जैन सम्मत वास्तु टिप
*आज की जैन वास्तु tip*1
⚡ *तिजोरी के ऊपर कोई भी समान नहीं रखना*
⚡ *तिजोरी के ऊपरी खाने में* *भी रुपये- पैसे नहीं रखना*
*प पू देवेंद्र जी महाराज की प्रेरणा से*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप*2
*घर में स्टोर के पास पूजा कक्ष ना रखें मकान के जिस कोणमें दोष हो वहां शंख बजाना*।
प्रश्न 1, एक गाली सहन करने से कितने उपवास का फलमिलता हैं।
उत्तर 66 करोड़।
2️⃣ , 19 लाख, 63 हजार ,263
पल्योपम नारकायुष्य किसकी
माला गिनने से नष्ट होता है।
🅰️ महामंत्र नवकार.।।
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप3*
*कमरों के ठीक द्वार के सामने बिस्तर नहीं लगाना चाहिए*।
*प्रश्न 1* -, 2 करोड़, 53 हजार, 408 पल्योपम नरक -आयुष्य
किस पचक्खान से टूटते है।
उत्तर 2 घड़ी पचक्खान से टूटते है।
।
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप4*
*घर में दूध वाले वृक्ष से ग्रह स्वामी फेफड़े एवं किडनी रोग से ग्रस्त रहते हैं*
*पकाया भोजन किचन में वायव्य कोण में रखना चाहिए*।
*प्रश्न 1 दंडकारण्य में श्री रामचंद्र जी ने 7 माह और 9 दिन तक महासती सीता मां के लाए हुए फूलों से किसकी पूजा की थी*
*उत्तर -श्री स्तम्भन पार्श्व प्रभु जी की*
आज इसमें लिखा है ,राम चन्द्र जी ने पार्श्व प्रतिमा जीकी पूजा की
अब हटात एक प्रश्न उठता है की रामचंद्र जी सुब्रत स्वामीजी के वक़्त थे, तो पार्श्वनाथ जी की मूर्ति कैसे पूजी , प्रश्न जहन में आना स्वाभाविक ही है,
पर आलौकिक घटनाओं से
इतिहास पटा हुआ है ।
ये मूर्ति सौधर्मेन्द्र जी ने लाकर राम चन्द्र जी को दी थी
और नेमिनाथ जी के वक़्त भी ऐसी घटना घटित हुई थी
कृष्ण जी ने भी पार्श्व मुर्ति प्राप्त की थी
आईंये पलटते है , धर्म ग्रंथ का
एक पन्ना ।(आज जो मूर्ति कृष्ण
जी ने प्राप्त की वह
शंखेश्वर पार्श्व नाथ में हैं )
श्री शंखेश्र्वर पारश्र्वनाथ परमात्मा
भारतभर में विधमान जिन-प्रतिमाओं में प्राय: सबसे अधीक प्राचीन श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ की प्रतिमा है, जो करोड़ो देवताओं और मनुष्यों के द्वारा पूजी गयी है| जिसके दर्शन-वंदन-पूजन और भक्ति और हजारो-लाखो आत्माओं ने सम्यगदर्शन को प्राप्त किया है-प्राप्त सम्यगदर्शन को निर्मल बनाया है और अपने चरित्र के अंतरायो को तुडवाया है|
शंखेश्वर गाँव में सात फनों से अलंकृत श्वेतवर्णीय अत्यंत ही मनोहर यह प्रतिमाजी ७१” ऊँचे है| दर्शक के मन को प्रसन्नता से भर देनेवाले है|
अनेक पूर्वाचार्य महर्षियों ने अपने ग्रंथो के मंगलाचरण के रूप में श्री शंखेश्वर पार्श्वप्रभु को याद किया है|
अजोड महिमावंत इस प्रतिमा का इतिहास भी रोमांचित कर देनेवाले है|
जंबुद्वीप का यही भरत क्षेत्र !
गत उत्सापिर्नी काल में हुए नौवे तीर्थंकर परमात्मा दामोदर प्रभु का शासन |
एक बार अष्ट महा प्रातिहार्य और चौतीस अतिशयो से मुक्त दामोदर परमात्मा पृथ्वीतल को पावन करते हुए एक नगर में पधारे|
प्रभु के आगमन के साथ ही चारो निकाय के असंख्य देवताओं का आगमान हुआ…रत्न-सुवर्ण और राजमय गढ़ से मुक्त समवसरण की रचना हुई| प्रभु की दोशन सुनने के लिए हजारो नर-नारी और पशु-पंखी भी समवसरण में पधारे|
प्रभु के जगत के जीवों के उद्धार के लिए धर्म देशना दी| उस देशना को सुनकर हजारो आत्माओं में सम्यगज्ञान का प्रकाश पैदा हुआ…मिथ्यातत्व का अंधकार दूर हुआ|
उसी समय मानव-पर्षदा में रहे अषाटा श्रावक ने प्रभु को पूछा, “मुझे यह संसार अत्यंत ही भयंकर लग रहा है| हे प्रभो| मेरी आत्मा इस भाव बंधन से कब मुक्त बनेगी ?”\
असाढ़ी श्रावक के इस प्रश्न को सुनकर दामोदर परमात्मा ने कहा ” हे भाग्यशाली ! आगामी काहुबिसी के तेविस्वे पार्शवनाथ प्रभु के गंधार बनकर उसी भव में तुम मोक्ष में जाओगे |”
प्रभु के मुख से अपने भावी मोक्ष को जानकार असाढ़ी श्रावक का मन प्रसन्त्ता से भर आया| उसके अंतर्मन में “पार्श्व प्रभु जीका नाम गूंजने लगा| उसने उसी दिन से पार्श्व प्रभु का नाम स्मरण द्वारा प्रभु की नाम-भक्ति चालु की…उसके बाद उसने पार्श्व प्रभु की प्रतिमा भरवाई और वह उसकी नियमित पूजा-भक्ति करने लगा|
उसके जीवन पर्यंत पार्श्वप्रभु की खूब भक्ति की| आसाढ़ी श्रावक मस्कर सौधर्म देवलोक में पैदा हुआ| ओने अवधिज्ञान द्वारा पूर्व भव में निर्मित पर्श्वप्रभु की प्रतिमा को देखा| वह देव उस प्रतिमा को देवलोक में ले गया| उस देवलोक में भी असंख्य वर्षो तक उस प्रतिमा की खूब पूजा भक्ति व् अर्चना की|
सौधर्म इंद्रने भी दीर्घकाल तक उसकी पूजा की … फिर सौधर्म इंद्र ने वह प्रतिमा ज्योतिष देवलोक के सूर्यदेव को प्रदान की| उसने भी दीर्घकाल तक उसकी पूजा भक्ति की| उसके बाद चन्द्र ने विमान में, फिर सौधर्म इर्शान व प्राणत देवलोक में दीर्घकाल तक पूजी गई| उसके बाद लावन समुद्र के अधिष्ठायाक वरुणदेव नागकुमार तथा भवनपति देवों ने पूजा भक्ति की|
एक बार , सेनपल्ली गाँव के पास कृष्ण वासुदेव और जरासंघ का भयंकर युद्ध हुआ| जरासंघ के पक्ष में अन्य सभी राजा थे जब की कृष्ण के पक्ष में ५६ कोटि यादव थे|
इस युद्ध में कृष्ण सैन्य के पराक्रम को देख जरासंघ ने कृष्ण के सैन्य पर जरा विधा का प्रयोग किया| उस विधा के प्रयोग से कृष्णजी की सैना व्याधि व् जरावस्था से पीड़ित होकर मुर्छित सा हो गया|
मात्र कृष्ण बलदेव व नेमिकुमारजी पर इस विधा का प्रभाव नहीं पड़ा|
अपने सेना की इस दुर्दशा को देखकर निराश हुए कृष्णजी ने नेमिकुमारजी को जरा विधा की युक्ति का उपाय पुछा|
नेमिकुमारजी ने कहा “नागराज धर्नेन्द्र के पास रही प्रतिमा के निन्ह्वनजल से तुम्हारे सैना की मूर्च्छा दूर हो जाएगी |”
श्री कृष्णजी ने अट्टम तप किया| सैन्य के रक्षण की जवाबदारी नेमीकुमार जी ने ली|
अट्टम के प्रभाव से धर्नेंद्रजी ने पार्श्वप्रभु की प्रतिमा कृष्ण को प्रदान की| श्री कृष्ण खुश हो गए| पार्श्वप्रभु के निन्ह्वनजल के छटकाव से कृष्ण का सैन्य पुन: जागृत हो गया| जरासंघ और कृष्णजी के बीच पुन: युद्ध हुआ| उस युद्ध में कृष्णजी की जय हुई|
युद्ध में विजय की प्राप्ति के प्रतीक रूप कृष्ण ने शंख बजाया| वहां पर शंखपुर नगर बसाया गया| उस गाँव में प्रभुजी का भव्य जिनालय तैयार कर उसमे प्रभुजी को बिराजमान किया गया|
उस गाँव के नाम से वे प्रभुजी शंखेश्वर पार्श्वनाथ के नाम से प्रख्यात हुए| लगभग ८६,५०० वर्ष से यह प्रतिमा यहाँ पूजी जा रही है|
१२वि.सदी में सिद्धराज के मंत्री सज्जन सेठ ने पू.आ. श्री देवचन्द्रसूरीजी म.सा. के उपदेश से इस तीर्थ का जिणोरद्वार कर नया मंदिर बनवाकर वि.सं. ११५५ में शंखेश्वर पार्श्व प्रभु की प्रतिष्ठा कराई |
अनुमान है की वि.सं. १७६० में पुन: इस मंदिर का जिणोरद्वार हुआ और विजयप्रभसूरीजी के वरद हस्ते से प्रतिष्ठा की गई|
वि.सं. १९६७ माघ शुक्ल पंचमी के दिन पांच प्रतिमाओं को छोड़ अन्य सभी देरियों की प्रतिष्ठा की गई| यहाँ पर लगे शिला लेखो में सबसे प्राचीन वि.सं. १११४ का व नविन लेख वि.सं. १९१६ का श्री शंखेश्वर पार्श्वप्रभु की प्रतिमा अत्यंत ही चमत्कारी व प्रभावशाली है |
चमत्कारी घटनाएँ :
वि.सं. १७५० में उपध्याय श्री उदयरत्नजी म. खेडा(गुज.) से संघ सहित शंखेश्वर पधारे| उस समय यह मंदिर नहीं था| शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु की प्रतिमा किसी ठोकर में कब्जे में थी| वह ठाकुर एक गिन्नी लेकर प्रभु के दर्शन करने देता था|
देरी हो जाने से पुजारी ने द्वार बाद कर दिया था| पू. उदयरत्नजी म. ने प्रतिज्ञा की, “जब तक प्रभु के दर्शन नहीं होंगे, तब तक अन्न जल नहीं लूँगा| संघ ने भी वैसे ही किया|
सच्चे ह्रदय से की गई इस प्रार्थना के फल स्वरुप अधिष्ठायाक देव प्रसन्न हो गये और उन्होंने उसी समय द्वार खोल दिए| संघ ने प्रभु के दर्शन किए|
वि.सं. १९९६ में चाणस्मा गाँव में आचार्य श्री मतिसागरसूरीजी का चातुर्मास था| उनका उपदेश सुनने के लिए जैन-अजैन सभी लोग आते थे| एक बार उन्होंने प्रवचन में शंखेश्वर प्रभु की महिमा का वर्णन किया| उस वर्णन को सुन वहां के जमीदार के मन में शंखेश्वर प्रभु की श्रद्धा दृढ़ हो गयी| एक बार उसके घर कोई मेहमान आए, जो आँख के मोतिया-बिंदु से परेशान थे| जमीदार ने उन्हें शंखेश्वर चलने के लिए प्रेरणा दी| वे दोनों शंखेश्वर पहुच गए| भाव पूर्वक प्रभु के दर्शन कर उन्होंने प्रभु का न्ह्वन जल अपनी आँखों पर लगाया और आश्चर्य हुआ-आंगतुक मेहमान का मोतिया बिंदु उतार गया….उन्हें स्पष्ट दिखाई देने लगे|
ऐसी एक नहीं , सैकड़ो चमत्कारी घटनाए आए दिन बनती रहती है| प्रभु की महिमा अपरम्पार है| बस, अटूट श्रद्धा और विश्वास चाहिए|
।
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप5*
*मुकदमा विवाद और झगड़े के कागजात उत्तर पूर्व/ ईशान दिशा में रखने से फैसले जल्दी हो जाते हैं*
*प्रश्न 1-दो धनुष से 9 धनुष प्रमाण को क्या कहते हैं*।
*उत्तर1-धनुष-पृथकत्व।*
*प्रश्न 2- भोगप्रधान एक गति*
*उत्तर 2-देवगति*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप6*
*शयन कक्ष में जूठे बर्तन रखने से* *कारोबार में कमी आती है और कर्ज भी बढ़ता है*।
*प्रश्न 1श्री नमस्कार महामंत्र में कुल कितना मात्राएं कितनी है*
*उत्तर-58*
*प्रश्न 2- एक अनूठी विभूति*
*उत्तर 2-माँ*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप7*
*ईशान कोण में यदि कूड़ा कचरा जमा होता है तो शत्रु वृद्धि होती है*
*पलंग पर बीम परछिति या पंखा मानसिक तनाव बढ़ाता है*
*प्रश्न1 सद्गुणों का जनेता*
*उत्तर सद्बुद्धि*
*प्रश्न2 मुनि भगवन्तोकी दुकान*
*उत्तर-उपाश्रय*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप8*
*शयन कक्ष का एक द्वार एक पल्ले का होना चाहिए*
*उपहार में आई कैंची चाकू कभी न रखें चाहे पीहर सेही क्यों ना आए हो*
*प्रश्न1 वेश्या के घर में रहकर भी संयम त्यागी नंदिषेन मुनिजी ने कितने को दीक्षा दिलाई थी*
*उत्तर-43,220*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप9*
*किसी भी घर में देवस्थान होना नितांत आवश्यक है और वह देवस्थान ईशान कोण में होता है*
*प्रश्न1 हर कुंवर सेठानी कहां जाते समय दान देती हुई जाती थी*
*उत्तर- जैन मंदिर*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप10*
*भगवान का मुख पश्चिम में और भक्तों का मुख दर्शन पूजन करते समय पूर्व दिशा में रहता है*
*प्रश्न1 पाटण में रत्न जड़ित गृह मंदिर किस सेठ के घर में था*
*उत्तर- कुबेर दत्त*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप11*
*घर के प्रवेश द्वार पर 2 इंच ऊंची लकड़ी की ही दहलीज होती है*
*एक ही सीध में तीन व्यक्तियों की फोटो कभी भी घर में नहीं रखना*
*प्रश्न1 19 कल्याणको की पावन भूमि*
*उत्तर- अयोध्या नगरी*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप12*
⭐ *तलघर में परिवार की या भगवान की फोटो नहीं रखनी चाहिए*
⭐ *ईशान कोण(उत्तर-पूर्व के मध्य) दिशामें वजन रखना अशुभ और नैऋत्य कोण( दक्षिण-पश्चिम के मध्य) में जितना भार होगा उतना शुभ है*
*
*प्रश्न1 93 वर्ष की आयु में किस गणधर जी को केवल ज्ञान हुआ*
*उत्तर- सुधर्मा स्वामी जी*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप13*
⭐ *रसोई घर में पूजा स्थान अशुभ होता है धोखा खाता है गृह स्वामी*
⭐ *पूजा स्थल के मुख्य द्वार पर दहलीज अवश्य चाहिए*
*प्रश्न1- 52 वर्ष की उम्र में व्याकरण का अध्ययन किसने किया*
*उत्तर- कुमारपाल राजा ने*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप14*
⭐ *नए बर्तन को घर लाने के पश्चात गंगाजल से धोकर रोली से स्वस्तिक बनाकर फिर उनमें धनधान्य भरने से पूरे वर्ष शांति एवं समृद्धि रहती है*
*प्रश्न1 श्री हेमचंद्रआचार्य श्री के पाटन प्रवेश यात्रा में कितने करोड़पति थे।*
*उत्तर-1800*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप15*
⭐ *धनतेरस को खरीदे गए नए बर्तनों को घर खाली नहीं ले जाना, फल फूल मिठाई या कुछ ना हो तो सिक्के डालकर भी ले जाना योग्य है*
*प्रश्न1 मति ज्ञान श्रुति ज्ञान कैसा ज्ञान है*
*उत्तर- जुड़वा/ युग्म*
*प्रश्न 2- मूल शरीर का नाम*
*उत्तर-कार्मण*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप16*
⭐ *कार्यालय के द्वार पर देहली वर्जित है देहली से अवरोध उत्पन्न होता है*
⭐ *कार्यालय में आगंतुकों की कुर्सियों से अपनी कुर्सी कुछ ऊंची रखना*
*प्रश्न1 पैथड महामंत्री ने 84000 श्रावकों को स्वर्ण की क्या दी थी*
*उत्तर- अंगूठियां*
*प्रश्न 2- इंद्रधनुष का अपर नाम क्या है*
*उत्तर- देव धनुष*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप17*
⭐ *दो अंगुलियों में पकड़े हुए नोट लेना अशुभ। लेन देन पांचों उंगलियों से करना*
*प्रश्न1 कर्तव्य विहीन है और अधिकार विहीन मानव कैसा*
*उत्तर- पशु जैसा*
*प्रश्न 2- सद्गुणों काजनेता*
*उत्तर- सद्बुद्धि*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
अंजुगोलछा
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप18*
⭐ *हमेशा शिकायत करने से रोने धोने से घर मेंहानि कारक नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है*
*प्रश्न1 अधिकार जानता है कर्तव्य नहीं जानता वह मानव किसके समान है?*
*उत्तर-राक्षस वत*
*प्रश्न 2- स्व /आत्मा का विस्मरण क्या है?*
*उत्तर- प्रमाद*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
अंजुगोलछा
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप19*
⭐ *घर की देहरी के अंदर खड़े होकर दान देना चाहिए दान लेने वाले देहरी के बाहर खड़े रहे।*
*प्रश्न1 रात्रि भोजन में किस का दोष लगता है*
*उत्तर- अभक्ष्य भक्षण का*
*प्रश्न 2-प्रत्येक वनस्पति काय में कितने जीव*
*उत्तर- असंख्य*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
अंजुगोलछा
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप20*
⭐ *स्नान किए बिना कभी भी दुकान नहीं जाना चाहिए*।
⭐ *छवि फोटो आदि दक्षिण दीवार पर लटकानी/ लगानी चाहिए*
*प्रश्न1 रात्रि भोजन करने से किस तप का प्रायश्चित आता है*
*उत्तर- छट्ठ/बेले का*
*प्रश्न 2- साधारण वनस्पति काय में कितने जीव होते हैं*
*उत्तर- अनन्त*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
अंजुगोलछा
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप21*
⭐ *किसी भी शुभ चौघड़िया में पिसी हल्दी में गंगा जल मिलाकर मुख्य द्वार के दोनों तरफ ॐतथा स्वास्तिक बनाने से अनर्थ संभावना समाप्त हो जाती है*।
*प्रश्न1 रात्रि भोजन करने वाले से रात में पानी पीने वाले को 18 में भाग का क्या लगता है*
*उत्तर- पाप*
*प्रश्न 2- आहार को बचाने वाला शरीर*
*उत्तर- तैजस*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
अंजुगोलछा
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप22*
⭐ *काला कौवा दिखाई देना यानि शत्रु से सावधान रहने का पूर्व संकेत है*।
⭐ *कुल देवता के दर्शन करना समृद्धि में बढ़ोतरी का पूर्व संकेत है*
*प्रश्न1 चारित्र मोहनिया कर्म के प्रभाव से किस की भावना नहीं होती*
*उत्तर- त्याग*
*प्रश्न 2- कषायों पर नियंत्रण करना क्या है*
*उत्तर- शम*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
अंजुगोलछा
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप23*
⭐ *दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके पानी दवाई एवं भोजन नहीं लेना चाहिए*।
*प्रश्न1*स्वयंभूरमण समुंदर में किसके जीव अधिक हैं*
*उत्तर- त्रस काय*
*प्रश्न 2- आत्मा के असंख्य प्रदेश किस में व्याप्त है*
*उत्तर- शरीर में*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
अंजुगोलछा
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप24*
⭐ *घर में बिल्ली का विष्टा करना शुभ सूचक है*।
*प्रश्न1*कर्म सहित आत्मा क्या कहलाती है*
*उत्तर- जीव*
*प्रश्न 2- अनावश्यक कार्य हेतु किया गया पाप*
*उत्तर- अनर्थ दंड*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
अंजुगोलछा
*25:12:20*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप25*
⭐ *दरवाजे की तरफ पैर करके नहीं सोना चाहिए*।
⭐ *ईशान कोण या उत्तर दिशा में* *तुलसी का पौधा लगाने से उधारी दूर होती है*
*प्रश्न1*सामायिक का मुख्य उपकरण*
*उत्तर- चरवला*
*प्रश्न 2- कायोत्सर्ग का उत्कृष्ट काल कितना*
*उत्तर- 1 वर्ष*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
अंजुगोलछा
*26:12:20*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप26*
⭐ *पूजा घर की प्रतिमाएं कभी भी प्रवेश द्वार के सामने नहीं पधराना*।
⭐ *घर में चमगादड़ ओं का वास या उनका मंडराना महा अशुभ कारक है*
*प्रश्न1*अरुण वर समुंदर में किसकी जीत अधिक हैं*
*उत्तर- अप काय के*
*प्रश्न 2- आत्म विकास में बाधक एक दृष्टि*
*उत्तर- दोष दृष्टि*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*अंजुगोलछा*
*26:12:20*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप26*
⭐ *घर दुकान या ऑफिस में सूखे हुए फूल एवं पत्तियों को नहीं रखना*।
⭐ *घर में बंद पड़ी घड़ीया भाग्य को अवरुद्ध करती है*
*प्रश्न1*कौन से सूत्र द्वारा पूज्य गुरु भगवंत से पांच प्रश्न पूछे जाते हैं*
*उत्तर- इच्छा कार*
*प्रश्न 2-कषाय का एक अभिन्न अजीज दोस्त*
*उत्तर- विषय*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*अंजुगोलछा*
*27:12:20*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप26*
⭐ *घर दुकान या ऑफिस में सूखे हुए फूल एवं पत्तियों को नहीं रखना*।
⭐ *घर में बंद पड़ी घड़ीया भाग्य को अवरुद्ध करती है*
*प्रश्न1*कौन से सूत्र द्वारा पूज्य गुरु भगवंत से पांच प्रश्न पूछे जाते हैं*
*उत्तर- इच्छा कार*
*प्रश्न 2-कषाय का एक अभिन्न अजीज दोस्त*
*उत्तर- विषय*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*अंजुगोलछा*
*28:12:20*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप28*
⭐ *घर में रखी हुई रद्दी वस्तुएं लक्ष्मी देवी को नापसंद है अतः रद्दी वस्तुएं निकाल देना चाहिए*।
*प्रश्न1* *शक्रस्तव सूत्र में परमात्मा के कितने विशेषण है।*
*उत्तर-35*
*प्रश्न 2-उनोदरी तप का अपर नाम*
*उत्तर-अवमौद्रय*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*अंजुगोलछा*
*29:12:20*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप29*
⭐ *पूजा स्थल में सुबह शाम जलाया गया दीपक सौभाग्य को आमंत्रित करता है*।
⭐ *पलंग के नीचे सामान या चप्पल- जूते रखने से ऊर्जा का बहाव बाधित होता है*
*प्रश्न1*लघु प्रतिक्रमण सूत्र*
*उत्तर- ईरिया वहियं*
*प्रश्न 2- प्रभु भक्त को क्या कहते हैं*
*उत्तर- उपासक*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*अंजुगोलछा*
*30:12:20*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप30*
⭐ *ऑफिस में पीठ के पीछे पुस्तक की अलमारी नहीं रखना*।
⭐ *मुकदमे झगड़े विवाद से संबंधित फाइलें तिजोरी में या लॉकर में नहीं रखना*
*प्रश्न1*शाश्वत सूत्र कौन कौन से हैं*
*उत्तर- नवकार मंत्र करेंमी भंते नमुथुणम*
*प्रश्न 2- परदेस का सखा कौन*
*उत्तर- विद्या*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*अंजुगोलछा*
*31:12:20*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप31*
⭐ *पूजा स्थल के ऊपर अन्य वस्तुएं नहीं रखना एवं ऊपर आला भी नहीं रखना*।
⭐ *मृत आत्मा के चित्र
पूजा कक्ष में रखने से घर में क्लेश होता है और रोग आते हैं*
*प्रश्न1*गर्भ द्वार में कितने प्रकार की पूजा कर सकते हैं*
*उत्तर- मात्र तीन*
*प्रश्न 2- सम्यक दर्शन कितनी गतियों में प्राप्त कर सकते हैं*
*उत्तर- चारों*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*अंजुगोलछा*
*1:1:21*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप32*
⭐ *घर में पूर्वज के चित्र नैऋत्य कोण या पश्चिम में लगाए जाते हैं*
⭐ *दरवाजे की सीध में या लंबे गलियारे की सीध में बैठना नहीं*
*प्रश्न1*12 व्रत का वर्णन कौन-कौन से सुत्र में आता है*
*उत्तर- वंदितु एवं अतिचार में*
*प्रश्न 2- काम क्रोध किसके कट्टर शत्रु हैं*
*उत्तर- ज्ञान के*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*अंजुगोलछा*
*2:1:21*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप33*
⭐ *रसोई घर में चाकू स्टैंड पर खड़ा नहीं रखना*
⭐ *जूठे बर्तन किचन में रखना शुभ नहीं है*
*प्रश्न1 विश्व का सबसे बड़ा समुद्र कौन सा है*
*उत्तर- स्वयं भूर मन*
*प्रश्न 2- भोग प्रधान गति*
*उत्तर- देव गति*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*अंजुगोलछा*
*3:1:21*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप34*
⭐ *नजर लगाने वाले व्यक्ति के जाते ही तीन अगरबत्ती की धूप पूरे घर में फैला दो*
⭐ *प्रस्थान करते समय चप्पल जूतों का नाम लेना अशुभ है*
*प्रश्न1 *कौन से समुद्र का* *पानी घी के जैसा है*
*उत्तर- घृत वर*
*प्रश्न 2- वस्तु का यथार्थ स्वरूप जिससे जाना जाए उसे क्या कहते हैं*
*उत्तर- सम्यक ज्ञान*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*अंजुगोलछा*
*4:1:21*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप35*
⭐ *टूटा फूटा या चटका हुआ दर्पण घर में अशुभ है*
⭐ *घर के मुख्य द्वार पर प्रभु प्रतिमा या अष्टमंगल की पट्टी अवश्य रखना*
*प्रश्न1 * पूज्य गुरु महाराज जी वासक्षेप लेने के बाद क्या बोलना चाहिए*
*उत्तर- तहत्ति*
*प्रश्न 2- *आत्म स्वरूप में* *रमन करना*
*उत्तर- सम्यक चारित्र*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*अंजुगोलछा*
*5:1:21*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप36*
⭐ *बेडरूम में डबल बेड पर दो अलग-अलग गद्दे रखने से तनाव एवं दंपत्ति में दरार पड़ती है*
⭐ *प्रयाण करते समय लाइट बंद करो ताला लगा दो ऐसा बोलना अशुभ है*
*प्रश्न1 * ऐसा कौन सा मित्र जो सवाल भी नहीं पूछते एवं आलोचना भी नहीं करते*
*उत्तर- पशु मित्र ऊपर से*
*प्रश्न 2- जीवादि नव तत्व पर श्रद्धा रखना क्या कहलाता है**
*उत्तर- सम्यक दर्शन*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*अंजुगोलछा*
*6:1:21*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप37*
⭐ *बीम के नीचे डाइनिंग टेबल रखने से उधार दी हुई रकम वापस नहीं आती*
⭐ *शयन कक्ष में जल तथा दर्पण रखना अशुभ है*
*प्रश्न1 *मन की चंचलता का प्रमुख कारण*
*उत्तर- इंद्रियों की चपलता*
*प्रश्न 2- * वस्तु का यथार्थ स्वरूप जिससे जाना जाए उसे क्या कहते हैं*
*उत्तर- सम्यक ज्ञान*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*अंजुगोलछा*
*7:1:21*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप38*
⭐ *छत पर कबाड़ा रखने से उल्टा मटका रखने से राहु ग्रह कुपित होता है अचानक परेशानियां आती है*
*प्रश्न1 * तीन खंड के अधिपति स्वयं कृष्ण वासुदेव कितनी माताओं का चरण स्पर्श करके फिर राज दरबार में जाते थे*
*उत्तर- 400*
*प्रश्न 2- * मध्य लोक के नीचे क्या हैं*
*उत्तर- नरक पृथ्वीयाँ*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*अंजुगोलछा*
*8:1:21*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप39*
⭐ *भारी अलमारी या फर्नीचर घर में दक्षिण या पश्चिम में रखना*
⭐ *डस्टबिन ईशान कोण में रखने से परेशानियां आती है।*
*प्रश्न1 *हृदय की प्राणवायु*
*उत्तर-अहिंसा*
*प्रश्न 2- * चारों गति में कौन सी काय पाई जाती है*
*उत्तर- त्रस काय*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*अंजुगोलछा*
*9:1:21*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप40*
⭐ *घर के सामने पत्थर की पट्टियां नहीं बिछाना*
⭐ *स्वत: अपने आप बंद होने वाले घर के दरवाजे अशुभ होते हैं*
*प्रश्न1 * वर्तमान भव को छोड़कर आगामी भव में जाना क्या है*
*उत्तर- गति*
*प्रश्न 2-*मुफ्त में प्रकाश कौन देता है*
*उत्तर- सूर्य- चंद्र*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*अंजुगोलछा*
*10:1:21*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप41*
⭐ *घर में अस्त-व्यस्त सामान रखना अशुभ है*
⭐ *बीम के नीचे बिस्तर एवं पलंग नहीं रखना चाहिए*
*प्रश्न1 * पूर्व भव को छोड़कर वर्तमान भव में आना क्या है*
*उत्तर- आगति*
*प्रश्न 2-*मुश्किल से क्या खत्म होती है*
*उत्तर- चाह, चिंता*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*अंजुगोलछा*
*11:1:21*
*आज की जैन सम्मत वास्तु टिप42*
⭐ *शयन कक्ष रसोई गृह एवं भोजन कक्ष बीम रहित होना चाहिए*
*प्रश्न1 * सबसे श्रेष्ठ सुगंध किसकी*
*उत्तर- शील की*
*प्रश्न 2-*कर्म बंधनों के जाल में जकड़ी आत्मा क्या कहलाती है*
*उत्तर-छद्मस्थ*
*प oपु o देवेन्द्र* *श्री जी म०साकी प्रेरणा से*
*अंजुगोलछा*
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