हाउजी बनाम शहर

हाउजी बनाम हमारा  शहर 
( ये एक मनोरंजन है मनोरंजन के सिवाय कुछ नहीं .दिल पे मत लेना यार . इसके सारे आंकड़े हाउजी के नंबर के हिसाब से है  इसमें कोई सत्यता नहीं )
हमारे नगर की क्या यही पहचान है ?
३६ गढ़ की क्या बन पाई शान है .
सड़ी नालियाँ  ५६ धारा,बिखरी सी जीवन धारा 
सड़के जिसमे गढ़े ५० -६० 1, १० दिशाओं ४रों ओर बिखरी सड़ांध .1
५-२५ करते रह गए, १९ २० के चक्कर में 
खाई ६५ या पछाड़ ,  ३, पूल की लचर  हालत, ८२-८४ माह से बन rahi जाने कब बनेगी , लग गई पूरी लागत.
बनने चले ६ बे जी बन गए २ बे जी 

अभी थोड़े दिनों पहले की बात बताती हूँ  ,आँखों देखी सुनाती हूँ 
लालकृष्ण  अडवानी थे , आने वाले ,१५, दिन में जोर शोर से श्री कान्त वर्मा मार्ग की सड़क हो गई आनन-फानन
तैयार  . गौर फरमाएं  सिर्फ ७, दिन बाद ही होने लगी टाइल्स गायब .३२ दिनों में बैंच गायब,, नजारा  अजब सड़क की गजब कहानी था , ५७ दिनों में तो फुटपाथ  ही टूट रही थी .पूछा भाई नई सड़क तोड़ रहे हो क्या है . ,माजरा ? बोले बड़े भोलेपन से सड़क बनाने की जल्दी में नाले बनाने भूल गए  ( मन  फुसफुसा  पड़ा- खुदा मेहरबान तो गधा पहलवान .) और  ये  छोटा सा झटका  ७२-८८ लाख पर पड़ा एसे ११,१२ करोड़ के झटके तो न जाने साल  में  में कितनी बार सरकार खाती है ,भई अलग राज्य बननेका  लुत्फ़ उढ़ा रहीहै,  खूब पैसा मिला है   पैसों में नहा रहे  है वहीँ बना रहें फिर वहीँ तोड़ रहें है  १ एक औरकिस्सा  दिलचस्प सुनाती हूँ _. थोड़ी दूर २७ खोली का तरण- पुष्कर बेहाल पड़ा था ,तब  ड़ीपुपारा के तालाबका नवीनीकरण हो रहा था , १३-१४ करोड़  खर्च कर तमाशा बना दिया .और वो ३३ दिन की चांदनी फिर ८३ दिनों में अँधेरी रात हो गया . पर ये सर्व विदित है एक की मुर्खता दुसरे का फायदा ,तो भई बस्ती वालों का का भाग्य ही खुल गया , उन्हें ५ सितारा विथ जाकूजी सामूहिक  स्नानागार (स्वीम्मिंग पूल ) मिल गया . वहां ७४ -७९ लोग रोज़ एक साथ नहाते है रोज़ जमती है ४१- ४२ धोबी पछाड़ .पर मेंटेनेस के आभाव में उस तालाब में ८ बच्चे डुबे कितने मरे कितने बचे  भगवान जाने या जाने  उनके परिजन ,
77-८९  होंगी पुरे शहर में सड़के,जिसमे हरेक में ५४-५५ गढ़े मुस्कुरा रहे है .रोज़ जिसमे ७५ -७६ हड्डिया चटक  रही है . टाउन हॉलऔर जाने क्या- क्या   काम एक साथ  शुरू कर दिए  पर किसी में ५८ किसी में ४३ किसी में ३४ करोड़ लग गए .और अब  नगर पालिका वाले बताते है उनके पास पैसे खत्म हो गए ,किसी में ४५ ,किसी में ३५ किसी में ६१ करोड़ रु . और चाहिए. चारोँ और ईंट मिटटी के ढेर पड़े है , इस बदइन्तजामी के बारे में पूछते  है ,तो बस पैसों का इंतजाम होते ही काम शुरू हो जाएगा,  क्यूँ मचाते हो शोर .८६ - ८७ महीनो तक ही तो बिखरा रहेगा  ईंट मिटटी गारे गिट्टी आदि सामान  सह लो श्रीमान . इस अव्यवस्था के कारण ९० एक्सिडेंट हर महीने होते है भाई, ६४ की जान जाती  है उनकी तो चलो सुधर जाती है .चिंता तो उन बेचारो की है जो २६ सिम्स में भर्ती  होते है वे तो यहाँ साक्षात यहाँ पर नरक पाते है . और  सुनो  नगर का हाल __
खेती की ज़मीन भू माफिया  को बेचते है और सरकारी आंकड़े कहते है ५१ - ५२ सालों में ३० से 40 % तक पैदावार में कमी आई है . 
अब सरकारी स्कूल में शिक्षा का मामला तो और गजब है. एक बानगी- वहां के बच्चे गिनती बोलते है २२,२३,२९,  और मास्टर  ने  शाबाशी  दी , किसी ने कहा गलत पे भी शाबासी वो बोले- धीरे -धीरे सुधर रहे है परसों ३१ बताये  थे ,कल २८ बताएगा फिरअपने  आप २४ बताएगा . 
पर्यावरण के लिए हर वर्ष ४६-४७ सौ  पेड़ लगवाते है पर बेचारे ३७-३८ दिनों में बिन पानी बेजार हो जाते है . क्या बताऊँ आज आवास दिवस पर ६७- ६८ आंसू रो रहा है संस्कार- धानी. संस्कार की बात खूब  चली  संस्कार की  तो बात ही मत पूछो . शहर में ४९-६९ शराब की दुकाने होंगी ९ तो होगी स्कूलों के पास,  बच्चे -बच्चे के हाथ मे
बीडी, गुटखा थमी है.हर बस्ती में ६६,८१ बच्चे ड्रग्स तक लेते है यहाँ के आंकड़े बताते है गुटखा कं ४४से ४८ करोड़ तक कमा रही है .६२-७३ बच्चे कचरा बीनते नज़र आ जायेंगे .जब से उच्च न्यायालय आया है तब ७०-८०% तक  अपराधिक गति-विधिया  बढ़ी है .
बस अब और नहीं उखाड़नी है बखिया कट लो नं. १८,६३.,७८,.सखिया ,
 अब बात कहूँ  एक और सच्ची  हो गई दूसरों पर बहुत छींटाकशी  अपने नगर को सुन्दर बनाना हर नागरिक का अधिकार है .पुरे शहर में ५९  महिला संगढन   बनाओ और हर संगढन में सदस्या संख्या ३९ -५३ रखो  सभी अपने -अपने मोहल्ले के सफाई अभियान में जुट जाओ . देखना नगर  अपने  आप साफ़ होगा और बिलासपुर सुन्दर नगर नं .१ होगा एक ख्वाबगाह अपना सुन्दर शहर . और चलते -चलते एक बात और - इस से किसी को भी खिलवाड़ मत  कर ने दो .७१ -८५ मशाले जलालो  प्रगति की क्रांति की. आग के आगे सब भागे भुत पिशाच हो या नेता अभियंता .

     इति शुभस्य

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