pita khula aakash ho tum

पिता  छोटे से परिंदे का विस्तृत आसमान है
और नन्हों की असीमित उड़ान है।

.उठा तर्जनी दूर कंही गंतव्य  दिखाते है .
 हो सफल जीवन हमारा ,
येही अपना मन्तव्य बनाते है .

  प्रेमसिन्धु जो छिपा  आप में,
  उसमे भीग कर हम इतराते है .
  आपकी स्नेह छाँव में
  डर  नहीं  जहाँ का,
  हम निर्भय विचरते है

 बूंद  बूंद से भरा हमारा  घट,
 खुद खाली  होकर
जिताए हमें सदा खुद हार कर

मेरे तुतलाते  बोलों ने  अर्थ आप से पाया,
 हर मुश्किल में संबल आप को पाया

मैं निशब्द भला क्या बोलू,आप  संवेदना हैं,एहसास हैं।

मेरा विश्वास है , पापा आप मेरे लिए  सब से ख़ास है


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भगवान पार्श्वनाथ प्रश्नोत्तरी

जैन प्रश्नोत्तरी

सतियाँ जी 16