नवतत्त्व प्रकरण प्रश्नोत्तरी

 नवतत्त्व प्रकरण प्रश्नोत्तरी    11   -   20


 प्रश्न- 11 पुण्य के 9 प्रकार कौन कौन से है ?


 जवाब- 11 पुण्य के 9 प्रकार निम्नोक्त है ।


 अन्न पुण्य - भुखे को भोजन देना ।


 पान पुण्य - प्यासे की प्यास बुझाना ।


 शयन पुण्य - थके हुए निराश्रित प्राणियों को आश्रय देना ।


 लयन पुण्य - पाट-पाटला आदि आसन देना ।


 वस्त्र पुण्य - वस्त्रादि देकर सर्दी-गर्मी से रक्षण करना ।


 मन पुण्य - हृदय से सभी प्राणीयों के प्रति सुख की भावना ।


 वचन पुण्य - निर्दोष-मधुर शब्दों से अन्य को सुख पहुंचाना ।


 काय पुण्य - शरीर से सेवा-वैयावच्चादि करना ।


 नमस्कार पुण्य - नम्रतायुक्त व्यवहार करना ।


 प्रश्न- 12 पाप किसे कहते है ?


 जवाब- 12 पुण्य से विपरीत स्वभाव वाला, जिसके द्वारा अशुभ कर्मो का ग्रहण हो, जिसके द्वारा जीव को दुःख, कष्ट तथा अशांति मिले, उसे पाप कहते है ।


 प्रश्न- 13 पाप कितने प्रकार का है ?


 जवाब- 13 पाप 2 प्रकार का हैः- 1.पापानुबंधी पाप 2.पुण्यानुबंधी पाप ।


 प्रश्न- 14 पापानुबंधी पाप किसे कहते है ?


 जवाब- 14 जिस पाप कर्म को भोगते हुए नये पापकर्म का अनुबंध हो, उसे पापानुबंधी पाप कहते है । जैसे विपन्न-दुःखी, कसाई इस भव में पाप कार्य से दुःख भोग रहे हैं और रौद्र तथा क्रूर कर्मो द्वारा वे नये पाप कर्म का उपार्जन कर रहे है, इसे पापानुबंधी पाप कहा जाता है ।


 प्रश्न- 15 पुण्यानुबंधी पाप किसे कहते है ?


 जवाब- 15 जिस पाप कर्म को भोगते हुए पुण्य का बंध हो, वह पुण्यानुबंधी पाप है । जैसे जीव दरिद्रता आदि दुःखो को भोगता हुआ मन में समता रखे कि यह मेरे ही पाप कर्म का परिणाम है । इस प्रकार की विचारधारा वाला जीव पाप कर्म को भोगता हुआ भी नये पुण्य का उपार्जन करता है । जैसे पूणिया श्रावक ।


 प्रश्न- 16 आश्रव किसे कहते है ? 


 जवाब- 16 जीव की शुभाशुभ योग प्रवृत्ति से आकृष्ट होकर कर्मवर्गणा का आना अर्थात् जीवरुपी तालाब में पुण्य-पाप रुपी कर्म –जल का आगमन आश्रव कहलाता है ।


 प्रश्न- 17 संवर किसे कहते है ?


 जवाब- 17 जीव में आते हुए कर्मो को व्रत-प्रत्याख्यान आदि के द्वारा रोकना, अर्थात् जीव रुपी तालाब में आश्रव रुपी नालों से कर्म रुपी पानी के आगमन को त्याग-प्रत्याख्यान रुपी पाल (दिवार) द्वारा रोकना, संवर कहलाता है ।


 प्रश्न- 18 निर्जरा किसे कहते है ?


 जवाब- 18 आत्मा के साथ बंधे हुए कर्मो का देशतः क्षय होना या अलग होना निर्जरा कहलाता है ।


 प्रश्न- 19 निर्जरा के अन्य भेद कौनसे है ? 


 जवाब- 19 निर्जरा के अन्य 2 भेद हैः- 1,सकाम निर्जरा 2.अकाम निर्जरा ।


 प्रश्न- 20 सकाम निर्जरा किसे कहते है ?


 जवाब- 20 आत्मिक गुणों को पैदा करने के लक्ष्य से जिस धर्मानुष्ठान का आचरण-सेवन किया जाय अर्थात् अविरत सम्यग्द्रष्टि जीव, देशविरत श्रावक तथा सर्वविरत मुनि महात्मा, जिन्होंने सर्वज्ञोक्त तत्त्व को जाना है और उसके परिणाम स्वरुप जो धर्माचरण किया है, उनके द्वारा होने वाली निर्जरा सकाम निर्जरा है ।

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