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जून, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

वैश्या

  1⃣इसने संन्यास अंगीकार कर लिया तो मेरा आधार छूट जाएगा अतः इसे वेश्या से कामशास्त्र पढ़ा कर गृहस्थ आश्रम में उलझा देना चाहिए। यह किसने किसके लिये सोचा 🅰️शकडाल  ने पुत्र स्थूलिभद्र  के लिये 2⃣कोणिक ने मागधिका वेश्या को बुलाया और किस मुनि को चारित्रभ्रष्ट करने की आज्ञा दी। 🅰️कुलवालक मुनि को  3⃣वह आम महारानी, महावत और वेश्या के हाथों में होता हुआ पुनः किसके पास पहुंच गया। 4⃣ राजा भर्तृहरि  5⃣वेश्या के वचन से अशुभ भावों का दहन कर वैरागी कौन बने? 🅰️नंदिषेण 6⃣द्रोपदी को किसने कहा  तू तो वेश्या के समान है कर्ण ने 7⃣कौन भी कोशा वैश्या के अद्भुत रूप और लावण्य को देखकर अपने संयम धर्म से विचलित हो गए थे 🅰️सिंहगुफावासी मुनि 8⃣अपर भाषा में वैश्या को कहते है 🅰️अपरिगृहिता नरक में आग में तपा-तपा का लाल बनाई हुई फौलाद की पुतली का बलात्कार से गाढ़ आलिंगन कराते हैं  🅰️वेश्यागमन और पर-स्त्रीसेवन करने वालों को 1⃣0⃣कुबेरसेना वैश्या कौन से नगर की थी 🅰️मथुरा नगर 1⃣1⃣किसकी बहन वैशया के यहाँ बिकी 🅰️मयना सुंदरी की बहन सुरसुन्दरी 1⃣2⃣अपनी स्त्री मे...

खलनायक

  ,1⃣श्रेष्ठ शालाका पुरूष होकर भी खलनायक कहाये 🅰️प्रतिवसुदेव जी 2⃣पहले भव मे तुमने  मुझे सताया 9 भव मैंने माराअग्नि शर्मा ने किसे कहा 🅰️गुण सेन 3⃣कामवासना से सदाचारी को कलंकित किया  ? 🅰️  अभया रानी जी 4⃣किनकी माँ ने उन्हें जिंदा जलाने का प्रयत्न किया 🅰️चुलनी जी (ब्रह्मदत्त जी की माँ) 5⃣हां तेरे जैसी सतिया? ही तो इस नगर का बेड़ा पार लगाएगी तू अब हमारी वंश की इज्जत को मिट्टी में मत मिला 🅰️ सुजाता जी सुभद्रा जी की सासु ने सुभद्रा जी को ताना कसते हुए कहा 6⃣कलिकाचार्य जीकी बहन सरस्वती जी पर बुरी नजर किसने की 🅰️राजा गर्दभिल्ल   7⃣मैं इतना बड़ा खतरनाक हूं कि मुझसे बचने के लिये ही व्रतों का विधान किया गया हे❓ 18 पाप में प्रथम 🅰️ प्राणातिपात 8⃣लेश्या में सबसे खतरनाक लेश्या कौन सी है *🅰️ तेज लेश्या16 देशों को भस्म करने की ताकत            लेश्या में है 9⃣किस मुनि ने अपने ओघे मे छुपाई हुई छुरी से राजा का खून किया❓* *🌹🅰️ विनय रत्न मुनि❗ 1⃣0⃣दासी का अपहरण किसने किया 🅰️चंडप्रद्योत 1⃣1...

जहाज

  ,1⃣स्कुटर, मोटर, बस, रेल्वे, जहाज, विमान आदि वाहनों और उसके पहिए आदि अंगो का निर्माण कार्य करना । कौन सा कर्म  हैं 🅰️शकट कर्म - 2⃣अठारह जहाजों से कमाए हुए अनगिनत स्वर्ण मुद्राओं से किसका जीर्णोद्धार शुरू किया 🅰️श्री शत्रुंजय तीर्थ 3⃣जिस प्रकार प्रत्येक बार श्रेणिक जहाज सामान लेकर आता है और गोदाम में माल रखवा देती हो उसी प्रकार इस वार भी रखवा दें, उसमें पूछना क्या ?  भद्रा माता से किसने कहा 🅰️शालिभद्र जी ने जब माँ ने कहा श्रेणिक जी आये है तो उनके जहाजों के काफिले में एक श्रेणिक नामक जहाज़ भी था तो उन्होंने कहा। 4⃣एक दिन रक्षकों को भुलावा देकर घोड़े पर सवार होकर समुद्र किनारे पहुँचा एवं जहाज में बैठकर भारत आया। 🅰️आद्र कुमार जी 5⃣दु:ख समुद्र को तिरने का श्रेष्‍ठ जहाज क्याहै।   🅰️सामायिक 6⃣सुदर्शना को जातिस्मरण ज्ञान हुआ । तत्पश्चात् वह पांच सौ जहाजों के साथ अपनी मृत्यभूमि * भरुच * पहुंची । वहाँ पर  किस नामक भव्य जिनालय का निर्माण कराया । 🅰️समडी विहार 7⃣नाथ! आपका उपदेश संसार सागर में गोता खाते हुए मनुष्य को पार करने में जहाज का काम देता है। ...

उपासिका

  जैन श्वेतांबर तेरापंथ संघ के पर्यूषण पर्व पर धर्म विद विशारद तेरापंथ के आचार्य श्री महाश्रमण जी की महती कृपा से श्रीमती प्रेमलता जी नाहर अंकलेश्वर से और पुष्पा जी पगारिया सूरत से दो उपासिकाबहने  पधारी है और उनके सानिध्य में निर्बाध रूप से   H c. गोलछा जी के निवास स्थान वैशाली नगर में पर्यूषण पर्व की आराधना हो रही है प्रातः भजन प्रार्थना योग।कल रात्रि कालिन सत्र क्या है मिथ्या दृष्टि और क्या है सम्यक दृष्टि? वास्तव में दोनों की बाहरी परिणति में कोई अंतर नहीं दिखता है, लेकिन दोनों के मनोभाव में बड़ा अंतर होता है। यह भीतर का जो बारीक़ अंतर है, यही दोनों को पूरब से पश्चिम में ले जाता है। एक का उद्देश्य संसार और संसारिकता का पोषण है और दूसरे का उद्देश्य परमार्थ से जुड़ा है। वह परमार्थ की उपलब्धि के लिए जाता है। सारा खेल मनुष्य के मन के अभिप्राय से जुड़ा होता है, तो यह दोनों में बहुत बड़ा अंतर है एक सम्यक दृष्टि भी घर-परिवार का संचालन करता है और एक मिथ्या दृष्टि भी घर-परिवार का संचालन करता है। मिथ्या दृष्टि घर-परिवार और संसार के अन्य कर्तव्यों को कर्त्ता बुद्धि से करता ह...

विदाई

  एक हंसता सा ,चेहरा था , संसार में। आज से वो जुदा ,हम से हो जायेगा । नाम के जैसा काम किया आपने, आपको कोई कैसे भुला पायेगा । यू तो जाने से रूकता नही काम है, पर दिलो में खटकता वही नाम है। जिससे सुख-दुख कहे हमने अपने भला, उससे जीवन को जीनें की सीखी कला । गजब अंदाज में जो कही शायरी , कोई भी और दूजा न कह पायेगा। नाम के जैसा काम किया आपने , आपको कोई कैसे भुला पायेगा । हर सुबह को जिन्दा दिली से जिया , हंस के पूछा कहो तुम हो कैसे भला । खुश रहे खुद सदा और खुल के जिये , मैल आया न दिल में किसी के लिए । बोझ हल्का करो अपने दिल का तो तुम , मन में रखा तो मन मैला हो जायेगा। नाम के जैसा काम किया आपने , आपको कोई कैसे भुला पायेगा । इनकी यादे जहन में रहेगी सदा ,मुस्कराती वो सुरत नजर आयेगी । स्वस्थ्य सुखमय हो जीवन यही कामना , दूर रहने का गम भी सहा जायेगा। नाम के जैसा काम किया आपने , आपको कोई कैसे भुला पायेगा । पनपी हरियाली ले फूली खुशबू भी दे जाते तुम। आया था उल्लास नया, चेतना नयी लहरायी जो, गम जड़ता का भार दिये जा रही थी दिल बहलाती जो।

वीरप्रभु की साधना

  वीरप्रभु की साधना 1 जिन चरणों में मन रमने दो, समता में रूचि अब जमने दो प्रभु चरणों में दुःख लेश नहीं, गति चंचलता भव क्लेश नहीं, अब इधर उधर मत भमने दो जिन चरणों में मन रमने दो, सुखके बलके वे सागर है, जीवनके वे रत्नाकर है, अब ज्ञान झड़ी मत थमने दो जिन चरणों में मन रमने दो l 🙏🏻   तीर्थंकर भगवान की स्तुति आत्मा को इहलोक परलोक में परम शांति प्रदान करती है l उनके गुणों की स्तवना से शुभभावो मे वृद्धि होती है l तीर्थंकर भगवान के गुणों को स्मरण कर नमन कर अभिवंदन करने से उन गुणों को हम अपनी ओर आकर्षित करते है l अपने अंदर उन गुणों की स्थापना करने का प्रयास करते है l परम शाश्वत सिद्ध सुख पाने का यह भक्ति मार्ग l जिनेश्वर प्रभु के गुणों का गान करना यह विश्व के परम उत्कृष्ट पद तीर्थंकर बनने की योग्यता प्राप्त करने का मार्ग है l भक्ति मे भाव की चरमसिमा प्राप्त कर तीर्थंकर नाम कर्म का बंध कर सकते है l (कहते है अष्टापद तीर्थं पर जिनेश्वर भक्ति करते हुए रावण को उत्कृष्ट भाव आने पर उन्होंने तीर्थंकर नाम कर्म का बंध किया था l) उत्कृष्टता की अपेक्षा तीर्थंकर भगवान अनंत गुणों के स्वामी होते है l...

श्रद्धांजलि

 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 *यूँ विश्वास ना होने -जैसे बिछड़ गए आप*, *सच बहुत ह्रदय को पीड़ा पंहुचा गये आप* *यूँ तो आते हैं चले जाने के लिए सब* *पर इतनी जल्दी क्योँ चले गए आप* *ऋणी है , आपके की इस ग्रुप को इतना सशक्त बना गये आप* *सबसे अपनेपन का रिश्ता  जोड़ संसार छोड़ चले गए आप्* *जँहा भी रहे आबाद रहे यूं ही  धर्म प्रभावना करते रहे* *आज जन्मदिन पर आप को स्मृति में रख शुभकामनाएं देते हैं*  *कि पाए हो जो उच्च गति* *उसमें भी सम्यक्त्व के भाव चिर निरंतर  बढ़ते जाएऔऱ* *जल्द मिले मोक्ष ये दुआदेते हैं* 💐💐💐💐💐💐💐 ( *आपको पसंद थी कविता* *आज स्वरचित कविता पढ़ तर्पण करते  हूँ* ) 🌹🌹🌹🥞🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 *अंजुगोलछा* 💐💐💐💐💐💐💐