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अभिषेक

  🌑1⃣तीर्थंकर भगवान का जन्माभिषेक कौनसी जगह  पर होता हैं ⁉ 🌍1⃣मेरु पर्वत के पंडग वन में ‼ 🌑2⃣ तीर्थंकर भगवान का जन्माभिषेक कहाँ पर होता हैं ⁉ 🌍2⃣ अभिषेक शिलाओं पर ‼ 🌑3⃣अभिषेक शिलाएं कैसी हैं ⁉ 🌍3⃣ अर्द्ध चंद्राकार ‼ 🌑4⃣अभिषेक शिलाएं कितनी लम्बी - चौड़ी व मोटी हैं ⁉ 🌍4⃣ 500 योजन लम्बी ,250 योजन चौड़ी और 4 योजन मोटी हैं ‼ 🌍5⃣ अभिषेक शिलाओं पर क्या हैं ⁉ 🌑5⃣ अभिषेक सिंहासन ‼ 🌍6⃣ अभिषेक शिलाएं कहाँ पर हैं ⁉ 🌑6⃣ मेरु पर्वत के पंडग वन की चारों दिशाओं में ‼ 🌍7⃣ अभिषेक सिंहासन कितने लम्बे -चौड़े  हैं ⁉ 🌑7⃣ 500 धनुष लम्बे , 250 धनुष चौड़े हैं ‼ 🌍8⃣ अभिषेक शिलाओं पर सिंहासन कुल कितने हैं ⁉ 🌑8⃣ चारों दिशाओं में कुल मिलाकर छः संहासन हैं ‼ 🌍9⃣ पाण्डुशिला कहाँ पर रही हुई हैं ⁉ 🌑9⃣  मेरु पर्वत की चूलिका के पूर्व में पाण्डुक वन में पूर्वी छोर पर ‼ 🌍🔟 पाण्डुशिला किसकी बनी हुई हैं ⁉ 🌑🔟 स्वर्णमय ‼ 🌍1⃣1⃣ पाण्डुशिला पर कितने सिंहासन हैं और कैसे रहे हुए है ⁉ 🌑1⃣1⃣ दो - एक उत्तरवर्ती व दूसरा दक्षिणवर्ती ‼ 🌍1⃣2⃣ पाण्डु कंबल शिला कहाँ पर हैं और इस पर कितने सिंहासन है...

सिद्ध

  ७. प्रश्न-चार दिशाओं में कौन-कौन-सी दिशा में सिद्ध भगवान अधिक हैं ? उत्तर - प्रज्ञापना सूत्र तृतीय पद में "सव्व थोवा सिद्धा दाहिणुत्तरेणं पुरत्थिमेणं संखेज्जगुणा, पच्चत्थिमेणं विसेसाहिया" सबसे थोड़े सिद्ध दक्षिण और उत्तर में हैं। पूर्व में संख्यात गुणे हैं। और पश्चिम में विशेषाधिक हैं। प्रतिशंका यह कैसे होगा ? प्रत्युत्तर दक्षिण और उत्तर में भरत और ऐरवत क्षेत्र है। क्षेत्रफल की दृष्टि से ये बहुत छोटे हैं और इनसे महाविदेह क्षेत्र चौंसठ गुणा बड़ा है वहाँ से सिद्ध होते हैं, ये ऋजुगति से सिद्धालय में पहुँचते हैं वे वहीं स्थित होते हैं। भरत ऐरवत क्षेत्र के सिद्ध पूर्व और पश्चिम की अपेक्षा से कम होते हैं, भरत ऐरवत क्षेत्र में प्रायः दो आरे में ही सिद्ध होते हैं, पाँचों महाविदेह क्षेत्रों में से निरन्तर मोक्ष में जीव जाते रहते हैं, अतः अधिक है। 1. शरीर शरीर नहीं अशरीरी हैं। 2. अवगाहना- आत्म- प्रदेशों की अवगाहना जघन्य एक हाथ आठ अंगुल, मध्यम चार हाथ सोलह अंगुल और उत्कृष्ट 333 धनुष- 32 अंगुल 3. संहनन नहीं। 4. संस्थान- नहीं। 5. कषाय- नहीं। 6. संज्ञा- नहीं। 7. लेश्या नहीं। 8. इन्द्रिय- न...

ऋषभ देव जन्म 2

 🌾🍁🐂🌾🍁🐂🌾🍁🐂🌾🍁🐂🌾🍁🐂🌾🍁🐂🌾🍁              *महावीर के उपदेश ग्रुप*                   💁‍♂💁 *भगवान रुषभदेवजी/आदिनाथजी जीवन चरित्र* 🙋🙋‍♂ *📚श्रीआदिनाथ चरित्र*📚 *📚श्रीआदिनाथचरित्र*📚 *📚श्रीआदिनाथ चरित्र*📚              *201*      *ससमचतुस्त्र संस्थान* वाला *प्रभु🙏 का शरीर👤* ऐसा शोभता👌🏻👌🏻 था मानों वह *खेलने🏸🤼‍♂🤺 की इच्छा रखने वाली लक्ष्मी💵👸* की स्वर्णमय वेदिका हो❗       *समान उम्र के बनकर* आये हुए  *देवकुमारो🤴🏻🤴🏽* के साथ वे उनकी चित की अनुवृत्ति को *खुश👏🏻 करने के लिए खेलते🏸🤼‍♂🤺 थे*❗खेलते🏸🤼‍♂🤺 समय🕛 ,  धूल से भरे हुए  *शरीर👤वाले और घुंघरू* पहने हुए *प्रभु🙏 मस्ती🌝* में आये हुए *हाथी🐘 के बालक* के समान  *शोभते*👌🏻 थे❗     *प्रभु🙏 लीला🗣🤼‍♂⛹‍♂🤽‍♂🏊🏻‍♂मात्र* से जो कुछ भी लेते  थे, उसे *बड़ी------ ऋद्धिवाला* कोई *देव*🤴🏽 भी न ले सकता था❓ *कल आगे का भाग*▶▶▶▶ ✍ *बेहेन ...

संयम जीवन

  संयम बिना उद्धार नही🙏👇 आज की पाठशाला पवन जी जैन  1⃣संयम जीवन में रहे कौन मुनि सचित गौचरी वहोरकर आये थे❓ 1⃣🅰धनगिरि मुनि  2⃣संयम जीवन में रहे मुनि के पास गणिका ने अर्थ लाभ की मांग रखी❓  2⃣🅰नंदिषेण मुनि  3⃣संयम जीवन लेने वाले शेषकाल में क्या करते हैं❓ 3⃣🅰विहार 4⃣संयम जीवन पुन: दसवे आप शब्द सुनकर किसने लिया❓ 4⃣🅰नंदिषेण मुनि 5⃣संयम जीवन लेने वाले पदस्थ संयमी को उत्कृष्ट वदंन होता है❓ 5⃣🅰द्धादशावर्त वन्दन 6⃣संयम जीवन किसने देवकी को अपनी अंतिम माँ बनाने के आशीर्वाद प्राप्त करके स्वीकारा❓ 6⃣🅰गजसुकुमार 7⃣संयम जीवन किसनें अग्नि परीक्षा में उतीर्ण होकर स्वीकारा❓ 7⃣🅰सीता 8⃣संयम जीवन लेने वाले संयमी कौन से कुल के सर्प की तरह वमन किये भोग को पुन: नही इच्छते❓ 8⃣🅰अंगधन कुल 9⃣संयम जीवन लेने वाले को कितने दोषों से रहित गोचरी लेनी चाहिये❓ 9⃣🅰42  1⃣0⃣संयम जीवन लेने वाले संयमी कितने शीलांग को धारण करते है❓ 1⃣0⃣🅰18000 1⃣1⃣संयम जीवन लेने वाले किसे आहारक शरीर की प्राप्ति नहीं होती❓ 1⃣1⃣🅰अभव्य/स्त्री 1⃣2⃣संयम जीवन लेने वाले संयमी किसकी तरह दूसरों को पीड़ा, कष्ट न पहु...

अगामी चौबीस

 ⛑〽〽〽 जम्बुद्वीप के भरत क्षेत्र में भविष्य काल में होने वाले तीर्थंकरों के पूर्व भव का नाम व भविष्य का नाम १. श्रेणिक राजा का जीव, प्रथम नरक से आकर पहले ' श्री पद्मनाभजी ' होंगे। २. श्री महावीर स्वामी जी के काका सुपार्श्व जी का जीव, देवलोक से आकर दुसरे ' श्री सुरदेव जी ' होंगे । ३. कोणिक राजा का पुत्र उदाइ राजा का जीव , देवलोक से आकर तीसरे ' श्री सुपार्श्व जी ' होंगे। ४. पोट्टिला अनगार का जीव, तीसरे देवलोक से आकर चौथे ' श्री स्वयंप्रभ जी ' होंगे। ५. दृढ युद्ध श्रावक का जीव, पांचवे देवलोक से आकर पांचवें ' श्री सर्वानुभूति जी ' होंगे । ६. कार्तिक सेठ का जीव, प्रथम देवलोक से आकर छठे ' श्री देवश्रुती जी ' होंगे । ७. शंख श्रावक का जीव, देवलोक से आकर सातवें ' श्री उदयनाथ जी ' होंगे । ८. आणन्द श्रावक का जीव, देवलोक से आकर आठवें ' श्री पेढ़ाल जी ' होंगे। ९. सुनंद श्रावक का जीव, देवलोक से आकर नववें ' श्री पोट्टिल जी ' होंगे। १०. पोखली श्रावक के धर्म भाई शतक श्रावक का जीव, देवलोक से आकर दसवें ' श्री सतक जी ' होंगे। १...