सिद्ध
७. प्रश्न-चार दिशाओं में कौन-कौन-सी दिशा में सिद्ध भगवान अधिक हैं ?
उत्तर - प्रज्ञापना सूत्र तृतीय पद में "सव्व थोवा सिद्धा
दाहिणुत्तरेणं पुरत्थिमेणं संखेज्जगुणा, पच्चत्थिमेणं विसेसाहिया"
सबसे थोड़े सिद्ध दक्षिण और उत्तर में हैं। पूर्व में संख्यात गुणे हैं। और पश्चिम में विशेषाधिक हैं।
प्रतिशंका यह कैसे होगा ?
प्रत्युत्तर दक्षिण और उत्तर में भरत और ऐरवत क्षेत्र है।
क्षेत्रफल की दृष्टि से ये बहुत छोटे हैं और इनसे महाविदेह क्षेत्र चौंसठ गुणा बड़ा है वहाँ से सिद्ध होते हैं, ये ऋजुगति से सिद्धालय में पहुँचते हैं वे वहीं स्थित होते हैं। भरत ऐरवत क्षेत्र के सिद्ध पूर्व और पश्चिम की अपेक्षा से कम होते हैं, भरत ऐरवत क्षेत्र में प्रायः दो आरे में ही सिद्ध होते हैं, पाँचों महाविदेह क्षेत्रों में से निरन्तर मोक्ष में जीव जाते रहते हैं, अतः अधिक है।
1. शरीर शरीर नहीं अशरीरी हैं।
2. अवगाहना- आत्म- प्रदेशों की अवगाहना जघन्य एक हाथ आठ अंगुल, मध्यम चार हाथ सोलह अंगुल और
उत्कृष्ट 333 धनुष- 32 अंगुल
3. संहनन नहीं।
4. संस्थान- नहीं।
5.
कषाय- नहीं।
6. संज्ञा- नहीं।
7. लेश्या नहीं।
8. इन्द्रिय- नहीं।
9. समुद्घात नहीं।
10. सन्नी नहीं।
11. वेद नहीं।
12. पर्याप्ति- नहीं।
13. दृष्टि एक सम्यग्दृष्टि
14. दर्शन एक केवलदर्शन।
15. ज्ञान एक केवलज्ञान।
16. अज्ञान नहीं।
17. योग नहीं
18. उपयोग दो केवलज्ञान और केवलदर्शन |
23. च्यवन- नहीं।
24. गति आगति- आगति मनुष्य गति और एक दण्डक से, गति नहीं। 25. प्राण- द्रव्य प्राण नहीं, भाव प्राण 4 हैं- ज्ञान, दर्शन, सुख और शक्ति।
26. योग नहीं।
19. आहार नहीं।
20. उपपात - एक समय में जघन्य 1-2-3 उत्कृष्ट 108 सिद्ध होवे ।
21. स्थिति एक सिद्ध भगवान की अपेक्षा सादि अनन्त और सभी सिद्ध भगवन्तों की अपेक्षा अनादि अनन्त ।
22. मरण- नहीं।
यह मध्यम अवगाहना तीर्थंकरों की अपेक्षा जघन्य अवगाहना समझनी चाहिये, जबकि साधारण केवलियों की अपेक्षा यह
धवल कूट से नौ कोड़ा-कोडि़ बहत्तर लाख बियालिस हजार पांच सौ मुनि मोक्ष गये हैं।
प्रश्न 1 - सिद्ध परमेष्ठी के कितने मूलगुण होते हैं? उत्तर - सिद्धपरमेष्ठी के आठ मूलगुण होते हैं। प्रश्न 2 - सिद्ध परमेष्ठी के उत्तर गुण कितने होते हैं? उत्तर - सिद्ध परमेष्ठी के उत्त्र गुण अनंतानंत होते हैं। प्रश्न 3 - सिद्ध परमेष्ठी के कौन-कौन से मूलगुण होते हैं? उत्तर - 1 - क्षायिक सम्यक्त्व 2 - अनंतदर्शन 3 - अनंतज्ञान 4 - अगुरूलघुत्व 5 - अवगाहनत्व 6 - सूक्ष्मत्व 7 - अनंतवीर्य 8 - अव्याबाधत्व। प्रश्न 4 - सिद्ध परमेष्ठी के कुछ अन्य नाम बताइये। उत्तर - मुक्त जीव, निराकार, निरंजन, निकल परमात्मा, सिद्ध परमात्मा आदि। प्रश्न 5 - सिद्ध भगवान के मूलगुण का कथन किस आधार पर है? उत्तर - सिद्ध भगवान ने आठ कर्मों का नाश किया है। एक-एक कर्म के नाश होने से एक-एक गुण प्रकट होता हे, इस प्रकार कर्मों के नाश के आधार पर सिद्ध भगवान के मूल गुणों का कथन है। प्रश्न 6 - कौन से कर्म के नाश के कौन-सा गुण प्रकट होता है। उत्तर - 1 - दर्शनावरण कर्म के नाश से अनंत दर्शन 2 - ज्ञानवरण कर्म के नाश से अनंत ज्ञान 3 - मोहनीय कर्म के नाश से क्षायिक सम्यक्त्व 4 - अंतराय कर्म के नाश से अनंतवीर्य 5 - आयु कर्म के नाश से अवगाहनत्व 6 - नाम कर्म के नाश से सूक्ष्मत्व 7 - गोत्र कर्म के नाश से अगुरू लघुत्व 8 - वेदनीय कर्म के नाश से अव्याबाधत्व। प्रश्न 7 - अनंत दर्शन से क्या तात्पर्य है? उत्तर - संसार के अनंत पदार्थों को एक साथ देखना। प्रश्न 8 - अनंत ज्ञान का क्या अभिप्राय है? उत्तर - संसार के अनंत पदार्थों को एक साथ जानना। प्रश्न 9 - अवगाहनत्व किसे कहते हैं? उत्तर - जिस गुण के रहने पर एक में अनंत समा जाते हैं ऐसे गुण को अवगाहनत्व कहते हैं। प्रश्न 10 - अवगाहनत्व सिद्ध परमेष्ठी में किस प्रकार घटित होता है? उत्तर - सिद्ध शिला पर एक सिद्ध में अनंत सिद्ध रहते हैं। jain temple92 प्रश्न 11 - अगुरूलघु गुण का लक्षण बताइये। उत्तर - जिस गुण के कारण छोटे बड़े का भेद समाप्त होता है वह अगुरूलघुत्व गुण है। प्रश्न 12 - अगुरूलघुत्व गुण सिद्ध में किस प्रकार रहता है? उत्तर - गुणों की अपेक्षा सभी सिद्ध समान होते हैं किसी में दूसरे की अपेक्षा किंचित मात्र भी गुण कम या अधिक नहीं है। जिस प्रकार एक रूपये में 100 पैसे होते हैं तो रूपये के सभी सिक्कों में 100 पैसे ही रहेंगे कम ा अधिक नहीं। प्रश्न 13 - सिद्धों में किस अपेक्षा से भेद हैं? उत्तर - आसन, अवगाहना, द्रव्य, भाव, क्षेत्र काल आदि की अपेक्षा से जानने के लिए भेद किया गया है। प्रश्न 14 - कौन से आसन से सिद्ध होते हैं? उत्तर - पर्यंकासन एवं खड़गासन इन दो आसनों से ही सिद्ध होते हैं। प्रश्न 15 - अवगाहना से क्या अभिप्राय है? उत्तर - उत्तम अवगाहना, मध्यम अवगाहना एवं जघन्य अवगाहना से सिद्ध हैं। प्रश्न 16 - उत्तम अवगाहना कितनी मानी है? उत्तर - उत्तम अवगाहना कुछ कम पांच सौ पच्ची धनुष अर्थात् इक्कीस सौ हाथ में कुछ कम। प्रश्न 17 - उत्तम अवगाहना में किसका उदाहरण आता है? उत्तर - भगवान बाहुबली का। प्रश्न 18 - मध्यम अवगाहना कितनी है? उत्तर - मध्यम अवगाहना में अनेक भेद हैं। प्रश्न 19 - जघन्य अवगाहना कितनी है? उत्तर - सिद्धों की जघन्य अवगाहना साड़े तीन हाथ की मानी जाती है। प्रश्न 20 - जघन्य अवगाहना में किसका उदाहरण आता है? उत्तर - भगवान महावीर स्वामी का। प्रश्न 21 - सिद्ध परमेष्ठी का क्या स्वरूप है? उत्तर - जो आठों कर्मों का नाश हो जाने से नित्य निरंजन, अशरीरी हैं लोक के अग्र भाग पर विराजमान, वे सिद्ध परमेष्ठी कहलाते हैं इनके आठ मूल गुण होते हैं। प्रश्न 22 - सिद्ध परमेष्ठी का स्वरूप बताने वाली पद्य बताइये। उत्तर - पद्य इस प्रकार है- समकित दरसन ज्ञान अगुरूलघु अवगाहना। सूक्ष्म वीरजवान, निरावाध गुण सिद्ध के।। jain temple93 प्रश्न 23 - सिद्ध कौन से लोक से होते हैं? उत्तर - सिद्ध क ेवल मध्य लोक से होते हैं। प्रश्न 24 - मध्यलोक में सिद्ध कहां से होते हैं? उत्तर - मध्य लोक में सिद्ध केवल ढाई द्वीप से होते हैं। प्रश्न 25 - ढाई द्वीप से ही सिद्ध क्यों होते हैं। उत्तर - क्योंकि ढाई द्वीपों तक ही मनुजलोक है। इसका विस्तार भी सिद्ध शिला के समान, 45 लाख योजन है, अतः ढाई द्वीप से ही सिद्ध होते हैं। प्रश्न 26 - ढाई द्वीपों में सिद्ध कहां-कहां से होते हैं? उत्तर - ढाई द्वीपों के प्रायः सभी स्थानों से सिद्ध होते हैं। प्रश्न 27 - कौन से जीव सिद्ध हो सकते हैं? उत्तर - जीवों में केवल मनुष्य ही सिद्ध हो सकते हैं। प्रश्न 28 - जीवों में केवल मनुष्य ही सिद्ध बनने के अधिकारी क्यों? उत्तर - क्योंकि केवल मनुष्य ही पूर्ण संयम धारण करके सम्पूर्ण कर्मों का नाश करके सिद्ध बन सकते हैं। प्रश्न 29 - क्या सभी मनुष्य सिद्ध बन सकते हैं? उत्तर - केवल आर्यखण्ड में जन्में आर्य मनुष्य सिद्ध बन सकते हैं। प्रश्न 30 - कौन से काल में मनुष्य सिद्ध बन सकते हैं? उत्तर - केवल कर्मकाल जो दुःखमा नाम का चतुर्थ काल होता है उसमें ही मनुष्य सिद्ध बन सकते हैं। प्रश्न 31 - मनुष्य, पुरूष, नपुंसक स्त्री के भेद से तीन प्रकार के होते हैं क्योंकि तीनों प्रकार के मनुष्य सिद्ध बनते हैं? उत्तर - द्रव्य वेद (लिंग) से केवल पुरूष मनुष्य ही सिद्ध बन सकते हैं। स्त्री नपुंसक मनुष्य नहीं। प्रश्न 32 - भाव लिंग से कौन से मनुष्य सिद्ध बन सकते है? उत्तर - भाव लिंग से स्त्रिी पुरूष नपुंसक तीनों वेद वाले मनुष्य सिद्ध बन सकते हैं। प्रश्न 33 - भगवान आदिनाथ कौन-से काल में सिद्ध बने? उत्तर - भगवान आदिनाथ तो तीसरे काल में जन्म लेकर तीसरे काल में ही सिद्ध हो गये थे। प्रश्न 34 - क्या पंचम काल में भी मनुष्य सिद्ध बन सकते हैंत्र उत्तर - पंचम काल में कोई भी मनुष्य सिद्ध नहीं बनते हैं, किंतु चतुर्थ काल में जन्म लेकर पंचम काल में मोक्ष जा सकते हैं।
प्रश्न 35 - कुछ उन स्थानों के नाम बताइये जहां से जीव मोक्ष जाते हैं। उत्तर - जल, थल, आकाश, कंदरा, गुफा, पर्वत, नगर, तालाब आदि। प्रश्न 36 - जल से जीव मोक्ष कैसे जा सकते हैं? उत्तर - तप करते हुए मुनि को केाई पूर्व भव का शत्रू उठाकर यदि नदी, समुद्र तालाब आदि में डाल दे और वहां समस्त कर्मों की निर्जरा हो जाये तो वे जल से मोक्ष चले जाते हैं। प्रश्न 37 - आकाश से जीव किस प्रकार सिद्ध होते हैं? उत्तर - पूर्वोक्त विधि से तप करते हुए मुनि को कोई उठाकर ले जाये और ऊपर छोड़ दे यदि सम्पूर्ण कर्मों की निर्जरा हो जाये तो वे आकाश से ही मोक्ष चले जाते हैं। प्रश्न 38 - ढाई द्वीप कौन से हैं? उत्तर - जम्बूद्वीप, धातकी खंड तथा आधा पुष्करवर द्वीप इन्हें मिलाकर ढाई द्वीप कहे जाते हैं। प्रश्न 39 - मनुष्य किस प्रकार से सिद्ध होते हैं? उत्तर - कुछ मनुष्य उपसर्ग से सिद्ध होते हैं तथा कुछ मनुष्य बिना उपसर्ग के सिद्ध होते हैं। प्रश्न 40 - गणुव्रत तथा महाव्रत धारण करने वालों में कौन -से मनुष्य सिद्ध होते हैं। उत्तर - केवल महाव्रती ही सिद्ध होते हैं। jain temple94 प्रश्न 41 - ध्यानों में कौन से ध्यान को धारण करने वाले जीव सिद्ध होते हैं। उत्तर - केवल शुक्ल ध्यान को धारण कर कर्म नष्ट करने वाले सिद्ध बनते हैं। प्रश्न 42 - कौन से चरित्र को धारण करने वाले जीव सिद्ध होते हैं? उत्तर - पंचम यथाख्यात नामक चारित्र को धारण करने वाले जीव सिद्ध बनते हैं। प्रश्न 43 - कौन से गुण स्थानवर्ती जीव सिद्ध होते हैं? उत्तर - तेरहवें चैदहवें गुणस्थानवर्ती जीव सिद्ध बनते हैं। प्रश्न 44 - किन कर्मों को नष्ट करने पर सिद्ध बनते हैं? उत्तर - समस्त कर्मांशों को नष्ट करने पर सिद्ध बनते हैं। प्रश्न 45 - कितने कर्मों को नष्ट करने पर सिद्ध बनने की योग्यता होती है? उत्तर - चार घातियां कर्मों को नष्ट करने पर सिद्ध बनने की योग्यता हो जाती है। चार घातिया कर्मों के नष्ट हो जाने पर केवल ज्ञान हो जाता है। केवल ज्ञान होने पर भाव मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। ये केवलज्ञानी ही समस्त कर्मों से दूटकर मुक्त हो जाते हैं। प्रश्न 46 - कर्मों की कितनी प्रकृतियां नष्ट होने पर मुक्त होने की योग्यता होती है? उत्तर - कर्मों की 63 (तरेसठ) प्रकृतियां नष्ट होने पर मुक्त पद प्राप्त करने की योग्यता होती है। प्रश्न 47 - जीवन मुक्त जीव को कितने कर्म तथा कर्मों की कितनी प्रकृर्तियां नष्ट होती हैं? उत्तर - जीवन मुक्त जीव अर्थात अरिहंत भगवान के चार घातिया कर्म तथा त्रेसठ प्रकृतियां नष्ट होती हैं। प्रश्न 48 - जीवों के सिद्ध बनने में क्या अंतर है? उत्तर - कोई जीव तीर्थंकर बनकर सिद्ध होते हैं तथा कोई जीव बिना तीर्थंकर बने केवली, मूक केवली बनकर सिद्ध बन जाते हैं। प्रश्न 49 - तीर्थंकर तथा केवली में क्या अंतर है? उत्तर - सभी केवली तीर्थकर नहीं होते, सभी तीर्थंकर केवली होते हैं। तीर्थंकरों का समवसरण बनता है, केवलियों की गंध कुटी, तीर्थंकरों के कल्याणक देव मानते हैं। केवललियों के पंच कल्याणकादि तीर्थंकरों की भांति नहीं होते हैं। सामान्य केवली के जन्म समय अतिश्य नहीं होते हैं।
प्रश्न 50 - तीर्थंकर तथा सामान्य केवली को उदाहरण द्वारा बताइये। उत्तर - भगवान बाहुबली, भरत, राम, हनुमान आदि केवली तो थे किन्तु तीर्थंकर नहीं थे। प्रश्न 51 - केवली तथा मुक्त केवली में क्या अंतर है? उत्तर - सभी केवलियों की दिव्य ध्वनि खिरती है जबकि मूक केवलियों की दिव्य ध्वनि नहीं खिरती है। jain temple95 प्रश्न 52 - केवली को सिद्ध बनने के लिए कितना समय लगता है? उत्तर - पंचलक्षर उच्चारण के बाराबर समय लगता है। प्रश्न 53 - वे पंचलब्धक्षर कौन - से हैं? उत्तर - अ इ उ ऋ लृ प्रश्न 54 - कर्मनष्ट करके सिद्ध कहां जाते हैं? उत्तर - लोक अग्र भाग पर। प्रश्न 55 - जीव सिद्ध होकर अग्र भाग से ऊपर क्यों नहीं जाते? उत्तर - जीव व पुद्गलों की गति धर्मास्तिकाय के कारण से होती है लोक के अग्रभाग से ऊपर धर्मास्तिकाय द्रव्य नहीं है। प्रश्न 56 - मुक्त जीव मध्य लोक के ढाई द्वीप से ऊपर ही क्यों जाते हैं नीचे क्यों नहीं? उत्तर - मुक्त जीव का स्वभाव ऊपर जाने का ही है इसीलिए। प्रश्न 57 - मुक्त जीव के उध्र्व गमन के लिए आचार्यों ने क्या उदाहरण लिया है? उत्तर - ऐरण्ड बीज का, अग्नि शिखा का कुम्हार के चक्र का। प्रश्न 58 - समुदघात् सिद्ध किन्हें कहते है? उत्तर - जो मुनि मुक्ति जाने से पूर्व केवली समुदघात् करते हैं, उन्हें समुघात् सिद्ध कहते हैं। प्रश्न 59 - केवली समुदघात् सिद्ध किन्हें कहते है? उत्तर - जिन केवलियों की आत्मा में कर्मों की सत्ता अधिक है आयु कर्म कम तो दोनों को बराबर करने के लिए जो समुदघात् किया जाता है उसे केवली समुदघात् कहते हैं। प्रश्न 60 - समुदघात् क्या है? उत्तर - आत्मा के प्रदेशों का मूल शरीर को छोड़े बिना बाहर निकलना समुदघात् कहलात है। प्रश्न 61 - तीर्थंकर के निर्वाण क्षेत्रों को छोड़ अन्य पांच सिर क्षेत्रों के नाम बताओं। उत्तर - सोनागिर, बड़बानी, मांगीतुंगी, मथुरा, द्रोणगिरि। प्रश्न 62 - सिद्ध क्षेत्र किसे कहते हैं? उत्तर - जिस स्थान से जीव मोक्ष जाते हैं, सिद्ध होते हैं उस स्थाान को सिद्ध क्षेत्र कहते हैं। प्रश्न 63 - सम्मेदशिखर को छोड़कर प्रचलित अन्य सिद्ध क्षेत्रों के नाम बताइये। उत्तर - (1) कैलाश पर्वत, (2) गिरानार जी (3) पावापुरी (4) गजपंथजी, (5) तारवर नगर (6) पावागिरि (7) शत्रुंजय (8) मांगीतुंगी (9) सोनागिरजी (10) रेवानदी तट (11) सिद्धवर कूट (12) बड़ानी नगर (13) पावागिरि नगर (14) द्रोणागिरि (15) मुक्ता गिरि (मेढ़गिरि), (16) कुंथुलगिरि (17) कलिंगदेश (कोटिशिला), (18) रेशंदीगिरि (19) जम्बूवन (चैरासी मथुरा) jain temple96 प्रश्न 64 - कैलाश पर्वत से कौन-कौन से मोक्ष हैं? उत्तर - कैलाश पर्वत से, भगवान आदिनाथ, भरत बाहुबली आदि 10 हजार मुनि मोक्ष गये हैं
प्रश्न 65 - चंपापुरी - से कितने मुनि मोक्ष गये हैं? उत्तर - चंपापुरी से श्री वासुपूज्य भगवान तथा छः सौ मुनि मोक्ष गये हैं। प्रश्न 66 - गिरिनार जी से श्री नेमिनाथ भगवान को छोड़कर कौन-कौन से भव्य जीव मोक्ष गये हैं? उत्तर - प्रद्मुनकुमार, शम्भु, अनिरूद्ध आदि बहत्तर करोड़ सात सौ मुनि मोक्ष गये हैं। प्रश्न 67 - गजपंथा जी सिद्ध क्षेत्र की विशेषता बताइये। उत्तर - गजपंथा सिद्ध क्षेत्र से श्री बलभद्र यादव नरेन्द्रादि सात आठ करोड़ मुनि मोक्ष गये हैं। प्रश्न 68 - तारवर नगर से कौन से मुनि मोक्ष को गये हैं? उत्तर - तारवर नगर से, धरदत्त, वरांग, सागरदत्त आदि साड़े तीन करोड़ मुनि मोक्ष गये हैं। प्रश्न 69 - पावागिरि से कौन से मुनि मोक्ष गये हैं? उत्तर - पावागिरि से रामचन्द्र के दो पुत्र लाडनृपादि एवं पांच करोड़ मुनि मोक्ष गये हैं। प्रश्न 70 - शत्रुजय पर्वत से कितने मुनि मोक्ष गये हैं? उत्तर - शत्रुंजय पर्वत से तीन पांडु पुत्र युधिष्ठर, भीम, अर्जुन द्रविड राजादि आठ करोड़ मुनि मोक्ष गये हैं। प्रश्न 71 - मांगीतुंगी सिद्धक्षेत्र से कौन से प्रसिद्ध महानुभाव मोक्ष गये हैं? उत्तर - मांगीतुंग सिद्ध क्षेत्र से श्रीराम, हनुमान, सुग्रीव, गव, गवाक्ष, नील, बहानील आदि निन्यानवे करोड़ मुनि मोक्ष गये हैं। प्रश्न 72 - सोनागिर सिद्ध क्षेत्र से कौन से मुनि मोक्ष गये हैं? उत्तर - सोनागिर सिद्ध क्षे. से नंग अनंग कुमार मुनि सहित साड़े पांच करोड़ भव्य जीव मोक्ष गये हैं। प्रश्न 73 - रेवातट सिद्ध क्षेत्र से कितने मुनि मोक्ष गये हैं? उत्तर - रेवातट सिद्ध क्षेत्र से दशमुखनृपति पुत्र एवं साड़े पांच करोड़ मुनि मोक्ष् गये हैं। प्रश्न 74 - सिद्धवर कूट से कौन से मुनि मोक्ष गये हैं? उत्तर - सिद्धवर कूट सिद्ध क्षेत्र से दो चक्रीश तथा दस कामदेव सहित साड़े तीन करोड़ मुनि मोंक्ष गये हैं। प्रश्न 75 - बड़वानी सिद्ध क्षेत्र से कोन-से मोक्ष गये हैं? उत्तर - बड़बानी सिद्ध क्षेत्र से इन्द्रजीत और कुम्भकरण मुनि मोक्ष गये हैं। प्रश्न 76 - पावागिरिनगर सिद्ध क्षेत्र से कौन से मुनि मोक्ष गये हैं? उत्तर - पावागिरि नगर सिद्ध क्षेत्र से सुवर्णभद्र मुनि मोक्ष गये हैं। प्रश्न 77 - द्रोण गिरि सिद्ध क्षेत्र से कौन से भव्य जीव सिद्ध हुए हैं? उत्तर - द्रोण गिरि सिद्ध क्षेत्र से गुरूदत्तादि मुनिगण सिद्ध हुए हैं। प्रश्न 78 - अष्टापद गिरि से कौन-से दो मुनि सिद्ध होकर प्रसिद्ध हुए हैं? उत्तर - अष्टापद गिरि से बालि महाबलि नाम के मुनि सिद्ध हुए हैं। प्रश्न 79 - मुक्ता गिरि से कितने मुनियों ने सिद्ध पद को प्राप्त किया है? उत्तर - मुक्ता गिरि से साड़े तीन करोड़ मुनियों ने सिद्ध पद को प्राप्त किया है
प्रश्न 80 - मुक्ता गिरि का दूसरा नाम क्या है? उत्तर - मुक्ता गिरि का दूसरा नाम मेढ़ागिरि है। प्रश्न 81 - कुंथलगिरि से कौन से मुनि सिद्ध हुए हैं? उत्तर - कुंथलगिरि से साडद्ये तीन करोड़ मुनि सिद्ध हुए हैं। jain temple98 प्रश्न 82 - कलिंग देश कोटि शिला से कौन से मुनि सिद्ध हुए हैं? उत्तर - कलिंग देश कोटिशिला से दशरथ राजा के पुत्र तथा पांच सौ मुनि सिद्ध हुए हैं। प्रश्न 83 - रेशंदी सिद्ध क्षेत्र से कौन-से मुनियों ने मुक्त पद प्राप्त किया है? उत्तर - रेशंदी गिरि सिद्ध क्षेत्र से वरदत्तादि पांच मुनि मोक्ष गये हैं। प्रश्न 84 - जम्बूवन (मथुरा चैरासी) से कौन मोक्ष गये हैं? उत्तर - जम्बूवन मथुरा चैरासी से जम्बूस्वामी मोक्ष गये हैं। प्रश्न 85 - इस हुंडावसर्पिणी काल के कर्मयुग में सर्वप्रथम मोक्ष प्राप्त करने वाले कौन थे? उत्तर - अनंतवीर्य केवली। प्रश्न 86 - चतुर्थ काल के अंत में मोक्ष प्राप्त करने वाले कौन थे? उत्तर - जम्बूस्वामी। प्रश्न 87 - सबसे बड़े सिद्ध क्षेत्र का क्या नाम है? उत्तर - श्री सम्मेद शिखर सिद्ध क्षेत्र। प्रश्न 88 - सम्मेद शिखर सिद्ध क्षेत्र की क्या महत्ता है? उत्तर - सम्मेद शिखर सिद्ध क्षेत्र की महत्ता निम्न प्रकार है- एक बार वंदे जो कोई ताहि नरक पशु गति न होई।। अर्थात् जो एक बार सम्मेद शिखर सिद्ध क्षेत्र की वंदना कर लेता है वह निश्चय ही भव्य है उसे नरक और पशुगति में नहीं जाना पड़ता है। उसकी निश्चित ही मनुष्य एवं देवगति होती है। प्रश्न 89 - सम्मेद शिखर सिद्ध क्षेत्र के कूटों के नाम बताइये। jain temple99 उत्तर - नाम इस प्रकार हैं- 1 - सिद्धवर कूट 2 - धवल कूट 3 - आनंद कूट 4 - अविचल कूट 5 - मोहन कूट 6 - प्रभास कूट 7 - ललित कूट 8 - सुप्रभ कूट 9 - विद्युतवर कूट 10 - संकुल कूट 11 - सुवीर कूट 12 - स्वयंभू कूट 13 - सुदत्त कूट 14 - कुंदप्रभ कूट 15 - ज्ञानधर कूट 16 - नाटक कूट 17 - संबल कूट 18 - निरजर कूट 19 - मित्रधर कूट 20 - सुवर्णभद्र कूट 21 - आदिनाथ भगवान की टौंक 22 - वासुपूज्य भगवान की टौंक 23 - नेमिनाथ भगवान की टौंक 24 - महावीर की टौंक 25 - गणधर कूट
प्रश्न 90 - सिद्धवर कूट से कुल कितने मुनि मोक्ष गये हैं? उत्तर - इस कूट एक अरब अस्सी करोड़ चउवन लाख मुनि मोक्ष गये हैं? प्रश्न 91 - सिद्धवर कूट की वंदना से क्या फल मिलता है? उत्तर - सिद्धवर कूट की वंदना से बत्तीस करो़ उपवास का फल मिलता है। प्रश्न 92 - धवल कूट से कितने मुनि मोक्ष गये हैं? उत्तर - धवल कूट से नौ कोड़ा-कोडि़ बहत्तर लाख बियालिस हजार पांच सौ मुनि मोक्ष गये हैं।
प्रश्न 93 - धवल कूअ की वंदना से क्या फल मिलता है? उत्तर - धवल कूअ की वंदना से ब्यालिस लाख उपवास का फल मिलता है।
प्रश्न 94 - आनन्द कूट से कितने मुनि मोक्ष गये हें? उत्तर - धवल कूट की वंदना से ब्यालिस लाख उपवास का फल मिलता है।
प्रश्न 95 - आनंद कूट से कितने मुनि मोक्ष गये हैं?
उत्तर - आनन्द कूट से बहत्तर कोड़ाकोडि़ सत्तर करोड़ सत्तर लाख ब्यालिस हजार सात सै मुनि मोक्ष गये हैं।
प्रश्न 96 - आनंद कूट की वंदना से क्या फल मिलता है?
उत्तर - आनंद कूट की वंदना से एक लाख उपवास का फल मिलता है।
प्रश्न 97 - अविचल कूट से कितने मुनि मोक्ष गये हैं?
उत्तर - अविचल कूट से एक कोड़ाकोडि़ चैरासी करोड़ बहत्तर लाख इक्यासी हजार, सात सौ इक्यासी मुनि मोक्ष गये हैं।
प्रश्न 98 - अविचल कूट की वंदना का फल बताइये।
उत्तर - अविचल कूट की वंदना से, एक करोड़ बत्तीस लाख उपवास का फल मिलता है।
प्रश्न 99 - मोहन कूट से कितने मुनि मोक्ष गये हैं?
उत्तर - मोहन कूट से निन्यानवे करोड़ सत्तासी लाख तितालीस हजार सात सौ सत्ताइस मुनि मोक्ष गये हैं।
प्रश्न 100 - मोहन कूट की वंदना से क्या फल मिलता है? उत्तर - मोहन कूट की वंदना से एक करोड़ उपवास का फल मिलता है?
प्रश्न 101 - प्रभास कूट से कितने मुनि मोक्ष पधारे हैं? उत्तर - प्रभास कूट से उन्वास कोड़ाकोडि़ चैरासी करोड़ बत्तीस लाख सात हजार सात सौन मुनि मोक्ष पधारे हैं। प्रश्न 102 - प्रभास कूट की वंदना का फल बताइये।
उत्तर - प्रभास कूट की वंदना से, बत्तीस करोड़ उपवास का फल मिलता है।
प्रश्न 103 - ललित कूट से कितने मुनि मोक्ष गये हैं?
उत्तर - ललित कूट से नौ सौ चैरासी अरब बहत्तर करोड़ उस्सीलाख, चैरासी हजार, पांच सौ, पंचानवे मुनि मोक्ष गये हैं।
प्रश्न 104 - ललित कूट की वंदना का फल बताइये।
उत्तर - ललित कूट की वंदना से छियानवे लाख उपवास का फल मिलता है।
प्रश्न 105 - सुप्रभ कूट से कितने मुनिराज सिद्ध पद को प्राप्त हुये हैं?
उत्तर - आठवें सुप्रभ कूट से एक कोड़ा-कोडि़ निन्यानवे लाख सात हजार चार सौ अस्सी मुनि सिद्ध पद को प्राप्त हुए हैं।
प्रश्न 106 - सुप्रभ कूट की वंदना से क्या फल प्राप्त होता है?
उत्तर - सुप्रभ कूट की वंदना से एक करोड़ उपवास का फल मिलता है।
प्रश्न 107 - विद्युतवर कूअ की वंदना से कितने उपवासों का फल प्राप्त होता है।
उत्तर - विद्युतवर कूअ की वंदना से एक करोड़ उपवासों का फल मिलता है।
प्रश्न 108 - संकुल कूट से कितने मुनियों ने सिद्ध धाम को प्राप्त किया है?
उत्तर - संकुल कूट से छियानवे कोड़-कोडि़ छियानवे करोड़ छियानवे लाख नौ हजार पांच सौ ब्यालिस मुनियों ने सिद्ध धाम को प्राप्त किया है।
प्रश्न 109 - संकुल कूट की वंदना से कितने उपवासों का फल मिलता है?
उत्तर - संकुल कूट की वंदना से एक करोड़ उपवास का फल मिलता है।
प्रश्न 110 - ग्यारवें सुवीर कूट से कितने मुनि मोक्ष पधारे हैं?
उत्तर - ग्यारवें सुवीर कूट से सत्तर कोड़ा-कोडि़ साठ लाख छः हजार सात सौ ब्यालिस मुनि मोक्ष पधारे हैं।
प्रश्न 111 - सुवीर कूट की वंदना से कितने उपवासों का फल मिलता है?
उत्तर - सुवीर कूट की वंदना से एक करोड़ उपवास का फल मिलता है।
प्रश्न 112 - बारवें स्वयंभू कूट से कितने मुनि मोक्ष पधारे हैं?
उत्तर - स्वयंभू कूट से छियानवे कोड़ा-कोडि़ सत्तर करोड़ सत्तर लाख, सत्तर हजार, सात सौ, मुनि मोक्ष पधारे हैं। प्रश्न 113 - स्वयं-भू कूट की वंदना से क्या फल प्राप्त होता है?
उत्तर - स्वयं-भू कूट की वंदना से नौ करोड़ उपवास का फल प्राप्त होता है।
प्रश्न 114 - तेरहवे सुदत्त कूट से कितने मुनि सिद्ध हुए है? उत्तर - तेरहवें कूट से उनत्तिस कोड़-कोडि़ उन्नीस करोड़ नौ लाख, नौ हजार, सात सौ पन्चानवें दिगम्बर साधु सिद्ध हुए हैं।
प्रश्न 115 - सुदत्त कूट की वंदना से कितने उपवासों का फल मिलता है?
उत्तर - सुदत्त कूट की वंदना से एक करोड़ उपवास का फल मिलता है।
प्रश्न 116 - कुंदप्रभु कूअ से कितने मुनि सिद्ध पद को प्राप्त हुए।
उत्तर - कुंद प्रभ कूट से नौ कोड़ाकोडि़ नौ लाख नौ सौ निन्यानवे मुनि सिद्ध पद को प्राप्त हुए हैं।
प्रश्न 117 - इस कूट की वंदना से कितने उपवासों का फल मिलता है?
उत्तर - इस कूट की वंदना से एक करोड़ उपवास का फल मिलता है।
प्रश्न 118 - ज्ञानधर कूट से कितने मुनियों ने शिव धाम को प्राप्त किया है?
उत्तर - ज्ञानधर कूट से छियानवे कोड़-कोडि़ छियालिस करोड़ बत्तीस लाख छियानवे हजार सात सौ ब्यालिस मुनियों ने शिव पद प्राप्त किया है।
प्रश्न 119 - ज्ञानधर कॅअ की वंदना से क्या फल मिलता है?
उत्तर - इस कूअ की वंदना से एक करोड़ उपवास का फल मिलता है।
प्रश्न 120 - नाटक कूट से कितने मुनिराजों ने सिद्ध पद प्राप्त किया है?
उत्तर - नाटक कूट से निन्यानवे करोड़ निन्यानवे लाख नौ सौ निन्यानवें मुनिराजों ने सिद्ध पद प्राप्त किया है।
प्रश्न 121 - नाटक कूट की वंदना से क्या फल मिलता है?
उत्तर - नाटक कूट की वंदना से छियानवे करोड़ उपवासों का फल मिलता है।
jain temple101
प्रश्न 122 - संबल कूट से कितने मुनियों ने सिद्ध पद प्राप्त किया है।
उत्तर - संबल कूट से छियानवे करोड़ मुनियों ने सिद्ध पद प्राप्त किया है।
प्रश्न 123 - संबल कूट की वंदना का फल बताइये।
उत्तर - संबल कूट की वंदना से एक करोड़ प्रोषधोपवासों का फल मिलता है।
प्रश्न 124 - निरजर कूट से कितने मुनियों ने निर्वाण को प्राप्त किया है?
उत्तर - निरजर कूट से निन्यानवे कोड़ा-कोडि़ सत्यान्वे करोड़ नौ लाख नौ सौ निन्यानवे महामुनियों ने निर्वाण को प्राप्त किया।
प्रश्न 125 - निरजर कूट की वंदना का फल बताइये।
उत्तर - निरजर कूट की वंदना से एक करोड़ प्रोषधोपवासों का फल मिलता है।
प्रश्न 126 - मित्रधर कूट से कितने ऋषि निर्वाण धाम को प्राप्त हुए हैं?
उत्तर - मित्रधर कूट से नौ सौ कोड़ाकोडि़ एक अरब पैंतालिस लाख सात हजार नो सौ मुनि निर्वाण धाम को प्राप्त हुए हैं।
प्रश्न 127 - मित्रधर कूट की वंदना का क्या फल मिलता है?
उत्तर - मित्रधर कूअ की वंदना से एक करोड़ उपवास का फल मिलता है।
प्रश्न 128 - स्वर्णभद्र कूट से कितने महामुनि मोक्ष गये हैं? उत्तर - स्वर्णभद्र कूट से ब्यासी करोड़ चैरासी लाख पैंतालिस हजार सात सौ ब्यालिस महामुनि कर्म नाश कर मोक्ष गये हैं।
प्रश्न 129 - स्वर्ण कूट की वंदना से क्या फल मिलता है? उत्तर - इस कूट की वंदना से सोलह करोड़ उपवासों का फल मिलता है।
प्रश्न 130 - गणधर कूट की क्या विशेषता है?
उत्तर - गणधर कूट से गौतम आदि गणधर मोक्ष गये हैं। प्रश्न 131 - सम्मेद शिखर से कितने तीर्थंकरों ने सिद्ध पद प्राप्त किया है?
उत्तर - सम्मेद शिखर से अनंतानंत चैबीस तीर्थंकरों ने सिद्ध पद प्राप्त किया है। सभी तीर्थंकर इसी स्थान से मोक्ष जाते हैं।
टापिक 🙏🏿सिद्ध🙏🏿
1 सिद्ध भगवान् कहाँ रहते है❓
🅰 लोक के अग्र भाग पर
2सिद्ध क्षेत्र कहाँ है❓
🅰2 सिद्ध शीला से लगभग एक योजन ऊपर
3 सिद्ध शिला और लोकांत के बीच कितना अंतर है❓
🅰3 एक योजन का
4 सिद्ध जी में कितने शरीर होते है❓
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*पारस प्रश्नमंच*
*विषय =सिद्ध भगवान*
🅿️1) सिद्ध किसे कहते हैं?
🅰️ जिन्होंने 8 कर्मो का क्षय कर दिया। या जिन्होने सम्पूर्ण कार्यों को सिद्ध कर लिया है।
🅿️ 2)सिद्ध भगवान संसारी है या मुक्त?
🅰️मुक्त
🅿️3) सिद्ध भगवान के शरीर कितने होते है?
🅰️ अशरीरी
🅿️ 4)सिद्ध भगवान के कितने भेद है?
🅰️ 15
🅿️ 5)सिद्ध भगवान के दृष्टि कितनी?
🅰️एक--सम्यकदृष्टि
🅿️ 6)उपयोग कितने
🅰️दो--केवलज्ञान व केवलदर्शन
🅿️7) प्राण कितने
🅰️ चार--भाव प्राण
🅿️8) गुण कितने
🅰️ 8
🅿️ 9)सिद्ध भगवान के गुणस्थान कितने
🅰️एक भी नहीं
🅿️ 10)सिद्ध भगवान सन्नी है या असन्नि?
🅰️नोसन्नी ,नोअसन्नी
🅰4 एक भी नही अशरीरी होते है
5 आँख नही फिर भी देखते है कौन❓
🅰5⃣सिद्ध भगवान ❗
🅿6⃣किसके आहार से भगवान महावीर को साता ( शाता ) की अनुभूति हुई⁉
🅰6⃣ रेवती गाथापत्नी ❗
🅿7⃣7-साधु बड़ी दीक्षा किस पाठ से लेते हैं?
🅰7⃣-"दशवैकालीक सूत्र" के चौथे अध्याय से।
🅿8⃣-साधु के 27 गुणों में मूलगुण और उत्तर गुण कौनसे हैं?
🅰8⃣5 महाव्रत मूलगुण।शेष 22 उत्तर गुण।
🅿9⃣-साधु के व्रत कितने कोटि के होते हैं?
🅰9⃣-9 कोटि से।
🅿1⃣0⃣कोटि का क्या मतलब?
🅰1⃣0⃣A-3 करण❌3 योग = 9 कोटि
🅿1⃣1⃣1-साधु के अनाचार और आशतनाएं कितनी है?
🅰1⃣1⃣52 अनाचार और 33 आशातनाएं।
🅿1⃣2⃣-साधु-साध्वी कितना हाथ कपड़ा रखते हैं?
🅰1⃣2⃣-साधु-72 हाथ / साध्वी-96 हाथ।
🅿1⃣3⃣-लोक में जगन्य और उत्कृष्ट साधु कितने?
🅰1⃣3⃣ज.2000करोड़/ उ-9000 करोड़
🅿1⃣4⃣साधु की स्तिथि कितनी है?
-🅰1⃣4⃣ज.एक समय / उ-देशोन करोड़ पूर्व।
🅿1⃣5⃣-साधु की अवगाहना कितनी होती हैं?
🅰 1⃣5⃣जगनंय दो
हाथ उत्कृष्ठ 500 धनुष❗
🅿1⃣6⃣तीर्थंकर की चिता का आकार कैसे होता है ❓
🅰1⃣6⃣गोलाकार
🅿1⃣7⃣दीक्षा लेने के बाद 14 पूर्व की स्मृति किसे हुई ❓
🅰1⃣7⃣तेतली पुत्र
🅿1⃣8⃣परीगृह संज्ञा किसमे अधिक है ❓
🅰1⃣8⃣देवता मे
🅿1⃣9⃣ मंत्री पद न स्वीकार मुनि पद किसने स्वीकारा ❓
🅰1⃣9⃣स्थूलिभद्र जी
🅿2⃣0⃣ संसार में काले से काला क्या?
🅰 2⃣0⃣कलंक ❗
🅿2⃣1⃣ दो हाथ की अवगाहना वाले सिद्ध कौन❓
🅰2⃣1⃣ कुर्मा पुत्र जी ❗
🅿2⃣2⃣ संसार में गरम से गर्म क्या?❓
🅰2⃣2⃣ क्रोध
🅿2⃣3⃣ संसार में ठंडे से ठंडा क्या?
🅰2⃣3⃣ क्षमा
🅿2⃣4⃣ पंडित की पहचान क्या?
🅰2⃣4⃣ पाप से डरने वाला
🅿2⃣5⃣ भगवान की पहचान क्या?
🅰2⃣5⃣ भव का अंत करने वाला
🅿2⃣6⃣ धर्म की उत्पत्ति कहां होती है?
🅰2⃣6⃣ सरल हृदय में
🅿2⃣7⃣ धर्म की हानि कहां होती है?
🅰2⃣7⃣ विषय कषाय सेवन में
🅿2⃣8⃣ सबसे बड़ा दुश्मन कौन?
🅰2⃣8⃣ दुराचार
🅿2⃣9⃣ धर्म की ऋद्धि कहां होती है?
🅰2⃣9⃣ सम्यक आराधना में
🅿3⃣0⃣ मनुष्य में महा पापी कौन?
🅰3⃣0⃣ व्रत प्रत्यख्यान भंग करने वाला❗✍🏽❗❗✍🏽
🅿3⃣2⃣ सिद्ध भगवान कितने है ❓❓
🅰3⃣2⃣अनन्त ❗
🅿3⃣3⃣ छटा आरा कितने साल वर्ष का है ❓❓
🅰3⃣3⃣21000 वर्ष
🅿3⃣4⃣ हम किनके शासन में रह रहे है ❓❓
🅰महावीर स्वामी जी के
🅿3⃣5⃣ महाविदेह क्षेत्र में को विराजमान है यानी विचरण कर रहे है ❓❓
🅰विहरमान जी
🅿1,सम्यक्तव की उत्कृष्ट आराधना से जीव को क्या मिलता है?
: 🅰1,उसी भव मे सिद्धत्व।
🅿2,सिद्ध बनने के लिए कौन 7वी नरक तक जा सकते है?🙏🏿
🅰2,केवली भगवंत🙏🏿
🅿3,सिद्ध भगवान ,सिद्ध शिला पर विराजमान है क्या?
🅰3,नही।लोक के अग्र भाग पर।
🅿4,सिद्ध प्रभु के पास कितनी आत्मा है?
🅰4,4आत्मा
🅿5,सिद्धात्मा के साथ कितनी आत्माए❓
🅰5,अंनत आत्माएॅ🙏🏿
🅿6,क्या श्री सिद्ध हिलते डुलतेहै?
🅰6,नही।
🅿7,पांच पदों मे संख्याता ,असंख्याता, अनंता कौन?
🅰7,अरिहंतजी-संख्याता,3,4,5,पद वाले असंख्याता ,सिद्ध-अनंता
🅿रेवती गाथापत्नी कौन सी सिद्ध होगी❓
🅰8,तीर्थंकर सिद्धा।
🅿9,5पदों मे जड(मूल) कौन ?
🅰9,जड-मुनिराज,फल-सिद्ध प्रभु🙏🏿
🅿10,सबसे बडे सिद्ध कौन?
🅰10,मरूदेवीमाता।
🅿11,सबसे छोटे सिद्ध कौन?
🅰11,कूर्मापुत्र जी
🅿12,सिद्धो का विशिष्ट गुण कौन सा।
🅰12,अविनाशी।
🅿13,सिद्धप्रभु मे संपूर्ण सुख है पर क्या नही है?
🅰13,पुण्य नही।
🅿14,किसकी मध्यम आराधना से जीव को तीसरे भव मे सिद्धत्व प्राप्त होताहै?
🅰15,सम्यक्तव की।😷
🅿16,सिद्ध हमारे पूजनीय क्यो है🙏🏿
🅰16, क्यूं कि,किन्ही एक परमात्मा के सिद्ध होने की कारण हम निगोद से व्यवहार राशी मे आये।🙏🏿🙏🏿🙏🏿
Q1️⃣ कौनसी गति वाले जीव सिद्ध हो सकते हैं?
🅰️ मनुष्य गति वाले जीव सिद्ध हो सकते हैं।
Q2️⃣ कौनसे ध्यान वाले जीव सिद्ध बन सकते है?
🅰️ शुक्ल ध्यान वाले जीव सिद्ध बन सकते हैं।
Q 3️⃣ किन कर्मों के नष्ट होने से जीव सिद्ध बन सकते हैं?
🅰️ अष्ट कर्म अर्थात समस्त कर्मों के नष्ट होने पर जीव सिद्ध बन सकता है।
Q4️⃣ आत्मा किस जाति और किस क़ाय से मोक्ष में जाती है?
🅰️आत्मा पंचेन्द्रिय(संज्ञी) और त्रस क़ाय से मोक्ष में जाती है।
Q 5️⃣तीर्थंकर सिद्ध किन्हें कहेंगे?
🅰️ जो भव्यात्मा तीर्थंकर पद भोग कर सिद्ध हुए हैं ,उन्हें तीर्थंकर सिद्ध कहेंगे।
Q6️⃣ तीर्थ सिद्धा किन्हें कहेंगे?
🅰️ जो भव्य आत्मा चतुर्विध संघ की स्थापना के बाद सिद्ध हुए उन्हें तीर्थ सिद्धा कहेंगे।
Q7️⃣ जो भव्य आत्मा तीर्थ की स्थापना से पहले या तीर्थ विच्छेद के बाद सिद्ध हुए उन्हें कौनसे सिद्ध कहेंगे?
🅰️ अतीर्थ सिद्धा
Q 8️⃣ जो भव्य आत्मा जातिस्मरण ज्ञान होने से स्वयं का पूर्वभव जानकर बिना गुरु के दीक्षा लेकर सिद्ध हुए हैं ,वे कौनसे सिद्ध कहलाते हैं?
🅰️ स्वयं बुद्ध सिद्धा
Q9️⃣ वर्तमान चौवीसी में प्रथम स्त्रीलिंग सिद्ध कौन हुए हैं?
🅰️ मरुदेवी माता जी
Q1️⃣0️⃣ वर्तमान चौवीसी में स्त्रीलिंग तीर्थंकर सिद्ध कौन हुए हैं?
🅰️ मल्लीनाथ जी
Q1️⃣1️⃣ भरत क्षेत्र में जब मल्लीनाथ जी स्त्रीलिंग तीर्थंकर हुए तब ऐरावत क्षेत्र में कौनसे स्त्रीलिंग सिद्ध हुए हैं?
🅰️ मरूदेवा जी
Q1️⃣1️⃣ अन्य धर्मावलम्बी भव्य आत्मा विभंग अवधिज्ञान को पाकर परिणाम बदल जाने पर केवलज्ञानी बन जाएं और धर्म बदले बिना ही सिद्ध बन जाएं तो उन्हें कौनसे सिद्ध कहेंगे?
🅰️ आयलिंग सिद्ध
Q1️⃣2️⃣ अढ़ाई द्वीप और सिद्धशिला में क्या समानता है?
🅰️ दोनों ही 45 लाख योजन लम्बे-चौड़े हैं।
Q1️⃣3️⃣ एक सिद्ध से क्या आशय है?
🅰️ एक समय मे एक ही आत्मा सिद्ध गति को प्राप्त हो।
Q1️⃣4️⃣ संसार और मोक्ष में एक जैसा क्या है?
🅰️ केवल ज्ञान और केवल दर्शन
Q1️⃣5️⃣ हम पांचों भाई एक साथ सिद्ध हुए?
🅰️ पांडव
Q 1️⃣6️⃣ मैं अरिहंत जी के दर्शन को गई और सिद्ध बन गई?
🅰️ मरुदेवी माता जी
Q1️⃣7️⃣ मेरे सिद्ध बनने के बाद भरत क्षेत्र से अभी तक कोई मोक्ष नहीं गए?
🅰️ जम्बूस्वामी जी
Q1️⃣8️⃣ हम सभी भाई -बहन अभी सिद्धालय में है?
🅰️ ऋषभदेव प्रभु के अंगजात
🅿17,सिद्ध भगवान की आशातना किसने की?
🅰17,अभीचि कुमार ने।
🅿18,एक सिद्ध( केवली भगवंत) ,जिनका नाम 800 चौबीस तक रहेगा? 🙏🏾
🅰18,चंद्र केवली जी।
🅿19,भाषक सिद्ध कौन है?
🅰19,अरिहंत परमात्मा।
🅿20,सिद्धात्मा का गमन कौन सा गमन कहलाता है?
🅰20,उर्ध्वगमन
🅿21,सिद्धालय किसका नाम है?
🅰21,सिद्धशिला का।
🅿22,सिद्ध शिला के और कितने नाम है?
🅰22,और 11नाम है।
🅿23,सिद्ध प्रभु की मध्यम अवगाहना कितनी?
🅰24, 4हाथ 16 अंगुल
🅿25,किस सूत्र मे अरिहंत व सिद्ध दोनो की स्तुति की गई?
🅰26(,लोगस्स )चतुर्विंशतिस्त्व सूत्रमे।
🅿27,मानतुंगाचार्य जी ने किस श्लोक मे सिद्ध प्रभु की अनेक नाम व उपमाओ से स्तुति की?
🅰27,त्वामव्ययं,,,,,26वे श्लोक मे
🅿28,सिद्ध होने की रीति को किस फल के बीज स्वरूप कहा गया है?
🅰28,एरंड फल के फटने पर भीतर से ऊपर की और उछलते हुए बीज के समान।🙏🏾🙏🏾🙏🏾
🅿29,क्याहम सब सिद्ध होना चाहते है? तो हम सबको को एक काम तुरंत करना होगा?
Q 1️⃣9️⃣ नवपद ओली जी की आराधना कितने दिन तक की जाती है?
🅰️ 9 दिन तक
Q 2️⃣0️⃣ आज नवपद ओली जी का कौनसा दिन है?और आज किस पद की आराधना की गई?
🅰️ दूसरे दिन नवपद ओली जी के द्वितीय दिन सिद्ध प्रभु की आराधना की गई।
Q 2️⃣1️⃣ दूसरे दिन के आयम्बिल का वर्ण क्या है?
🅰️ लाल
शाश्वत घर में कौन रहते हैं ?
सिद्ध
🅿️2️⃣4️⃣ सिद्ध भगवान के शरीर नहीं फिर अवगाहना किसकी ?
🅰️ आत्म प्रदेशों की
🅿️2️⃣5️⃣ सिद्ध बनने वाली आत्मा का अंतिम रण कौनसा होता हैं ?
🅰️ मरण
🅿️2️⃣6️⃣ अभी पाँचवी गति कहाँ खुली हैं?
🅰️ महाविदेह क्षेत्र में
🅿️2️⃣7️⃣ सिद्ध शिला का आकार कैसा हैं?
🅰️ उल्टे छत्र के समान
🅿️2️⃣8️⃣ सिद्ध भगवान को भूख क्यो नही लगती हैं ?
🅰️ वेदनीय कर्म क्षय हो चुका है
🅿️2️⃣9️⃣ कौनसा मनुष्य सिद्ध बन सकता है ?
🅰️ कर्म भूमि संज्ञी मनुष्य
🅿️1️⃣ दूसरे पद में किसको नमन किया गया है?
🅰️ सिद्ध भगवन्तो को
🅿️2️⃣ सिद्ध भगवान कितने हैं ?
🅰️ अनन्ता अनन्त
🅿️3️⃣ सिद्ध किसे कहते हैं ?
🅰️ जिन्होंने 8 कर्मो का क्षय कर दिया।
🅿️4️⃣ सिद्ध भगवान कहाँ रहते हैं?
🅰️ लोक के अग्र भाग पर
🅿️5️⃣ सिद्ध क्षेत्र कहाँ है ?
🅰️ सिद्ध शिला से लगभग एक योजन ऊपर
🅿️6️⃣ सिद्ध शिला और लोकान्त के बीच कितना अन्तर है ?
🅰️ एक योजन का
🅿️7️⃣ सिद्ध भगवान शरीर को कहाँ त्यागते हैं ?
🅰️ तिरछा आदि लोक में
🅿️8️⃣ सिद्ध भगवान में कितने शरीर पाये जाते हैं ?
🅰️ एक भी नहीं अशरीरी है
🅿️9️⃣ सिद्ध भगवान में कितनी कषाय होती हैं ?
🅰️ अकषायी हैं
1️⃣0️⃣ सिद्ध भगवान की जघन्य अवगाहना कितनी है ?
🅰️ 1 हाथ 8 अंगुल
🅿️1️⃣1️⃣ सिद्ध भगवान की मध्यम,उत्कृष्ट अवगाहना कितनी है ?
🅰️ मध्यम 4 हाथ 16 अंगुल,
उत्कृष्ट 333 धनुष 32 अंगुल
🅿️1️⃣2️⃣ कम से कम कितनी अवगाहना वाले मोक्ष गये ?
🅰️ दो हाथ की अवगाहना
🅿️1️⃣3️⃣ दो हाथ की अवगाहना वाले कौन मोक्ष गये ?
🅰️ कर्मा पुत्र
🅿️1️⃣4️⃣ उत्कृष्ट 500 धनुष की अवगाहना वाले मोक्ष कौन गये?
🅰️ भगवान ऋषभदेव आदि
🅿️1️⃣5️⃣ यहाँ से 500 धनुष की अवगाहना सिद्ध क्षेत्र में जाकर कितनी हो जाती हैं?
🅰️ 333 धनुष 32 अंगुल
🅿️1️⃣6️⃣ भगवान ऋषभदेव के साथ 1 समय में कितने सिद्ध हुए?
🅰️ 108
🅿️1️⃣7️⃣ इस अवसर्पिणी काल में सर्व प्रथम मुक्ति द्वार किसने खोला?
🅰️ माता मरूदेवी
🅿️1️⃣8️⃣ सर्वार्थ सिद्ध विमान से सिद्ध शिला कितनी दूर हैं?
🅰️ 12 योजन
🅿️1️⃣9️⃣ क्या सर्वार्थ सिद्ध विमान के देव वहाँ से मोक्ष जा सकते हैं?
🅰️ नहीं
🅿️2️⃣0️⃣ सर्वार्थ सिद्ध विमान के देवो के कितने जन्म-मरण अवशेष रहते हैं?
🅰️ एक भव
🅿️2️⃣1️⃣ कौनसे स्थावर से आकर जीव मनुष्य बनकर मोक्ष जा सकता है?
🅰️ पृथ्वीकाय, अपकाय, वनस्पति काय
🅿️2️⃣2️⃣ सिद्ध भगवान का जघन्य, उत्कृष्ट विरह कितना?
🅰️ जघन्य एक समय का,
उत्कृष्ट 6 मास का
🅿️2️⃣3️⃣ एक जीव सिद्ध बनता है तब क्या होता हैं?
🅰️ अव्यवहार राशि का 1 जीव व्यवहार राशि में आता है। (निगोद से बाहर
सिद्ध प्रभु के मूल गुण कितने हैं?
🅰️ सिद्ध प्रभु के मूल गुण 8 है।
सिद्धशिला किनारों पर कितनी पतली है?
🅰️ सिद्धशिला किनारों पर मक्खी के पंख से भी पतली है।
Q1️⃣ पंच परमेष्ठी में देव पद कौन-कौन से हैं?
🅰️ अरिहंत प्रभु और सिद्ध प्रभु
Q2️⃣ सिद्ध प्रभु वर्तमान में कहाँ विराजमान है?
🅰️ सिद्धशिला पर ,मोक्ष में
Q3️⃣ सिद्ध प्रभु स्वाभाविक या प्रयोगजन्य गमनागमन नहीं करते हैं ,इसलिए उन्हें क्या कहा जाता है?
🅰️ अचल
Q4️⃣ सिद्ध प्रभु को आकार रहित होने के कारण क्या कहा जाता है?
🅰️ निराकार
Q 5️⃣ क्षय रहित होने के कारण
सिद्ध प्रभु को क्या कहा जाता है?
🅰️ अक्षय
Q6️⃣ दूसरों के लिए बाधाकारी न होने के कारण सिद्ध प्रभु क्या कहलाते हैं?
🅰️ अव्याबाध
Q7️⃣ जीव की कर्म रहित स्थिति क्या कहलाती है?
🅰️ जीव की कर्म रहित स्थिति मोक्ष कहलाती है।
Q8️⃣ मुक्त आत्मा कहाँ विराजित रहती है?
🅰️ मुक्त आत्मा लोक के अग्र भाग अर्थात सिद्ध शिला में विराजित रहती है।
Q9️⃣ आत्मा का स्वभाव कौनसी गति का है ?
🅰️ आत्मा का स्वभाव ऊर्ध्व गति का है।
Q1️⃣0️⃣ आत्मा का स्वभाव ऊर्ध्व गति का है फिर भी हर आत्मा ऊपर क्यों नहीं उठ पाती है?
🅰️ कर्मो के वजन से भारी हुई आत्मा ऊपर नहीं उठ पाटी।
Q1️⃣1️⃣ सिद्ध प्रभु की आत्मा ऊर्ध्वगमन क्यों कर पाई?
🅰️ क्योंकि सिद्ध प्रभु की आत्मा ने 8 ही कर्मों को क्षय कर दिया है।
Q1️⃣2️⃣ आत्मा कितने प्रकार से सिद्ध होती है?
🅰️ आत्मा 14 प्रकार से सिद्ध होती है।
Q1️⃣3️⃣ आत्मा कितने भेद से सिद्ध होती है?
🅰️ आत्मा 15 भेद से सिद्ध होती है।
Q1️⃣4️⃣ सिद्ध शिला सर्वार्थसिद्ध विमान से कितनी ऊपर स्थित है?
🅰️ सिद्धशिला सर्वार्थसिद्ध विमान से 12 योजन ऊपर स्थित है।
Q1️⃣5️⃣ सिद्ध शिला कितने योजन की लंबी-चौड़ी है?
🅰️ सिद्ध शिला 45 लाख योजन की लंबी-चौड़ी है।
Q 1️⃣6️⃣ सिद्धशिला मध्य में कितनी मोटी है?
🅰️ सिद्धशिला मध्य में 8 योजन मोटी है।
Q1️⃣7️⃣ सिद्धशिला किनारों पर कितनी पतली है?
🅰️ सिद्धशिला किनारों पर मक्खी के पंख से भी पतली है।
एक साथ एक सौ आठ सिद्ध होने के बाद कितने समय तक १०८ सिद्ध नहीं हो सकते?
कम से कम सात समय तक पुनः एक सौ आठ सिद्ध नहीं हो सकते।
उन सात समयों में सिद्ध होते हैं या नहीं? होते हैं तो कितने होते हैं?
सिद्ध प्रति समय हो सकते हैं। उन सात समय में ज्यादा से ज्यादा होने वाले
सिद्धों की संख्या क्रमशः इस प्रकार हैं-
पहला समय-१०२
दूसरा समय-९६
तीसरा समय-८४
चौथा समय -७२
पांचवां समय -६०
छठा समय -४८
सातवां समय -३२
केवली को सिद्ध बनने के लिए कितना समय लगता है?
उत्तर - पंचलक्षर उच्चारण के बाराबर समय लगता है।
वे पंचलब्धक्षर कौन - से हैं?
उत्तर - अ इ उ ऋ लृ
सिद्ध-प्रश्न माला
सिद्धों की जघन्य अवगाहना से उत्कृष्ट
अवगाहना कितनी गुणी बड़ी है ?
उ.1000 गुणी l
महावीर स्वामी सिद्ध की स्थिति लिखो?
उ.सादि अनंत ।
अनंत सिद्ध की स्थिति लिखो ?
उ.अनादि अनन्त l
सिद्ध शिला के अंतिम छोर से सिद्ध
कितने दूर है?
उ. एक योजन में गाउ का छठा भाग कम ।
सिद्ध शिला किस सोने की बनी हुई है ?
उ. अर्जुन सोने की । (सफेद) l
लोक में सब से छोटी पृथ्वी का नाम बताओ?
उ.सिद्ध शिला l
क्या सिद्ध शिला पर, सिद्ध भगवान रहते
है? (हां या ना)
उ.नहीं l
कितने नपुंसक एक समय में मोक्ष जा सकते
है? (जघन्य और उत्कृष्ट)
जघन्य एक, उत्कृष्ट दस l
जैन साधु के वेश में अधिक से अधिक
कितने सिद्ध हो सकते हैं?
उ.108 l
समुद्र से अधिक से अधिक कितने सिद्ध हो
सकते है?
उ.जघन्य एक, उत्कृष्ट दो।
अशरीर ये किसका गुण है ?
उ. सिद्धों का।
एक सिद्ध में समान अवगाहना वाले सिद्ध
कितने रहते है?
उ.अनन्त l
सिद्ध लोक में (तिरछे लोक से) जाने में
कितना समय लगता है ?
उ.एक समय l
सिद्ध को किस तत्व में लिया गया है?
उ. मोक्ष, जीव l
सिद्ध भगवान में कौन से रतन होते है ?
उ.सम्यक् ज्ञान व सम्यक् दर्शन ।
अनंत गुण किसमें पाए जाते है ?
उ.सिद्धों में l
केवली भगवान मोक्ष जाने से पहले, अपने
आत्मा को कितना SHORT करते हैं ? (घन)
उ. एक तिहाई (आत्म प्रदेशो का घनीकरण)
क्या जन्म से नपुंसक मनुष्य मोक्ष जा सकता
है? हाँ या ना?
उ हाँ l
७. प्रश्न-चार दिशाओं में कौन-कौन-सी दिशा में सिद्ध भगवान अधिक हैं ?
उत्तर - प्रज्ञापना सूत्र तृतीय पद में "सव्व थोवा सिद्धा
दाहिणुत्तरेणं पुरत्थिमेणं संखेज्जगुणा, पच्चत्थिमेणं विसेसाहिया"
सबसे थोड़े सिद्ध दक्षिण और उत्तर में हैं। पूर्व में संख्यात गुणे हैं। और पश्चिम में विशेषाधिक हैं।
प्रतिशंका यह कैसे होगा ?
प्रत्युत्तर दक्षिण और उत्तर में भरत और ऐरवत क्षेत्र है।
क्षेत्रफल की दृष्टि से ये बहुत छोटे हैं और इनसे महाविदेह क्षेत्र चौंसठ गुणा बड़ा है वहाँ से सिद्ध होते हैं, ये ऋजुगति से सिद्धालय में पहुँचते हैं वे वहीं स्थित होते हैं। भरत ऐरवत क्षेत्र के सिद्ध पूर्व और पश्चिम की अपेक्षा से कम होते हैं, भरत ऐरवत क्षेत्र में प्रायः दो आरे में ही सिद्ध होते हैं, पाँचों महाविदेह क्षेत्रों में से निरन्तर मोक्ष में जीव जाते रहते हैं, अतः अधिक है।
सिद्ध कहां रहते हैं?
उ.लोक के मस्तक भाग में, लोक के अंत में।
सिद्ध भगवान शरीर कहाँ छोड़ते है ?
उ.तिरछे लोक में।
क्या सिद्ध भगवान जहाँ रहते हैं, वहाँ संसारी
जीव हैं ?
उ. पाँच प्रकार के स्थावर जीव ।
छः काया में से कितने जीव रहते हैं ?
उ.पाँच काया के (त्रस काया को छोड़कर) l
विषय --सिद्ध*
1) भवि जीवों का अंतिम लक्ष्य क्या है?
🅰सिद्धत्व की प्राप्ति
2) सिद्धों के भेद कितने हैं?
🅰15
3)पर्याय की अपेक्षा से सिद्धों के कितने भेद हैं?
🅰3 ( स्त्रीलिंग, पुरुषलिंग,नपुंसक लिंग सिद्ध)
4) वेष की अपेक्षा से सिद्धों के कितने भेद हैं?
🅰 तीन (स्वलिंग,अन्य लिंग,गृहस्थ लिंग)
5) तीर्थ की अपेक्षा से सिद्धों के कितने भेद हैं?
🅰चार
6) संख्या की अपेक्षा से सिद्धों के कितने भेद हैं?
🅰दो भेद
7) अवगाहना की अपेक्षा से सिद्धों के कितने भेद हैं?
🅰तीन
8) क्षेत्र की अपेक्षा से सिद्धों के कितने भेद हैं?
🅰पांच ( ऊर्ध्व लोक,अधो,तिरछा लोक,समुद्र,नदी)
9) एक समय मे उत्कृष्ट कितनी स्त्रियाँ सिद्ध हो सकती है?
🅰बीस
10) सर्वाधिक सिद्ध आत्माएं कौन सी दिशा में है?
🅰पश्चिम
11)सिद्धों की जघन्य अवगाहना कितनी है।
🅰2 हाथ ( 1हाथ 8 अंगुल)
12) सिद्धों का उत्कृष्ट उत्पात विरह कितना है?
🅰6 माह
13) बिना उपदेश के सिद्ध होने वाली आत्माओं को क्या कहते है?
🅰स्वयं बुद्ध और प्रत्येक बुद्ध सिद्ध
14) प्रत्येक बुद्ध की उपधि कितने प्रकार की होती है?
🅰2 से 9 प्रकार की
15) सिध्द हो चुकी आत्माओं में क्या अंतर होता है?
🅰 अवगाहना का
16) कौन से आगम सूत्र में सिद्धात्माओं का ही वर्णन है?
🅰अंतगढ़ सूत्र
17) कौन से पाठ में पहले सिद्धों को बाद में अरिहंतो(केवली) को नमस्कार किया है?
🅰णमोत्थुणम
18) सिद्धों के 31 गुणों का वर्णन कौन से पाठ में है( प्रतिक्रमण)
🅰तेंतीस बोल
19) नामकर्म के क्षय से कौन सा गुण प्रकट होता है?
🅰अमुर्तिक
20) गोत्रकर्म के क्षय से कौन सा गुण प्रकट होता है?
🅰अगुरुलघु
21) मोहनीय कर्म के क्षय से कौन सा गुण प्रकट होता है?
🅰वीतरागता
22) आयुष्य कर्म के क्षय से कौन सा गुण प्रकट होता है?
🅰अक्षय स्थिति
23)अतीर्थसिद्ध का एक उदाहरण दीजिये?
🅰मरुदेवी माता
24) स्वयंबुद्धसिद्ध कौन हुए?
🅰कपिल केवली
25) नपुंसक लिंग सिद्ध कौन हुए?
🅰गांगेय अणग़ार
🍂26) अन्यलिंग सिद्ध कौन हुए?
🅰वल्कल चिरी जी
🍂27) जीवों के कितने भेद सिद्ध शिला में जन्म मरण करते है।
🅰12 भेद
🍂28) प्रतिक्रमण में वंदना में सिद्धों को किसकी उपमा दी गयी है?
🅰उगते सूर्य की🌞
🍂29) अनुत्तर विमान से सिद्ध शिला कितनी दूर है?
🅰12 योजन
🍂30) देव ज्यादा या सिद्ध ?
🅰सिद्ध
सिद्धों के १५ भेद
जिन सिद्ध, अजिन सिद्ध, तीर्थ सिद्ध, अतीर्थ सिद्ध, गृहस्थलिंग सिद्ध, अन्यलिंग सिद्ध, स्वलिंग सिद्ध, स्त्रीलिंग सिद्ध, पुरुषलिंग सिद्ध, नपुंसकलिंग सिद्ध, प्रत्येकबुद्ध सिद्ध, स्वयंबुद्ध सिद्ध, बुद्धबोधित सिद्ध,
एक सिद्ध, अनेक सिद्ध, ये सिद्धों के १५ भेद हैं ll५५॥
विशेष विवेचन
प्रस्तुत गाथा में जो सिद्धों के १५ भेद बताये है, वह भेद केवल बाह्य अपेक्षा से है। उनके केवलज्ञान या सिद्धावस्था में कोई अंतर नहीं है । कोई भी जीव किसी भी दशा में सिद्ध हो, उनके भावों की विशुद्धता, निर्मलता एक - समान ही होती है।
प्रस्तुत गाथा में जैनदर्शन की निष्पक्षता तथा विराटता के दर्शन स्पष्ट होते हैं । जिनेश्वरों ने केवल जैन साधु या श्रावक-श्राविकाओं के लिये ही मोक्ष में जाने का विधान नहीं किया है -
सेयंबरो या आसंबरो, बुद्धो य अहव अन्नोवा । समभाव भावियप्पा, लहइ मुक्खं न संदेहो ॥
अर्थात् चाहे श्वेताम्बर जैन हो या दिगंबर जैन हो, बौद्धदर्शनी (बुद्ध का अनुयायी) हो या फिर अन्य किसी दर्शन या मतवाला हो तो भी समभाव (सम्यग्-दर्शन-ज्ञान-चारित्र) द्वारा भावित-वासित हुआ आत्मा (जीव) मोक्ष पा सकता है, इसमें कोई संदेह नहीं है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि अन्य दर्शनी बाबा, तापस आदि भी अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह आदि मार्गों को स्वीकार कर दृढतापूर्वक उनका पालन करने पर केवलज्ञान तथा मोक्ष पा जाते हैं । यदि उनका आयुष्य अन्तर्मुहूर्त से - -अधिक हो तो द्रव्य चारित्र (वेष) ग्रहण कर लेते हैं । यदि वे अंतगड केवली अर्थात् अन्तर्मुहूर्त में ही मोक्ष पाने वाले हो तो उसी वेष में मोक्ष प्राप्त कर लेते हैं । अन्यलिंग सिद्ध का भी यही तात्पर्य है कि अन्य दर्शनियों के साधुवेष या तापस, परिव्राजक आदि के वेष में रहा हुआ जीव मोक्ष में जा सकता हैं ।
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१५ सिद्ध के भेदों का विवरण निम्न प्रकार से है -
१. जिनसिद्ध : तीर्थंकर पद पाकर जो मोक्ष में जाये अर्थात् तीर्थंकर भगवान जिन सिद्ध है।
२. अजिन सिद्ध : तीर्थंकर पद पाये बिना सामान्य केवली होकर मोक्ष में जाये, वह अजिन सिद्ध है।
३. तीर्थ सिद्ध : तीर्थंकर परमात्मा केवल्य प्राप्ति के पश्चात् साधु-साध्वीश्रावक-श्राविका रूप चतुर्विध धर्मसंघ या धर्म तीर्थ की स्थापना करते हैं । इसे ही तीर्थ कहते है। इस तीर्थ की स्थापना के पश्चात् जो मोक्ष में जाते है, वे तीर्थ सिद्ध कहलाते हैं।
४. अतीर्थ सिद्ध : उपर्युक्त प्रकार की तीर्थस्थापना से पूर्व ही जो मोक्ष में जाते हैं, वे अतीर्थ सिद्ध कहलाते हैं।
५. गृहस्थलिंग सिद्ध : जो गृहस्थ के वेष से ही मोक्ष में चला जाय, वह गृहस्थ लिंग सिद्ध है। इस भेद की अपेक्षा से कोई ऐसा न समझे कि घर में रहते हुए ही मोक्ष मिल जाता है फिर चारित्र या साधु वेश लेने की क्या आवश्यकता? ये विचार अज्ञानमूलक है। गृहस्थ या संसार भावों से युक्त कोई भी मुक्त नहीं हो सकता। परन्तु कोई भव्य आत्मा तीव्र वैराग्य उत्पन्न होने पर शुक्लध्यानारूढ होकर कदाचित् केवलज्ञान को प्राप्त करने के बाद यदि मोक्ष जाने का काल अल्प ही रहा हो तो मुनिवेश धारण किये बिना ही सिद्ध हो जाये, उन्हें गृहस्थलिंग सिद्ध कहते है। अगर दीर्घकाल बाकी हो तो वे अवश्य साधुवेश धारण करते हैं।
६. अन्यलिंग सिद्ध : अन्य दर्शनी के वेश में रहा हुआ तापस आदि मोक्ष में जाय, वह अन्यलिंग सिद्ध है।
७. स्वलिंग सिद्ध : श्री जिनेश्वर देव ने जो वेश कहा है, उसे धारणकरने वाला स्वलिंगी कहलाता है । ऐसे साधु वेश से जो मोक्ष में जाये, वह स्वलिंग सिद्ध है।
८. स्त्रीलिंग सिद्ध : जो स्त्रीलिंग अर्थात् स्त्री शरीर से मोक्ष में जाये, वह स्त्रीलिंग सिद्ध है।
९. पुरुषलिंग सिद्ध : जो पुरुष शरीर से मोक्ष में जाये, वह पुरुषलिंग सिद्ध है।
१०. नपुंसकलिंग सिद्ध : जो नपुंसक शरीर से मोक्ष में जाये, वह नपुंसकलिंग सिद्ध है । जन्मजात नपुंसक चारित्र प्राप्त करने के अयोग्य होने से उसका मोक्ष नहीं होता । यहाँ विवक्षित सिद्ध कृत्रिम नपुंसक की अपेक्षा से है अर्थात् कृत्रिम छह प्रकार के नपुंसक मोक्ष में जाते हैं -
१. वर्धितक : इन्द्रिय के छेदवाला पावइया आदि ।
२. चिप्पित : जन्म पाते ही मर्दन से गलाये हुए लिंग वाला ३. मंत्रोपहत : मंत्र प्रयोग से पुरुषत्व नष्ट किया हुआ ।
४. औषधोपहत : औषधप्रयोग से पुरुषत्व नष्ट किया हुआ ५. ऋषिशप्त : ऋषि के श्राप से नष्ट पुरुषत्क वाला ।
६. देवशप्त : देव के श्राप से नष्ट पुरुषत्व वाला ।
ये छह प्रकार के नपुंसक चूंकि जन्म से नपुंसक नहीं है, अतः चारित्र ग्रहण कर मोक्ष में जाते हैं।
११. प्रत्येकबुद्ध सिद्ध : संध्या समय के बदलते अस्थिर क्षणिक रंगों आदि के निमित्त से वैराग्य पाकर मोक्ष में जाये, वे प्रत्येकबुद्ध सिद्ध कहलाते है।
१२. स्वयंबुद्ध सिद्ध : जो बिना किसी बाह्य निमित्त अथवा उपदेश के जातिस्मरणादि से अपने आप स्वतः प्रतिबुद्ध हो, वे स्वयंबुद्ध सिद्ध है ।
१३. बुद्धबोधित सिद्ध : बुद्ध - गुरु द्वारा, बोधित-
प्रतिबोध-उपदेश को पाकर जो मोक्ष में जाये, वह बुद्धबोधित सिद्ध है।
१४. एकसिद्ध : एक समय में एक जीव मोक्ष में जाये, वह एकसिद्ध l
१५. अनेकसिद्ध : एक समय में अनेक जीव मोक्ष में जाये, वे अनेक सिद्ध है।
यहाँ जघन्य से एक समय में एक जीव तथा उत्कृष्ट से १०८ जीव मोक्ष में जाते हैं।
सिद्ध शब्द का प्रयोग जैन धर्म में भगवान के लिए किया जाता हैं। सिद्ध पद को प्राप्त कर चुकी आत्मा संसार (जीवन मरण के चक्र) से मुक्त होती है। अपने सभी कर्मों का क्षय कर चुके, सिद्ध भगवान अष्टग़ुणो से युक्त होते है।[1] वह सिद्धशिला जो लोक के सबसे ऊपर है, वहाँ विराजते है।
2. सिद्ध परमेष्ठी के कितने मूलगुण होते हैं ?
सिद्ध परमेष्ठी के 8 मूलगुण होते हैं :-
अनन्तज्ञान गुण - ज्ञानावरणकर्म के पूर्ण क्षय होने से अनन्त पदार्थों को युगपत् जानने की सामथ्र्य प्रकट होने को अनन्तज्ञानगुण कहते हैं।
अनन्तदर्शन गुण - दर्शनावरणकर्म के पूर्ण क्षय होने से अनन्त पदार्थों के सामान्य अवलोकन की सामथ्र्य के प्रकट होने को अनन्तदर्शनगुण कहते हैं।
अव्याबाधत्व गुण - वेदनीय कर्म के पूर्ण क्षय होने से अनन्तसुख रूप आनन्दमय सामथ्र्य को अव्या बाधत्व गुण कहते हैं।
क्षायिक सम्यक्त्वगुण - मोहनीय कर्म के पूर्ण क्षय होने से प्रकट होने वाली आत्मीय सामथ्र्य को क्षायिक सम्यक्त्वगुण कहते हैं।
अवगाहनत्व गुण - आयु के पूर्ण क्षय होने से एक जीव के अवगाह क्षेत्र में अनन्त जीव समा जाएँ ऐसी स्थान देने की सामथ्र्य को अवगाहनत्वगुण कहते हैं।
सूक्ष्मत्वगुण - नाम कर्म के पूर्ण क्षय होने से इन्द्रियगम्य स्थूलता के अभाव रूप सामथ्र्य के प्रकट होने को सूक्ष्मत्वगुण कहते हैं।
अगुरुलघुत्व गुण - गोत्र कर्म के पूर्ण क्षय होने से प्रकट होने वाली सामथ्र्य को अगुरुलघुत्व गुण कहते हैं।
अनन्तवीर्य गुण - अन्तराय कर्म के पूर्ण क्षय होने से आत्मा में अनन्त शक्ति रूप सामथ्र्य के प्रकट होने को अनन्तवीर्यगुण कहते हैं।
3. क्या सिद्धों के अन्य गुण भी होते हैं ?
हाँ। सिद्धों के अन्य गुण भी होते हैं। सम्यक्त्वादि आठ गुण मध्यम रुचि वाले शिष्यों के लिए हैं। विस्तार रुचि वाले शिष्य के प्रति विशेष भेद नय के अवलंबन से गति रहितता, इन्द्रिय रहितता, शरीर रहितता, योग रहितता, वेद रहितता, कषाय रहितता, नाम रहितता, गोत्र रहितता तथा आयु रहितता आदि विशेष गुण और इसी प्रकार अस्तित्व, वस्तुत्व, प्रमेयत्व आदि सामान्य गुण इस तरह जैनागम के अनुसार अनंत गुण जानने चाहिए
4. मोक्ष के कितने भेद किए जा सकते हैं ? अथवा मोक्ष अभेद है ?
यों तो मोक्ष अभेद है। मोक्ष का कारण भी रत्नत्रयरूप एक मात्र है, अत: वह कार्यरूप मोक्ष भी सकल कर्मक्षयरूप एकविध है। तदपि मोक्ष की दृष्टि से द्रव्यमोक्ष एवं भावमोक्ष की अपेक्षा मोक्ष के दो भेद हैं। अथवा मोक्ष चार प्रकार का है। नाममोक्ष, स्थापनामोक्ष, द्रव्यमोक्ष एवं भावमोक्ष।
5. मोक्ष का साधन क्या है ?
सम्यकदर्शन-सम्यकज्ञान और सम्यक्चारित्र की एकता रूप रत्नत्रय मोक्ष का साधन है।
6. कर्मों से छूटने का उपाय संक्षिप्त शब्दों में बताइए ?
मात्र-ममता (मोह) से रहित होना ही कर्मों से छूटना है।
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