प्रश्न fb मे देने के
भरत चक्रवर्ती जी की स्त्री रत्न किसकी पुत्री थी ?
वैताध्य पर्वत के उत्तर श्रेणी के मालिक विनमी विद्याधर जी की पुत्री होती है,
मेरी कुछ पुरांनी पोस्ट्स
श्लाघनीय पुरुष।
जिज्ञासुजनो को शायद रुचिकर लगे।
A - श्लाघनीय पुरुष क्या है?
1 - उत्तम शौर्य, संहनन, संस्थान आदि गुणों से युक्त
2 - इनमें तीर्थंकर, चक्रवर्ती, बलदेव, वासुदेव , प्रतिवासुदेव का समावेश
3 - भरत - ऐरावत क्षेत्र में काल चक्र का प्रभाव है इस लिए यहां एक कालचक्र के आधे हिस्से में 1 भरत या 1 ऐरावत में 24 तीर्थंकर, 12 चक्रवर्ती , 9 बलदेव, 9 वासुदेव , 9 प्रतिवासुदेव यह कुल 63 श्लाघनीय पुरुष होते है।
4 - चूंकि 5 महाविदेह में काल चक्र का प्रभाव नही , वहां श्लाघनीय पुरुष होते रहते है।
5 - 1 क्षेत्र में 1 समय मे 1 तीर्थंकर, 1 चक्रवर्ती हो सकते है। या 1 तीर्थंकर - 1बलदेव - 1 वासुदेव - 1 प्रति वासुदेव हो सकते है।
6 - पर 1 क्षेत्र में जब चक्रवर्ती हो तब बलदेव वासुदेव प्रतिवासुदेव नही होते।
7 - 1 समय मे 1 क्षेत्र में 1 तीर्थंकर हो तब उसी क्षेत्र में ऐसे दूसरे तीर्थंकर नही होते। ऐसे ही चक्रवर्ती बलदेव वासुदेव प्रतिवासुदेव का समझना
8 - एक पद धारी श्लाघनीय पुरुष का अन्य क्षेत्र के भी उसी पद धारक दूसरे श्लाघनीय पुरुष से मिलन नही होता। यानी एक तीर्थंकर दूसरे तीर्थंकर से या एक चक्रवर्ती दूसरे चक्रवर्ती से नही मिलते।
9 - तीर्थंकर को धर्म चक्रवर्ती व चक्रवर्ती को नरदेव भी कहा जाता है।
10 - सामान्यतः सभी श्लाघनीय पुरुष का जन्म उच्च कुल में श्रेष्ठ माता पिता के यहां ही होता है। (अपवाद संभव )
B श्लाघनीय पुरुष का वर्णन
11 - तीर्थंकर को जन्म से ही अतिशय होते है।अतिशय यानी कुछ खास बाते।
12 - चक्रवर्ती के पास सुदर्शन चक्र, कांकिनी, उत्तम अश्व, उत्तम हाथी उत्तम स्त्री, बहादुर सेनापति आदि 14 अति उत्तम कोटि के रत्न होते है।
13 - चक्रवर्ती जिस क्षेत्र में होते है वहां रत्नों के साथ यात्रा कर उन रत्नों की मदद लेकर छहो खण्ड जीतते है।
14 - चक्रवर्ती दीक्षा लेते भी है या नही भी लेते। जबकि तीर्थंकर व बलदेव नियमा दीक्षा लेते ही है। वासुदेव नियमा दीक्षा नही ले सकते।
15 - चक्रवर्ती का स्त्री रत्न वैताध्य पर्वत पर जन्म लेती है ।व हमेशा युवान रहनेवाली नियमा नरक जाने वाली ही होती है।
16 - 14 रत्नों के अलावा चक्रवर्ती के पास 9 उत्तम निधिया होती है। जिनसे उनके सामर्थ्य में वृद्धि होती है।
17 - बलदेव में 10 लाख अष्टापद जितना, वासुदेव में 20 लाख अष्टापद जितना, चक्रवर्तीमें 40 लाख अष्टापद जितना बल होता है। ( अष्टापद यानी एक ऐसा ताकत वर प्राणी जिसमे 2000 सिंहो का बल होता है। ) ओर तीर्थंकर के अतुल्य बल की तो तुलना भी नही की जा सकती।
18 - वासुदेव से पहले प्रतिवासुदेव तथा बलदेव जन्म लेते है। प्रतिवासुदेव के पास 3 खण्ड का राज्य होता है , वासुदेव उसे मारकर 3 खण्ड आधिपति बन जाते है।
19 - वासुदेव पदप्राप्ति के समय 7 उत्तम रत्न उनके लिए उतपन्न होते है। जैसे सुदर्शन चक्र , कौमुदी गदा आदि। बलदेव का मुख्य शस्त्र हल मूसल होता है।
20 - एक अर्ध कालचक्र में 63 श्लाघनीय पुरुष के अलावा 24 कामदेव, 9 नारद, 11 रुद्र पद वाले उच्च कोटि पुरुष भी होते है।
C श्लाघनीय पुरुष क्या
21 - श्लाघनीय पुरुष मात्र 15 कर्म भूमि में ही होते है।
ये 15 कर्म भूमि कौन सी यह समझने के लिए थोड़ा क्षेत्र को समझे हम।
22 - इस मध्य लोक में जहाँ मनुष्य रहते है वे अढ़ाई द्वीप है।
सबसे सेंटर में स्थित जंबुद्वीप
(ओर जंबुद्वीप से समुद्र में निकली 8 दाढ़े यानी जमीनी हिस्सा )
दूसरा घातकीखण्ड
ओर आधा पुष्कर द्वीप।
मध्यलोक में इस अढ़ाई द्वीप के बाहर भी असंख्य द्वीप व समुद्र है पर वहां मनुष्य नही।
23 - इन अढ़ाई द्वीप में भी मनुष्य के 101 स्थान ही है।
24 - इन 101 स्थान में भी 56 अन्तरद्वीप व 30 अकर्म भूमि कुल 86 स्थान है जहां के मनुष्य युगलिक होते है और वहां श्लाघनीय पुरुष नही होते।ये मनुष्य धर्म अधर्म से दूर रहकर नितांत सुख भोगते है व मरकर देव बनते है।
25 - 101 में से 86 युगलिक क्षेत्र निकल गये अब बचे 15 क्षेत्र। यह कर्म भूमि है मतलब यहाँ कर्म के द्वारा मनुष्य देवलोक, नरक, तिर्यंच या वापिस मनुष्य आदि गतियों में जा सकते है।तो उत्कृष्ट साधना से मोक्ष भी पा सकते है।
25 - 15 कर्म भूमि में 5 भरत 5 ऐरावत 5 महाविदेह का समावेश होता है। जंबुद्वीप में 1 भरत , 1 ऐरावत व 1 महाविदेह तथा घातकीखण्ड व आधे पुष्कर द्वीप में 2- 2 भरत, ऐरावत व 2 महाविदेह क्षेत्र होते है।
26 - अब पहले 5 महाविदेह का देखे। तो यहां कालचक्र का प्रभाव नही। यानी समय सदा एक जैसा रहता है। मतलब मनुष्यो की ऊंचाई, पसलियां, स्वभाव व धरती का स्वभाव आदि में परिवर्तन नही होता। मनुष्य किसी भी समय अपनी साधना से मोक्ष तक जा सकता है।
27 - एक महाविदेह क्षेत्र में 32 विजय होती है। विजय यानी एक महाविदेह के नदी और पर्वत द्वारा 32 भाग हुए है वह एक भाग = एक विजय
ऐसे 5 महाविदेह की कुल 32 × 5 = 160 विजय हुई।
28 - इन 160 विजय में 1 - 1 तीर्थंकर प्रभु हो सकते है। यानी कुल 160 तीर्थंकर ।1 से ज्यादा नही ।
पर हर समय सब विजय में 1- 1 तीर्थंकर हो यह हमेशा नही होता। कभी हो कभी ना हो। जैसे वर्तमान में सिर्फ 1 महाविदेह की 4 विजय में ही प्रभुजी है अन्य 28 में नही।
29 - पर जब हमारे यहां अजितनाथ जी तीर्थंकर विचरण कर रहे थे तब 5 महाविदेह की सभी 160 विजय में तीर्थंकर प्रभु विराजमान थर। यानी 5 महाविदेह में कुल 160 प्रभु जी एकसाथ थे।
30 - उस समय 5 भरत 5 ऐरावत क्षेत्र में भी तीर्थंकर प्रभु विराजमान थे। तो अढ़ाई द्वीप में उस समय कुल 170 तीर्थंकर प्रभु विराजमान थे।
जंबूद्वीप के भरत क्षेत्र (6 खंड) जिसमें हम रहते है, वहां छठा आरा लगाने पर कौन सा पर्वत शाश्वत रहेगा ?
(भगवती सूत्र शतक 7, उद्देशक 6 अनुसार)
A. शत्रुंजय पर्वत
B. वैताढ्य पर्वत
C. हिमालया पर्वत
D. शिखरजी पर्वत
E. अरावली पर्वत
[B✅
11 अंग सूत्र में से एक है भगवती सूत्र, जो कि गणधर द्वारा कृत है, "इसके शतक 7, उद्देशक 6" के अनुसार तो एक मात्र वैताढय पर्वत ही शाश्वत है।
छठा आरा लगाने पर अनेक प्रकार के जहरीले, अरस, विरस, क्षार, खात, अग्नि, बिजली, विष मिश्रित (वज्र जैसे) मेघ बरसेंगे जो पर्वत, आदि को काटने वाले होंगे।
वैताढ्य पर्वत को छोड़कर शेष सभी पर्वत, छोटे पहाड़, टीले, डुंगर, स्थल, रेगिस्तान, बंजरभूमि आदि सबका विनाश हो जाएगा।
गंगा और सिन्धु (आज जो हम देख रहे है वो नही, अन्य) इन दो नदियों को छोड़कर शेष नदियाँ, पानी के झरने, गड्ढे, (नष्ट हो जाएंगे) दुर्गम और विषम भूमि में रहे हुए सब स्थल समतल क्षेत्र हो जाएंगे।
D श्लाघनीय पुरुष क्या
31 - हमने महाविदेह की 1 विजय में 1 प्रभु जी यानी ज्यादा से ज्यादा 160 प्रभुजी एक साथ हो सकते यह देखा अब उनकी जघन्य संख्या देखे।जघन्य यानी कमसेकम।
32 - एक महाविदेह की 32 विजय में से किन्ही 4 विजय में तीर्थंकर प्रभु विराजमान यानी साक्षात धरती पर रहते ही है। वे 4 विजय कोई भी संभव। 4 से कम हो यह नही होता। जैसे वर्तमान में पांचों महाविदेह की 4 - 4 विजय (20 कुल ) में प्रभु जी विचरण कर रहे है जिन्हें हम विहरमान कहते है। वे साक्षात अरिहंत प्रभु जी है।
33 - अब ऐसे ही एक महाविदेह की 32 विजय में से कम से कम किन्ही 4 विजय में चक्रवर्ती होंगे ही होंगे। या ज्यादा से ज्यादा हो तो 28 विजय में चक्रवर्ती भी हो सकते है। यानी 5 महाविदेह में 160 विजय मे से कम से कम 20 विजय में या ज्यादा से ज्यादा 140 विजय में चक्रवर्ती होंगे।
34 - ठीक वैसे ही वासुदेव बलदेव प्रतिवासुदेव का भी समझना ।
5 महाविदेह में कम से कम 20 - 20 तथा
ज्यादा से ज्यादा 140 बलदेव, 140 वासुदेव 140 प्रतिवासुदेव हो सकते है।
35 - यहां यह ख्याल रखे कि जिस विजय में चक्रवर्ती है वहा वासुदेव आदि नही होंगे।
36 - तीर्थंकर के साथ चक्रवर्ती हो सकते है और चक्रवर्ती ना हो तब प्रभु के साथ बलदेव वासुदेव हो सकते है।
37 - एक बात - सभी श्लाघनीय पुरुष #भव्यजीव यानी कि कभी न कभी मोक्ष जाने की योग्यता वाले जीव ही होते है।
38 - वर्तमान में घातकी खण्ड महाविदेह में कितने तीर्थंकर कितने है ओर भविष्य में एक साथ कितने हो सकते है ?यह सवाल के जवाब से आप कितना समझे है यह पता चलेगा
39 - सभी श्लाघनीय पुरुष उस क्षेत्र में स्थित दक्षिण मध्य यानी आर्य खण्ड में ही जन्म लेते है।
40 - कोई भी जिज्ञासा हो तो निसंकोच पूछ सकते है। जहां तक संभव होगा , समाधान का प्रयास करूंगा
E श्लाघनीय पुरुष यानी क्या
भरत ऐरावत विषयक
हमने 5 महाविदेह में श्लाघनीय पुरुष की जघन्य, उत्कृष्ट संख्या आदि देखा अब भरत ऐरावत में
41 - 15 कर्म भूमि में 5 ऐरावत व 5 भरत क्षेत्र होते है। जंबुद्वीप में 1 भरत क्षेत्र 1 ऐरावत क्षेत्र, घातकीखण्ड तथा अर्ध पुष्कर द्वीप में 2 - 2 भरत ऐरावत होते है।
42 - इन 10 क्षेत्रों में काल चक्र का प्रभाव होता है। काल चक्र यानी क्या
43 - समय की इकाई जैसे हम सेकंड, घण्टे, दिन, महीने, साल, शताब्दी आदि जानते है उसीमें आगे समय की एक बहुत बड़ी इकाई है सागरोपम। ऐसे 20 करोड़ा करोड़ी ( 1करोड़ से 1 करोड़ गुणन करने पर करोड़ा करोड़ी आता है यानी कोटा कोटि भी कह सकते ) सागरोपम का एक काल चक्र होता है , जिसके 2 हिस्से है 10 कोटा कोटि सागरोपम का उत्सर्पिणी काल और उतना ही अवसर्पिणी काल ।
44 - उत्सर्पिणी काल मे धरती का सरसाई वातावरण स्वभाव मनुष्यो की अवगाहना ऊंचाई, स्वभाव देह की पसलियां आदि क्रमशः सुधरती यानी अच्छी होती जाती है।
45 - इस से उल्टा अवसर्पिणी काल मे उपरोक्त बाते अच्छी से खराब होती जाती है।
46 - काल चक्र को 12 हिस्सो में बांटा गया है। दोनो हिस्सो को एक पहिये के जैसे उन्हें 6- 6 आरे में विभक्त किया गया।
47 - अवसर्पिणी के उत्सर्पिणी के 6 आरे में समानता है।
अवसर्पिणी का पहला व उत्सर्पिणी का 6 थ आरे के लक्षण एक जैसे है। ठीक वैसे ही
2- 5, 3 -4 , 4 -3 , 5 - 2 , 6 -1 यह आरे एक जैसे लक्षण वाले है। अब इनका विस्तृत वर्णन बाद में देखेंगे यदि सबकी जानने की इच्छा हॉगी। फिलहाल श्लाघनीय पुरुष संबंधित
48 - एक उत्सर्पिणी ओर एक अवसर्पिणी काल मे एक भरत क्षेत्र में 24 तीर्थंकर, 12 चक्रवर्ती, 9 बलदेव 9 वासुदेव 9 प्रतिवासुदेव होते ही है। जिन्हें त्रिषष्टी शलाका पुरुष कहते है। यानी पूरे कालचक्र में 126 श्लाघनीय पुरुष एक क्षेत्र में होते है।
49 - अब जो भी भरत क्षेत्र का कहे उसी प्रकार हरबार ऐरावत क्षेत्र का भी समझना । और भरत ऐरावत में सब चीजे एक जैसी ही रहतिं है जैसे अभी यहा 5 वा आरा व प्रभु जी नही तो वहां भी ऐसे ही।
50 - उत्सर्पिणी के चौथे आरे में तथा अवसर्पिणी के तीसरे आरे में भरत क्षेत्र में 1 तीर्थंकर व 1 चक्रवर्ती होते है।
F श्लाघनीय पुरुष
51 - भरत क्षेत्र में अवसर्पिणी के चौथे व उत्सर्पिणी के तीसरे आरे में 23 तीर्थंकर, 11 चक्रवर्ती, 9 बलदेव, 9 वासुदेव, 9 प्रतिवासुदेव होते है।
52 - चूंकि भरत ऐरावत क्षेत्र में काल चक्र का प्रभाव है इस लिए अवसर्पिणी का 1 ला , 2 रा, व तीसरे का 2/ 3 हिस्सा युगलिक होता है उस समय का मनुष्य ना धर्म समझता है ना अधर्म। ना कोई कर्म करता है ना कोई पुरुषार्थ। प्रकृति का ही वैभव इतना होता है कि कल्पवृक्ष से प्राप्त भोजन वस्त्र आदि प्राप्त कर मनुष्य संतुष्ट रहकर नितांत सुख भोगता है इस लिए यह समय यहां श्लाघनीय पुरुष भी नही होते। न कोई इस आरे में जन्मे जीव मोक्ष जा सकते है।
ठीक वैसे ही उत्सर्पिणी के चौथे आरे का 2/3 हिस्सा, व पांचवा व छट्ठा आरा समझना।
53 - अवसर्पिणी के 5 वे तथा छठे और उत्सर्पिणी के पहले दूसरे आरे में अधर्म ज्यादा धर्म कम है। इस समय भी श्लाघनीय पुरुष नही होते ना ही मोक्ष जाने की योग्यता किसी मे होती है।
54 - भरत क्षेत्र में 2 नदी व एक लंबा वैताढ़य पर्वत आ जाने से 6 खण्ड हो जाते है जिसमे मध्य का दक्षिणी हिस्सा आर्य खण्ड तथा शेष 5 अनार्य खण्ड है। श्लाघनीय पुरुष हमेशा आर्यखण्ड में ही जन्म लेते है। और ज्यादा विचरण भी 1ले खण्ड में ही करते है।
55 - वासुदेव दक्षिण के 3 खंड में जा सकते है जबकि चक्रवर्ती छहों खण्ड में जा सकते है अपने रत्नों की सहायता लेकर।
56 - भरत क्षेत्र में एक वैताढ़य पर्वत है जिसके नीचे 2 दिशा में 2 गुफाएं है। तिमिस्त्रा व खण्ड प्रपात। यह 2 गुफाएं सदा बन्ध रहती है। कोई सामान्य मानवी एक खण्ड से दूसरे खण्ड नही जा सकता (कोई देव ले जाये तो सम्भव )।
57 - यह 2 गुफा के द्वार चक्रवर्ती की विजययात्रा के दौरान दंड रत्न से खोली जाती है तथा चक्रवर्ती के शासन तक खुली रहती है उसकी सेना के आवागमन के लिए । उसके बाद गुफा के रक्षक देव की रक्षा में द्वार हमेशा बन्ध रहते है।
58 - चक्रवर्ती अपनी विजय यात्रा के दौरान 13 अट्ठम करते है लौकिक कामना हेतु।
59 - यू तो वासुदेव कभी 1 व्रत भी ग्रहण नही करते पर लौकिक कामना हेतु देव की आराधना के लिए अट्ठम करते है जैसे कृष्ण वासुदेव ने किया था।
60 - नियमा एक तीर्थंकर दूसरे तीर्थंकर से कभी नही मिलते।ऐसे ही चक्रवर्ती बलदेव वासुदेव का भी समझना। पर इस अवसर्पिणी काल कर नोवें वासुदेव श्री कृष्ण का मिलन घातकीखण्ड के वासुदेव कपिल से हुआ था। इसे आश्चर्य कहा गया है। और वे भी प्रत्यक्ष नही मिले पर उनकी शंख ध्वनि से मिलन हुआ था। यानी शंख की ध्वनि से अतिअल्प वार्तालाप हुआ था।
G श्लाघनीय पुरुषों की गति आगति
मतलब पूर्व भाव कौन सा हो सकता है और यहां से मृत्यु के बाद कहां जाएंगे।
61 - बलदेव देव गति या 1, 2 नरक से आकर वासुदेव से पहले जन्म लेते है, वासुदेव के काल करने के बाद रागवश अत्यंत दुखी हो जाते है। फिर संभलकर नियम से दीक्षा लेते ही है। ओर काल कर मोक्ष या देवलोक ही जाते है।
62 - चक्रवर्ती देवगति या 1ली नरक से आते है , चक्रवर्ती पद भोगने के बाद यदि दीक्षा ले तो काल कर देवलोक या मोक्ष जाते है, पर दीक्षा न ले तो नरक भी जाते है।
63 - तीर्थंकर उच्च देव गति या 1, 2, 3 री नरक से आते है तथा नियमा मोक्ष जाते है।
64 - वासुदेव उच्च देवगति या 1, 2 नरक से आते है ।
प्रतिवासुदेव व वासुदेव काल कर के नियमसे नरक ही जाते है।
65 - तीर्थंकर दीक्षा लेने से पहले चक्रवर्ती भी हो सकते है। जैसे 16, 17, व 18 वे भगवान थे।
66 - तीर्थंकर प्रभु सीधे दीक्षा लेते है मतलब वे श्रावक नही बनते।
67 - एक बात फिर याद दिलाये की पांचों भरत पांचों ऐरावत में हमेशा समान स्थिति रहती है।
यहां 5 वा आरा है तो सभी भरत ऐरावत में 5 वा आरा ही होगा।
68 - चक्रवर्ती के 14 रत्नों में 7 एकेन्द्रिय, 2 तिर्यंच पंचेन्द्रिय तथा 5 मनुष्य होते है।
69 - श्लाघनीय पुरुष की ऊपरी जानकारी देती यह श्रृंखला फिलहाल तो यही रुक रही है । इसके विषय मे ओर भी विस्तृत जानकारी है वह फिर कभी । पर आप को यह श्रृंखला कैसी लगी और कितना समझ मे आया यह अवश्य बताये। इसके ऊपर आज एक 10 सवाल भी रखने का प्रयास करूंगा आप सभी को पुनरावर्तन हो इस लिए।
70 - अपनी समझ से जो आज तक पढा, सुना , समझा था, उसमे जितना याद था वह बताया। इसमे जिनवाणी विपरीत अंशमात्र भी लिखा हो तो त्रिविधे मिच्छामि दुक्कडम।
🙏🙏🙏🙏
प्रभु महावीर स्वामी के शासन के कितने आचार्य मोक्ष में गए??
🅰️ 2
सुधर्मा स्वामी जी ,जंबू स्वामी जी
प्रेम की घास - पात भी पाप के मेवा मिष्ठान से श्रेष्ठ है , किसने कहा ⁉️
🅰️ श्री कृष्ण जी 🙏🏻
2️⃣3️⃣ देवकी रानी के मुनि नहीं बनने वाले पुत्र ⁉️
🅰️ श्री कृष्ण जी 🙏🏻
2️⃣⚛️ किस पत्नि ने किस पतिके पत्नि मोह को इतना धिक्कारा की वो पथ भष्ट्र होने से बच गया ❓
2️⃣🅰️नागिला ने भव देव को ❗
3️⃣⚛️किस पत्नि ने किस पति को पत्नि मोह को इतना धिक्कारा की उनसे संयम ले लिया ❓
3️⃣🅰️रत्नवती ने तुलसी दास जी को ❗
मध्यलोक में मनुष्यलोक को घेरे कौन सा पर्वत है❓❓
मानुषोत्तर पर्वत
*हमारी सुख- सुविधा समान हैं पर एक ज्ञानी हैं और एक अज्ञानी हैं?*
*🙏आज की पहेली का उत्तर🙏*
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*ज्ञानी- 30 अकर्मभूमि मनुष्य।*
*अज्ञानी- 56 अंतरद्वीप के मनुष्य।*
*https://www.facebook.com/groups/221886583119081/?ref=share*
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*༺꧁ आदिनाथ करे भव से पार ꧂༻*
*DSTE ~8/ 12 /2022*
*🕰️ समय 8. 00 से 8 . 30*
*🦚 टॉपिक -:📿-- सवालों की कहानी अंको की जुबानी 📿🦜*
4️⃣⚛️ रूप में आसक्त होकर काकमुख ने किस सती का अपहरण किया ❓
4️⃣🅰️ धारिणी ❗
5️⃣⚛️ कौनसी साध्वी जी का गर्द भिल्ल राजा जी ने अपहरण किया ❓
5️⃣🅰️ साध्वी सरसवती जी ❗
जम्बूद्वीप में कितने क्षेत्र है❓❓
7
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🦚🌼🌻🌹🦚🌼🌻🌹🌻🌹🦚
सम्यक्त्व प्राप्ति के बाद कौनसी निर्जरा प्रारंभ होती हैं ?
🅰️ सकाम
1️⃣5️⃣पहला दंडक किसका हैं ?
🅰️नरक
हम दोनों साढु भाई ससुर जमाई बनें ❓
8️⃣🅰️उदायन राजा - चण्डप्रद्योत राजा ❗
9️⃣⚛️हम दोनों समधी समधी मृत्यु से बचने के लिये छुपे वेश में घूमें थे❓
9️⃣🅰️दशरथ राजा जी -जनक राजा जी
मध्यलोक में जिनालय कितने द्वीप तक है❓❓
13वें
आचार्य पद के लिए कम से कम दीक्षा पर्याय कितनी होनी चाहिए??
🅰️ कम से कम 5 वर्ष
जम्बूद्वीप में काल परिवर्तन कौन से क्षेत्रों में होता है❓❓
भरत व ऐरावत क्षेत्र
1️⃣1️⃣यश सम्मान क्यों नहीं टिकता ?
🅰️ यहां वहा थूकते रहने से।
️1️⃣2️⃣अंगोपांग कितने ?
🅰️ 3
जम्बूद्वीप में शाश्वत तीर्थंकर कहाँ विराजमान है❓❓
विदेह क्षेत्र
भरत क्षेत्र में कितने खण्ड है❓❓
1 आर्य खण्ड व
5 मलेच्छ खण्ड
1️⃣ एक धनुष कितने हाथ का होता है ⁉️
🅰️ 4 हाथ का
सती पद्मावती ने पत्थर में से पुनःजीवित किसे किया था ❓
1️⃣0️⃣🅰️रत्नसार को ❗
1️⃣1️⃣⚛️सीताहरण के लिए रावण ने कौनसी विधा का प्रयोग किया था ❓
1️⃣1️⃣🅰️अवलोकिनी ❗
पुनिया श्रावकजी का पहला नाम क्या था ।
🅰️ पूनम चंद जी ।
1️⃣8️⃣खमाने के लिए आए हुए भैया को शीला से किसने मारा ?
🅰️कमठ जी
मध्यलोक में आंठवा द्वीप कौन सा है❓❓
नन्दीश्वर द्वीप
रायपसेनीय सूत्र कितने प्रकार के आचार्य बताए है??
🅰️ 3 कलाचार्य,शिल्पाचार्य,धर्माचार्य
मुनि को देखकर किसने नारी का त्याग किया ❓
1️⃣4️⃣🅰️इलायची कुमार ने❗
1️⃣5️⃣⚛️मरते मरते-मरते किसने देवलोक के द्धार खोले❓
1️⃣5️⃣🅰️ गोशालक जी ने
2️⃣ एक जीव सातवीं नारकी में कितनी बार जा सकता है ⁉️
🅰️ असंख्यात बार
3️⃣ एक पाणी की बूंद में कितने जीव है ⁉️
🅰️ असंख्यात
मध्यलोक में आखिरी द्वीप कौन सा है❓❓
स्वम्भूरमण
9️⃣ रौद्र ध्यान से जीव किस गति में जाता है?
🅰️ नरक
🔟आर्त ध्यान से जीव किस गति में जाता है?
🅰️ तिर्यंच
श्री कृष्ण जी का कंस और जीवयशा जी से क्या रिश्ता था ⁉️
🅰️ मामा - मामी , भांजा 🙏🏻
4️⃣ एक काल चक्र में भरत क्षेत्र में कितने तीर्थंकर जी होते हैं ⁉️
🅰️ 48
कौन से आचार्य के हाथ से अधिष्टायिक देवी ने मंत्र विद्या की पुस्तक छीनी थी
🅰️ आचार्य सिध्धसेन दिवाकर जी
5️⃣ एक श्वास में आलू आदि ( जमीकंद ) के जीवों का कितनी बार जन्म मरण होता है ⁉️
🅰️ साढ़े 17 बार
6️⃣ एक समय में कितने सिद्ध हो सकते हैं ⁉️
🅰️ 108
1️⃣9️⃣गोभद्र सेठ के जवाई राजा कौन थे?
🅰️ धन्नाजी।
2️⃣0️⃣छोटी मोक्ष किसे कहते हैं ?
🅰️सर्वार्थसिद्ध को
7️⃣ एक समय में एक साथ।कितने जीव निगोद से बाहर निकल सकते हैं ⁉️
🅰️ 108
8️⃣ एक करोड़ पूर्व कितने वर्ष का होता है ⁉️
🅰️ 70,56,00,00,00,00,00 ( सत्तर लाख छप्पन हजार करोड़ वर्ष )
चातुर्मास में आचार्य कौन बने???
🅰️ आचार्य सुधर्मा स्वामी जी
ऐसा कोनसा पशु जो जन्म से मृत्यु पर्यन्त दुध ही पीता है ❓
🅰📚 चक्रवर्ती की गाय
7️⃣ शुक्ल ध्यान से जीव कौनसी गति में जाता है ?
🅰️ मोक्ष।
8️⃣ धर्म ध्यान से जीव कौनसी गति मे जाता हैं?
🅰️ देव या मनुष्य।
6️⃣ कोमा में गया हुआ जीव त्रस है या स्थावर ?
🅰️ त्रस।
कौन मेहमान साधर्मिको के भोजन के बाद ही भोजन करता था❓
1️⃣6️⃣🅰️राजा दण्डवीर्य ❗
1️⃣7️⃣⚛️किसने सारी सन्तानों को प्रेरणा देकर दीक्षा दी❓
1️⃣7️⃣🅰️मदरसा ❗
9️⃣ एक युग कितने दिन का होता है ⁉️
🅰️ 1830 दिन का
सामायिक मे अनामी का पाठ कोनसा ❓
🅰📚 नमुत्थुणं
4️⃣सुर सुन्दरीजी को कौनसे कोट में बेचा गया था?
🅰️ बब्बर कोट ।
23)✍ सुबह संसार मे दोहपर मुनि समुदाय मे और शाम को सिद्धालय मे ❓
🅰📚 गजसुकुमालजी
1️⃣0️⃣ एक युग में कितने वर्ष होते हैं ⁉️
🅰️ 5 वर्ष
देवो मे त्रास वादी कोन होते है ❓
🅰📚 परमाधामी देव
20)✍ हरिशचन्द्र राजा किस तिर्थंकर के समय मे हुये ❓
🅰📚 मुनिसुव्रत स्वामी
माता के आसु देखकर जोगी कौन बना❓
1️⃣8️⃣🅰️गोपीचंद राजा ❗
1️⃣9️⃣⚛️भगवान महावीर के तीर्थकाल में कितने कामदेव हुऐ ❓
1️⃣9️⃣🅰️ दो❗
कौनसे दिंन 150 तीर्थंकरो के कल्याणक हुऐ ❓
2️⃣2️⃣🅰️मौन एकादशी ❗
2️⃣3️⃣⚛️बिना पत्ते का वृक्ष कौनसा ❓
2️⃣3️⃣🅰️केर का वृक्ष ❗
आचार्य जी के आचार कितने हैं??
🅰️ 5
1️⃣1️⃣ एक लोक में कितने भेद होते हैं ⁉️
۔
🅰️ 3
1️⃣ सुर्य के प्रकाश की गति और जाति बताईये ?
🅰️ अजीव
2️⃣ एक राशि कहा पाई जाती हैं ?
🅰️ आलोक में सिर्फ एक जीव राशि।
किस आचार्य ने चोर को वश में करने के लिए पैसठिया यंत्र की रचना की
🅰️ आचार्य धर्म सिंह जी
ऐक योजन के कितने कोस होते है ❓
🅰📚 चार कोस का ऐक योजन
18)✍ ऐसे कोनसे जीव है जिनकी अवगाहना भी बडी और आयुष्य भी बडा ❓
🅰📚 युगलिक
एक सौ बीस नवकार मंत्र किसमें गिने जाते हैं ❓
2️⃣4️⃣🅰️आनुपूर्वी में ❗
2️⃣5️⃣⚛️कौनसे कारण से लक्ष्मणा साध्वी का भव भ्रमण बढा ❓
2️⃣5️⃣🅰️अतिमाया ❗
श्री कृष्ण जी को कौमुदी गदा किसने दी थी ⁉️
🅰️ कुबेर जी ने 🙏🏻
कौन से आचार्य ने निगोद के बारे में इंद्र को बताया??
🅰️ आचार्य आर्य रक्षित जी
इस चौबीसी मे कुल कितने कल्याणक हुऐ ❓
2️⃣0️⃣🅰️ 121 कल्याणक ❗
2️⃣1️⃣⚛️सर्व प्रथम धर्म सभा में गुस्ताखी किसने की❓
2️⃣1️⃣🅰️अयोध्या के सुनार ने ❗
1️⃣2️⃣ एक शरीर में कितने जीव रह सकते हैं ⁉️
🅰️ अनंत ( निगोद में )
🅿9⃣एक देवसभा का नाम, एक गणधर?
A9⃣सुधर्मा
🅿🔟एक तीर्थंकर की पत्नी,एक चक्रवर्ती की माता?
A🔟सुमंगला
श्री कृष्ण जी को समकित कब प्राप्त हुई ⁉️
🅰️ 18 हजार मुनि जी को वंदन कर रहे थे तब
1️⃣3️⃣ एक जीव की अपेक्षा आत्मा के प्रदेश कितने है ⁉️
🅰️ असंख्यात
विध्याधर मनुष्य चेटक राजा की किस पुत्री पर मोहित हो गये थे ❓
🅰📚 सुजयेष्टाजी
1️⃣4️⃣ एकेंद्रीय के जीव कितने काल के कर्म एक साथ बांधता है ⁉️
🅰️ एक सागरोपम
1️⃣5️⃣ एक समय में कितने चरित्र हो सकते हैं ⁉️
🅰️ एक
🅿1⃣8⃣पाखंडी भगत को किसकी उपमा दी हैं?
A1⃣8⃣बगुला
🅿1⃣9⃣एक अजब किला बनाया न मिट्टी न चुना लगाया?
A1⃣9⃣मधुमक्खी
श्री कृष्ण जी के आगामी भव का वर्णन किस सूत्र में आता हैं ⁉️
🅰️ अन्तकृत दशांग 🙏🏻
1️⃣6️⃣ एक मुहूर्त में कितनी आवलिका होती है ⁉️
🅰️ 1,67,77,216
1️⃣7️⃣ एक शताब्दी कितने युगों की होती है ⁉️
🅰️ 20
2️⃣0️⃣ श्री कृष्ण जी के नाना कौन थे ⁉️
🅰️ उग्रसेन जी ( देवक जी )🙏🏻
2️⃣1️⃣ श्री कृष्ण जी की ऊंचाई कितने धनुष थी ⁉️
🅰️ 20 धनुष 🙏🏻
🅿1⃣1⃣एक अवतार, एक संस्थान?
A1⃣1⃣वामन
🅿1⃣2⃣एक पुण्य, एक अभिवादन?
A1⃣2⃣नमस्कार
1️⃣8️⃣ एक पूर्वांग कितने वर्ष का होता है ⁉️
🅰️ 84 लाख वर्ष का
🅿1⃣3⃣घडा खाली क्यों, दमयंती रोयीं क्यों?
A1⃣3⃣नल नही आये
श्रेणिक राजा को वीर प्रभु से मिलाकर धर्म मे जोडने वाले कौन ❓
🅰📚 अनाथी मुनि
🅿1⃣4⃣अष्ट मंगल में एक, एक जलचर?
A1⃣4⃣मत्स्य
निर्दोष बालिका का मुण्डन किस ने किया था ❓
🅰📚 मुला सेठानी
10)✍ उपवास करके भी साधर्मिक भक्ति का लाभ कोन लेते थे ❓
🅰📚 पुणिया श्रावकजी
1️⃣9️⃣ एक पूर्व कितने वर्ष का होता है ⁉️
🅰️ 84 लाख पूर्वांग का एक पूर्व
2️⃣0️⃣ एक भव में आहारक लब्धि का प्रयोग कितनी बार फोड़ सकते है ⁉️
🅰️ 2
संगमदेव तिर्च्छालोक मे कितने मास रहा ❓
🅰📚 छः मास
8)✍ कोन से पक्षी के जोडे को देखकर लक्ष्मणा साध्वी के कर्म बंध हुऐ ❓
🅰📚 चकवा- चकवी
2️⃣1️⃣ एक रात्रि में कितने तीर्थंकर प्रभु जी का जन्म हो सकता है ⁉️
🅰️ 20
2️⃣2️⃣ एक काल चक्र में एकांत युगलिक काल के कितने आरे होते हैं ⁉️
🅰️ 4
5)✍ भं: महावीर स्वामी के चरम शरीरी राजा कोन हुऐ ❓
🅰📚 उदायन राजा
6)✍ पति के भोजन मे से जहर किस ने निकाला ❓
🅰📚 प्रभावतीजी
🅿1⃣6⃣अप्रमत्त साधु को किसकी उपमा दी जाती हैं?
A1⃣6⃣भारंड पक्षी
🅿1⃣7⃣अविनीत को किसकी उपमा दी हैं?
A1⃣7⃣अड़ियल घोड़ा
श्री कृष्ण जी ने किस कर्म का बंध किया ⁉️
🅰️ तीर्थंकर गौत्र 🙏🏻
किस तिर्थंकर ने हाथी के भव मे बेले तेले की तपस्या की ❓
🅰📚 पार्श्वनाथजी
4)✍ धर्मनाथजी के समय कोनसे दम्पति ने दीक्षा ली ❓
🅰📚 नलराजा दमयन्तिजी
श्री कृष्ण जी की गदा का नाम क्या था ⁉️
🅰️ कौमुदी 🙏🏻
2️⃣3️⃣ एक दिन में कितने प्रहर होते हैं ⁉️
🅰️ 4
2️⃣4️⃣ एकेन्द्रीय में कितने शरीर है ⁉️
🅰️ 4
पार्श्वनाथजी तिर्थंकर के शासन मे 14 स्वप्न दो श्राविका ने देखे ⁉️*
🅰📚 पार्श्वनाथजी के समय देवानन्दा और त्रिशला माता
2)✍ माता पिता ही सास ससुर किसके थे❓
🅰📚 सुमंगला जी ॠषभदेवजी,औऱ मरु देवा जी
2️⃣5️⃣ एक भव में कितनी बार उपशम श्रेणी आती है ⁉️
🅰️ 2
🅿1⃣5⃣महादेव का एक नाम, एक आचार्य?
A1⃣5⃣शिव मुनिजी
श्री कृष्ण जी ने किसके हाथ से कच्चे चावल खाए ⁉️
🅰️ सुदामा जी 🙏🏻
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