भाव
*
*🔹प्रश्न 1: भाव का शाब्दिक अर्थ क्या है?*
*👉 उत्तर : स्वरुप ।*
*🔹प्रश्न 2: भाव किसे कहते हैं?*
*👉 उत्तर : कर्मों के संयोग (उदय, पारिणामिक) या वियोग (उपशम, क्षय, क्षयोपशम) से होने वाली आत्मा की अवस्था को तथा परिणमन को भाव कहते हैं।*
*🔹प्रश्न 3 : भाव के पाँच भेद कौनसे हैं?*
*👉 उत्तर : औदयिक, औपशमिक, क्षायिक, क्षायोपशमिक, पारिणामिक ।*
*🔹प्रश्न 4 : पाँच भाव के अतिरिक्त भी कोई भाव है?*
*👉उत्तर : हाँ, सान्निपातिक भाव ।*
*🔹प्रश्न 5 : सान्निपातिक भाव किसे कहते हैं?*
*👉 उत्तर : सान्निपात-संयोग । अनेक भावों के मिश्रण को सान्निपातिक भाव कहते हैं।*
*क्रमशः .........*
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🤔1) भाव किसे कहते है?
😊1) जीव और अजीव की स्वाभाविक और वैभाविक अवस्था को भाव कहते है।
🤔2) भाव कितने है ?
😊2) छः ।
🤔3) कौन कौन से ?
😊3) औपशमिक, क्ष्योपशमिक, क्षायिक, औदेयिक पारिणामिक और सान्निपातिक भाव।
🤔4) औपशमिक भाव किसे कहते है?
😊4) कर्म के उपशम से होने वाले भाव।
🤔5) क्षायिक भाव किसे कहते है?
😊5) कर्म के संपूर्ण क्षय से होने वाले भाव।
🤔6) क्षयोपशमिक भाव किसे कहते है?
😊6) उदय में आये हुवे कर्म का क्षय और सत्ता में रहे हुवे का उपशम करने से होने वाले भाव ।
🤔7) पारिणामिक भाव किसे कहते है?
😊7) स्वभाव से ही रहने वाले भाव।(स्वाभाव में ही परिणत होते रहना जैसे भव्यत्व)
🤔8) औदयिक भाव कैसे कहते हैं?
😊8) कर्मो के उदय से होने वाले भाव।
🤔9) सान्निपातिक भाव किसे कहते है?
😊9) उपयुर्क्त औपशमिक आदि पांच भावो में से दो तीन चार या पांच भावो के संयोग से होने वाले भाव।
🤔10) उपशम भाव कितने कर्म में पाया जाता है?
😊10) एक मोहनीय कर्म ।
🤔11) क्षयोपशमिक भाव कौन से कर्म में पाया जाता है?
😊11) चार घाती कर्म।
🤔12) क्षायिक भाव कौन से कर्म में पाये जाते है?
😊12) आठो कर्म
🤔13) औदयिक भाव कितने कर्म में पाये जाते है?
😊13) आठो कर्म।
🤔14) पारिणामिक भाव कितने कर्म में पाये जाते है?
😊14) आठो कर्म।
🤔15) औदयिक भाव के कितने भेद है? कौन कौन से?
😊15) इक्कीस - 4 गति, 4 कषाय, 6 लेश्या, 3 वेद, मिथ्यात्व, अज्ञान, असंयम, असिद्धत्व।
🤔16) औपशमिक भाव के कितने व कौन कौन से भेद है?
😊16) दो - उपशम समकित और उपशम चारित्र।
🤔17) पारिणामिक भाव कितने और कौन से ?
😊17) तीन - जीवत्व, भव्यत्व, अभव्यत्व
🤔18) क्षयोपशमिक भाव कितने और कौन से?
😊18) अठारह - मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान, मनपर्यव ज्ञान, मतिअज्ञान, श्रुताअज्ञान, विभंगज्ञान, चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन,अवधिदर्शन, दान, लाभ, भोग, उपभोग, वीर्य, सम्यक्त्व, सर्वविरती, देशविरति।
🤔19) क्षायिक भाव कितने और कौन से?
😊19) नौ - केवलज्ञान, केवलदर्शन, क्षायिक समकित, क्षायिक चारित्र, क्षायिक दान, क्षायिक लाभ, क्षायिक भोग, क्षायिक उपभोग, क्षायिक वीर्य
🤔20) सिद्धो में कौन से भाव पाये जाते है?
😊20) क्षायिक और पारिणामिक भाव।
🤔21) अभवि में कौन से भाव पाये जाते है?
😊21) क्षयोपशमिक, औदयिक और पारिणामिक भाव।
🤔22) भवस्थ केवली में कौन से भाव पाये जाते है?
😊22) क्षायिक, औदयिक, और पारिणामिक भाव
🤔23) एक संसारी जीव की अपेक्षा कम से कम कितने भाव पाये जाते है?
😊23) तीन।
🤔24) एक संसारी जीव् में ज्यादा से ज्यादा कितने भाव हो सकते है?
😊24) पांच
🤔25) पांच भाव कब पाये जाते है?
😊25) क्षायिक समकित वाले जब उपशम श्रेणी चढ़ता है तब।
🤔26) सिमंधरस्वामीजी में कौन कौन से भाव है?
😊26) क्षायिक, औदयिक, और पारिणामिक भाव।
🤔27) चौथे से बारहवे गुणस्थान तक क्षपक श्रेणी वाले में कितने भाव होते है?
😊27) चार - क्षयोपशमिक, क्षयिक, औदयिक और पारिणामिक भाव
🤔28) पांच अजीव द्रव्य में से पुदगल द्रव्य में कितने भाव पाये जाते है?
😊28) दो- औदयिक और पारिणामिक भाव
🤔29) शेष चार अजीव द्रव्य में कितने व कौन से भाव पाये जाते है?
😊29) एक - पारिणामिक भाव
🤔30) क्षयोपशमिक भाव कितने गुणस्थान तक पाये जाते है?
😊30) एक से बारह गुणस्थान।
🤔31) औपशमिक भाव कितने गुणस्थान में पाये जाते है?
😊31) चार से ग्यारह गुणस्थान।
🤔32) औदयिक भाव कितने गुणस्थान में पाये जाते है?
😊32) एक से चौदह सब गुणस्थानो में।
🤔33) क्षायिक भाव कितने गुणस्थान में पाये जाते है?
😊33) चार से चौदह गुणस्थान।
🤔34) पारिणामिक भाव कौन दे गुणस्थान में पाये जाए है?
😊34) एक से चौदह गुणस्थान
. *जैन तत्त्वज्ञान प्रश्नोत्तरी*
*क्रमांक - 228*
. *भाव -- परिचर्चा*
*🔹 प्रश्न 21: क्षय किसे कहते हैं?*
*👉 उत्तर : कर्मों का समूल रूप से नाश हो जाना क्षय हैं।*
*🔹प्रश्न 22: क्षायक भाव (क्षायक निष्पन्न) किसे कहते हैं?*
*👉 उत्तर : कर्मक्षय से होने वाली आत्मा की अवस्था को क्षायक भाव (क्षायक निष्पन्न) कहते हैं।*
*🔹प्रश्न 23 : क्षायक भाव कितने प्रकार का है?*
*👉 उत्तर : क्षायक भाव आठ प्रकार का है जो निम्न है-केवलज्ञान, केवलदर्शन, असंवेदन, आत्मरमण, अटल-अवगाहन, अमूर्ति, अगुरुलघु, निरंतराय ।*
*🔹प्रश्न 24: कितने कर्मों का क्षय होता है?*
*👉उत्तर : आठों ही कर्मों का क्षय होता है।*
*🔹प्रश्न 25 : क्षय छह द्रव्यों में कौन, नौ तत्त्वों में कौन?*
. *जैन तत्त्वज्ञान प्रश्नोत्तरी*
*क्रमांक - 230*
. *भाव -- परिचर्चा*
*🔹 प्रश्न 31: क्षयोपशम कितने कर्मों का होता है?*
*👉 उत्तर : क्षयोपशम चार कर्मों का होता है -- ज्ञानवरणीय, दर्शनावरणीय, मोहनीय, अन्तराय ।*
*🔹प्रश्न 32: क्षयोपशम जीव है या अजीव?*
*👉 उत्तर : क्षयोपशम अजीव है जबकि क्षायोपशमिक भाव (क्षयोपशम निष्पन्न) जीव है।*
*🔹प्रश्न 33: क्षयोपशम छह द्रव्यों में कौन-सा द्रव्य है तथा नौ तत्त्वों में कौन-सा तत्त्व है?*
*👉 उत्तर : क्षयोपशम छह द्रव्यों में अजीव द्रव्य है और नौ तत्त्वों में अजीव, पाप, बंध तत्त्व है।*
*🔹प्रश्न 34; क्षायोपशमिक भाव (क्षयोपशम निष्पन्न) छह द्रव्यों में कौन, नौ तत्त्वों में कौन?*
*👉 उत्तर : क्षायोपशमिक भाव (क्षयोपशम निष्पन्न) छह द्रव्यों में जीव, नौ तत्त्वों में जीव संवर और निर्जरा।*
*🔹प्रश्न 35: क्षयोपशम के बत्तीस बोल कौनसे हैं?*
*👉 उत्तर : ज्ञानावरणीय कर्म के आठ -- प्रथम चार ज्ञान, भणनागुणना, तीन अज्ञान, दर्शनावरणीय कर्म के आठ - पाँच इन्द्रियां, तीन दृष्टि, मोहनीय कर्म के आठ - प्रथम चार चारित्र, देशविरति, तीन दृष्टि, अंतराय कर्म के आठ - पाँच लब्धि, तीन वीर्य ।*
1.अरिहंत के भाव कितने पाए जाते हैं?
उ. अरिहंत में भाव 3 पाए जाते हैं - औदयिक, क्षायिक और पारिणामिक।
2.सिद्ध के भाव कितने पाए जाते हैं?
उ. सिद्धके भाव 2 क्षायिक और पारिणामिक।
3. आचार्य के भाव कितने पाए जाते हैं?
उ. आचार्य के सभी 5 भाव पाए जाते हैं।
4. उपाध्याय के भाव कितने पाए जाते हैं?
उ. उपाध्याय के सभी 5 भाव पाए जाते हैं।
5. साधु के भाव कितने पाए जाते हैं?
उ. साधु के सभी 5 भाव पाए जाते हैं।
विवेचन:
कर्मों के संयोग (उदय, पारिणामिक) या वियोग (उपशम, क्षय और क्षयोपशम) से होने वाली आत्मा की अवस्था को भाव कहते हैं।
कुल पांच भाव होते हैं- औदयिक, औपशमिक, क्षायोपशमिक, क्षायिक और पारिणामिक।
कर्म वर्गणा का पाक हो जाता है तो वे उदय में आते हैं उससे होने वाली आत्मा की अवस्था औदयिक भाव या उदय निष्पन्न है। आठों कर्मों का उदय 14वें गुणस्थान तक रहता है।
मोह के अभाव को उपशम कहते हैं। उपशम से होने वाली आत्मा की अवस्था औपशमिक भाव या उपशम निष्पन्न है। उपशम मोहनीय कर्म का चौथे से 11वें गुणस्थान तक होता है।
कर्मों का समूल विनष्ट हो जाना क्षय कहलाता है। उस क्षय से होने वाली आत्मा की अवस्था क्षायिक भाव या क्षय निष्पन्न है। क्षय आठों कर्म का होता है। मोहनीय का क्षय 12वें गुणस्थान में होता है। ज्ञानावरणीय, दर्शनावरणीय और अंतराय कर्म का क्षय 13वें गुणस्थान में होता है। चारों अघाती कर्मों का क्षय 14वें गुणस्थान के बाद होता है।
उदयावलिका में प्रविष्ट घाती कर्म का क्षय और उदय में न आए हुए कर्म का उपशम (विपाकोदय में न आना) क्षयोपशम कहलाता है। उस क्षयोपशम से होने वाली आत्मा की अवस्था क्षायोपशमिक भाव या क्षयोपशम निष्पन्न है। क्षयोपशम चारों घाती कर्मों का होता है। ज्ञातव्य है कि उपशम में प्रदेशोदय नहीं रहता जबकि क्षयोपशम में प्रदेशोदय रहता है।
कोई भी स्वभाव में परिणित होने को पारिणामिक भाव कहते हैं। जैसे कोई रंग फीका पड़ गया या जैसे सयोगी का अयोगी हो जाना पारिणामिक भाव हैं। पारिणामिक भाव जीव और अजीव दोनों का होता है। जाति, योग, उपयोग आदि जीवाश्रित और शब्द, रस आदि अजीवाश्रित पारिणामिक भाव हैं। जीव में ही नहीं, अजीव में भी एक भाव पारिणामिक होता है। पुद्गल का भी क्षण क्षण परिणमन होता है।
*क्रमशः .........*
*✒️ लिखने में कुछ गलती हुई हो तो तस्स मिच्छामि दुक्कडं।*
*मुनि जिनेशकुमार जी द्वारा लिखित पुस्तक " जैन तत्त्वज्ञान प्रश्नोत्तरी " से साभार।*
*👉उत्तर : क्षय छह में पुद्गल और नौ में अजीव, पुण्य, पाप और बंध ।*
*क्रमशः .........*
*✒️ लिखने में कुछ गलती हुई हो तो तस्स मिच्छामि दुक्कडं।*
*मुनि जिनेशकुमार जी द्वारा लिखित पुस्तक " जैन तत्त्वज्ञान प्रश्नोत्तरी " से साभार।*
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