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बेटे औऱ बेटियां

हम क्यों एक ही को मान देते हैं क्यों नही दोनों को सम्मान देते माना पहले जमाने में बेटों को ज्यादा मान देते थे  पर आज हम  उल्ट कर रहें हैं अब बेटियों को उच्चता दे रहे हैं ,औऱ बेटों को कमतर बता देते हैं ,वो ग़लत थे, तो क्या हम सही है? बेटे बेटियां दोनों अच्छे हैं , ये कब मानेंगे दोनों ही अपने बच्चे हैं ,दोनो ही सच्चे हैं ये कब स्वीकारेंगे, दोनों आपके मान हैं , दोनों आपका सम्मान हैं, परवरिश पे अपनी रखो भरोसा, दोनों  ही पुरेंगे आपकी आशा, एक को नेक बताने के लिये दूसरे में खोट निकालनी क्या जरूरी है , ये नहीं कह सकते ,बेटों के साथ बेटियां जरूरी है, सोच बदलनी होगी , अब भी फर्क रख रहे हो , बेटों से बेटियों को अच्छा बता रहे हो ये फ़र्क़ मिटाना कब सीखोगे, समान्तर रेखा  कब खींच पाओगे, अपने मानदंड  बदल लो तुलनात्मकता के पलड़े में परिवार को मत डालो,

क्षमा याचना दिवस किस से माफ़ी मांगे

सामुहिक खमत खामना , जरूरी है करना ही चाहिए पर कभी 2 लगता हैं ये सामुहिक खमतखामना, एक रीत बनगई ,  पर लगता है कुछ समय बाद ही खमाऊं की ध्वनि, खाऊं -2 की प्रतिध्वनि में परिवर्तित हो जाता हैं, पर मैं कहती हूँ ,आज एक नई परम्परा को अपनाओ ,स्वयं से 2 मिनट नैत्र बंद कर , अपनी आत्मा से ख़माओ, की हमनें कितनी बार इसकी अवमानना कर कार्य किये , ये कितनी बार हमें सही गलत का बोध कराती रही , पर हमनें इसकी एक नहीं सुनी,  इसका जो भोजन है , आध्यात्मिक क्रिया कलाप ,हमनें उसे नहीं दिया, इसे क्षुधाग्रस्त रखा, तो इस बार अवमानित अपनी आत्मा को सम्मानित करो ,इसे पोषित करो ,और इसे आश्वासन दो की मैं तुम्हारी इच्छाविरुद्ध कुछ नहीं करूंगी/करूंगा। सच वह आपका सच्चा क्षमापना दिवस होगा ,स्वयं कीआत्मा को जागृत रखो ,वो आपको गलतियां करने ही नहीं देगा ,औऱ विश्व में तब क्षमापना दिवस की परम्परा ही नहीं रहेगी क्योंकि कोई गलती करेगा ही नहीं

कृष्ण जन्माष्टमी

तुम्हारा आना कान्हा दुनिया का उत्सव था इस नीरस से जग में ठिठोली,रास रंग , नटखट ,लीला का भरा तूने रंग था, तुमने इस दुनिया के तमाम रिश्तों से प्रीत की रीत निभा दी प्रेम वासना से परे ,सात्विक प्रेम की  सीख  सिखला  दी गीता का ज्ञान ,जीने की कला सीखा गया निराशा ,में आशा की ज्योत जल गया संसार में लिप्त दिख कर सदा ,संसार से अलिप्त रहे,    ,आज जन्मदिन पर आपकी येही कामना आप से सदा हमारी प्रीत रहे । प्रेम से बोलो जय श्री कृष्ण  आपकी  अदनी सीभक्तिन Anju

आचार्य को पत्र

पूज्यनी गुरुवर, महामना, महातपस्वी ओजस्वी, शास्त्र निष्णात प्रज्ञा के अनवरत स्तोत्र श्रीमद् गुरुवर आचार्य श्री महाश्रमण जी के पद पंकज में हमारी भावभीनी वंदना स्वीकृत हो|  तथा अरिहंतो से हमारी यही शुभेच्छा है कि आपका वृहद हस्त हम पर अक्षुण्ण बना रहे और ज्ञान साधना चिरतंरता के सभी सोपान पूरे करें| और हम पर आपके सानिध्य की निरंतरता बनी रहे| प्रथमत: तो हम आपका आभार मानते हुए कृतज्ञ हुए जा रहे हैं कि आपने अपनी करुणा दृष्टि छ.ग. पर की और मनेंद्रगढ़ (जो बिलासपुर संभाग में ही है) को समणी केंद्र से नवाजा आपकी  इस जरा नवाजी से उपकृत हुए| बिलासपुर में 2017, दिसंबर में उग्र बिहारी ज्ञानी, श्री कमल मुनि का चाहे अल्पकाल के लिए ही सही पर पदार्पण हुआ| और उनके निर्देशन एवं आपकी आज्ञा के पालनार्थ 30 दिसंबर 2017 से प्रति शनिवार को सामूहिक सामाजिक निरंतर चल रही है|  3 अगस्त को 84 वी सामूहिक सामायिक समापन हो गई | और आगे के लिए कृत संकल्प है बेशक तेरापंथ भवन नहीं है और घर भी एक दूसरे से दूर दूर है,  पर हम लोग प्रत्येक शनिवार को अलग-अलग घरों में क्रमश सामायिक करते हैं | इरादे हुए तो म...

अब कश्मीर हमारा है

आज मेरे दिल ने उकेरे हैं शब्द, आज दिवास्वप्न साकार हो गया, खीर और चीर देंने की बात का मोदी द्वारा अमल हो गया, सरदार वल्लभ भाईपाकिस्तान का आँचल झीना2 हो गया सोचता है दूर मुझ से कितना पश्मीना हो गया अंजु गोलछा आज स्वर्ग से फूल बरसा रहे होंगें,या कभी 2 तो लगता हैं मोदी के रुप में उनका पुन:र्वतार हो गया कश्मीर ले के रहेंगे ,और आज जब वो मिलगया ,तो च्यूंटी काट के विश्वास दिला रहे हैं, खुद को, की वो हमारा हो गया। इतना बड़ा मसला ,यूँ चुटकी में सुलझा ये तो क़माल हो गया, मोदी है तो मुमकिन हैं ,देश  फतह की गाथा हो गया, 15 अगस्त को तिरँगा जब लहराएगा कश्मीर की धरती पे , सब भारतीयों की शान होगा मत घबराना,आर्थिक मंदी से चंद दिनों की मेहमान हैं, हर मुद्दे ,को हल किया तो इसका भी समाधान होगा, मोदी हमारा निगेहबान है, मोदी चिरायु हो और भारत का विकास हो दिवास्वप्न अब साकार हो गया कश्मीर हमारा  मुल्क हो गया , मोदी को झूठा , लबार बताने वालों के मुंह पर ताला जड़ गया और हमारा विश्वास, विजय गान हो गया, मरने के बाद पता नहीं कहाँ जायेगें पर धरती का स्वर्ग अब हमारा हो गया , अब ...

सावन की स्पेशल हाऊजी

सावन की स्पेशल हाऊजी भारत के सभी 82,83  शिवालयों में श्रावणke 4 सोमवार पर हर-हर महादेव और बोल बम बोल की गूँज सुनाई देगी। श्रावण मास30 dino  में शिव-पार्वत‍ी2 ki पूजन बहुत फलदायी होता है। इसलिए सावन मास का बहुत मह‍त्व है। क्यों है सावन की विशेषता? :- हिन्दू धर्म की पौराणिक मान्यता के अनुसार सावन महीने को44  ,55देवों के देव महादेव भगवान3sul dhari शंकर का महीना माना जाता है। इस संबंध में पौराणिक कथा है कि जब79 ,85सनत कुमारों ने महादेव से उन्हें सावन महीना प्रिय होने का कारण पूछा तो महादेव भगवान शिव ने बताया कि जब देवी सती18 saal me अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को 7 जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था।53 49 साल बाद अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से61 rajyoke se 27age ke raja हिमाचल और24 रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने 17 varsh ki युवावस्था के सावन महीने में निराहार रह कर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया, जिसके बाद ही महादेव के लिए5 va यह विशेष ह...

दोस्त एक मधुर अहसास

दोस्त कुछ और नहीं , लगती है ,अपनी परछाई है, इस त्रस्त व्यस्त जीवन को मिली ,रब की रहनुमाई है, हर वक़्त साथ रहती है, हर रंजो -गम ,में साथ निभाती है, विपरीत हो चाहें स्वभाव पर अन्दाज एक ही रहता है, दोस्ती पे जान लुटा दे , जज्बा यही कहता हैं। दोस्ती है तो सरगम है दोस्ती है तो नाज है , दोस्ती है ,तो आपके साज ,की आवाज है जंहा दुनिया आपके मन रखने को सराहती है, वहीं दोस्ती ,भूलों का अहसास कराती है आज रुढे, कल मान जाते हैं, दोस्त ,बचपनें का अहसास कराते हैं दोस्ती बिना, जीवन बिन राग का गीत है , जिंदगी निभाना लगता है एक रीत हैं रूढ़ के मत जाने दो ,अपने  मीत को, अपने ही हाथों मत हारों अपनी जीत को, दोस्त की दूरी , उसके नहीं होने का पल, पल अहसास  दिलाती हैं, उसकी दूरी मन को कचोटती है वादे ,वफ़ा मुहोब्बत ,प्यार जज्बात ,शिकवा गिला , दोस्ती हो तो इनका अर्थ है वरना सिर्फ शब्दार्थ है, दोस्ती वो क्या जाने?जिसके मीत नहीं जिंदगी हैं पर जीस्त नहीं फिर ये ही कहूँगी, दोस्ती ,जिंदगी का प्यारा मधुर,बेबाक सा अहसास है ,एक दिल है तो एक साँस है,

काली पट्टी

मैं देख रही थी बच्चे,खेल रहे थे खेल , एक की आँख में बांधनी थी पट्टी , औऱ उसे ढूंढ़ना था, पर भी कोई तैयार नहीं था बांधने पट्टी, बड़ी मुश्किल से किया तैयार , सिक्का उछाल कर , तभी मेरे को ख्याल आया , कि कोई नहीं चाहता ये बांधना काली पट्टी , क्योंकि जिसके   पट्टी बँधी हो उसे सब चिढ़ाते है, वे भी हवा में हाथ झूलाते है बड़े अजीब दिखते हैं। तो न्याय मुर्ति के आँख पर पट्टी किसने बांधी, अपने मन से ,या जबरदस्ती किसीने बाँध दी , एक दिन मिलूंगी तो कहूंगी हे!न्याय की देवी ,उतार दो ये काली पट्टी, न्याय बच्चों का खेल नहींहै आज तुम्हारी  इस पट्टी का फायदा हर कोई उढ़। रहा है। नेता से लेकर अभिनेता तक, साधु से लेकर शैतान तक । नोंच डालो ये काली पट्टी औऱ पूरी खुली आँखों से न्याय दो , रोक लो ये बम बारी, ये निर्भया कांड ,ये आंतकवाद औऱ जाति वाद कब तक आंख मूंद कर , सच से दूर रह कर  न्याय करोगी कब तक सच को झूठलाती रहोगी, तुम्हारा तराजू भी अब संतुलन खो चुका है पैसों की तरफ झुक चुका है, एक बार खुली आंख से देख ,तुम्हारी बंद आंख ने कितनी तबाही मचाई है  याद कर एक बार औऱ...

अजब गज़ब

अजब गज़ब 1 जो दूसरों के दुख को दूर करने वाले ढेकेदार दूसरे के दुःख पे ख़ुद को पोसते है समाज में गंदगी फैलाकर समाज में फैली गंदगी को कोसते है 2  बहुत छोटा है आतंकवाद     बहुत बड़ा तुम्हारा भौतिकवाद 3, भीतर ही  है अपने चमत्कार     समक्ष आएगा ,जब छोटे छोटे संकल्पों का      बनाओगे आधार     देश काल परिस्थितियों से प्रभावित ना होना     सदा रखना सदाचार। प्रामाणिक संयत हो विचार शुद्व पुस्ट हो आचार सम हो सबसे करना  व्यवहार पर स्त्री पर धन ,पर न आये विकार

रिश्ते

रिश्ते रिश्तों के पैमाने ,आदर्श वाक्य, परिभाषाऐ अलग है पर व्यवहारिक जिंदगी की कसौटी एकदम विलग है रिश्ते दिल के मिलने से नहीं ,आज कहते है सब यही आर्थिक मानकों के मिलने से रहते है सही रिश्ते रिसते है,भावातिरेक उन्माद में जब गरीब दोस्त ,बचपन की दोस्ती केउत्साह में मिल जाता हैं ,अपने अमीर बने दोस्त से तब निरीह सा  अपमान के घूँट पी सोच लेता है दोस्ती ख़र्च होगई ,वस्तु विनिमय के बाजार में दोस्ती बराबर वालों के साथ होती हैं और उन्ही के साथ निभती है कई अनुभवदारों ने समझाया था पर उस वक़्त कहाँ समझ पाया था वो तो सुदामा -कृष्ण का पाढ़ पढ़आया था। दोस्ती निर्मल ,पाक  निस्वार्थ की बात लिखने वाले सुनो, इस हकीकत से वाकिफ हो जाओगे तो संभल जाओगे, आज ,विभीषण ही मिलेंगे कोई कृष्ण आज दोस्त की खातिर राजा से सारथी नही बनता ,ना ही कोई कर्ण दोस्त पे जान लुटाते है सोच समझ कर रहना ,चिकनी मीठी तलवार से और ढाल लगाना, पीढ़ पे औऱ बचना अपनों के वार से

मुक्ति की क्षमता

छोड़ दे आग्रह, विग्रह, शक्ति व आसक्ति को छोड़ के, मोह माया लोभ, प्राप्त कर  निवर्ति को विवेचना छोड शुभ ,अशुभ योग की चेतना जागृत कर,अपने भीतर की इंद्रिय ,विवेक,संवेदनशीलताकी, ज्ञान ,दर्शन ,चारित्र की। बना मन को बली - औऱ यतना वान साधनीहोगी ,तन  की बिगड़ी तान समभावी चेहरे पे रहती ,सदा निश्छल मुस्कान  सुख दुःख की जीवन में बस एक हो तान  पृष्ठ ऋजु लचीली इतनी कर ले कि जिसमें शक्ति ,श्रम का नियोजन होता हैं,  जो भेद विज्ञान का जानता है, जो निर्जरा को मानता हैं। जो सापेक्ष चिंतन रखता हैं निर्भय हो जीता है, बस उसीका भव भृमण, से निस्तार  होता है जिसकी इच्छायें संयमित होती है, बस उसी में ही मुक्त होने की क्षमता होती हैं।

महत्वकांक्षा

सोचती हूँ, सूरज ने भी एक दिन ऊँचाई की चाह  में महत्वकांक्षा की सीढियों  चढ़ी  होगी  ऊंचाई की चाह में कितनी बार गिरते हैं इंसान  फिर किस -किस पर पैर रख का ऊपर चढ़ते है क्या वहां पहुँच कर ऊँचे बहुत ऊँचे  वह खुश रहे पाते होंगे  शायद ,बिलकुल तनहा रह जाते होंगे क्योंकि  सूरज के सामने सिर  तो सब झुकाते हैं    पर करीब कोई नहीं जाता  क्योंकि उसकी महत्वकांक्षा की तपिश सबको झुलसा देती हैं  दोस्ती विश्वास सबको मुरझा देती हैं  बचना ऐ दोस्त ,ऐसी ऊँचाइयों से  जो तुम्हें तन्हा छोड़ दें , भरी भीड़ में 

भागीरथ ओर गंगा

आज भागीरथ आ गए  जमी पे , बहुत खुश मन से गए  वे गंगा के तट पे  पर उनको वो गंगा नहीं दिखी   जिसे वो गए थे छोड़कर , वो बार बार पता पूछ रहे थे,पर हर बार उतर ये ही आया येही तो गंगा है ,कई कई तो हंसे उनकी नादानी पर कैसा है ये मानव गंगा के तट पे खड़ा गंगा का पता पूछ  रहा है .भागीरथ भी सोच रहे है क्या सच येही मेरी भागीरथी है ,हाँ येही होगी नहीं तो देवदूत मुझे यहाँ क्यों छोड़ जाता  बहुत  असमंजंस  में थे खड़े  , यह क्या? मेरी गंगा है  नहीं हो रहा विश्वास मुझे , हे !गंगे देवी,हे ! गंगे बोल- बोल तू ही बता  क्या ? तू ही मेरी आहवान की गई गंगे है। सब कह रहे है तू ही मेरी गंगे है मौन खड़ी हे कहती क्योँ नहीं मैं,तेरी गंगे नहीं हूँ, बोल न बोल सब्र का बाँध टुटा जा रहा है तू नहीं बोल सकती क्यों की तू तो कचरे की कोई धार है  तुझमें  मेरी गंगा सा नहीं कोई सार है , मेरी गंगा स्वर्ग से आई देवी हैl क्या अनुपम रूपहै, क्या अनुपम तेज़  है प्रखंड तेजस्वनी ,रूप गर्विता दुग्ध सी लहरे, प्रचंड मारती उच्छवास शिवशिरोधारिणी स्...