शरीर

 

Topic -::- शरीर को पहचानिए..!!!🙏👍


1️⃣ हाड़ मांस और रक्त से बना हुआ शरीर..!!!

🆗 औदारिक शरीर ।


2️⃣ अंगोपांग वाले शरीर ।

🆗 औदारिक,वैक्रिय,आहारक।


3️⃣ मुझे कर्म दलने की चक्की कहा गया है..!!!

🆗 औदारिक शरीर ।


4️⃣ लंबे समय तक सांसारिक सुख भोगता है..!!

🆗 वैक्रिय शरीर ।


5️⃣ इस शरीर में हाड़ - मांस - रक्त नहीं होता । मृत्यु के बाद इस  का कोई अवशेष नहीं रहता । यह कपूर की भाँति उड़ जाता है ।

🆗 वैक्रिय शरीर ।


6️⃣ इस शरीर का निर्माण सिर्फ 14 पूर्वधारी साधु ही लब्धि द्वारा कर सकते हैं ।  पूरे भव चक्रों में कोई अधिकतम ४ बार ही बना सकता है।

🆗 आहारक शरीर ।


7️⃣ इन दोनों शरीरों से छूटते ही आत्मा मुक्त हो जाती है ।फिर उसे संसार में परिभ्रमण नहीं करना पड़ता ।

🆗 तेजस और कार्मण शरीर।


8️⃣ मोक्ष जाने के लिए यह शरीर आवश्यक । और ये ही शरीर सातवें नरक तक ले जा सकता है । अब हमें निर्णय करना है हम इसका कैसे उपयोग करते है ..!!

🆗 औदारिक शरीर ।


9️⃣ जीवन के साथ भी,जीवन के बाद भी..!!!

🆗 तेजस और कार्मण शरीर ।


🔟 एक स्त्री को यह शरीर नहीं हो सकता..!!

🆗 आहारक शरीर ।


1️⃣1️⃣ इस लब्धि (शरीर) की प्राप्ति 7 th गुणस्थान में होती है , तथा लब्धि का प्रयोग करते समय गुणस्थान छठा आ जाता है ।

(लब्धि फोड़ना भी एक प्रमाद है)

🆗 आहारक शरीर ।


1️⃣2️⃣ इसमें छेदन, भेदन हो सकता है । इसमें हाड, मांस, रक्त आदि होते है । इसका स्वभाव है गलना, सड़ना व विनाश होना ।

🆗 औदारिक शरीर ।


1️⃣3️⃣ यह शरीर नैरयिक तथा देवों के जन्मजात होता है..!!!

🆗 वैक्रिय शरीर ।


1️⃣4️⃣ यह शरीर केवली भगवान के पास शंका निवारण के लिए अथवा प्रश्न का उत्तर लेने के लिए पहुँचता है ..??

🆗 आहारक शरीर ।


1️⃣5️⃣ शासन रक्षा हेतु ,विष्णु मुनि जी ने यह शरीर बनाया था।

🆗 वैक्रिय शरीर ।


1️⃣6️⃣ यह शरीर मनुष्य और तिर्यन्चों को ही होता है ।

🆗 औदारिक शरीर ।


1️⃣7️⃣ वायुकायिक जीवों के स्वाभाविक रुप से यह शरीर होता है । वायुकाय में अपर्याप्त अवस्था में यह नहीं होता । पर्याप्त अवस्था होते ही यह शरीर की प्राप्ति हो जाती है ।

🆗 वैक्रिय शरीर ।


1️⃣8️⃣ विशिष्ट योगशक्ति सम्पन्न अभिन्नाक्षर चतुर्दश पूर्वधर मुनि जघन्य देश न्यून एक हाथ उत्कृष्ट एक हाथ  प्रमाण अति विशुद्ध स्फटिक के समान निर्मल शरीर की संरचना करते हैं ।

🆗 आहारक शरीर ।


1️⃣9️⃣ जिस प्रकार कृषक खेत में क्यारियों में अलग - अलग पानी पहुँचाता है , इसी तरह यह शरीर ग्रहण किये हुये आहार को विविध रसादि में परिणत करके अवयव - अवयव में पहुँचाता है..!!!

🆗 तैजस शरीर ।


2️⃣0️⃣ प्राणी के संसार भ्रमण का मूल हेतु यह शरीर है । मुहावरे की भाषा में - इस शरीर को " काचर का बीज "कहा जाता है । यानि यह सभी शरीरों का बीज है ।

🆗 कार्मण शरीर ।


2️⃣1️⃣ हर 14 पूर्वी साधु को  यह लब्धि की प्राप्ति नहीं होती ।

🆗 आहारक शरीर ।


2️⃣2️⃣ अन्तराल गति में हम दोनों साथ-साथ..!!!

🆗 तैजस और कार्मण शरीर।


2️⃣3️⃣ यह शरीर औदारिक और वैक्रिय शरीर की अपेक्षा सूक्ष्म तथा तैजस और कार्मण की अपेक्षा स्थूल होता है । फिर भी इसकी गति में कोई बाह्य पदार्थ बाधक नहीं बन सकता ।

🆗 आहारक शरीर ।


2️⃣4️⃣ मनुष्य व तिर्यंच तप आदि के द्वारा प्राप्त की हुई विशेष शक्ति के द्वारा लब्धि प्राप्त कर इस शरीर का निर्माण कर सकते हैं । परन्तु मनुष्य व तिर्यंच को एक मुहूर्त के अन्दर ही पुनः: अपने औदारिक शरीर में प्रवेश करना पड़ता है ।

🆗 वैक्रिय शरीर ।


2️⃣5️⃣ सुलसा जी के सम्यकत्व की परीक्षा के लिए,अंबड परिव्राजक ने इस शरीर का सहारा लिया..!!!

🆗 वैक्रिय शरीर ।


2️⃣6️⃣ मैं एक शरीर से दूसरे शरीर में प्रवेश करने का *Visa* हुं ।

🆗 कार्मण शरीर ।


2️⃣7️⃣ हम दोनों कभी एक साथ नहीं होते।

🆗 आहारक शरीर और वैक्रिय शरीर ।


2️⃣8️⃣ इस शरीर के मृत्यु पश्चात शव नहीं होता..??

🆗 वैक्रिय शरीर।


2️⃣9️⃣ जंबू स्वामी जी के निर्वाण पश्चात,इस शरीर का विच्छेद हो गया है??

🆗 आहारक शरीर।


3️⃣0️⃣ एक स्वरुप धारण करना ,  अनेक स्वरुप धारण करना , छोटा शरीर धारण करना , बड़ा शरीर धारण करना , आकाश में चलने योग्य शरीर धारण , भूमि पर चलने योग्य शरीर धारण करना , दृश्य/अदृश्य शरीर धारण करना, इत्यादि

🆗 वैक्रिय शरीर।



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