नरक और परमाधामी
नरक में १५ परमाधामी की भयंकर वेदना
१. अंब ५०० योजन उछाले
२. अम्बरीष छुरे से टुकड़ा करें
यष्टि-मुष्टि से प्रहार करें आंत - हृदय को फाड़े (मुद्री का प्रहार ४. सबल
३. श्याम
५. रौद्र भाला, बरछी से विंधे
अनंत ता
अनंत
अनंत
९
६. महारौद्र अंगोपांग छेदे
७. कालदेव उबलते तैल में डाले
८. महाकालदेव - मांस के टुकड़े खिलाते
६. असिपत्र तलवार से टुकड़ा करें
१०. धनुष बाणों से नाक, कान विंधे
११. कुंभदेव
कुंभीपाक में पकावे
१२. बालुका तपी हुई रैती में भुजे
१३. वैतरणी
१४. खरस्वर
तपे हुए सीसे में डाले
काँटें वाले वृक्षों से रगड़े
१५. महाघोष पशुओं के समान बाड़े में डाले
नारकी की दस क्षेत्र वेदना
परमाधामी-देवकृत वेदनाएं
परमाधामी देव असुरकुमार देवों की एक जाति है। वह पन्द्रह प्रकार के होते हैं। दूसरों को दुःख देना और दुःखी देखकर प्रसन्न होना तथा आपस में लड़ना-भिड़ना और लड़ाई देखकर आनन्द का अनुभव करना इनका स्वभाव है। ये परमाधामी देव नारकी जीवों को इस प्रकार कष्ट पहुंचाते हैं :-
(१) अम्ब-नारकी जीवों को आकाश में ले जाकर एकदम नीचे पटक देते हैं।
(२) अम्बरीष-नारकी जीवों को छुरी वगैरह से छोटे-छोटे टुकड़े करके भाड़ में पकने के योग्य बनाते हैं।
(३) श्याम रस्सी या लात-घूंसे वगैरह से नारकी जीवों को मारते हैं तथा भयंकर कष्टकारी स्थानों में ले जाकर पटक देते हैं। जैसे सिपाही चोर को मारता है उसी प्रकार ये परमाधामी नारकियों को बुरी तरह पीटते हैं।
(४) शबल-जैसे सिंह, बिल्ली या कुत्ता अपने भक्ष्य को पकड़कर उसे चीर-फाड़
कर मांस निकालता है, उसी प्रकार ये परमाधामी देव नारकी के शरीर को चीर-फाड़ कर
मांस जैसे पुद्गल को बाहर निकालते हैं। (५) रुद्र-जैसे देवी के भोंपे (पंडे) बकरा आदि को त्रिशूल से छेदते हैं और शूलों से बींधते हैं, उसी प्रकार ये परमाधामी नारकी जीवों को छेदते-भेदते हैं।
(६) महारौद्र-जैसे कसाई मांस के खण्ड-खण्ड करता है, उसी प्रकार ये परमाधामी जैन तत्त्व प्रकाश (50) सिद्ध भगवान्। नारकी जीवों के शरीर के खण्ड-खण्ड करते हैं।
(७) काल-जैसे हलवाई गरम तेल वाली कढ़ाई में पूड़ी या भुजिया तलता है, उसी प्रकार थे परमाधामी नारकी का मांस काट-काट कर और तेल में तलकर उसी को खिलाते
(८) महाकाल जैसे पक्षी मुर्दा जानवर का मांस नाँच-नोंच कर खाते हैं, उसी प्रकार ये परमाधामी नारकी का मांस चीमटे से नोंच-नोंच कर उसे ही खिलाते हैं।
(९) असिपत्र-जैसे योद्धा संग्राम में तलवार से शत्रु का संहार करता है उसी प्रकार ये परमाधामी तलवार से नारकियों के शरीर के तिल के बराबर बराबर छोटे-छोटे खण्ड करते हैं।
(१०) धनुष-जैसे शिकारी कान तक धनुष को खींच कर, बाण से पशु के शरीर को भेदता है, उसी प्रकार ये परमाधामी बाणों से नारकी जीवों के शरीर को चीर-फाड़ कर, उनके कान आदि अवयवों का छेदन करते हैं।
(११) कुम्भ-जैसे गृहस्थ नींबू को चीर-फाड़ कर उसमें नमक-मिर्च आदि मसाला भर कर घड़े में अचार डालता है, उसी प्रकार ये परमाधामी नारकी के शरीर को चीर-फाड़ कर, उसमें मसाला भर कर कुम्भी में पकाते हैं।
(१२) बालुक जैसे भड़भूजा उष्ण रेती की कढ़ाई में चना आदि धान्य को भूजते हैं, उसी प्रकार ये परमाधामी नारकी जीवों को गर्म बालू में भूजते हैं।
(१३) वैतरणी-जैसे धोबी वस्त्र को धोता है, निचोड़ता है, पछाड़ता है, उसी प्रकार ये परमाधामी असुर वैतरणी नदी की शिला पर नारकियों को पछाड़-पछाड़ कर धोते हैं तथा गरम मांस, रुधिर, राध आदि पदार्थों से उबलती हुई नदी में नारकियों को फैंक कर उन्हें तैरने के लिए मजबूर करते हैं।
(१४) खरस्वर-जैसे शौकीन लोग बगीचे की हवा खाते हैं, उसी प्रकार ये परमाधामी विक्रिया से बनाए हुए शाल्मली वृक्षों के समान वन में नारकियों को बिठला कर हवा चलाते हैं, जिससे तलवार की धार के समान तीखे पत्ते उन वृक्षों से गिरते हैं और नारकियों के अंग कट-कट कर गिरते हैं। ये शाल्मली वृक्षों पर चढ़ा कर करुण चिल्लाहट करते हुए नारकियों
को खींचते हैं।
(१५) महाघोष-जैसे निर्दय ग्वाला बकरियों को बाड़े में ठूंस तूंस कर भरता है, उसी प्रकार ये परमाधामी घोर अन्धकार से व्याप्त संकड़े कोठे में नारकियों को ठूंस-ठूंस कर खचा खच भरते हैं और वहीं रोक कर रखते हैं।
मांसाहारी जीव नरक में उत्पन्न होते हैं। यमदेव (पूर्वोक्त परमाधामी) उनके शरीर का मांस चिमटे से नोंच कर तेल में तलकर या गरम रेत में भून कर उन्हीं को खिलाते हैं। कहते हैं-ले, तुझे मांस भक्षण करने का बड़ा शौक था! अब उसका फल चख ! जैसे तुझे दूसरे प्राणियों का मांस पसन्द था, वैसे ही अब इसे भी पसन्द कर!
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*📕 कल के लिए 10 प्रश्र्न 📘*
*DATE~25/5 /2024*
*आशीर्वाद एवं प्रेरणा स्रोत*
*श्री चम्पक गच्छ नायक तपस्वीराज परम पूज्य गुरुदेव श्री पारस मुनिजी म.सा*
*प्रवचन प्रभावक परम पूज्य श्री पंकज मुनीजी म सा*
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*🌸आज के सहयोगी 🌸*
*जितेन्द्र लोढ़ा*
*पनरूट्टी TN*
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🦜 *टॉपिक -::- कौनसे परमाधामी के द्वारा नारकी जीव को भयंकर वेदनाएँ⁉️*
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*पारस प्रश्नमंच*
*विषय = कौनसे परमाधामी के द्वारा नारकी जीव को भयंकर वेदनाएँ⁉️*
1️⃣ 500 योजन उछालते है❓
🅰️ अम्ब
2️⃣ भाला-बरछी आदि से मारते है ⁉️
🅰️ रुद्र देव
3️⃣ अंगोपागको छेदते है ⁉️
🅰️ महारूद्रदेव
4️⃣ गरमागरम तेलमे डालते है⁉️
🅰️काल
5️⃣ छूरे से टुकडे करता है ⁉️
🅰️ अम्बरीष
6️⃣ यष्टिमुष्टिसे प्रहार करता है⁉️
🅰️ श्याम
7️⃣ हृदयको फाडते है ⁉️
🅰️ शबल
8️⃣ कांटीले वृक्षो से घिसते है ⁉️
🅰️ खरस्वर
9️⃣ तलवारसे टुकडे करते है⁉️
🅰️ असिदेव
1️⃣0️⃣ तप्त सीसेमे डालते है ⁉️
🅰️वेतरणी
🙍♂ 1⃣नरक में कितनी तरह की वेदना है ♓
🅰10
2⃣कौनसे देव क्या देते है
🅰परमाधामी देव वेदना देते है
3⃣महाकाल देव क्या करतें है
🅰माहाघोष
5⃣धनुष देव का क्या काम ♓ 🅰बाण से नाक कान बींधना
6⃣नरक की एक नदी का नाम ♓
🅰वैतरणी
7⃣किस नदी में क्या होता है
🅰वैतरणी नदी में तपे हुए शीशे पिलाते है
8⃣6आरे का वर्णन सुनकर संसार से कोन उदासीन बने ♓
🅰नानालाल जी म सा
9⃣परमाधामी देवों में प्रथम देवों का क्या काम ♓
🅰अम्बदेव उछालते है
1⃣0⃣अम्बदेव कितने योजन उछालते है ♓
🅰500योजन
1⃣1⃣11वे देव का क्या नाम है ♓ 🅰कुम्भ देव
1⃣2⃣तलवार से टुकडे करना कौनसे देव का काम है
🅰असिपत्र देव
1⃣3⃣मुष्टिक प्रहार देव कौनसे ♓
🅰श्याम
1⃣4⃣काल देव का कार्य क्या
🅰उबलते हुए तेल मे डालना
1⃣5⃣नारकीय जीवों को किस में सेंका ओर चलाया जाता है ♓
🅰बालुका प्रभा
1⃣6⃣कामभोग की तीव्र अभिलाषा करता है उसे कौनसे देव वेदना देते है ♓
🅰खरस्वर देव
1⃣7⃣खरस्वर देव क्या वेदना देते है
🅰आलिंगन करके काटे वालेवृक्ष से रगड़ते है
1⃣8⃣गलत तरीकों से देखने वाले को कौनसे देव क्या वेदना देते है ♓
🅰रौद्र देव
1⃣9⃣रौद्र देव क्या वेदना देते है ♓
🅰भाला और बर्छिसे नयन चक्षु को विँधना
2⃣0⃣अम्बरीषदेव का क्या कार्य
🅰छुरे द्वारा अंग के टुकडे करना
2⃣1⃣आतें को फाड़ना का कार्य कौनसे देव का
🅰सबल देव
2⃣2⃣नरक की गर्मी कितनीआग्म शब्द लिखे
🅰1लाख मन लोहे का गोला भी तुरंत पानी हो जाये उससे भी ज्यदा गर्मी
2⃣3⃣नरक जाने के कारणो का एक शब्द में पूर्ण समावेश हो जाता है शब्द कौनसा ♓
🅰सप्त कुवय्सन का त्याग
2⃣4⃣10वी वेदना में कौनसी आवाज आती है
🅰चारों तरफ से मारो मारो
2⃣5⃣गंगा ओर सिंधु नदी का कितने योजन पाट है
🅰साढ़े बासठ योजन
62*5
पाठशाला लेने वाला
हंसराज भंसाली
1⃣7
2⃣असंख्यात
3⃣4
महाआरम्भ,महापरिग्रह, मद्य मांस का सेवन,पंचेन्द्रिय वध
4⃣संहनन नहीं
5⃣हुण्डक ।मिले हुण्डक करे तो भी हुण्डक
6⃣हाँ ।एकदूसरो को तकलीफ देकर हसते हैं ।
7⃣अधोलोक में
8⃣इक भी नहीं
9⃣ 5
पंचेन्द्रिय ही नरक में जाते हैं ।
कुम्भी में
1⃣1⃣परमाधमि देवता
1⃣2⃣नैरयिक मरकर देवता नहीं बनते
1⃣3⃣मक्खि नरकमें नहीं जाती ,चोरेन्द्रिय हैं और चोरेन्द्रिय नरक में नहीं जाते ।
1⃣4⃣पहली नरकसे
1⃣5⃣6,7 वि नारकी से निकला हुवा जीव
1⃣6⃣2 मनुष्य,तिर्यंच पंचेन्द्रिय
1⃣7⃣अंजना
1⃣8⃣युगलिक ,समुर्च्छिम मनुष्य ।
1⃣9⃣मन वाले
2⃣0⃣वासुदेव ,श्रीदेवी(चक्रवर्ती की पटरानी),
2⃣1⃣कोई नरक में नही
नरक में केवल एक नपुंसक वेद होता हैं ।
2⃣2⃣नैरयिक देशना नहीं सुन सकते हैं
2⃣3⃣नैरयिक व्रत नही ले सकते ,चौथे गुणस्थान से आगे नहीं जा सकते हैं।
कौनसी नरकमें?
2⃣4⃣7वि नारकी में 500 धनुष।
2⃣5⃣7 वि नरक में
2⃣6⃣दक्षिण दिशा में
2⃣7⃣केवल दर्शन
2⃣8⃣क्रोध
2⃣9⃣भय, नैरयिक को सदा परमाधामि देवता ,दूसरे नैरयिक का भय लगा रहता हैं ।
3⃣0⃣अनंत बार ।
3⃣ अधोलोक में नारकी जीव कहा रहते है ❓
🅰अधोलोक में रहे हुए नरक स्थानों में नारकी जीव रहते है ❗
4⃣अधो लोक की लंबाई कितनी है ❓
🅰 सात रज्जू से कुछ ज्यादा❗
5⃣ऊर्ध्व लोक की लंबाई कितनी है ❓
🅰सात रज्जू से कुछ कम ❗
6⃣स्थावर जीव कहा रहते है ❓
🅰 14 राजू प्रमाण लोक में सर्वत्र व्याप्त है यानी यानी सब जगह रहते है ❗
7⃣ लोक में त्रस जीव कहा रहते है ❓
🅰 त्रस जीव त्रस नाल में रहते है ❗
8⃣मध्य लोक की लंबाई कितनी है ❓
🅰 1800 योजन ❗
9⃣ नरक स्थानों में जहाँ नारकी जीव रहते है उसे क्या कहते है ❓
🅰नरकवास ❗
1⃣0⃣नरकावास में नारकी जीव कहा उत्पन्न होते है ❓
🅰वज्रमय कुंभियो में ❗
1⃣1⃣ये कुंभिया कहा रहती है ❓
🅰ये कुंभिया प्रतरो की दीवालो में फिट रहतीहै ❗
1⃣2⃣ नारकी जीवो को कितने रोग लगे रहते है ❓
🅰5 करोड़ 68 लाख 99 हजार 584 रोग लगे हुए है ❗ये एक प्रश्न पत्र में तथा
जैन तत्व प्रकाश में 6 करोड़12 लाख 50000 छोटे रोग लगे रहते है ❗
1⃣3⃣ नारकी के कुल कितने नरकावास होते है ❓
🅰 84 लाख नरकावास ❗
1⃣4⃣ नारकी जीवो को दुख देने वाले कोनसे देव होते है और कितने ❓
🅰 परमाधामी देव और 15 होते है ❗
1⃣5⃣ये देव कोनसी नरक तक जाकर दुख देते है ❓
🅰 तीसरी नरक तक ❗
1⃣6⃣सातो नारकी के कुल कितने प्रतर है ❓
🅰प्रतर 49, अन्तर आंतरे 43 ❗
1⃣7⃣ भवनपति देव कहा रहते है ❓
🅰 प्रथम नरक में 13 प्रतर है ओर 12 आंतरे है उनमें से ऊपर नीचे के दो अंतरे को छोड़कर बाकी के दस आंतरे में भवनपति देव रहते है ❗
1⃣8⃣क्षेत्र वेदनाए कितनी प्रकार की है ❓
🅰दस ❗
1⃣9⃣इन्द्र की सभाएं कितनी होती है ❓
🅰 5 ❗
2⃣0⃣ 5 सभाएं कोन कोनसी है ❓
🅰उपपात ,अलंकार ,अभिषेक ,व्यवसाय,सुधर्मा सभा ❗
2⃣1⃣ सातों नारकी के कुल नरकावास कितने है ❓
🅰 गम्मा ,वंसा ,शीला ,अंजना ,रीठा ,मगा माघवई ❗
2⃣3⃣ पहली नारकी का गौत्र क्या है ❓
🅰रत्न प्रभा ❗
2⃣4⃣ भवनपति देव कितने है ❓
🅰 दस ❗
2⃣5⃣ परमाधामी देव कितने प्रकार के होते है ❓
🅰पन्द्रह ❗
2⃣6⃣अधोलोक का आकार कैसा है ❓
🅰 उल्टे सकोरे की आकृति के समान है ❗
2⃣7⃣ लोक की लंबाई कितनी है ❓
🅰 14 रज्जू लम्बा ❗
2⃣8⃣परमाधामी देव किस जाति के देव होते है ❓
🅰 असुर कुमार जाती के देव ❗
2⃣9⃣ नारकी जीवो।को कुल कितनी प्रकार की वेदना होती है ❓
🅰 तीन प्रकार की ❗
1️⃣7️⃣हमारे यहां ढेर सारे रत्न है फिर भी हम परेशान है ?
1️⃣7️⃣🅰️रत्न प्रभा नरक
1️⃣8️⃣हम पल पल भयंकर दुःखों का अनुभव कर रहे है ?
1️⃣8️⃣🅰️नारकीके जीव
🙏श्री विघ्नहरा पार्श्व नाथ भगवान की जय🙏
*🌲टॉपिक,गती🌲*
✍मनुष्य को चाहिए कि झूठ से कामना सिद्धन करे ।
गति ~ नरक
1. संसारी जीव किसे कहते हैं ⁉️
Ans. जो संसार का भ्रमण करता है , एक गति से दूसरी गति में जाता हैं , वह संसारी हैं।
2. संसारी जीवो को कितने भागो में विभक्त किया गया है ⁉️
Ans. गति की दृष्टि से चार भागों में ~ नरक , तिर्यंच , मनुष्य , देव।
3. गति किसे कहते हैं ⁉️
Ans. पूर्व गति को छोड़कर नये जन्म के लिए गमन करना गति हैं।
4. गति कौनसे कर्म के उदय से प्राप्त होती हैं ⁉️
Ans. नाम कर्म के उदय से।
5. नरक किसे कहते हैं ⁉️
Ans. जहाँ नारकीय जीव अत्यधिक दुःखमय स्थिति में रहते हैं , घोर वेदना भोगते हैं , उसे नरक कहते हैं।
6. नारकीय जीव कहाँ रहते हैं ⁉️
Ans. अधोलोक में, उनके निवास की सात पृथ्वियाँ हैं वे सात नरक कहलाते हैं।
7. सात पृथ्वियों के गौत्र तथा नाम कौनसे हैं ⁉️
Ans. गौत्र ~धम्मा , वंशा , शैला , अंजना , रिष्ठा , मघा , माघवती।
नाम ~ रत्नप्रभा , शर्करा प्रभा , बालुका प्रभा , पंकप्रभा , धूम प्रभा , तमः प्रभा , महातमः प्रभा।
8. नरक में जीवो की उतपत्ति का स्थान कौनसा हैं ⁉️
Ans. कुंम्भी।
9. कुंभियाँ कितने प्रकार की हैं
Ans. चार ~ ऊंट की गर्दन जैसी टेढ़ी , घृत के कुप्पे जैसी मुख से सकरी और नीचे से चौड़ी , डिब्बे की तरह ऊपर नीचे बराबर , अफीम के डोडे के समान।
10. सात नारकिया कहाँ हैं ❓तथा उन सात पृथ्वियों का क्रम क्या हैं ⁉️
Ans. मेरुपर्वत की समतल भूमि से 900 योजन नीचे अधोलोक हैं। उसी अधोलोक में एक ~ दूसरे के नीचे क्रमशः ये सात पृथ्वियां हैं।
11. नरको में नरकावास कितने हैं ❓वे कितने लंबे ~ चौड़े हैं ⁉️
Ans. सातों नरको के 84 लाख नरकावास हैं। कुछ संख्यात योजन के और कुछ असंख्यात योजन के हैं।
12. प्रत्येक नरक के नरकावास कितने हैं ⁉️
Ans. पहली ~ 30 लाख।
दूसरे ~ 25 लाख।
तीसरे ~ 15 लाख।
चौथे ~ 10 लाख।
पाँचवे ~ 3 लाख।
छठ्ठे ~ पाँच कम एक लाख।
सातवें ~ 5
13. नारकी के जीवों की अवगाहना कितनी हैं ⁉️
1. पौने 8 धनुष 6 अंगुल।
2. साढ़े 15 धनुष 12 अंगुल।
3. सवा 31 धनुष
4. साढ़े 62 धनुष
5. 125 धनुष
6. 250 धनुष
7. 500 धनुष।
Ans. जघन्य ~ सातो ही नारकी के जीवों की अवगाहना अंगुल का असख्यातवा भाग। उत्तर्वेक्रिय करे तो जघन्य अंगुल का संख्यातवा भाग। उत्कृष्ट अपने आपसे दुगुणी।
14. सात नरको की मोटाई , चौड़ाई कितनी है ⁉️
Ans. 1. एक लाख 80 हजार।
2. एक लाख 32 हजार।
3. एक लाख 28 हजार।
4. एक लाख 20 हजार।
5. एक लाख 18 हजार।
6. एक लाख 16 हजार।
7. एक लाख 8 हजार।
चौड़ाई प्रथम नरक की एक रज्जू है। क्रमशः बढ़ती ~ बढ़ती सातवीं नरक की सात रज्जू हैं।
15. कौनसे जीव किस नरक तक जा सकते हैं ⁉️
Ans. 🔹असन्नी तिर्यंच पंचेन्द्रिय प्रथम नरक तक जा सकते हैं।
🔹भुजपर ( चूहे , नेवले आदि ) दूसरी नरक तक जा सकते हैं।
🔹खेचर ( पक्षी आदि ) तीसरी नरक तक जा सकते हैं।
🔹स्थलचर ( सिंह , गाय , भैस आदि ) चौथी नरक तक जा सकते हैं।
🔹उरपरिसर्प ( साँप आदि ) पाँचवी नरक तक जा सकते हैं।
🔹मनुष्यणी , तिर्यञ्चणी छठी नरक तक जा सकते हैं।
🔹मनुष्य एवं जलचर संज्ञी ( मत्स्य आदि ) सातवीं नरक तक जा सकते हैं।
16. किस नारकी से निकला हुआ जीव किस पद को प्राप्त कर सकता है ⁉️
Ans. 🔹सातो ही नरको से निकला हुआ जीव सम्यक्त्व पद को प्राप्त कर सकता हैं।
🔹 प्रथम छह नरक से निकला हुआ जीव श्रावक पद को प्राप्त कर सकता है।
🔹 प्रथम पाँच नरक से निकला हुआ जीव साधु पद को प्राप्त कर सकता हैं।
🔹 प्रथम चार नरक से निकला हुआ जीव केवली पद प्राप्त कर सकता हैं।
🔹 प्रथम तीन नरक से निकला हुआ जीव तीर्थंकर पद को प्राप्त कर सकता हैं।
🔹 प्रथम दो नरक से निकला हुआ जीव बलदेव , वासुदेव पद को प्राप्त कर सकता हैं।
🔹 प्रथम नरक से निकला हुआ जीव चकवर्ती पद को प्राप्त कर सकता हैं।
17. नारकी के जीवों का आयुष्य कितना हैं ⁉️
Ans. नरक जघन्य उत्कृष्ट
1 नरक। 10 हजार वर्ष एक सागर
2 नरक। एक सागर 3 सागर
3 नरक। 3 सागर 7 सागर
4 नरक 7 सागर 10 सागर
5 नरक 10 सागर 17 सागर
6 नरक 17 सागर 22 सागर
7 नरक 22 सागर 33 सागर।
18. नरकायु बन्ध के कितने कारण हैं ⁉️
Ans. चार ~ महा आरंम्भ , महा परिग्रह , पंचेन्द्रिय वध , मांसाहार।
19. नरक गति का गमना गमन कितनी गतियों में होता हैं ⁉️
Ans. मनुष्य व तिरियंच ~ दो गतियों में।
20. नारकी में कितने प्रकार की वेदना हैं ⁉️
Ans. तीन ~ 1. क्षेत्रजन्य वेदना।
2. परमा धामी देवो द्वारा कृत वेदना।
3. परस्पर उदीरित वेदना।
नए
1⃣7
2⃣असंख्यात
3⃣4
महाआरम्भ,महापरिग्रह, मद्य मांस का सेवन,पंचेन्द्रिय वध
4⃣संहनन नहीं
5⃣हुण्डक ।मिले हुण्डक करे तो भी हुण्डक
6⃣हाँ ।एकदूसरो को तकलीफ देकर हसते हैं ।
7⃣अधोलोक में
8⃣इक भी नहीं
9⃣ 5
पंचेन्द्रिय ही नरक में जाते हैं ।
कुम्भी में
1⃣1⃣परमाधमि देवता
1⃣2⃣नैरयिक मरकर देवता नहीं बनते
1⃣3⃣मक्खि नरकमें नहीं जाती ,चोरेन्द्रिय हैं और चोरेन्द्रिय नरक में नहीं जाते ।
1⃣4⃣पहली नरकसे
1⃣5⃣6,7 वि नारकी से निकला हुवा जीव
1⃣6⃣2 मनुष्य,तिर्यंच पंचेन्द्रिय
1⃣7⃣धुमप्रभा
1⃣8⃣युगलिक ,समुर्च्छिम मनुष्य ।
1⃣9⃣मन वाले
2⃣0⃣वासुदेव ,श्रीदेवी(चक्रवर्ती की पटरानी),चक्रवर्ती
2⃣1⃣किसीभी नरक में नहीं
नरक में केवल एक नपुंसक वेद होता हैं ।
2⃣2⃣नैरयिक देशना नहीं सुन सकते हैं
2⃣3⃣नैरयिक व्रत नही ले सकते ,चौथे गुणस्थान से आगे नहीं जा सकते हैं।
कौनसी नरकमें?
2⃣4⃣7वि नारकी में 500 धनुष।
2⃣5⃣7 वि नरक में
2⃣6⃣दक्षिण दिशा में
2⃣7⃣केवल दर्शन
2⃣8⃣क्रोध
2⃣9⃣भय, नैरयिक को सदा परमाधामि देवता ,दूसरे नैरयिक का भय लगा रहता हैं ।
3⃣0⃣अनंत बार ।
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