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समणी स्वागत गीत

 महाश्रमण जी  बने हम पर बहुत करुणा निधान की आप लोगों को भेजाहैं, ज्ञानके हैंस्त्रोत आप सभी महान स्वागत करते आज आपका समणी निर्देशिका कमल प्रज्ञा जी का।  पंक लिप्त जग में आप साक्षात पावन कमल स्वरूप है  मंगल स्वागत है आपका॥ स्वागत करते आज आपका समणीकरुणा प्रज्ञा जी, निर्दय जग में आप अनुकंपा  का प्रसाद है मंगल स्वागत है आपका॥ स्वागत करते आज आपका समणीसुमन प्रज्ञा जी कंटकाकीर्ण इस बियावन में आप सुवासित मंजरी हैं मंगल स्वागत है आपका॥ स्वागत करते आज आपका आदरणीय बाबूलाल जी छाजेड़ जी का  कि शासन सेवा में कर दिया  समर्पित ह्रदय का कोर है मंगल स्वागत है आपका॥ आप सभी केचरणों मेंशत शत वंदन है  आपका अभिनन्दन हैं स्वागत है निर्मल परिणति में, मंगलमय चेतन ज्ञायक का सुप्रवचन  औऱ ज्ञान दायक का शुद्धात्म को लक्ष्य बनाये, रत्नत्रय निधियां प्रगटायें, जन-जन का हो कल्याण, मंगल स्वागत है त्याग- तितिक्षा, तप- सेवा के, आपअद्भुत रंग हों अहो करुणा भरे हृदय का वैभव हो,  चरण कमल में आपके शत शत वंदन नित्य नित्य आपका अभिनन्दन उच्च आस्था, विश्वासों का हैं बल   साद...

समणी विदाई 2

 बहारों के मौसम अब पतझड़ ले आयेंगे। जो आप चले जायेंगे 2 आये संग बहार लिये, जा रहे उसे ले साथ कहाँ? पूछ रहा यह भवन ‘कमल जी’ बोलो मेरा गुलजार कहाँ? कल ये दरों दीवारों  पुछेगी वो मधुर वाणी  कँहा ग वो भक्तमर के श्लोक कँहा गए कैसे बताऊंगी की निर्मोही नेहा तोड़ चले आप नेहा तोड़कर बने वैरागी आपसे ही  नेहा लगा बैढे हम है ऐसे निपट अज्ञानी कुछ औऱ  दिन रुक जाते मोह तोड़ने के सबक ही सिखा जाते। जमीन बन ही नहीं पाई इन 6 दिनों में तो  कैसे ज्ञान बेल लग पायेगी ज्ञान से महकी थी फिजा अब फिर भौतिक  गलियारों में  गुम जाएगी पद्म ,पंकज पुण्य पुष्कर सी कमल जी की ,सुवासितमधुर कण्ठ कोकिला सुमनजी मधुर भाषिणी,सुमधुर भाषिणी ईश्वर की रहमत सी करुणा जी  विशेष सानिध्य आपका और मिलता तो भी जानते है अशेष तो नहीं होती कामना पर विदाई का कैसे करे सामना  जंहा लाहो तहा लोहो  जैसे जैसे लाभ होता हैं लोभ बढता जाता कँहा इनकार करते हम।  पर इसको समित कैसे करें ये समझा  कर जाते बहुत कुछ बताकर जाते  पर जाने का मन बना ही लिया हैं तो क्या कहें हम लौट के फिर इन वीथिकाओ मे...