मेरे अपने विचार
मेरे अपने विचार
तुम देवता होगये दुनिया की नज़र में .पर ये भी एक सच है
,जब जब तुम दुखी या सुखी हुए,तब तब तुममे तृष्णा थी .
भावों के अनुप्रेषण से ,संवादों के सम्प्रेषण से ,
कुछ कृति अनमोल करो अपने ही अनुभवों से
हम क्या थे क्या होंगे क्या से क्या हो गए
बदले स्वभाव आश्चर्य जब स्वयं को आजाये
समझ जीवन बहुत कुछ घटित हो गया जो विपरीत था तुम से
रास्ते मिलते ही चले जायेगे ,पाँव उधाके तो देखो
काफिले बहार के भी आयेगे, चमन बसा के तो देखो
जहा स्वंयं के आत्म विश्वास में कमी आती है वहीँ से अन्धविश्वास पनपने लगते है .
मनुष्य एक समझदार प्राणी है तभी तो उसने सीख लिया है करना खुद से खुद का सौदा
दुसरे के हाथों .
भिभक्षु है सभी यहाँ अधिष्ठाता कौन बनेगा ?
यास्टिक हे यहाँ सभी बुद्ध यहाँ कौन बनेगा ?
क्षीर को क्षार ,बनाते है
अनिल में अनल देखते है
दिग्भ्रमित ! से लोग
अल्लाह ,ईश में फर्क करने वाले
ये तो इंसान को भी इंसान कब मानते है ?
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