बच्चे परबिटू ,पल्लवी पर कविता
एक औरत को मातृत्व सुख
देते है ,बच्चे,
एक औरत को माँ की गौरवशाली
पदवी देते है, बच्चे
जिंदगी की नियामत बच्चे ही तो है
वृद्धावस्था की लाठी बच्चे ही तो है
बच्चों से ही तो माँ होती है
वजूद हमारा तुम से ही है
बच्चों आबाद रहो
हमेशा हमारे साथ भी
हमारे बाद भी
कभी जिंदगी में तुम्हारी ,ख़त्म न हो
सिलसिला खुशी का प्यार का
।
वो लम्हा कभी बेजार नहीं होता जिस लम्हे में शामिल हो तुम
मेरीदुनिया को रोशन करने के लिए चिराग चाहा मैंने
रब ने जिसेअदा फ़रमाया
वो हो तुम
भले ही मेरी गोद तुम्हारे लिए छोटी है लेकिन मेरे दिल में समाए हो पूरे तुम
मेरी जिंदगी में
सबसे ज्यादा बेशकीमती हो। तुम
हर दिन हमारे चेहरे पर मुस्कान और हमारे दिल को खुशी देते हो तुम
तुम्हें होंठों की हंसी मुबारक हो, तुम्हें जन्मदिन की खुशी मुबारक हो, ...
तेरा नाम लिखूं नीले आसमान पे, ... विपुल
यह जन्मदिन मुबारक हो तुम्हारा, ...
निकली दिल से ये दुआ हमारी, ...
दुनिया में जहां भी रहो,
खुशियों से भर जाए जीवन ये तुम्हारा, ..तुम्हें,.
औऱ मिल जाए सफलता की
एक कुँजी
चतुर चंचल चपल हो तुम
लब पर प्यारी मुस्कान हरदम रखतेहो
महफ़िल सी सज जाती है
जंहा हो तुम
यूँ ही तमाम उम्र जिंदगी से भरपूर जिंदगी जीना
जन्मदिन पर वरुण ये ही दुआ है
जो शब्द तुम्हारे लब को छुए
बस तराना बन जाये
बियावन से भी गुजरे तो बहार
बन जाए
इतनी खुशिया मिले,कि दामन तुम्हारा
कहीं छोटा ही ना पडजाये।
पल्लवी पल्लवित्त हो अरमानों को हरा कर दिया,
अमूर्त स्वप्न को मूर्त साकार कर दिया ।
यूं ही नहीं नाज करते तुम पर
यूं ही नहीं अभिमान करते तुम पर
दो जंहा को महका दिया तुमने
बाहर घर को बखूबी संभाल लिया तुमने
पति मानिनी सिद्धहस्त डॉक्टर, प्रेरणादायक मां
सेवा भावी कर्तव्यनिष्ठ बहू बेटी का खिताब पा लिया तुमने।
कहने बैठूँ तो क्या क्या कहूं मैं, एक छोटी सी किलकारी बन मचल उठी थी जो गोद में,
आज हमें हम से ज्यादा संभाल लेती हो तुम
दूर बैठकर भी निकटता का एहसास कराती हो तुम,
मेरे संस्कारों का सम्मान हो तुम,
हमारे हौसलों की उड़ान हो तुम,
हमारे जीवन की कड़कती धूप को अवशोषित कर घनी शीतल छांव हो तुम ,
कड़कती शीत लहर में सुहानी
धूप हो तुम ।
*चालीस वर्ष* के मधुमास की
तमाम सौरभ सुषमा, तमाम उम्र प्रति पल पाओ तुम
कामयाबी के उतंग शिखर पर
चढ़ती जाओ नित नए केतन फहराओ तुम
आज जन्मदिन पर दूर है हम
पर मन में बसी हो तुम
बस क्या कंहूँ पल्लवी
कि अव्यक्त मधुर अहसास हो तुम
ख्वाइशों के पियूष कण तुम्हें मयस्सर हो प्रति पल
सदा हमारी दुआ का असर हो तुम पर
सदा हमारे आशिष का हाथ है तुम्हारे सर पर
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