भूर्ण हत्या

माँ माँ  माँ 3 की निरन्तर आवाज़ गूँज रही थी ।
दोनों बेटियाँ तो स्कूल गई हैं
फिर ये आवाज कँहा से आ रही थी।
 माँ में तुम्हारा अंश तुम्हारे भीतर से बोल रही हूं,
माँ थोड़ा भीतर झाँक न माँ में तुम्हारी लाड़ली बोल रही हूँ
उसने थोड़ा झुक कर ,
अपने उदर की तरफ दृष्टि पात किया,
माँ 2 की आवाजें निरन्तरआ रही थी ,
वी  यंही से ही तो आ रही थी।
उसने उदर पर जैसे ही हाथ लगाया
उसका ममत्व भरा स्पर्श पा
अब वहां सिसकियाँ आ रही थी ।
जैसे किसी नितांत अपने का स्पर्श पा
कोई डरा हुआ व्यक्ति सुबक पड़ता हैं,
वो उसकी सुन  सिसकियाँ,
आहत स्वर में बोली,
 क्या हुआ बेटा?
नहीं माँ बेटा नहीं बेटी हूँ ,इसीका तो रोना हैं।
 फिर सिसकते शब्द,माँ माँ,
हां हाँ बेटी निर्भय होकर बोल
बेटी बोली कैसी निर्भयता
जिसके अपने माँ बाबा ही
उसे मारने जारहे हो वो कहाँ से
लाएगी निर्भयता।
मैंने तो सुना था बच्चे के खरोंच आ जाए
तो माँ दहल जाती हैं
कोई बच्चे को हानि पंहुचाये तो
तो बन सिंहनी दहाड़ती हैं,
फिर मैं कैसी अभागन हूँ माँ------------
मुझे मत मारो
मैं तो तुम्हारा कलंक भी नहीं
फिर भी मार रही हो
मैं चार माह से इस छोटी सी कोठरी,
 में कितने कष्ट पारहीं हूँ,
क्योंकि माँ तेरी गोद में आना चाहती हूं,
पापा की बाँहो में झूलना चाहती हूँ
बहनों के साथ खेलना चाहती हूं
तेरी बगियाँ में चहक ना चाहती हूँ
माँ मैने सुना है  ,बाहर की दुनिया बहुत सुंदर है
मैं उसे देखना चाहती हूं,
माँ पापा को बोलों ना
मेरी करुण पुकार सुना दें न माँ
फिर संभवत वो मुझे नहीं मारेंगे।
माँ पापा को कहना मुझे दहेज के डर से ना मारे
मैं अपना दहेज़ ख़ुद कमा लूंगी
 माँ मुझे  मरने से डर लग रहा है
माँ मुझे बचा ले ।please 2
अचानक सिहर कर  माँ की आँख खुली
पूरा अस्तित्व कांप गया
ये कैसा स्वप्न था?
अरे ये कैसा अनर्थ कर रही थी
अपने अंश को शेष कर रही थी
अब ये अनर्थ न कर पाऊंगी
कैसे वो कुल पनप सकता हैं
जिसके नीँव में लाशें बाबस्ता हों
मैं  माँ हूँ अपनी बेटी   की खुद सरंक्षक बन जाऊंगी
पर इस पे आँच नहीं आने दूंगी
बेटी डर मत
मत डर
तेरी माँ के रहते अब कोई तुझे मार न पायेगा
मारना तो दूर तुझे छू भी न पायेगा।
उसने पेट पर दृष्टि पात किया अभी जो उथल पुथल
थीं अब वो शांत थीं
औऱ उसके चेहरे पर निर्णायक निर्णय था।








टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भगवान पार्श्वनाथ प्रश्नोत्तरी

जैन प्रश्नोत्तरी

सतियाँ जी 16