देव गति पूरी
*🙏आज की सामान्य जानकारी🙏* ************************** *क्रमशः---* *वैमानिक देव के दो भेदः-* *मायी मिथ्थादृष्टि और अमायी सम्यग्दृष्टि। मायी मिथ्थादृष्टि इन निर्जरा पुद्गलों को जानते देखते नहीं हैं किन्तु उनका आहार करते हैं। अमायी सम्यग्दृष्टि के दो भेद- अनन्तरोपपन्न और परम्परोपपन्न। अनन्तरोपपन्न अमायी सम्यग्दृष्टि देव इन निर्जरा पुद्गलो को जानते देखते नहीं हैं किन्तु इनका आहार करते हैं। परम्परोपपन्न अमायी सम्यग्दृष्टि के दो भेद- पर्याप्त और अपर्याप्त। अपर्याप्त परम्परोपपन्न अमायी सम्यग्दृष्टि देव निर्जरा पुद्गलों को जानते देखते नहीं हैं किन्तु इनका आहार करते हैं। पर्याप्त परम्परोपपन्न अमायी सम्यग्दृष्टि देव के दो भेद- उपयोग सहित और उपयोग रहित। उपयोग रहित निर्जरा पुद्गलों को जानते देखते नहीं हैं किन्तु उनका आहार करते हैं। उपयोग सहित इन निर्जरा पुद्गलों को जानते देखते हैं और इनका आहार करते हैं।* *👏तत्व केवली गम्य👏* आभ्यंतर परिषद के देव- 12000 मध्यम परिषद के देव-14000 बाह्य परिषद के देव -16000 अवधि ज्ञान नरक के नीचे तक आठ कृष्णराजी,,,,,,,,,✍🏼,,किशोर शाह राजी,==शिला,/रेखा, भग...