गीत संध्या सञ्चालन

पत्नी को वश में रखने के लिए थोडा बहुत दबाव ज़रूरी होता है  भई यह बात में पहले से जनता हूँ  इसलिए नियमित रूप से में उनके पॉंव दबाता हूँ 

किसी आदमी को अपने प्रभाव से वशीभूत करना और उससे जो  जी  चाहे वह काम करवाना ?                     सम्मोहन  या शादी 

पहले साल पत्नी जान होती है ,फिर साल दर साल जानलेवा 

जो गलती करने पर सॉरी बोले वह समझदार होता है ,जो बिना गलती किये सॉरी बोले वो  विवाहित होता है

कुछ व्यक्ति किताबी कीड़े होते हैं ,पर पत्नी की नज़र में हर पति साधारण कीड़े होते हैं
  गणपति आह्वान 
गणपति ब्रह्माण्ड के सभी सभी देवताओं में आप सर्वप्रथम है १जब तक आपका आगमन नहीं होगा किसी देवता का आगमन नहीं होगा इसीलिए आप आकर हमारी पूजा अंगीकार करे  आपके विराट स्वरुप की स्तुति  -नृत्य  के द्वारा कर रही है   ---------


सूर्य तो ढल गया पर रोशनाई काफी है
संगीत संध्याके सफ़र में गीत काफी है
स्वागत करती हूँ  आपका गर्मजोशी से
महफ़िल की रवानगी के लिए,
आपका सजग साथ ही काफी है
सुधि श्रोता बजा दो एक बार तालियां
बस महफ़िल में रंगीनियत भरने के लिए
इसकी बरकरारता काफी है  ही काफी है1

परंपरा  
विवाह में विदाई के समय क्रंदन करते सास ससुर को देख भाव विह्वल दुल्हे का गला भर आया वह दौड़ कर पिता के पास आया पिता ने स्नेह पुर्वक समझाया वत्स !पुत्री की विदाई पर रोने की प्राचीन परंपरा अभी भी जारी  है  !इनके रोने की चिंता त्याग दो कल से तुम्हारी बारी है !
         

खिले  फूलों में तुम्हें उपवन की तरह देखा है
बरसी बदली में तुम्हे सावन की तरह देखा है 
सजे है  जो ख्व्वाब हमारी जिंदगी के राहों में 
हर ख्व्वाब में तुम्हे  दुल्हन  की तरह  देखा है 

फूलों से तेरे होठों के मुस्कान मांग लूं 
आसमा से तेरी शोहरत के ऊंचाई मांग लूं 
हौसला तेरी बुलंदी का कभी पस्त न हो 
समुन्दर   से तेरे जीवन की गहराई मांग लूं !

क्या  हुस्न के तेवर है 
क्या अदा की रोशनी है 
हजारो  शमाऍ भड़क उठी है 
इस तेरे ढहर  जाने में 

आज घुमड़कर बादल छाएँ है 
  बुलाएं  हुए मेहमान आये  है  
आज  सजी है सितारों  की  महफ़िल 
 गीत संगीत से सजे  नजराने  लायें  है 

लेके नगमों में गुलिस्ताँ का निखार आते रहो 
इस चमन में सूरते फसलें बहार आते रहो 
तुम से कायम हमारी महफ़िल की आबरू 
तुम  हमारी महफ़िल के हो रकार आते रहो 

मधुर मिलन की  बेला  में 
मन बार बार मुस्कराए 
पिया तुम्हारी बाँहों में 
जीवन यूं ही महकता जाए 

इश्क़ में दीदार के कायल सब है 
कोई कह देता है ,कोई नहीं कहता 
मगर  घायल सब हैं 

मुहोबत करने वालों के तकदीर बदलती रहती है, शीशा  तो वही रहता है
तस्वीर बदलती रहती है

फजाओं में पायल बजने लगी है 
महफ़िल में खुशबु बिखरने  लगी है 
तराना कोई बादलों ने सुनाया  है 
सुना  सुना कर बताया है कि अब
दिल थाम लो दोस्तों   दुल्हन स्टेज पर आने लगी है

ब्रेक  मैं 
पति -मांग भरों का अर्थ जानती हो 
पत्नी- सीधी सी बात है पत्नी की मांग (फरमाइश ) 
पूरी करो 

माँ और बीबी के आंसू में फर्क सिर्फ इतना है 
एक दिल को चोट पहुंचाता है   एक जेब को

नई बहु  को आशीर्वचन  
नई  दुल्हन  के आने की बेला में 
आँखों में हर्ष के लहर जगी है 
मन में ख़ुशी का ज्वर उमड़ा है 
भावों के सरिता नीली है 

घर -आँगन  सुगन्धित हो 
ऐसी तुम महक बन जाओ 
तुम्हारे लिए कई सपने सजाए 
तुम उनकी तामीर बन जाओ 

पति का पथ प्रशस्त करो 
तुम उसकी प्रेरणा बन जाओ 
सबको  लगो अपनी सी 
दूध में मिश्री सी घुल  जाओ 

यही दुआएं देती हूँ मुख भर आशीष  तुमे
नंदन वन सी  सौरभ - सुषमा 
सुख -वैभव  का वरदान मिले
मार्त्रितव   गरिमा से मंडित 
अटल अचल सौभाग्य मिले 

पति -गृह में प्रवेश  तुम्हारा 
सुखद सुमंगल सुंदर प्यारा 
दोनों पक्छ  हो गौरव शाली
आँचल में बहे अमृतधारा !
 नई बहु 
प्रथम  बार  बहु का आना,  हमने इस अप्रतिम ख़ुशी को आज जाना 
मन-ज्वार पे काबू पाना ;बहुत कठिन है उन हर्ष उर्मियों को   रोक पाना 
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हैं  लबरेज हंसी से ढंडी हवाए 
खुशियों में डूबी हुई श्याम घटाए 
आज प्रतीक्षित शाम आ चुकी है 
चलो नाच गाने की गंगोत्री बहा
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अन्जुमो की महफ़िल के मेहताब तुझे  सौ  सौ सलाम
भूल नहीं सकते आप के साथ बिताई ये धूम भरी  शाम

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