मेरी ख्वाहिशों   पे मेरे मीत न जा 
ख्वाहिशे  शुरू तुझ से हैं 
इनके टूटने पे न जा 
तेरे लबों की एक हंसी पे वार दूँ 
हजारों ख्वाहिशें 
तू मेरे वार देने पे न जा 





टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भगवान पार्श्वनाथ प्रश्नोत्तरी

जैन प्रश्नोत्तरी

सतियाँ जी 16