार्य, हिंसा, महारंभ आदि के कारण जो कर्मबंधन होता है, उनके परिणाम स्वरुप अतिशय दुःख भोगने के स्थान को नरक कहते है ।
प्रश्न-121 नरक किस लोक में स्थित है ?
जवाब- 121 अधोलोक (मर्त्यलोक) में ।
प्रश्न-122 नरक कितने है ?
जवाब- 122 सात ।
प्रश्न-123 सात नरक पृथ्वीओं के क्या नाम है ?
जवाब- 123 1.रत्नप्रभा 2.शर्कराप्रभा 3.वालुकाप्रभा 4.पंकप्रभा 5.धूमप्रभा 6.तमःप्रभा 7.तमस्तमः प्रभा ।
प्रश्न-124 सातों पृथिविओं के नामकरण की विशेषता बताओ ?
जवाब- 124 प्रथम रत्नप्रभा नरकमें रत्नों की, दूसरी शर्कराप्रभा नरकमें कंकर की, तीसरी वालुकाप्रभा नरकमें रेती-मिट्टी की, चौथी पंकप्रभा नरकमें पंक-कीचड की, पांचवी धूमप्रभा नरक में धुएं की, छट्ठी तमःप्रभा नरकमें अंधकार की, सातवीं तमस्तमः प्रभा नरकमें गाढे-घने अंधकारकी प्रधानता-बहुलता होती है । अतः इस प्रकार नरकों का नामकरण किया गया ।
प्रश्न-125 नारकी जीवों के रहने के स्थान को क्या कहते है ?
जवाब- 125 नरकावास ।
प्रश्न-126 प्रत्येक नरकमें कितने कितने नरकावास है
?
जवाब- 126 पहली नरक में तीस लाख, दूसरी नरक में पच्चीस लाख, तीसरी नरक में पन्द्रह लाख, चौथी नरक में दस लाख, पांचवीं नरक में तीन लाख, छट्ठी नरक में निन्यान्वें हजार नौ सौ पिच्यानवें, सातवीं नरक में पांच नरकावास है । इस प्रकार सातों नरको में कुल चौराशी लाख नरकावास हैं ।
प्रश्न-127 प्रथम नरक में कौनसा नरकावास है ? वह कितने योजन प्रमाण का है ?
जवाब- 127 प्रथम नरक में सीमन्तक नामक नरकावास हैं जो पैंतालीस लाख योजन प्रमाण का है ।
प्रश्न-128 सबसे बडा नरकावास कौनसा है ?
जवाब- 128 पहली नरक में स्थित सीमन्तक नामक नरकावास है ।
प्रश्न-129 सबसे छोटा नरकावास कौनसा है ?
जवाब- 129 सातवीं नरक में स्थित अप्रतिष्ठान नाम का नरकावास है ।
प्रश्न-130 नरक और नारकी में क्या अंतर है ?
जवाब- 130 कठोर पाप कर्म करने वाले जीव जिन स्थानों पर उन कर्मों का अशुभ फल भोगने के लिए पैदा होते हैं, उसे नरक कहते हैं । नरक स्थान है और उस स्थान विशेष में रहने वाले जीवों को नारकी कहा जाता है ।
प्रश्न-131 सातों नरकों के बीच बीच में क्या है ?
जवाब- 131 प्रथम रत्नप्रभा नरक भूमि के नीचे बीस हजार योजन तक घनोदधि है । उसके नीचे असंख्यात योजन तक घनवात है । घनवात के नीचे असंख्यात योजन तक तनवात है । तनवात के नीचे असंख्यात योजन तक आकाश है । उसके नीचे दूसरा नरक है । प्रत्येक दो नरक भूमि के बीच इसी तरह घनोदधि, घनवात, तनवात, आकाश है ।
प्रश्न-132 सातवीं नरक के नीचे क्या है ?
जवाब- 132 सातवीं नरक के नीचे बीस हजार योजन तक घनोदधि है । घनोदधि के नीचे असंख्यात योजन तक घनवात है । घनवात के नीचे अंख्यात योजन तक तनवात है । तनवात के नीचे असंख्यात योजन तक लोकाकाश है । और उसके नीचे अनन्त अलोकाकाश है ।
प्रश्न-133 नारकी जीव कितने प्रकारके होते है ?
जवाब- 133 लम्बाई, चौडाई, आयुष्य के आधार पर नारकी जीव अनेक प्रकार के होते है पर द्रष्टी के आधार पर नारकी जीव दो प्रकार के होते हैः- 1. सम्यग्द्रष्टि नारकी 2. मिथ्याद्रष्टि नारकी ।
प्रश्न-134 नरकवासो का विस्तार कैसा है ?
जवाब- 134 कोइ ऋद्धि संपन्न महान् देव तीन चुटकी बजाने जितने समय में एक लाख योजन लम्बे और एक लाख योजन चौडे जम्बूद्विप की इक्किस बार प्रदक्षिणा दे सकता है । इतनी महान् शक्ति वाले देव को भी एक नरकावास पूर्ण वेग से पार करने में एक मास से यावत् छह मास का वक्त लग जाता है । सातवीं नरकके अप्रतिष्ठान नरकावास का अन्त छह मास में प्राप्त होता है । अन्य सीमन्तक आदि नरकावासों को पार करने में इससे भी ज्यादा समय लगता है ।
प्रश्न-135 नरकमें कितने प्रकारकी वेदनाएँ होती है
?
जवाब- 135 तीन प्रकारकीः- 1.क्षेत्र-स्वभावजन्य 2.परस्परजन्य 3.परमाधामी देव जन्य।
प्रश्न-136 क्षेत्र स्वभाव जन्य वेदना के स्वरुप को स्पष्ट कीजिए ?
जवाब- 136 1. नारकी जीव प्रतिपल खतरनाक सर्दी का अनुभव करते है । वहाँ इतनी ज्यादा शीतलता होती है कि उन नारकी जीवों को भयंकर शीत ऋतु में यदि हिमालय पर्वत की चोटी पर निर्वस्त्र लेटाया जाये तो भी वे आनंद पूर्वक सो जाये ।
2. नरकमें असह्य उष्णता होती हैं । उन नारकी जीवों को यदि मनुष्य लोकमें आग के धधकते अंगारो के मध्य रखा जाये तो भी वे आनंद और सुख का अनुभव करें और निद्राधीन हो जाये ।
3. नारकी जीवों को प्रतिपल इतनी ज्यादा भूख सताती है कि संसार का सारा भोज्य पदार्थ उन्हें दिये जाये तो भी तृप्ति का अहसासयदि हिमालय पर्वत की चोटी पर निर्वस्त्र लेटाया जाये तो भी वे आनंद पूर्वक सो जाये ।खाने के लिए नरक में अन्न का एक दाना भी प्राप्त नहीं होता हैं ।
4. नरकी जीवों को इतनी ज्यादा प्यास लगती है कि संसार का सारा जल अगर उन्हें पिलाया जाये तो भी शांति की अनुभूति न हो । वे हर समय प्यास के कारण तडपते है पर पीने के लिये पानी की एक बूंद भी नसीब नही होती है ।
5. नारकी जीव हर समय शोक, संताप और दुःख का अनुभव करते है ।
6. वे परमाधामी देवो की यातनाओं से प्रतिपल भयभीत रहते है । वहाँ उन्हें अभय देने वाला कोइ नही होता है ।
7. वे परमाधामी देवो के वशमें ही होते है । कभी वे भागकर छिप जातें है तो परमाधामी देव तुरन्त खोजकर उन्हें मरणान्तिक उपसर्ग देते है ।
8. उन्हें इतनी तेज खुजली आती है कि छुरे की तीक्ष्ण धार से भी शांत नही हो । वहाँ खुजली मिटाने का कोई उपाय नहीं होता है । खुजलाने से खुजली उत्तरोत्तर बढती जाती है ।
9. हर समय वे बुखार से पीडित रहते हैं । उनका शरीर अंगारो की भाँति दहकता रहता है ।
10. नारकी जीवों के शरीर की दुर्गन्ध मृत गाय आदि के कलेवर से भी कई गुणा अधिक होती है । उनका स्पर्श बिच्छु के डंक, अंगारा, ज्वाला से भी अधिक कष्ट देने वाला होता है ।
11. नारकी जीवों की शारीरिक संरचना अत्यन्त भयावह होती है । उनकी आकृति दिखने में बडी डरावनी होती है । उस रौद्र, खूंखार रुप को देख ले तो डर के मारे थर-थर कांपने लगे । शरीर अत्यन्त कठोर होने से अस्पर्शनीय होता है ।
12. उनके रहने का स्थान भी अत्यन्त भयानक होता है । वे मल-मूत्र से भरे हुए दुर्गंन्धित स्थान पर रहते हैं । चारों तरफ मांस-हड्डीयों का ढेर लगा हुआ होता है । उनकी स्थिति बडी दयनीय होती है । परवश होने से वे हर वक्त डरावनी आवाज निकालते रहते है ।
प्रश्न-137 किस किस नरक में उष्ण और शीत वेदना होती है ?
जवाब- 137 पहली तीन नरकोमें उष्ण वेदना, चौथी में उष्ण-शीत वेदना, पांचवीं में शीत-उष्ण वेदना, और छट्टी-सातवीं नरक में शीत वेदना होती हैं । ये उत्तरोत्तर तीव्र एवं अधिक होती है ।
प्रश्न-138 परस्परकृत वेदना किसे कहते है ?
जवाब- 138 नारकी जीवों का आपस में सिंह-बकरी और सांप-नेवला की भांति जन्म से वैर एवं द्वेष भाव होता है । वे एक दूसरे को देखकर कुत्तों की तरह आपस में लडते हैं, काटते हैं । परमाधामी देव मल्लों की तरह उन्हें आपस में लडाते है ।
प्रश्न-139 नारकी जीवों को यातना-दुःख कौनसे देव देते है ?
जवाब- 139 परमाधामी ।
प्रश्न-140 परमाधामी देवो के कितने भेद होते है ?
जवाब- 140 पन्द्रह भेदः- 1.अम्ब 2.अम्बरिश 3.श्याम 4.शबल 5.रुद्र 6.उपरुद्र 7.काल 8.महाकाल 9.असिपन्न 10.वण 11.कुंभी 12.वालुका 13.वैतरणी 14.खरस्वर 15.महाघोष ।
प्रश्न-141 परमाधामी देव कौनसे कार्य करते है ?
जवाब- 141 1.अम्ब- ये देव नारकी जीवों को पांच सौ योजन ऊपर तक आकाश में उछालते है । नीचे गिराते है ।
2.अम्बरीश- तीक्ष्ण शस्त्रोंसे नारकी जीवों के शरीर के छोटे छोटे टुकडे करते है ।
3.श्याम- नारकी जीवों को रस्सी, लातों, घूंसों से पीटते हैं । महाकष्टकारी स्थानों में पटकते है ।
4.शबल- नारकी जीवों की शरीरकी आंते, नसें,कलेजे आदि को बहार निकालते है।
5.रौद्र- नारकी जीवों को भाले आदि से पिरोते है ।
6.महारौद्र- नारकी जीवों के अंगोपांगों को क्षत-विक्षत करते है ।
7.काल- नारकी जीवों को कढाईमें पकाते है ।
8.महाकाल- नारकी जीवों के मांस के टुकडे-टुकडे करते है । उन्हें जबरदस्ती मांस के टुकडे खिलाते हैं ।
9.असिपत्र- नारकी जीवों पर असि-तलवार के समान तेज धार वाले पत्ते गिराते हैं । तिल के आकारमें शरीर के छोटे छोटे टुकडे करते हैं ।
10.धनुष(वण)- विक्रिया से निर्मित धनुष से बाण चलाकर नारकी जीवों के कान, नाक आदि शारीरिक अंग काट डालते है ।
11.कुंभी- असि पत्रो के द्वारा काटे हुए नारकी जीवों को कुम्भियों में पकाते है ।
12.वालुका- वज्र के समान आकार वाली उष्ण रेत में नारकी जीवों को चनों की भांति भुंजते है ।
13.वैतरणी- रुधिर, ताम्बे, सीसे इत्यादि गर्म पदार्थो से उबलती हुई वैतरणी नदीमें नारकी जीवों को फैंककर तैरने के लिये मजबुर करते हैं ।
14.खरस्वर- नारकी जीवों को शाल्मली वृक्षो के उपर चढाकर कठोर स्वर करते हुए उन्हें खींचते हैं ।
15.महाघोष- भागते हुए नारकी जीवों को पशुओं की भाँति चार दीवारी में बंद कर देते हैं ।
प्रश्न- 142 किस किस नरकमें कौनसी वेदना होती है ?
जवाब- 142 प्रथम तीन नरकोमें परमाधामी देव जन्य वेदना, सातों नरकोमें परस्परजन्य वेदना एवं क्षेत्र जन्य वेदना होती है ।
प्रश्न- 143 नारकी जीवों का जन्म किसमें होता है
?
जवाब- 143 नारकी जीवों का जन्म कुंभी में होता है । जिसका मुँह संकडा एवं पेट चौडा होता है ।
प्रश्न- 144 नारकी जीव कब-कब सुखका अनुभव करते है ?
जवाब- 144 1. तीर्थंकर परमात्मा के पांचो कल्याणकों के शुभ अवसर पर नारकी जीव कुछ समय के लिये सुख का अनुभव करते है ।
2. अल्पकाल के लिये शाता वेदनीय कर्म के उदय से भी नारकी जीव शांति का अहसास करते है ।
3. किसी मित्र देव की सहायता से भी कुछ पलों के लिए सुख प्राप्त करता है पर वह भी तीसरी नरक तक ही हो सकता है ।
4. तीर्थंकर आदि महापुरुषों के स्मरण, वंदन के समय शुभ अध्यवसाय होने से अल्पकालीन सुखानुभूति होती है ।
प्रश्न- 145 तीर्थंकर परमात्मा के पांचों कल्याणकों के अवसर पर नरक में कैसा प्रकाश होता हैं ?
जवाब- 145 पहली नरक में सूर्य जैसा, दूसरी नरक में मेघाच्छादित सूर्य जैसा, तीसरी नरक में चन्द्र जैसा, चौथी नरकमें मेघाच्छादित चन्द्र जैसा, पांचवीं नरक में ग्रह जैसा, छट्ठी नरक में नक्षत्र जैसा, सातवीं नरक में तारे जैसा अल्पकालिन प्रकाश होता है ।
प्रश्न- 146 नारकी जीवों के शरीर की ऊंचाई कितनी होती हैं ?
जवाब- 146 प्रथम नरक 7 धनुष 78 अंगुल
द्वितीय नरक 15 धनुष 60 अंगुल
तृतीय नरक 31 धनुष 24 अंगुल
चतुर्थ नरक 62 धनुष 48 अंगुल
पंचम नरक 125 धनुष
षष्ठम नरक 250 धनुष
सप्तम नरक 500 धनुष
उपरोक्त पर्याप्ता नारकी जीवों की अवगाहना है । अपर्याप्त नारकी जीवों की जघन्य एवं उत्कृष्ट रुप से अंगुल के असंख्यातवें भाग जितनी ऊँचाई होती है ।
प्रश्न- 147 नारकी जीवों का आयुष्य कितना होता हैं ?
जवाब- 147
पर्याप्ता नारकी जघन्य उत्कृष्ट
प्रथम नरक 10,000 वर्ष 1 सागरोपम
द्वितीय नरक 1 सागरोपम 3 सागरोपम
तृतीय नरक 3 सागरोपम 7 सागरोपम
चतुर्थ नरक 7 सागरोपम 10 सागरोपम
पंचम नरक 10 सागरोपम 17 सागरोपम
षष्ठम नरक 17 सागरोपम 22 सागरोपम
सप्तम नरक 22 सागरोपम 33 सागरोपम
प्रश्न- 148 क्या नारकी जीव मरकर पुनः नरक में उत्पन्न हो सकता है ?
जवाब- 148 नारकी जीव मरकर पुनः नरक में नहीं जा सकता हैं । बीच में मनुष्य या तिर्यंच का भव करके ही नरक में जा सकता है ।
प्रश्न- 149 नारकी जीवों में कितने प्राण होते है ?
जवाब- 149 दसों ही प्राण होते है ।
प्रश्न- 150 नारकी जीवों की कितनी योनियाँ होती हैं ?
जवाब- 150 चार लाख योनियाँ ।
प्रश्न- 151 नरक आयुष्य बंध के कारण बताइए ?
जवाब- 151 प्रमुख चार कारणः-
1. महारंभ करना
2. महापरिग्रह करना
3. परस्त्री-वेश्यागमन एवं शील का हरण करना
4. पंचेन्द्रिय प्राणी का वध एवं मांसाहार का सेवन करना ।
अन्य कारण- 1.रात्रिभोजन 2.अनन्तकाय भक्षण 3.मद्यपान, शहद का सेवन 4.तीव्र क्रोध आदि कषाय करना 5.रौद्र ध्यान 6.पाप कार्यमें रुचि आदि ।
प्रश्न- 152 नरक में कौन कौन जाते है ?
जवाब- 152 संख्याता वर्ष के आयुष्य वाले पंचेन्द्रिय मनुष्य एवं तिर्यंच ही मरकर नरक में जाते हैं ।
प्रश्न- 153 प्रथम नरक तक कौन कौन जाते है ?
जवाब- 153 जघन्य दस हजार तथा उत्कृष्ट पल्योपम के असंख्यात्वें भाग की आयुष्य वाले संमूर्च्छिम तिर्यंच प्राणी ।
प्रश्न- 154 दूसरी नरक तक कौन कौन जाते है ?
जवाब- 154 गर्भज भुजपरिसर्प ।
प्रश्न- 155 तीसरी नरक तक कौन कौन जाते है ?
जवाब- 155 गर्भज खेचर ।
प्रश्न- 156 चौथी नरक तक कौन कौन जाते है ?
जवाब- 156 गर्भज चतुष्पद ।
प्रश्न- 157 पांचवीं नरक तक कौन कौन जाते है ?
जवाब- 157 गर्भज उरपरिसर्प ।
प्रश्न- 158 छट्ठी नरक तक कौन कौन जाते है ?
जवाब- 158 स्त्री ।
प्रश्न- 159 सातवीं नरक तक कौन कौन जाते है ?
जवाब- 159 गर्भज मनुष्य एवं गर्भज जलचर ।
प्रश्न- 160 कौन कौन मरकर नियमतः नरक में ही जाते है ?
जवाब- 160 वासुदेव एवं प्रतिवासुदेव मरकर नरक में ही जाते हैं । चक्रवर्ती दीक्षा न ले तो 7 वीं नरक में ही जाता है ।
प्रश्न- 161 सातवीं नरक का जीव नियमतः किस गति में जाता है ?
जवाब- 161 तिर्यंच गति में ।
प्रश्न- 162 नरक से आने वाले जीव क्या-क्या हो सकते है ?
जवाब- 162 1. प्रथम नरक से आने वाला जीव ही चक्रवर्ती हो सकता हैं, शेष नरको से नहीं ।
2. प्रथम दो नरको से आने वाला जीव ही वासुदेव या बलदेव हो सकता है, शेष नरकों से नहीं ।
3. प्रथम तीन नरकों से आने वाला जीव ही तीर्थंकर हो सकता है,
शेष नरको से नहीं ।
4. प्रथम चार नरकों से आने वाला जीव ही केवली हो सकता है,
शेष नरको से नहीं ।
5. प्रथम पांच नरकों से आने वाला जीव ही साधु हो सकता है,
शेष नरको से नहीं ।
6. प्रथम छह नरकों से आने वाला जीव ही श्रावक हो सकता है,
शेष नरको से नहीं ।
7. सातों ही नरकों से आने वाला जीव सम्यक्तवी हो सकता है ।
प्रश्न- 163 नारकी जीवों के कितने भेद होते है ?
जवाब- 163 सातों नरक के नारकी जीव पर्याप्त एवं अपर्याप्त दोनो होते हैं, अतः नारकी जीवों के कुल चौदह भेद होते है ।
प्रश्न- 164 किन कारणों से नारकी मनुष्य लोक में नहीं आ सकते है ?
जवाब-164 चार कारणो सेः- 1.अत्यधिक दुःख होने से 2.नरकपाल के रोकने से 3.नरकायु के समाप्त नही होने से 4.नरक-कर्मो का क्षय नही होने से ।
प्रश्न- 165 समकित युक्त जीव कितनी नरक तक जा सकता है ?
जवाब- 165 प्रथम छह नरकों में जीव समकित सहित जा सकता है । सातवीं नरक में समकित का वमन करके अर्थात् मिथ्या दर्शन सहित ही जाता है ।
प्रश्न- 166 वर्तमान में जीव किस नरक तक जा सकता है ?
जवाब- 166 वर्तमान में जीव छेवट्ठु संघयण होने से दूसरी नरक तक जा सकता है ।
प्रश्न- 167 पंचेन्द्रिय तिर्यंच जीवों के कितने भेद होते है ?

नरक
कौन सी नरक से आकर चक्रवर्ती बन सकते है।
A पहली नरक से
2 ,नरकी के जीव कौन से पंचेन्द्रिय जीव होते है
A सन्नी पंचेन्द्रिय



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