संदेश

नवंबर, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

समणी स्वागत गीत

 महाश्रमण जी  बने हम पर बहुत करुणा निधान की आप लोगों को भेजाहैं, ज्ञानके हैंस्त्रोत आप सभी महान स्वागत करते आज आपका समणी निर्देशिका कमल प्रज्ञा जी का।  पंक लिप्त जग में आप साक्षात पावन कमल स्वरूप है  मंगल स्वागत है आपका॥ आपने  पूर्व वर्ष में जो अलख जगाई, उसकी गूंज आज भी  जहन में स्थित हैं, स्वागत करते आज आपका समणीकरुणा प्रज्ञा जी, निर्दय जग में आप अनुकंपा  का प्रसाद है आपकी मधुर आवाज हृदय में मिठास का साद है   स्वागत है आपका॥ स्वागत करते आज आपका समणीसुमन प्रज्ञा जी कंटकाकीर्ण इस बियावन में आप सुवासित मंजरी हैं आपकी स्वर लहरी में  भक्ति रस में विभोर हो जाता समस्त जैन समाज  मंगल स्वागत है आपका॥ स्वागत करते आज आपका मंगल स्वागत है आपका॥ आप सभी केचरणों मेंशत शत वंदन है  आपका अभिनन्दन हैं स्वागत है निर्मल परिणति में, मंगलमय चेतन ज्ञायक का सुप्रवचन  औऱ ज्ञान दायक का शुद्धात्म को लक्ष्य बनाये, रत्नत्रय निधियां प्रगटायें, जन-जन का हो कल्याण, मंगल स्वागत है त्याग- तितिक्षा, तप- सेवा के, आपअद्भुत रंग हों अहो करुणा भरे हृदय का वैभव हो,...

समणी विदाई 2

 बहारों के मौसम अब पतझड़ ले आयेंगे। जो आप चले जायेंगे 2 आये संग बहार लिये, जा रहे उसे ले साथ कहाँ? पूछ रहा यह भवन ‘कमल जी’ बोलो मेरा गुलजार कहाँ? कल ये दरों दीवारों  पुछेगी वो मधुर वाणी  कँहा ग वो भक्तमर के श्लोक कँहा गए कैसे बताऊंगी की निर्मोही नेहा तोड़ चले आप नेहा तोड़कर बने वैरागी आपसे ही  नेहा लगा बैढे हम है ऐसे निपट अज्ञानी कुछ औऱ  दिन रुक जाते मोह तोड़ने के सबक ही सिखा जाते। जमीन बन ही नहीं पाई इन 6 दिनों में तो  कैसे ज्ञान बेल लग पायेगी ज्ञान से महकी थी फिजा अब फिर भौतिक  गलियारों में  गुम जाएगी पद्म ,पंकज पुण्य पुष्कर सी कमल जी की ,सुवासितमधुर कण्ठ कोकिला सुमनजी मधुर भाषिणी,सुमधुर भाषिणी ईश्वर की रहमत सी करुणा जी  विशेष सानिध्य आपका और मिलता तो भी जानते है अशेष तो नहीं होती कामना पर विदाई का कैसे करे सामना  जंहा लाहो तहा लोहो  जैसे जैसे लाभ होता हैं लोभ बढता जाता कँहा इनकार करते हम।  पर इसको समित कैसे करें ये समझा  कर जाते बहुत कुछ बताकर जाते  पर जाने का मन बना ही लिया हैं तो क्या कहें हम लौट के फिर इन वीथिकाओ मे...