18 पापस्थानक / पुण्य और पाप

 🙏🏼आज का विषय.....☘  पुण्य और पाप ☘🙏🏼


1☘पुण्य में श्रेष्ठ व गुण में श्रेष्ठ कौन❓

1✍🏻   तीर्थकर  🙏🏼


2☘पाप का त्याग किस शब्द में आता हैं ❓

2✍🏻  वोसरामि  🙏🏼


3☘जिसे बांधना कठिन पर भोगना सरल हैं, क्या ❓

 3✍🏻  पुण्यतत्व    🙏🏼


4☘पाप की जड क्या है ❓

4  ✍🏻  कषाय /क्रोध.  🙏🏼


5☘पुण्य में छोटा व गुण में बडा ❓

 5. ✍🏻  पुणिया श्रावक. 🙏🏼


6☘पाप करने गये और पाप का त्याग किसने किया ❓

6. ✍🏻  संयतिराजा ने. 🙏🏼


7☘अन्न नही दिया और पुण्य कमाया ❓

7. ✍🏻 जीर्णसेठ 


8☘दूसरे पाप का पश्चाताप न करके मरता ❓

 8  ✍🏻  मणिरथ जी  🙏🏼


9☘पुण्य से पाप किसने कमाया❓

 9  ✍🏻 नन्दन मणियार. 🙏🏼


10☘प्रथम पाप का पश्चाताप न करके मरता ❓

10. ✍🏻 तंदुल मत्स.. 


11☘सांसारिक जीवन में सर्वोत्कृष्ठ पुण्य किसका ❓

11. ✍🏻 चक्रवर्ती   🙏🏼


12☘चौथे पाप मैथुन का पश्चाताप किसने किया ❓

12. ✍🏻  रथनेमि जी. 🙏🏼


13☘ संसार में सबसे अच्छा फिक्स डिपॉजिट क्या है ❓

 13. ✍🏻  पुण्य. 🙏🏼


14☘पाप किसके द्वारा खपाये जाते हैं ❓

14. ✍🏻  तप द्वारा. 🙏🏼


15☘अन्न दिया और पुण्य कमाया ❓

15. ✍🏻 चंदनबालाजी. 🙏🏼


16☘सबसे बड़ा पाप कौनसा हैं ❓

16. ✍🏻 मिथ्या दर्शन शल्य  🙏🏼


17☘उच्च गोत्र का बंध किस पुण्य से होता है ❓ 17. ✍🏻  नमस्कार. 👏🏻👏🏻


18☘पाप का कारखाना कौनसा हैं ❓

18.  ✍🏻  8 वा अनर्थदंड व्रत🙏🏼


19☘तिर्यच कितने पुण्य बांध सकते हैं ❓

 19✍🏻 7 बांध सकते हैं 

         ( शयन और वस्त्र को छोड़कर) 


20☘चौथे पाप का पश्चाताप न करके मरता ❓

20 ✍🏻 रावण.  🙏🏼


21☘तिर्यच गति में पुण्य सबसे ज्यादा किसका है ❓

21. ✍🏻चक्रवर्ती के गजराज का


22☘पांचवें पाप का पश्चाताप न करके मरता ❓

22. ✍🏻 मम्मन सेठ 


23☘एकेन्द्रिय पुण्य ज्यादा कमा सकते या विकलेन्द्रिय❓

23. ✍🏻 एकेन्द्रिय... 🙏🏼


24☘पांचवें पाप परिग्रह का पश्चाताप किसने किया ❓

 24  ✍🏻 कपिल    🙏🏼


25☘किस पशु ने मुनिराज को आहार लेते देखकर पुण्य का सर्जन किया ❓

 25✍🏻 हिरण ने  बलभद्रजी को 🙏🏼


26☘किस तप से ज्यादा पाप क्षय होता है ❓

 26.  ✍🏻पश्चाताप.  .🙏🏼


27☘कंगाल व्यक्ति कौनसा पुण्य कर सकता है ❓

 27✍🏻मन, वचन, काया नमस्कार 👏🏻


28☘सभी पापो से निवृत्त हो रहा हूँ, उसे एक शब्द में कैसे कहेंगे ❓

28. ✍🏻 निस्सहिं           🙏🏼


29☘अच्छे विचार रखना कौनसा पुण्य हैं ❓

 29  ✍🏻 मन पुण्य    🙏🏼


30☘पाप कितने प्रकार से बांधते हैं और पुण्य कितने प्रकार से भोगते है ❓

30✍🏻 18 प्रकार से बांधते 

           42 प्रकार से भोगते 





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 12/10/2017


AAJ KE PRASHN


*प्रतिक्रमण 145*


*चौथा आवश्यक*


*प्रतिक्रमण*


18 पापस्थानक


721, क्रोध पाप की आलोचना किसने की❓

🅰चंडकौशिक सर्प


722,  मान की आलोचना किसने की❓

🅰 दर्शाणभद्र राजा , बाहुबली जी  


723, माया की आलोचना किसने की❓

🅰 मल्लिकुमारी का पूर्व भव  


724, लोभ पाप की आलोचना किसने की❓

🅰 कपिल ब्राह्मण  


725, राग  की आलोचना किसने की❓

🅰जितशत्रु राजा  , उदायन  राजा 


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 13/10/2017


AAJ KE PRASHN


*प्रतिक्रमण 146*


*चौथा आवश्यक*


*प्रतिक्रमण*


18 पापस्थानक


726, द्वेष  की आलोचना किसने की❓

🅰 जितशत्रु आदि 6 राजा ( मल्लिकुवरी से सादि करने आये )


727,  कलह की आलोचना किसने की❓

🅰 चेडाराजा - चंडप्रद्योत


728, अभ्याख्यान की आलोचना किसने की❓

🅰 केतुमतीजी (अंजनजी जी के सासुजी)


729, पैशून्य पाप की आलोचना किसने की❓

🅰 रुषभदेवजी के 98 पुत्रों


730, परपरिवाद  की आलोचना किसने की❓

🅰 गोशालक 

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 02/10/2017


AAJ KE PRASHN


*प्रतिक्रमण 137*


*चौथा आवश्यक*


*प्रतिक्रमण*


18 पापस्थानक


681  , क्या पाप 18 ही है❓

🅰 मुख्य पाप 18 हैं । अन्य पापो का इसमे संविस्ट हो जाता हैं ।


682 ,, पाप ज्यादा है या पापस्थानक ❓

🅰 पाप


683, 18 पाप का स्वरूप किसमें जानने मिलता हैं❓

🅰 प्रतिक्रमण सूत्र , आचारांग सूत्र , सुयगडांग सूत्र , भगवती सूत्र ,प्रश्न व्याकरण सूत्र आदि आगमो में ।

नव तत्व में चौथे पापतत्व में पाप स्तानक और उसके कटु फल का वर्णन हैं


684, पापतत्व हेय हैं या उपादेय❓

🅰 हेय हैं यानी छोड़ने लायक 


685 , पापस्थानक का स्वरूप जानने की जरूरत क्या है ❓

🅰 उसे जानकर त्याग किये बिना धर्म की प्राप्ति नही होती ।

मोक्षार्थी साधक पसपभीरु बन पाप का त्याग कर सके स् लिए पापस्थानक का स्वरूप जानना जरूरी है







18 पापस्थानक


696 , श्रावक कितने पाप का सेवन करता है❓

🅰 17


697, साधु कितने पाप सेवन करते है❓

🅰 एक भी नही


698, पाप तत्व में कर्म कितने आवे❓

🅰 आठ कर्म 


699 , सब से पहले कौनसा पाप जाता है❓

🅰 18 वा मिथ्यादर्शन


700, पाप का त्याग कैसे करते हैं❓

🅰 पाप के स्वरूप को ज्ञ परिज्ञा से जानकर ,प्रत्यख्यान षज्ञसे पचखान से पाप प्रवृति त्याग करते हैं


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 09/10/2017


AAJ KE PRASHN


*प्रतिक्रमण 142*


*चौथा आवश्यक*


*प्रतिक्रमण*


18 पापस्थानक


706, ऐसा पाप जो खुद भी भुगते और वारिश भी भुगते❓

🅰 परिग्रह


707, सभी का सुख चैन उड़ाने वाले पाप ❓

🅰 कलह


708, कौनसा पाप जैसा बंधा ऐसा ही भुगतना पड़ता है❓

🅰 अभ्याख्यान


709, पाप का बाप कौन❓

🅰 लोभ


710, सर्व पाप और दुख की माता ❓

🅰 हिंसा


711, 18  पाप का कौनसे एक पाप में समाविष्ट होता है❓

🅰 हिंसा में


712, 18 पाप में शल्य कितने है ❓कौनसे❓

🅰 दो

माया (शल्य ,) मिच्छादर्शन (शल्य)


713 , 18 पाप सेवन से जीव को क्या नुकशान होता हैं❓

🅰 भगवतीसूत्र जयंतीबाई श्राविका के अधिकार में दर्शाया के जीव भारी कर्मि होता हैं और भव भ्रमण बढ़ता है


714, कौनसे जीव पापकर्म नही बांधते❓ 

🅰 दशवैकालिक में वर्णित 

*यतनापूर्वक चले , उठे , बैठे , खड़े रहे , सोए , खाये ,  बोले यह जीव पाप कर्म नही बांधते*


715, सामायिक में कितने पाप का त्याग हैं❓

🅰 अठरह 18


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 11/10/2017


AAJ KE PRASHN


*प्रतिक्रमण 144*


*चौथा आवश्यक*


*प्रतिक्रमण*


18 पापस्थानक


716, प्राणातिपात पाप की आलोचना किसने की❓

🅰  अयवंतामुनि जी


717,  मृसवाद की आलोचना किसने की❓

🅰 गौतमस्वामी जी


718, अदत्तदान की आलोचना किसने की❓

🅰 प्रभव आदि 500 चोर 


719, मैथुन पाप की आलोचना किसने की❓

🅰 अर्निकजी , नन्दिषेण मुनिजी , स्थूलिभद्रजी आदि 


720, परिग्रह की आलोचना किसने की❓

🅰 इक्षुकार राजाजी 


12 व्रत - आठवा व्रत अनर्थ दंड


471, अर्थ दंड किसे कहते है❓

🅰 खुद के या स्वजन के निमित्त से जो हिंसा होती हैं उसे अर्थ दंड कहते हैं


472, अनर्थ दंड के पाप कितने है❓

🅰 चार 4


473, अनर्थ दंड के पाप कौन कौनसे है ❓

🅰 अवज्जाणाचरि यं

पमायाचरियं

हिंसप्पयाणम्

पवकम्मोवयेसं


474, आठवा व्रत कितनी कोटि से ग्रहण करते हैं❓

🅰 झघन्य 1 कोटि माद्यम 3 कोटि उत्तकृस्ट 9 कोटि


475, श्रावक आठवा व्रत कितने समय के लिए ग्रहण करता है❓

🅰 झघन्य यथाकाल ,उत्तकृस्ट यवतजीवन 


18 पापस्थानक


676 , जगत के जीवों दुःखी क्यों हैं❓

🅰 जीवो की पापमय वृती और पाप प्रवृति के कारण दुःखी हैं


677 , पाप किसे कहते है❓

🅰 जिससे आत्मा के साथ असुभ कर्मो का बंध होता हैं, जिसके फल भुगतना आत्मा को कड़वा लगे , जिससे आत्मा कर्मो से भारी बने , उसे पाप कहते है


678, पापस्थानक का मतलब क्या है❓

🅰 पाप के आने का स्थान 


679, पाप को पापस्थानक क्यों कहा है❓

🅰 जो स्थान के भाव का सेवन करनेसे पाप लगता है यह पाप स्थानक हैं । यह पाप की उत्पत्ति करनेवाला हैं । इससे दुर्गति होती हैं, इस लिए उसे पापस्थानक कहते है। 


680, पापस्थानक कितने हैं❓

🅰 अठारह 18


*जिन आज्ञा विरुद्ध कुछ लिखा हो तो मिच्छामि दुक्कडं🙏🏻*


✍🏿Aarti Gosalia Mumbai


 

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🙏🏼जिन आज्ञा विरूद्ध कुच लिखा हो तो मिच्छा मि दुक्कडम 🙏🏼

सौ.. जया बोरा ( कुकाना)




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