ध्यान दिवस
पर्युषण का सातवां दिन ~ *ध्यान दिवस* जैन साधना में ध्यान का वही स्थान है, जो शरीर में गर्दन का है । ध्यान क्या है ? *बाहर से भीतर की ओर लौटना । *किसी एक बिंदु पर मन को स्थिर करना । *निर्विचार अन्तर्यात्रा । *प्रत्येक क्षण जागरूक रहना । *गतिमान चित्त की स्थिरता । *भीतर की तटस्थता । *जीवन की पवित्रता । *सुषुप्त-शक्ति का जागरण । *आत्म-समाधि का विश्वास । *अखण्ड निर्मल ऊर्जा । *सत्य की अनुभूति । *ध्यान किसलिए ?* *संकल्प चेतना के विकास के लिए । *चित्त की चंचलता को मिटाने के लिए । *मन के विकारों को पकड़ने के लिए । *मूर्च्छा की तेज गति को रोकने के लिए । *स्वयं का आत्म-साक्षात्कार करने के लिए । *ध्यान का परिणाम ?* *कार्य क्षमता का विस्तार होता है । *चित्त की एकाग्रता प्राप्त होती है। * मानसिक प्रसन्नता की अनुभूति होती है। तटस्थ भावों का विकास होता है। प्रतिक्रिया मुक्त चेतना जागती है। चित्त समाधि मिलती है। *अप्पणा सच्चमेसेज्जा मेत्तिं भूएसु कप्प ए* स्वयं सत्य खोजें सब के साथ मैत्री करें। *आहंसु विज्जा चरणं पमोक्खं* ...