होली
🌹अंजू की कलम से🌹
रँग जाओ आध्यात्मिक होली के रंग में
कब तक जलाते रहोगे होलिका को
माफ करो आगे बढ़ जाओ ना,
सदियां बीत गई ,कब तक
उसकी बुराई जिंदा कर कर के जलाओगे
ये कैसी सीख दे रहे हो बच्चों को
द्वेष मिटाना ,या द्वेष की परिपाटी चलाना
बीत गई बात गई सीख जाओ ना
शान्ति औऱ त्याग का सफेद रंग ले लो
हरा रंग सुरक्षा का
केसरिया रंग देश भक्ति का
तो धानी रंग खुशहाली का ले लो ना
मानस में मनन करो इन रंगों का
इन रँगवत हो जाओ ना
कब तक जलाओगे होलिका को
बद पर सत्य की विजय का कब तक
जश्न मनाओगे
एक बार स्वंय के बद को जलाओ ना
बड़ी बड़ी बातें नहीं
छोटे छोटे प्रयोग करो ना
कहदे कोई तुमको गलत एक बार विचार करो ना
गलती मान कोई तुम्हें अपने गले लगाये
पीछे हुई गलतियों को गिनवाओ मत ना
हुई गर तुमसे कोई गलती साहस दिखा कर
माफी उससे माँग लो ना
कोई दे तुम्हें भ्र्ष्टाचार करने का मौका
फिर भी तुम सत्य पर अडिग रहो ना
औऱ बहुतेरे प्रयोग है आज़माओ ना
अब इस होलीमें होलिका दहन नहीं प्रेम की
ज्योत जलाओ ना
हम आपके हो लि ये कह कर एक दूसरे
को गले लगाओ ना
कुछ अलग होली मनाओ ना
ऐसी
होली मुबारक हो
,🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
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*सूरज की किरणें*
*खुशियों की बहार*,
*लाल गुलाबी रंग है*
*झूम रहा संसार*..
*शुभ हो आपको*
*आध्यात्मिक चेतना*
*का ये त्योंहार*
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*वातवलय किस रंग के हैं* ?
*घनोदधिवलय गोमूत्र के रंग* *का,तो घनवातवलय काले रंग की मूंग के समान एवं तनुवातवलय अनेक रंगों वाला है*।
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*ऐसे भांत भांत के रंग मिले है ऐसे ही रंग भरा रंग पंचमी हो*
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*लेश्या भी रंगीन ,प्रत्याख्यान भी* *रंग भरा हो*।
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*आओ रंग जाएं इन रँग में*
*शेष कोई रँग ना हो*
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*धानी रँग 🟡 के पहने वस्त्र है, वासुदेव जी ने कृष्ण रंग की काया*⚫⚫⚫⚫⚫
*वीर जी स्वर्णिम 🟠है*
*श्वेत है सिद्ध ⚪क्षेत्र हमारा*
*और कितने रंगो को संजोए*🎨
*रंगो की अलबेली माया*
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*फिजा में प्रेम रंग कुछ इस तरह मिला दो*
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*दिलों की सारी कडवाहट मिटा दो*
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*हर तरफ नजर आये खुशियॉं ही खुशियॉं*
🟡🟠 *बस*🟢🔴
*अपने मन से गिले शिकवे मिटा दो*
*सभी रंगों का ध्यान है होली*,
*मन का उल्लास है होली*,
*जीवन में खुशियां भर देती है*,
*बस इसीलिए ख़ास है होली*।*
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*कषायों के रंगों को दहन करो*🟠🔵🟡⚫
*अशुभ लेश्या के काले रंगों को दफन करो*🟡🟠🔵
*रँग लो नवकार के पाँच रंगों से*🔵🟡🟠
*खुद को*🟠
*की उज्जवल तन मन करो*
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*रँगे हो ज्ञान तप धर्म के रंग में*
*आपके धर्म रँग की कर रही* *प्रशंसा*
*अभिभूत हूँ आप सभी के ज्ञान से*
*की अपने ज्ञान रंग से*
*पाठशाला की भी हो रही अनुशंसा*
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*थोड़ा धर्म थोड़ा ध्यान थोड़ा ज्ञान का रंग मुझे भी दे दो*
*मुझे भी आध्यात्मिक रंग में रंग जाना है*
*मैमन्त हो जाऊं इतनी धर्म के भंग में*
*कि फिर ना रंगु कभी* *सांसारिकता के रंग*
*इतनी हे ईश प्रबुद्ध आत्म शक्ति दे दो*
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(स्वरचित )
🙏 *अंजुगोलछा*🙏
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