दोस्त एक मधुर अहसास

दोस्त कुछ और नहीं ,
लगती है ,अपनी परछाई है,
इस त्रस्त व्यस्त जीवन को मिली ,रब की रहनुमाई है,
हर वक़्त साथ रहती है,
हर रंजो -गम ,में साथ निभाती है,
विपरीत हो चाहें स्वभाव पर अन्दाज एक ही रहता है,
दोस्ती पे जान लुटा दे ,
जज्बा यही कहता हैं।
दोस्ती है तो सरगम है दोस्ती है तो नाज है ,
दोस्ती है ,तो आपके साज ,की आवाज है
जंहा दुनिया आपके मन रखने को सराहती है,
वहीं दोस्ती ,भूलों का अहसास कराती है
आज रुढे, कल मान जाते हैं,
दोस्त ,बचपनें का अहसास कराते हैं

दोस्ती बिना, जीवन बिन राग का गीत है ,
जिंदगी निभाना लगता है एक रीत हैं
रूढ़ के मत जाने दो ,अपने  मीत को,
अपने ही हाथों मत हारों अपनी जीत को,
दोस्त की दूरी , उसके नहीं होने का पल, पल अहसास  दिलाती हैं,
उसकी दूरी मन को कचोटती है
वादे ,वफ़ा मुहोब्बत ,प्यार जज्बात ,शिकवा गिला ,
दोस्ती हो तो इनका अर्थ है
वरना सिर्फ शब्दार्थ है,
दोस्ती वो क्या जाने?जिसके मीत नहीं
जिंदगी हैं पर जीस्त नहीं
फिर ये ही कहूँगी,
दोस्ती ,जिंदगी का प्यारा मधुर,बेबाक सा अहसास है ,एक दिल है तो एक साँस है,

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