राजबब्बर ने अमित शाह

*राजबब्बर ने अमित शाह पर तोहमत लगाई है कि वे हिंदू नहीं जैनी है तो आप सभी  अपने जैनतत्व का परिचय दीजिये औऱ इस पोस्ट को इतना फैलाये की बब्बर की बर्बरता निकल जाये।*

आज राज बब्बर जी
आपने अमित शाह पर नही अपितु सम्पूर्ण जैन के जैनतत्व पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया

एक फिरोज खान के पोते राहुल को हिंदू साबित करने पूरे जैन समाज को , हिन्दू से जैन का क्या नाता हैं प्रश्न चिन्ह लगा दिया?

जैन अपने मे रहते है ,नहीं कोई विवाद में फंसते  ,पर
आज जब तुम जैसे सत्ता लोभी हमको कटघरे में खड़ा किया,
तो हम चुप नहीं रहेंगे
अरे सत्ता को ठुकरना, सिखाया है
हमारे अरिहंतों ने,
(24 के24 तीर्थंकर हमारे राजा और कोई चक्रवर्ती थे)
 सम्यक दर्शन सम्यक ज्ञान  सम्यक चारित्
का पाढ़ पढ़या संतों ने
बताएंगे जब अपना अस्तित्व भारत के साथ
तो कंही तुम अपना अस्तित्व न  भूल जाना
पुरातत्वता देख हमारी तुम न कहीं भाग जाना
आज तक स्वप्रंशसा नही की
न ही अपने होने का महत्व बताया, आयुर्वेदिक  जो आज प्रचलित है ,शाकाहारी वो
जैनो की देन है, कभी क्या हमने जताया

अरे तुमजैनों का इतिहास तो टटोल लेते ,

हिन्दू और जैन दो शरीर एक आत्मा है,
येतो पहले जान लेते

मैं बतलाती हूं तुम्हें
 हिंदू से हमारा क्या नाता है ,
हमारे प्रथम तीर्थंकर ऋषभ नाथ जी
की गौरव गाथा उपनिषदों में वर्णित है,
खुद हिन्दू के ग्रंथों में उल्लेखित हैं कि
ऋषभ शिव के8 वे अवतार है,
प्रथम राजा थे धरती के ,
असि, मसि कृषि सिखाई जगत को
किया मानव उद्धार हैं

हमारे दूसरे तीर्थंकर अजित नाथ जी,
राम के पूर्वज थे,
सगर के बड़े भाई थे ,
छः खंड के स्वामी थे
बने चक्रवर्ती फिर
मोह माया का त्याग किया
  राजपाट छोड़
वैराग्य धारण किया और सगर को राजपाट दिया,। हमारे 21 वे तीर्थंकर
राजा जनक के पूर्वज थे,
हमारे 22 वे तीर्थंकर अरिष्ट नेमी
कृष्ण जी के चचेरे भाई थे ,
अब बताओ
हिन्दू औऱ जैन कब अलग हुए ,
बस जैन के सभी तीर्थंकर
निर्विवाद शांति के दूत हुए
गंदी राजनीति में नैतिक मूल्यों से
गिरना नही सिखाया ,
 गांधी जी  ने भी
जैन सिद्धान्तों को अपना,निश्पृह,निरुपम युद्ध किया,
निग्रंथ निरपेक्ष केवली धर्म है
 विसर्जन को ही स्थान मिला
स्वार्थ किंचित भी दूर है

ऐसा ये धर्म है ,तुम लोलुपता से ग्रसित
जैन धर्म क्या जानोगे
भामाशाह थे जैन ,और जैन का परिचय जानना चाहोगे
और क्या दू परिचय ,
हम अपना परिचय आप है

बस उत्सर्ग ही उत्सर्ग है इस धर्म मे ,
पर बहुत मत घिसो अपनी गंदी राजनीति में
चंदन भी ज्यादा घिसने से आग उगल देता है,
हम तो फिर भी इंसान है,औऱ परिचय जान न चाहो तो हमारे मुनि आचार्य के पास जाओ
औऱ अपनी अज्ञानता का भरम मिटाओ,
इतनी बड़ी बात कह दी तुमने औऱ हम
चुप है ,वो तुम्हारे संस्कार थे ,
ये हमारे संस्कार है।
स्वरचित अंजु गोलछा

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