सावन की स्पेशल हाऊजी

सावन की स्पेशल हाऊजी



भारत के सभी 82,83  शिवालयों में श्रावणke 4 सोमवार पर हर-हर महादेव और बोल बम बोल की गूँज सुनाई देगी। श्रावण मास30 dino  में शिव-पार्वत‍ी2 ki पूजन बहुत फलदायी होता है। इसलिए सावन मास का बहुत मह‍त्व है।

क्यों है सावन की विशेषता? :- हिन्दू धर्म की पौराणिक मान्यता के अनुसार सावन महीने को44  ,55देवों के देव महादेव भगवान3sul dhari शंकर का महीना माना जाता है। इस संबंध में पौराणिक कथा है कि जब79 ,85सनत कुमारों ने महादेव से उन्हें सावन महीना प्रिय होने का कारण पूछा तो महादेव भगवान शिव ने बताया कि जब देवी सती18 saal me अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को 7 जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था।53
49 साल बाद
अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से61 rajyoke se 27age ke raja हिमाचल और24 रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने 17 varsh ki युवावस्था के सावन महीने में निराहार रह कर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया, जिसके बाद ही महादेव के लिए5 va यह विशेष हो गया।

सावन में शिवशंकर की पूजा :- सावन के महीने में भगवान शंकर की 20-25cheez se  विशेष रूप से पूजा की जाती है। इस दौरान पूजन की शुरूआत महादेव9 ango के अभिषेक के साथ की जाती है। अभिषेक में महादेव को 8 ceez jaise जल, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, गंगाजल, 10 ,41गन्ना ke रस आदि से स्नान कराया जाता है। अभिषेक के बाद 35,40.बेलपत्र, 22 37 समीपत्र, 50 60 दूब, 86 90 कुशा,46, कमल, 14,16 42,नीलकमल, 19,29ऑक 12, 36 मदार,48 ,,58 जंवाफूल 80 88 कनेर, 63 ,66 राई फूल आदि से शिवजी को प्रसन्न किया जाता है। इसके साथ की भोग के रूप में 23,33 57धतूरा,31 43 भाँग pata और11 ,13, श्रीफल महादेव को चढ़ाया जाता है।

महादेव का अभिषेक :- महादेव का अभिषेक करने के पीछे एक पौराणिक कथा का उल्लेख है कि समुद्र मंथन के समय15 no. par हलाहल विष निकलने के बाद जब महादेव इस विष का पान करते हैं तो वह मूर्च्छित हो जाते हैं। उनकी दशा देखकर सभी 78, 84 देवी-देवता भयभीत हो जाते हैं और उन्हें होश में लाने के लिए निकट में 70जो चीजें उपलब्ध होती हैं, उनसे महादेव को स्नान कराने लगते हैं। इसके बाद से ही जल से लेकर तमाम उन चीजों से महादेव का अभिषेक किया जाता है।



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बेलपत्र और समीपत्र :- भगवान शिव को भक्त प्रसन्न करने के लिए67 ,77 बेलपत्र और 81 ,87समीपत्र चढ़ाते हैं। इस संबंध में एक पौराणिक कथा के अनुसार जब 72,89 हजार ऋषियों ने महादेव को प्रसन्न करने की विधि परम पिता ब्रह्मा से पूछी तो ब्रह्मदेव ने बताया कि महादेव 1सौ 6, कमल चढ़ाने से जितने प्रसन्न होते हैं, उतना ही एक नीलकमल चढ़ाने पर होते हैं। ऐसे ही एक हजार 52,नीलकमल के बराबर एक बेलपत्र और एक हजार38बेलपत्र चढ़ाने के फल के बराबर एक समीपत्र का महत्व होता है।

बेलपत्र ने दिलाया वरदान : 64, 59बेलपत्र महादेव को प्रसन्न करने का सुलभ माध्यम है।51 71 बेलपत्र के महत्व में एक28 hazar74 saal   purani  पौराणिक कथा के अनुसार एकya  saal ka भील डाकू  -39,68 logo ke apane परिवार का पालन-पोषण करने के लिए लोगों को लूटा करता था।usne ab tak ,21  bar daka dala hai सावन महीने ke 26 ve दिन डाकू जंगल में aane wale 69 राहगीरों को लूटने के इरादे से गया। एक पूरा46 ghante  बीत जाने के बाद भी कोई शिकार नहीं मिलने से डाकू काफी परेशान हो गया।

इस दौरान डाकू जिस पेड़ पर छुपकर बैठा था, वह बेल का पेड़ था और परेशान डाकू पेड़ से पत्तों को तोड़कर नीचे फेंक रहा था। डाकू के सामने अचानक34 ,32 वे ghante महादेव प्रकट हुए और वरदान माँगने को कहा। अचानक हुई शिव कृपा जानने पर डाकू को पता चला कि जहाँ वह62 va बेलपत्र फेंक रहा था उसके नीचे शिवलिंग स्थापित है। इसके बाद से बेलपत्र का महत्व और बढ़ गया।

विशेष सजावट : सावन मास में  76 75 शिव मंदिरों में विशेष 54 tarh ki सजावट की जाती है। शिवभक्त   अनेक धार्मिक नियमों का पालन करते हैं। साथ ही महादेव को प्रसन्न करने के लिए 73, लोगों  ने नंगे पाँव चलने की ठानी, तो,65 लोगों नेपूरे सावन भर अपने केश नहीं कटाएगा। वहीं   कईने माँस और मदिरा का त्याग कर दिया है।

काँवरिए चले शिव के धाम : सावन का महीना शिवभक्तों के लिए खास होता है। शिवभक्त56 काँवरियों में जल लेकर शिवधाम की ओर निकल पड़ते हैं। शिवालयों में जल चढ़ाने के लिए,  लोग बोल बम के नारे लगाते घरों से निकलते हैं। भक्त भगवा वस्त्र धारण कर शिवालयों की ओर कूच करते हैं।

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