समणी स्वागत गीत

 महाश्रमण जी  बने हम पर बहुत करुणा निधान

की आप लोगों को भेजाहैं, ज्ञानके हैंस्त्रोत

आप सभी महान


स्वागत करते आज आपका समणी निर्देशिका कमल प्रज्ञा जी का।

 पंक लिप्त जग में आप साक्षात पावन कमल स्वरूप है 

मंगल स्वागत है आपका॥

स्वागत करते आज आपका समणीकरुणा प्रज्ञा जी, निर्दय जग में आप अनुकंपा  का प्रसाद है

मंगल स्वागत है आपका॥


स्वागत करते आज आपका समणीसुमन प्रज्ञा जी

कंटकाकीर्ण इस बियावन में आप सुवासित मंजरी हैं

मंगल स्वागत है आपका॥

स्वागत करते आज आपका

आदरणीय बाबूलाल जी छाजेड़ जी का 

कि शासन सेवा में कर दिया  समर्पित ह्रदय का कोर है

मंगल स्वागत है आपका॥

आप सभी केचरणों मेंशत शत वंदन है 

आपका अभिनन्दन हैं


स्वागत है निर्मल परिणति में, मंगलमय चेतन ज्ञायक का

सुप्रवचन  औऱ ज्ञान दायक का


शुद्धात्म को लक्ष्य बनाये, रत्नत्रय निधियां प्रगटायें, जन-जन का हो कल्याण, मंगल स्वागत है

त्याग- तितिक्षा, तप- सेवा के, आपअद्भुत रंग हों अहो करुणा भरे हृदय का वैभव हो, 

चरण कमल में आपके शत शत वंदन

नित्य नित्य आपका अभिनन्दन

उच्च आस्था, विश्वासों का हैं बल   सादा जीवन उच्च विचारों का सम्बल  ॥

ऐसे आचार्य प्रतिनिधि का स्वागत

आज  संस्कार धानी के संस्कार महक उढेंगे,

आज धार्मिक भाव औऱ घुमड़ेगे

आज ज्ञान पिपासुओ की प्यास औऱ  उमड़ेगी

तृप्ति मिलेगी तब ही जब 

आपकी ज्ञान गंगा बहेगी

औऱ इस ज्ञान गंगा की त्रिवेणी में शुद्ध

औऱ निखरेंगे

हम सदा धर्म,शील सत्य के पथ पर आगे बढ़ेंगे।  आपका सानिध्य हो अमृत आचमन

 स्वागतम्......॥














 

 



 महाश्रमण जी  बने हम पर बहुत करुणा निधान

की आप लोगों को भेजाहैं, ज्ञानके हैंस्त्रोत

आप सभी महान


स्वागत करते आज आपका समणी निर्देशिका कमल प्रज्ञा जी का।

 पंक लिप्त जग में आप साक्षात पावन कमल स्वरूप है 

मंगल स्वागत है आपका॥

स्वागत करते आज आपका समणीकरुणा प्रज्ञा जी, निर्दय जग में आप अनुकंपा  का प्रसाद है

मंगल स्वागत है आपका॥


स्वागत करते आज आपका समणीसुमन प्रज्ञा जी

कंटकाकीर्ण इस बियावन में आप सुवासित मंजरी हैं

मंगल स्वागत है आपका॥

स्वागत करते आज आपका

आदरणीय बाबूलाल जी छाजेड़ जी का 

कि शासन सेवा में कर दिया  समर्पित ह्रदय का कोर है

मंगल स्वागत है आपका॥

आप सभी केचरणों मेंशत शत वंदन है 

आपका अभिनन्दन हैं


स्वागत है निर्मल परिणति में, मंगलमय चेतन ज्ञायक का

सुप्रवचन  औऱ ज्ञान दायक का


शुद्धात्म को लक्ष्य बनाये, रत्नत्रय निधियां प्रगटायें, जन-जन का हो कल्याण, मंगल स्वागत है

त्याग- तितिक्षा, तप- सेवा के, आपअद्भुत रंग हों अहो करुणा भरे हृदय का वैभव हो, 

चरण कमल में आपके शत शत वंदन

नित्य नित्य आपका अभिनन्दन

उच्च आस्था, विश्वासों का हैं बल   सादा जीवन उच्च विचारों का सम्बल  ॥

ऐसे आचार्य प्रतिनिधि का स्वागत

आज  संस्कार धानी के संस्कार महक उढेंगे,

आज धार्मिक भाव औऱ घुमड़ेगे

आज ज्ञान पिपासुओ की प्यास औऱ  उमड़ेगी

तृप्ति मिलेगी तब ही जब 

आपकी ज्ञान गंगा बहेगी

औऱ इस ज्ञान गंगा की त्रिवेणी में शुद्ध

औऱ निखरेंगे

हम सदा धर्म,शील सत्य के पथ पर आगे बढ़ेंगे।  आपका सानिध्य हो अमृत आचमन

 स्वागतम्......॥














 

 









समणी निर्देशिका कमल प्रज्ञा जी समणी करुणा प्रज्ञा जी,सुमन प्रज्ञा जी आप तीनों को हाथ जोड़कर सादर नमन करते हुए आप सबसे सुख साता पूछते है ,और बिलासपुर पधारने पर आपका हार्दिक स्वागत करते है,यहाँ पधारे आदरणीय बाबूलाल जी छाजेड़






समणी निर्देशिका कमल प्रज्ञा जी समणी करुणा प्रज्ञा जी,सुमन प्रज्ञा जी आप तीनों को हाथ जोड़कर सादर नमन करते हुए आप सबसे सुख साता पूछते है ,और बिलासपुर पधारने पर आपका हार्दिक स्वागत करते है,यहाँ पधारे आदरणीय बाबूलाल जी छाजेड़

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