मुझे पहचानो तो मैं जानूँ


 मुझे पहचानो तो मैं जानूँ

1️⃣मुझमें चौबीस तीर्थंकरों का समावेश है।
🅰️लोगग्स
2️⃣पुराने को नया और नये को पुराना बनाना मेरा ही तो काम है।
🅰️काल

3️⃣आज के विषम काल में भी मुनि भगवंत वर्ष में एक दो बार तो मुझसे मिल ही लेते हैं।
लोच


4️⃣मेरी पहचान थोड़ी मुश्किल है क्योंकि योगी और भोगी दोनों मुझे समान रूप से चाहते हैं।
🅰️ एकांत

5️⃣जहाँ  असि, मसि और कृषि का काम होता है वहीं मेरा धाम है।
🅰️कर्म भूमि

6️⃣मैने अपने गुरु की स्मृति में पालीताना नगर बसाया था।
🅰️नागार्जुन (गुरु पादलिप्त जी की याद में)
7️⃣मेरी आठ वंश परंपरा मोक्ष में गयी है ।
 मरु देवी/भरत जी
8️⃣मुझे परमात्मा महावीर ने प्रथम शय्यातरी की उपमा दी थी।
🅰️ जयंती श्राविका
9️⃣मैं दिखने में सुंदर हूँ, खाने में मधुर हूँ परंतु मुझे खाने वाला चिरनिद्रा में सो जाता है।
🅰️किपांक फल (बनचुल वाले)
1️⃣0️⃣ मुझे सूर्य के ताप से भोजन पकाना आता था।
🅰️ नल राजा
  

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भगवान पार्श्वनाथ प्रश्नोत्तरी

जैन प्रश्नोत्तरी

सतियाँ जी 16