इमोशनल अत्याचार

 इमोशनल  अत्याचार 


इस आयातित अपसंस्कृति में  भावों का बलात्कार होगया 
इसीलिए लोग कहते है इमोशनल अत्याचार हो गया 

भावों के तार जुड़े न जुड़े, शारीरिक तार जुड़ते है
एक के रहते दूसरे से बंधते है ,
अपने प्यार की तहकीकात करवाते  है और छले जाते है
अपने गिरेबान में मुंह छिपा रोते , चीखते , चिल्लाते है 
दो खानदान की   रुसवाई करवाते  है

मैं ये कहती हूँ , ये प्यार नहीं ढकोसला है
प्यार तो प्यारा  होता है, खुद से ज्यादा प्यार पर भरोसा होता है 
प्यार तो विश्वास का दूसरा नाम है  बिना शर्तो का जज्बा होता है
,पर जो ये कहता है ,वही हंसी का पात्र बनता है

U TV बिंदास वाले आज के इस जज्बे से खूब खेलरहे है
और सच  ये भी इमोशनल अत्याचार कर रहे है

हकीकत खुली पड़ी है अब इमोशन में कुछ नहीं शेष
बस अत्याचार ही अत्याचार  हो गया है
भावों का सच बलात्कार हो गया


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भगवान पार्श्वनाथ प्रश्नोत्तरी

जैन प्रश्नोत्तरी

सतियाँ जी 16