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अजब गज़ब

अजब गज़ब 1 जो दूसरों के दुख को दूर करने वाले ढेकेदार दूसरे के दुःख पे ख़ुद को पोसते है समाज में गंदगी फैलाकर समाज में फैली गंदगी को कोसते है 2  बहुत छोटा है आतंकवाद     बहुत बड़ा तुम्हारा भौतिकवाद 3, भीतर ही  है अपने चमत्कार     समक्ष आएगा ,जब छोटे छोटे संकल्पों का      बनाओगे आधार     देश काल परिस्थितियों से प्रभावित ना होना     सदा रखना सदाचार। प्रामाणिक संयत हो विचार शुद्व पुस्ट हो आचार सम हो सबसे करना  व्यवहार पर स्त्री पर धन ,पर न आये विकार

रिश्ते

रिश्ते रिश्तों के पैमाने ,आदर्श वाक्य, परिभाषाऐ अलग है पर व्यवहारिक जिंदगी की कसौटी एकदम विलग है रिश्ते दिल के मिलने से नहीं ,आज कहते है सब यही आर्थिक मानकों के मिलने से रहते है सही रिश्ते रिसते है,भावातिरेक उन्माद में जब गरीब दोस्त ,बचपन की दोस्ती केउत्साह में मिल जाता हैं ,अपने अमीर बने दोस्त से तब निरीह सा  अपमान के घूँट पी सोच लेता है दोस्ती ख़र्च होगई ,वस्तु विनिमय के बाजार में दोस्ती बराबर वालों के साथ होती हैं और उन्ही के साथ निभती है कई अनुभवदारों ने समझाया था पर उस वक़्त कहाँ समझ पाया था वो तो सुदामा -कृष्ण का पाढ़ पढ़आया था। दोस्ती निर्मल ,पाक  निस्वार्थ की बात लिखने वाले सुनो, इस हकीकत से वाकिफ हो जाओगे तो संभल जाओगे, आज ,विभीषण ही मिलेंगे कोई कृष्ण आज दोस्त की खातिर राजा से सारथी नही बनता ,ना ही कोई कर्ण दोस्त पे जान लुटाते है सोच समझ कर रहना ,चिकनी मीठी तलवार से और ढाल लगाना, पीढ़ पे औऱ बचना अपनों के वार से

मुक्ति की क्षमता

छोड़ दे आग्रह, विग्रह, शक्ति व आसक्ति को छोड़ के, मोह माया लोभ, प्राप्त कर  निवर्ति को विवेचना छोड शुभ ,अशुभ योग की चेतना जागृत कर,अपने भीतर की इंद्रिय ,विवेक,संवेदनशीलताकी, ज्ञान ,दर्शन ,चारित्र की। बना मन को बली - औऱ यतना वान साधनीहोगी ,तन  की बिगड़ी तान समभावी चेहरे पे रहती ,सदा निश्छल मुस्कान  सुख दुःख की जीवन में बस एक हो तान  पृष्ठ ऋजु लचीली इतनी कर ले कि जिसमें शक्ति ,श्रम का नियोजन होता हैं,  जो भेद विज्ञान का जानता है, जो निर्जरा को मानता हैं। जो सापेक्ष चिंतन रखता हैं निर्भय हो जीता है, बस उसीका भव भृमण, से निस्तार  होता है जिसकी इच्छायें संयमित होती है, बस उसी में ही मुक्त होने की क्षमता होती हैं।