भोगभूमि
प्रश्न-पुनः अशाश्वत और परिवर्तनशील भोगभूमि कहां हैं ?
उत्तर-जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र और ऐरावत क्षेत्र के आर्यखण्ड में षट्काल परिवर्तन होता है अतः इन्हीं दोनों में प्रथम काल में उत्तम भोगभूमि की व्यवस्था है, द्वितीय काल में मध्यम भोगभूमि की एवं तृतीय काल में उत्तम भोगभूमि की व्यवस्था रहती है, पुनः चतुर्थकाल में कर्मभूमि की व्यवस्था हो जाती है। आज यहां भरतक्षेत्र के आर्यखण्ड में पंचमकाल में कर्मभूमि की व्यवस्था चल रही है इसीलिए इन भोगभूमियों को अशाश्वत कहते हैं। इस प्रकार से जंबूद्वीप में छः शाश्वत भोगभूमि हैं और दो अशाश्वत भोगभूमि तीन काल में आ जाती हैं। धातकीखण्ड में १२ शाश्वत भोगभूमि हैं, पुष्करद्वीप में भी १२ हैं, कुल ढाई द्वीप संबंधी ३० भोगभूमि शाश्वत हैं। जंबूद्वीप के समान ही धातकीखण्ड में २ भरत, २ ऐरावत ऐसे ही पुष्करार्ध में २ भरत, २ ऐरावत क्षेत्र होने से वहां पर आर्यखण्ड के प्रथम आदि तीन काल में भोगभूमि की व्यवस्था हो जाती है पुनः निसर्गतः वह व्यवस्था समाप्त होकर कर्मभूमि की व्यवस्था बन जाती है।
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