भूर्ण हत्या
माँ माँ माँ 3 की निरन्तर आवाज़ गूँज रही थी । दोनों बेटियाँ तो स्कूल गई हैं फिर ये आवाज कँहा से आ रही थी। माँ में तुम्हारा अंश तुम्हारे भीतर से बोल रही हूं, माँ थोड़ा भीतर झाँक न माँ में तुम्हारी लाड़ली बोल रही हूँ उसने थोड़ा झुक कर , अपने उदर की तरफ दृष्टि पात किया, माँ 2 की आवाजें निरन्तरआ रही थी , वी यंही से ही तो आ रही थी। उसने उदर पर जैसे ही हाथ लगाया उसका ममत्व भरा स्पर्श पा अब वहां सिसकियाँ आ रही थी । जैसे किसी नितांत अपने का स्पर्श पा कोई डरा हुआ व्यक्ति सुबक पड़ता हैं, वो उसकी सुन सिसकियाँ, आहत स्वर में बोली, क्या हुआ बेटा? नहीं माँ बेटा नहीं बेटी हूँ ,इसीका तो रोना हैं। फिर सिसकते शब्द,माँ माँ, हां हाँ बेटी निर्भय होकर बोल बेटी बोली कैसी निर्भयता जिसके अपने माँ बाबा ही उसे मारने जारहे हो वो कहाँ से लाएगी निर्भयता। मैंने तो सुना था बच्चे के खरोंच आ जाए तो माँ दहल जाती हैं कोई बच्चे को हानि पंहुचाये तो तो बन सिंहनी दहाड़ती हैं, फिर मैं कैसी अभागन हूँ माँ------------ मुझे मत मारो मैं तो तुम्हारा कलंक भी नहीं फिर भी मार ...