जीवाजीवविभक्ति पर प्रश्न
. ।। श्रीमहावीरायनम: ।।
जीवाजीवविभक्ति पर आधारित प्रश्नोत्तरी
( प्रत्येक प्रश्न के सही उत्तर के दो अंक है )
🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹
प्रश्नपत्र–6-07-21 उत्तरपत्र–15-07-21
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
. 1️⃣
असंगत उत्तर पर ✅ का निशान लगाएं।
(1) वाणव्यंतर देवों का निवास स्थान है–
(अ) वनों में (ब) वृक्षों में
(स) आवासों में ✔ (द) गुफा आदि अन्तरालों में
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(2) सूमेरुपर्वत की निरन्तर प्रदक्षिणा करते हैं–
(अ) सूर्य (ब) चन्द्रमा
(स) तारे (द) ग्रैवेयक देव✔
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(3) कठोर बादर पृथ्वीकाय है–
(अ) रांगा (ब) शीशा
(स) वज्र (द) पनक✔
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(4) यह द्रव्य अनादि-अनन्त और सर्वकालिक होते हैं–
(अ) धर्म (ब) अधर्म
(स) आकाश (द) पुद्गल✔
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(5) संलेखना ग्रहण करना चाहिए–
(अ) जब शरीर सशक्त हो और धर्मपालन में सक्षम हो।✔
(ब) जब शरीर अत्यंत अशक्त और रुग्ण हो गया हो।
(स) जब धर्म-पालन करना दूभर हो गया हो।
(द) जब ऐसा आभास हो गया हो कि अब शरीर ज्यादा नहीं टिकेगा।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(6) आयुस्थिति उत्कृष्ट 33 सागरोपम की होती है–
(अ) जयंत देवों की
(ब) अच्युत देवों की✔
(स) अपराजित देवों की (द) सर्वार्थसिद्धक देवों की।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(7) समाधिमरण में बाधक है–
(अ) मिथ्यादर्शन (ब) अनिदानता✔
(स) हिंसा (द) कृष्णलेश्या
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(8) खेचर जीव है–
(अ) चर्मपक्षी (ब) रोमपक्षी
(स)सुंसुमार ✔ (द) विततपक्षी
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(9) रूपी पुद्गगल है–
(अ) स्कन्ध (ब) स्कन्ध देश-परदेश
(स) परमाणु (द) काल✔
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(10) बादर पर्याप्त अप्कायिक जीव है–
(अ) ओस (ब) हरतनु
(स) कुहासा (द) जलकान्त✔
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
. 2️⃣
सही उत्तर पहचान कर √ का निशान लगाएं।
(11) पीत पुद्गल भाज्य है–
(अ) वर्ण , रस, स्पर्श, संस्थान से।
(ब) वर्ण, गंध, रस, स्पर्श से।
(स) वर्ण, गंध, स्पर्श, संस्थान।
(द) गंध, रस, स्पर्श, संस्थान।✔
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(12) तीर्थंकर सिद्ध है–
(अ) अरिहंत द्धारा तीर्थ की स्थापना के बाद सिद्ध होने वाले।
(ब) अरिहंत द्वारा तीर्थ की स्थापना के पूर्व सिद्व होने वाले।
(स) तीर्थंकर अवस्था से पूर्व सिद्व होने वाले।✔
(द) तीर्थंकर के अतिरिक्त सिद्व होने वाले।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(13) बादर अप्कायिक जीव है–
(अ) गोमेदक (ब) हरतनु✔
(स) सूर्यकान्त (द) इन्द्रनील
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(14) त्रीन्द्रिय जीव है–
(अ) घुन ✔ (ब) अलस
(स) भ्रमर (द) चन्दनिया
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(15) विकलेन्द्रिय जीव है–
(अ) केवल द्विन्द्रिय जीव
(ब) केवल त्रीन्द्रिय जीव
(स) असंज्ञी पंचेन्द्रिय जीव
(द) द्विन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जीव।✔
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(16) साधारण वनस्पति काय है–
(अ) वृक्ष (ब) लता
(स) भूफोड़ (द) श्रृंगबेर✔
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
(17) तेजस्कायिक जीव नहीं है–
(अ) अंगार (ब) ज्वाला
(स) उल्कालिका ✔ (द) विद्युत
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
. 3️⃣
रिक्त स्थानों की पूर्ति अंकों से करें।
(18) संसारी जीव के मूख्यतः....2..... प्रकार है।
(19) एक समय में उत्कृष्टत ...108........ जीव सिद्ध हो सकते हैं।
(20) नैरयिकों की जघन्य आयुस्थिति........10000......... वर्ष है।
(21) भवनपति देव जो भवनों में रहते हैं आवासों में नहीं उनके ....9......प्रकार है।
(22) अरूपी अजीव के .....10........प्रकार है।
(23) नैरयिक जीवों के ....7......प्रकार है।
(24) स्पर्श से परिणत पुद्गल की परिणति .......8...... प्रकार से होती है।
(25) बादर पृथ्वीकायिक जीवों के .....2..... भेद है।
(26) वृहद्वृत्तिकार ने आसुरी भावना के .....4.... अर्थ बताए हैं।
(27) अकर्मभूमिक मनुष्यों के ....30..... भेद है।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
. 4️⃣
प्रस्तुत कथन के सामने ✅ अथवा ❌ का निशान लाएं।
(28) भाव से शरीर को और द्रव्य से कषायों को कृष करना संलेखना है। 【 ❌ 】
(29) अनेक परमाणुओं के एकत्व से परमाणु बनता है। 【 ❌ 】
(30) पूर्ण अवस्था की दृष्टि से सिद्धों के पन्द्रह प्रकार है। ❌
(31) सिद्ध लोक से प्रतिहत होते हैं।❌
(32) जो पुद्गल गंध से सुगंध वाला है, वह वर्ण, गंध, स्पर्श और संस्थान से भाज्य होता है।❌
(33) जैन साधुओं के वेश में मुक्त होने वाले पुरुषलिंग सिद्ध होते हैं।✖
(34) सूक्ष्म पृथ्वीकायिक जीव एक ही प्रकार के होते हैं।✔
(35) सम्मूर्च्छिम मनुष्यों के भी उतने ही भेद है जितने गर्भ उत्पन्न मनुष्यों के हैं।✔
(36) समाधिमरण के लिए संलेखनापूर्वक संथारा किये हुए मुनि के लिए मृत्यु के समय कांदर्पी आदि पाँच भावनाएं संयम की विराधना करती है।✔
(37) घोड़े के खुर दो भागों में विभक्त होते हैं।❌
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
. 5️⃣
. जोड़ी मिलाओ–
यहाँ कुछ शब्द दिये गए हैं उनमें से सही शब्द का चयन कर निचे दिए प्रश्नो के सामने कोष्टक में लिखें।
【 कमल, हाथी, कानखजूरी, अलस, उल्कालिका, पलाण्डु, त्याग, ईख, स्थलचर, गन्धर्व, झौंक, बालू , हिम 】
~~~👇~~~👇~~~प👇~~~👇
(38) श्रृंगबेर – ( पलाण्डु )
(39) ओस – ( हिम )
(40) घनवात – ( उत्तकालिका )
(41) ताम्बा – ( बालू )
(42) शंख – ( अलस )
(43) कौडी – ( झोंक )
(44) शतावरी – ( कानखजुरी )
(45) किन्नर – ( गन्धर्व )
(46) गंडीपद – ( हाथी )
(47) जलचर – ( स्थलचर )
(48) जलरुह – ( कमल )
(49) पर्वज – ( ईख )
(50) निर्यूहण – ( त्याग
गरिमा जैन सहारनपुर
मो ० 7906732672
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
🙏प्रश्नपत्र छोटा एवं सरल रूप में है अतः अपने उत्तरपत्र 15 जुलाई तक अवश्य वाट्सएप करें। द्वितीय चरण प्रतियोगिता 16 जुलाई से प्रारम्भ होकर 15 अगस्त तक उत्तरपत्र का समय रहेगा।
🚥🚥🚥🚥🚥🚥🚥🚥🚥🚥🚥
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें