पर्युषण
जहा पर्युषण महापर्व मनाये जाते हे ऐसे क्षेत्र?
Aभरत एरावत क्षेत्र✅
पर्युषण का अर्थ है परि यानी चारों ओर से, उषण यानी धर्म की आराधना
अष्टान्हिका महोत्सव देवता कौनसे द्वीप में मनाते है ?
A - वरुण
B - नंदीश्वर
,Aनंदीश्वर
#अष्टाह्निका_महापर्व_का_महत्व
अष्टाह्निका पर्व कब ओर क्यों मनता है।
संपूर्ण श्रेष्ठ पर्वों में अष्टाह्निका पर्व का अपना विशेष महत्व है। कार्तिक,फाल्गुन व आषाढ़ के अंतिम आठ दिनों में यह पर्व आता है।
अष्टमी से प्रारंभ होकर चतुर्दशी व पूर्णिमा तक आठ दिनों में पूरा होता है।इस पर्व में किए गए जप,तप,अनुष्ठान विशेष फलदायी हैं।पर्व के दौरान स्वर्ग के संपूर्ण देव मिलकर मध्य लोक के आठवें नंदीश्वर द्वीप में जाते हैं और धूमधाम से भक्तिभाव से अकृत्रिम चैत्यालयों में स्थित जिनबिंबों की अर्चना करते हैं।
अष्टम नंदीश्वर द्वीप
नंदीश्वर द्वीप में कुल ५२ चैत्यालय होते हैं चूंकि हम नंदीश्वर द्वीप जाने में असमर्थ हैं अतः मध्यलोक के आर्यखंड में भक्तगण यहां कृत्रिम देव का रुप धारण कर भक्तिभाव से अष्टान्हिका पर्व में विधानानुसार देवार्चना पूजन करते हैं।
नंदीश्वर द्वीप की चारों दिशाओं में चारों ओर काले रंग के चार अंजन गिरि होते हैं जोकि ८४००० योजन विस्तार वाले होते हैं।
ये पर्वत ढोल के समान गोल होते है तथा उनपर सुंदर मंदिर होते हैं।इन ४ अंजन गिरि के चारों दिशाओं में चार-चार कुल १६ वापियाँ बताई गई है।ये वापियाँ एक लाख योजन विस्तार वाली व निर्मल जल से भरी हैं।
इन १६ वापियों के मध्य में १०००० योजन विस्तार वाले सफेद रंग के १६ रतिकर पर्वत होते हैं जिनके ऊपर भी मंदिर होते हैं।इन १६ वापियों के किनारों पे चारों ओर दिशाओं में १ लाख योजन वाले,४ वन होते हैं।
प्रत्येक वापिका के बाहरी दोनों कोनों में २-२ लाल रंग के रतिकर पर्वत हैं इस प्रकार १६ वापिकाओ के ३२ रतिकर पर्वत हैं।इनका प्रत्येक का विस्तार १००० योजन है।इन ३२ रतिकर पर्वतों पर भी जिन मंदिर हैं। सभी मिलाकर कुल ५२ अकृत्रिम चैत्यालय ५२ पर्वत १६ वपियाँ और ६४ वन होते है।
सभी पर्वतों के शीश पर एक एक जिन मंदिर होता है जिनमें नयनो को मोहित करने वाली प्रतिमाएं ५०० धनुष उत्तंग व कांति से युक्त होती हैं।इनके मुख मंडल सूर्य के समान दैदीप्यमान श्वेत व श्याम रंग के सुंदर नेत्र हैं। ये प्रतिमाएं समचतुरस्त्र संस्थान वाली अतीव सुंदर होती हैं। उनकी सुंदरता का वर्णन करते हुए कहा जाता है कि देखने वाले वहां से अपने नेत्र हटाना ही नहीं चाहते, अपलक देखते ही रहते हैं। भौंह व सिर के केश श्यामवर्णी अतीव सुंदर होते हैं उन श्री जिन की प्रतिमाएं निहारते हुए ऐसा लगता है मानो वे हमसे बातें कर रही हों तथा हमें देख प्रसन्नता से मुस्करा रहे हों।अनेक आकर्षण अकथनीय होता है।
उन श्री जिन बिंबों की कांति करोड़ों सूर्यो की कांति को भी छुपाने वाली होती है। उन जिन बिंबों के दर्शन मात्र से प्राणियों के परिणाम वैराग्यमय हो जाते हैं और भव्य प्राणी उनके दर्शन पा सम्यकदर्शन को प्राप्त कर लेते हैं।
पूर्व दिशा में कल्पवासी,दक्षिण में भवनवासी,पश्चिम में व्यंतर व उत्तर में ज्योतिष देव व देवी पूजा करते हैं।
भक्ति वह सेतू है जो मुक्ति का प्रबल हेतू है। भक्ति करने वाला अपने सकल इष्ट ध्येयों की सिद्धि कर लेता है।मुक्ति पथानुगामी अपने लक्ष्य की प्राप्ति हेतू भक्ति का ही सहारा लेते हैं।अष्टान्हिका पर्व की पुनीत बेला में नंदीश्वर द्वीप की कल्पना कर जो भक्ति करता है वह अवश्य ही उसके गुणश्रेणी निर्जरा व प्रबल पुण्य संचय का हेतू बनेगा।
आषाढ़, कार्तिक और फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष में अष्टमी को लेकर पूर्णिमा तक ऐसे आठ दिन को आष्टान्हिक पर्व या नन्दीश्वर पर्व कहते हैं। यह पर्व अनादिनिधन है। इन दिनों में इन्द्रगण असंख्य देव-देवियों के साथ वहाँ नन्दीश्वर द्वीप में जाकर आठ दिनों तक चौबीस घंटे अखंड पूजा करते हैं।
मनुष्य लोगों में चाहे चारण ऋद्धिधारी मुनि हो, चाहे विद्याधर ये लोग भी ढाई द्वीप से बाहर नन्दीश्वर द्वीप में नहीं जा सकते हैं। अतएव ये सभी मनुष्य, मुनिगण और श्रावकगण यहीं पर नन्दीश्वर द्वीप के जिनमंदिरों की, उनमें विराजमान जिनबिम्बों की स्तुति, वंदना और पूजा करते हैं।
इन आष्टान्हिक पर्वों में नाना प्रकार से – उपवास आदि से व्रत भी किये जाते हैं। इन पर्वों में सिद्धचक्र विधान, इन्द्रध्वज विधान, कल्पद्रुम विधान, तीनलोक विधान, सर्वतोभद्र विधान आदि विधानों को किया जाता है। सभी विधानों में सिद्ध भगवान या पंचपरमेष्ठी की उपासना की जाती है। इन्द्रध्वज विधान में तो मध्यलोक के समस्त अकृत्रिम जिनमंदिरों की पूजा होती है, ऐसे ही तीनलोक विधान, सर्वतोभद्र विधान में भी मध्यलोक के जिनमंदिरों की पूजाएं हैं। फिर भी नन्दीश्वर पर्व में खासकर नन्दीश्वर द्वीप के जिनमंदिरों की पूजन करना ही चाहिए। नन्दीश्वर विधान में पांच पूजाओं में संक्षेप से नन्दीश्वर द्वीप के बावन जिनमंदिरों की पूजा की गई है।
इसका मंत्र निम्नलिखित है –
ऊँ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थद्वापंचाशज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नमः
अष्ठानिका शुरू हो रही है तो उनके ऊपर कुछ प्रश्नों का उत्तर
(१) पूरे साल में कितनी बार अष्ठानिका आती है और कोनसे महीने में ?
उ- वर्ष में कुल तीन बार अष्टान्हिका शाश्वत पर्व आते है:-
कार्तिक मास में , फाल्गुन मास और आषाढ़ मास में।
(२) कोनसी तिथि से कोनसी तिथि तक?
उ- कार्तिक शुक्ल अष्टमी से पूर्णिमा पर्यंत , फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से पूर्णिमा पर्यंत तथा आषाढ़ शुक्ल अष्टमी से पूर्णिमा पर्यंत।
(३) अंतिम आठ दिन माहे ऐसा क्यू आता है?
उ- क्योंकि गुजराती में सूद से महीने की शरुआत होती है और वद में पूरा होता है। लेकिन हिंदी,मराठी में वद से महीने की शरुआत होती है इसलिए अंतिम आठ दिन लिखाता है।
(४) 4 प्रकार के देवो कोनसे द्वीप पे पूजा करने जाता है और उसका द्वीप और समुद्र की अपेक्षा से कोनसा नंबर आता है
उ- ये देव नंदीश्वर द्वीप पर पूजा करने जाते है जिसका नं० आठवाँ है।द्वीप और समुद्र मिलके 15 मा नंबर होता है
(५) देवो कितने समय पूजा करते है?
उ- पुरे 24 घंटे और निरंतर 8 दिन तक
(६) और वहा रात को पूजा होती है ? अगर होती है तो क्यू रात को होती है?
उ- वहा 24 घंटो पूजा होती है लेकिन वहाँ रात - दिन का भेद नही होता।
(७) पूजा फल फूल से करता है जो हमारे यहाँ फल फूल से पूजा करना निषेध है और वो कर सकते हे ऐसा क्यू?
उ- उनके दिव्य फल - फूल होते है जो सचित्त नहीं होते और हमारे फल - फूल सचित्त होने से दोष लगता है।
(८) चारे दिशा में रहेला 52 अकृत्रिम जिन चैत्यालय में बिराजमान जिन प्रतिमा की पूजा करते है और उसमे भी नियम से करते है
जैसे सबसे पहेले पूर्व में कोनसे प्रकार के देव,उसी समय दक्षिण में कोनसे प्रकार के देव,उसी समय पश्चिम म् कोनसे प्रकार के देव और उसी समय उत्तर में कोनसे प्रकार के देव?
उ- कल्पवासी देव पूर्व दिशा में , भवनवासी देव दक्षिण दिशा में , व्यंतर देव पश्चिम दिशा में और ज्योतिषी देव उत्तर दिशा में पूजा करते है ।और हर 6 घंटे के बाद दिशा बदलते है।इसी तरह 4 दिशा के जिन प्रतिमा जी की पूजा करते है।
(९) 52 अकृत्रिम जिन चैत्यालय में कितनी जिन प्रतिमा होती है?
उ- बावन अकृत्रिम जिन चैत्यालयों में 108 - 108 जिन प्रतिमा होती है।टोटल 5616 जिन प्रतिमा.
(१०) उसके सिवा कोनसे द्वीप में (अद्धी द्वीप से बहार) अकृत्रिम जिन चैत्यालय होते है नाम जनावो?
उ- 11वाँ द्वीप कुण्डलवर तथा 13वाँ रूचकवर द्वीप में भी अकृत्रिम जिन चैत्यालय होते है।
अर्थ-अष्टान्हिका व्रत कार्तिक, फाल्गुन और आषाढ़ मासों के शुक्ल पक्षों में अष्टमी से पूर्णिमा तक किया जाता है। तिथि-वृद्धि हो जाने पर एक दिन अधिक करना पड़ता है। व्रत के दिनों के मध्य में तिथि ह्रास होने पर एक दिन पहले से व्रत करना होता है। जैसे मध्य में तिथि ह्रास होने से सप्तमी को उपवास, अष्टमी को पारणा, नवमी को कांजी-छाछ, दशमी को ऊनोदर, एकादशी को उपवास, द्वादशी को पारणा, त्रयोदशी को नीरस, चतुर्दशी को उपवास एवं शक्ति होने पर पूर्णिमा को उपवास, शक्ति के अभाव में ऊनोदर तथा प्रतिपदा को पारणा करनी चाहिए। यह सरल और जघन्य विधि अष्टान्हिका व्रत की है। व्रत की उत्कृष्ट विधि यह है कि अष्टमी से षष्ठोपवास अर्थात् अष्टमी, नवमी का उपवास, दशमी को पारणा, एकादशी और द्वादशी को उपवास, त्रयोदशी को पारणा एवं चतुर्दशी और पूर्णिमा को उपवास और प्रतिपदा को पारणा करनी चाहिए । श्री पद्मप्रभदेव के वचनों का आदर करने वाले भव्य जीवों को उक्त विधि से व्रत करना चाहिए।
इस प्रकार बताई हुई विधि से जो व्रत नहीं करते हैं, उनकी व्रतविधि दूषित हो जाती है और व्रत का फल नहीं मिलता ।
विवेचन-कार्तिक, फाल्गुन और आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में अष्टमी से पूर्णिमा तक आठ दिन यह व्रत किया जाता है। सप्तमी के दिन व्रत की धारणा करनी होती है। प्रथम ही श्री जिनेन्द्र भगवान का अभिषेक, पूजन सम्पन्न किया जाता है, तत्पश्चात् गुरु के पास, यदि गुरु न हों तो जिनबिम्ब के सम्मुख निम्न संकल्प को पढ़कर व्रत ग्रहण किया जाता है।
व्रत
‘ॐ
(१) पूरे साल में कितनी बार अष्ठानिका आती है और कोनसे महीने में ?
उ- वर्ष में कुल तीन बार अष्टान्हिका शाश्वत पर्व आते है:-
कार्तिक मास में , फाल्गुन मास और आषाढ़ मास में।
(२) कोनसी तिथि से कोनसी तिथि तक ?
उ- कार्तिक शुक्ल अष्टमी से पूर्णिमा पर्यंत , फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से पूर्णिमा पर्यंत तथा आषाढ़ शुक्ल अष्टमी से पूर्णिमा पर्यंत।
(३) अंतिम आठ दिन माहे ऐसा क्यू आता है ?
उ- क्योंकि गुजराती में सूद से महीने की शरुआत होती है और वद में पूरा होता है। लेकिन हिंदी,मराठी में वद से महीने की शरुआत होती है इसलिए अंतिम आठ दिन लिखाता है।
(४) 4 प्रकार के देवो कोनसे द्वीप पे पूजा करने जाता है और उसका द्वीप और समुद्र की अपेक्षा से कोनसा नंबर आता है ?
उ- ये देव नंदीश्वर द्वीप पर पूजा करने जाते है जिसका नं० आठवाँ है।द्वीप और समुद्र मिलके 15 मा नंबर होता है।
(५) देवो कितने समय पूजा करते है ?
उ- पुरे 24 घंटे और निरंतर 8 दिन तक
(६) और वहा रात को पूजा होती है ? अगर होती है तो क्यू रात को होती है ?
उ- वहा 24 घंटो पूजा होती है लेकिन वहाँ रात - दिन का भेद नही होता।
(७) पूजा फल फूल से करता है जो हमारे यहाँ फल फूल से पूजा करना निषेध है और वो कर सकते हे ऐसा क्यू ?
उ- उनके दिव्य फल - फूल होते है जो सचित्त नहीं होते और हमारे फल - फूल सचित्त होने से दोष लगता है।
(८) चारे दिशा में रहेला 52 अकृत्रिम जिन चैत्यालय में बिराजमान जिन प्रतिमा की पूजा करते है और उसमे भी नियम से करते है, जैसे सबसे पहेले पूर्व में कोनसे प्रकार के देव,उसी समय दक्षिण में कोनसे प्रकार के देव,उसी समय पश्चिम म् कोनसे प्रकार के देव और उसी समय उत्तर में कोनसे प्रकार के देव ?
उ- कल्पवासी देव पूर्व दिशा में, भवनवासी देव दक्षिण दिशा में, व्यंतर देव पश्चिम दिशा में और ज्योतिषी देव उत्तर दिशा में पूजा करते है।और हर 6 घंटे के बाद दिशा बदलते है।इसी तरह 4 दिशा के जिन प्रतिमा जी की पूजा करते है।
(९) 52 अकृत्रिम जिन चैत्यालय में कितनी जिन प्रतिमा होती है ?
उ- बावन अकृत्रिम जिन चैत्यालयों में 108 - 108 जिन प्रतिमा होती है।टोटल 5616 जिन प्रतिमा.
(१०) उसके सिवा कोनसे द्वीप में (अद्धी द्वीप से बहार) अकृत्रिम जिन चैत्यालय होते है नाम जनावो ?
उ- 11वाँ द्वीप कुण्डलवर तथा 13वाँ रूचकवर द्वीप में भी अकृत्रिम जिन चैत्यालय होते है।
जैनम् जयतु शासनम्
वास्तुगुरू महेन्द्र जैन (कासलीवाल)
67. पर्युषण पर्व के प्रथम तीन दिन किसका वांचन होता हे ?
ans. अष्टान्हिका प्रवचन
68. अष्टान्हिका प्रवचन में किसका वर्णन हे ?
ans. श्रावक के कर्तव्यों का
69. पर्युषण पर्व में चौथे दिन से सातवे दिन तक किसका वांचन होता हे ?
ans. कल्पसूत्र
70. संवत्सरी के दिन किसका वांचन होता हे ?
ans. बारसा सूत्र
71. श्रावक को पर्युषण में कितने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए ? कौन से ?
ans. 5 – अमारी प्रवर्तन, साधर्मिक भक्ति, क्षमापना, अट्ठम तप, चैत्य परिपाटी
72. श्रावक के वार्षिक कर्तव्य कितने हे ? कौन से ?
ans. 11 – संघ पूजा, साधर्मिक भक्ति, यात्रा त्रिक, स्नात्र पूजा, देव द्रव्य वृद्धि, महा पूजा, धर्म जागरण, श्रुत पूजा, उपधान, तीर्थ प्रभावना, प्रायश्चित
73. कल्पसूत्र की प्रथम वाचना कहा प्रारंभ हुई थी ?
ans. आनंदपुर
74. श्रावक के 11 कर्तव्यों में से सब से मुख्य कौन सा हे ?
ans. प्रायश्चित (आलोचना)
75. श्रावक का गुणस्थान कौन सा हे ? नाम ?
ans. 5 – देशविरति गुणस्थान
76. कल्पसूत्र में किसकी तरह अट्ठम तप करने को कहा गया हे ?
ans. नागकेतु
77. अमारी प्रवर्तन का पालन किस राजा के जैसे करना चाहिए ?
ans. कुमारपाल
78. उपवास कर के भी साधर्मिक भक्ति का लाभ कौन लेते थे ?
ans. पुणीया श्रावक
79. गंगा नदी पार करते समय देव द्वारा उपसर्ग से शरीर के गिरते खून से अपकाय जीव की विराधना देख कर कांप उठे और केवलज्ञान प्राप्त हुआ – वो कौन ?
ans. अरणिकापुत्र आचार्य
80. श्री हिरसूरीश्वरजी की प्रेरणा से किसने अपने राज्य में अमारी का पालन करवाया ?
ans. अकबर बादशाह
81. किस राजा के जैसी क्षमापना करनी चाहिए जिसने जीता हुआ राज्य भी लौटा दिया ?
ans. उदयन नरेश
82. कल्पसूत्र कौन सी भाषा में हे ?
ans. अर्धमागधी
83. कल्पसूत्र में कितने अधिकार हे – कौन से ?
ans. 3 – तीर्थंकर चरित्र, स्थविरावली, साधु सामाचारी
84. कल्पसूत्र में कुल कितने श्लोक हे ?
ans. 1215
85. कौन से राजा के समय कल्पसूत्र सर्व संघ के समक्ष पढ़ा गया ?
ans. ध्रुवसेन
86. कल्पसूत्र कौन से आगम का आठवा अध्ययन हे ?
ans. दशाश्रुतस्कंध
87. शुद्ध मन वचन काय से कल्पसूत्र कितनी बार सुनने से मोक्ष मिलता हे ?
ans. 21
88. वर्तमान में किनके द्वारा हिंदी भाषा में अनुवादित कल्पसूत्र का वांचन होता हे ?
ans. महोपाध्याय विनयविजयजी
89. कौन कौन से तीर्थंकर के आचार समान होते हे ?
ans. पहले और चोविसवे तीर्थंकर के और 2 से 23 वे तीर्थंकर के
90. कल्प का मतलब क्या ?
ans. आचार
91. कल्प कितने होते हे ?
ans. 10
92. प्रथम तीर्थंकर के साधु कैसे थे ?
ans. रुजू और जड़
93. अंतिम तीर्थंकर के साधु कैसे थे ?
ans. वक्र और जड़
94. 2 से 23 तीर्थंकर के साधू कैसे थे ?
ans. रुजू और प्राज्ञ
95. महाविदेह के साधु कैसे होते हे ?
ans. रुजू और प्राज्ञ
96. 10 कल्प के नाम ?
ans. अचेलक, उद्देशिक, शय्यातर, राजपिंड, कृतिकर्म, व्रत, जयेष्ठ, प्रतिक्रमण, मासकल्प, पर्युषण
97. 2 से 23 वे तीर्थंकर के साधु कैसे वस्त्र धारण करते हे और क्यों ?
ans. विविध रंगो के मूल्यवान वस्त्र क्युकी रुजू और प्राज्ञ होने से उन्हें वस्त्रो की मूर्च्छा – आसक्ति नहीं होती
98. साल में २ बार श्री संघ समक्ष शाश्वती आराधना में पढ़ा जाने वाला ग्रंथ ?
ans. श्रीपाल राजा का रास
99. कौन सा ग्रन्थ श्री सीमंधर स्वामी की देशना हे ?
ans. उपमितिभव प्रपंचा
100. पूज्य धनेशसूरीश्वरजी ने पालिताना पर लिखा हुआ ग्रन्थ ?
ans. शत्रुंजय माहात्म्य
पर्व पर्युषण
आरती गोसलिया
🅿️1 त्योहार क्या होता हैं❓
🅰️ जिसमे पाप का बंध हो वह त्योहार हैं
🅿️ 2 पर्व क्या है ❓
🅰️ कर्म निर्जरा करवाये यह पर्व
🅿️3 मुख्यतः पर्व कौनसे है ❓
जैन धर्म के मुख्य पर्व
पर्युषण पर्व
शाश्वती ओली
मौन अगियारस आदि
🅿️ 4 सब से महत्व का पर्व कौनसा हैं ❓
🅰️ पर्व पर्युषण
🅿️ 5 पर्युषण शाश्वत है य्या अशाश्वत ❓
🅰️ अशाश्वत
🅿️ 6 पर्युषण के कर्तव्य रूप से कितने उपवास करने हैं ❓
🅰️ 3
🅿️ 7 क्या ये उपवास एक साथ ही करना है ❓
🅰️ छूटे छूटे भी कर सकते है जरूरी नही एक साथ करे
🅿️ 8 पर्युषण में कितने कल्प का वर्णन हैं ❓
🅰️ 10
🅿️ 9 मात्र पर्युषण में ही आरधना करते है उसे क्या कहते है❓
🅰️ भद्दया
🅿️10 चातुर्मास लगने के कितने (सामान्य से ) बाद संवत्सरी आती हैं
🅰️ 50 वे दिन
*स्वागत् ।पर्युषण।सुस्वागतम।*
पर्युषण पर्व एक ऐसा आठ दिवसीय आध्यात्मिक शिविर है जहाँ श्रोता को श्रावक बनने की,
शस्त्रधारी को शास्त्रधारी बनने की,स्वार्थी को परमार्थी बनने की
हिंसक को अहिंसक बनने की कला सिखायी जाती है।
इस लोकोत्तम व लोकोत्तर आध्यात्मिक पर्व का स्वागत और अभिनन्दन करते हुए सभी कल्याण मित्रों को जय जनेन्द्र।
*📢1 पर्व कितने प्रकारके है ? नाम लिखो ?9*
*🅰️🎷 दो प्रकार के !लौकिक ,लोकोत्तर पर्व !*
*📢2. पर्युषण कौनसा पर्व है ?*
*🅰️🎷 लोकोत्तर पर्व !*
*📢3. पर्युषण पर्व का मुल उद्देश क्या है ?*
*🅰️🎷आत्मशुध्दि, आत्म शोधन !*
*📢4. पर्युषण पर्व मे किस सूत्र की वांचना होती है ?*
*🅰️🎷 कल्पसूत्र, बारसासूत्र, अंतगड दशांग सूत्र !*
*📢5. कल्पसुत्र के रचियता कौन है !*
*🅰️🎷. श्री भद्रबाहु स्वामी जी !*
*📢6. कल्पसूत्र की वाचना किस राजा के सामने प्रारंभ हुई ?*
*🅰️🎷 ध्रृव राजा के !*
*📢7 पर्युषण पर्व मे कितने कर्तव्य का पालन किया जाता है ?*
*🅰️🎷.5 कर्तव्य का !*
*📢8. आमरी की।6 महिनेतक घोषणा अपने राज्य मे किस बादशाह ने करवाई थी ?*
*🅰️🎷 अकबर बादशाह ने !*
*📢9 सार्धमर्मिक भक्ति से तीर्थंकर कौन बने ?*.
*🅰️🎷. श्री संभवनाथ भगवान !*
*📢10. पुर्वभव मे सौतेली माँ के कारण अठ्ठम तप अधुरा रहनेपर पालने मे सोते सोते किसने पुरा किया ?*
*🅰️🎷 नागकेतु राजा ने !*
*📢11. पर्युषण पर्व के कितने प्रतिक्रमण होते है ?*
*🅰️🎷4 प्रकारके (देवसी, राई, पक्खि संवत्सरीक !*
*📢12. दो प्रतिक्रमण और सामायिक करने से कौनसा व्रत पुरा होता है ?*
*🅰️🎷 देसावगासिक !*
*📢13. संवत्सरी के दिन कौनसे राजा बंधियो को मुक्तकर संसार के बंधन से उन्मुल हो गये !*
*🅰️🎷 उदायन राजा !*
*📢14.महावीर स्वामी जी ने संयम जीवन स्विकारने से पहले ~~~~ दिया ?*
*🅰️🎷 वर्षिदान !*
*📢15. संयम जीवन स्विकारने के बाद ~~~~~दिया ?*
*🅰️🎷. अभयदान !*
*📢16. केवलज्ञान की प्राप्ति के बाद ~~~~ दिया ?*
*🅰️🎷 ज्ञानदान !*
*📢17.90 साधको का वर्णन किस सूत्र मे आता है ?*
*🅰️🎷.अंतगडदशसांग सूत्र !*
*📢18. अंतगड सूत्र मे कितने श्रृतस्कंध व वर्ग है ?*
*🅰️🎷 1 श्रृतस्कंध व 8 वर्ग है !*
*📢19. दशाश्रृत स्कंध मे निदान के कितने रुप बताए है ?*
*🅰️🎷9 रुप !*
*📢20. पुर्वभव मे निदान करनेपर भी मैने शलाका पुरुष मे स्थान पाया लेकिन अंत मे नरक गामी बना ? नाम सहित पद बताए ?*
*🅰️🎷.वासुदेव~ श्रीकृष्ण महाराजा !*
*📢21. श्रीकृष्ण महाराजा प्रतिदिन कितनी माताओ के वंदन करते थे ?*
*🅰️🎷 400 माताओ के !*
*📢22 श्मशान मे सिद्ध कौन हुए ?*
*🅰️🎷. गजसुकुमाल मुनि जी !*
*📢23. सबसे अल्पकाल दिक्षा पर्याय किसका ?*
*🅰️🎷 गजसुकुमाल मुनि जी ?*
*📢24. सबसे दिर्घकाल दिक्षा पर्याय किसका ?*
*🅰️🎷. एवंता मुनिजी का !*
*📢25. हाथी के मुल्य वाली चिज को कोडी के मुल्य मे बेचनेवाला कौन ?*
*🅰️🎷निदान करने वाला !*
*📢26. 11 अंग मे अंतगड दशा का कौनसा स्थान है ?*
*🅰️🎷. 8 वा स्थान !*
*📢27. कल्पसूत्र मे किसकी तरह अठ्ठम करने को कहागया है ?*
*🅰️🎷 नागकेतू राजा की तरह !*
*📢28. श्री हिर विजय सूरीश्वर जी की प्रेरणा से किसने अपने राज्य मे आमरी का पालन करवाया ?*
*🅰️🎷 अकबर बादशाह ने !*
*📢29. आयंबिल👌 वर्धमान तप मे कितने आयंबिल होते है !*
*🅰️🎷5050 आयंबिल !*
*📢30. शाब कुमार की माता का नाम ?*
*🅰️🎷 जामवंती जी !*
*🅰️🎷5050 आयंबिल !*
*📢31 क्लप सूत्र के कितने अधिकार है ?*
*🅰️🎷3 अधिकार ,जिन चारित्र, स्थविरावली, साधुसमाचारी !*
*📢33. पर्युषण मे विस्तृत रुप से कौनसे भगवान के चरित्र का वाचन किया जाता है ?*
*🅰️🎷 श्री महावीर भगवान का !*
*📢34. 6 कल्याणक कौनसे भगवान के हुए ?*
*🅰️🎷श्री महावीर स्वामी जी के !*
*📢35.श्री महावीर प्रभु जी के सबसे पहले दर्शन किसने किए ?*
*🅰️🎷 हरिणगमेषी देवने !*
*📢36. चौदह स्वप्न किस प्रकार के स्वप्न के अंतर्गत आते है ?*
*🅰️🎷 मुख्य शुभ स्वप्न !*
*📢37. चार दांत वाले हाथी का स्वप्न किसका सुचक है ?*
*🅰️🎷. प्रभु चतुरविध संघ की स्थापना करेगे !*
*📢38. 27 भव मे सबसे उत्कष्ट तपस्या कौनसी थी ?*
*🅰️🎷 मासक्षमण की तपस्या !*
*📢39 सबसे ज्यादा मासक्षमण की तपस्या किस भव मे की थी ?*
*🅰️🎷 25 वे नंदनमुनि भव मे !*
*📢40.नंदन मुनि के भव मे प्रभु जी ने कितने मासक्षमण किए थे ?*
*🅰️🎷 11 लाख 60 हजार मासक्षमण किए !*
*📢41.प्रभु जी ने कौनसे भव मे तीर्थंकर गोत्र का बंध किया ?*
*🅰️🎷 नंदनमुनि के भव मे !*
*📢42. अंतगड सूत्र मे किसकी ध्यान की प्रथानता है या तपकी ?*
*🅰️🎷 तप की !*
*📢43. अष्टप्रवचन माता का अध्ययन कितने साधको ने किया?*
*🅰️🎷 दो साधकोने (गजसुकुमाल मुनि जी ,अर्जुनमाली अणगार !*
*📢 44. "सत्यभामा जहा पुत्र रत्न को जन्म देगी वही से यादव वंश का अम्युदय होगा" ,उस पुत्र का नाम क्या ?*
*🅰️🎷 भानु कुंवर !*
*📢45. द्वारिका नगरी कितने योजन लंबी और चौडी ?*
*🅰️🎷. 12 योजन लंबी और 9 योजन चौडी थी !*
🌹❓आज का विषय ❓🌹
🌹❓ पर्युषण पर आधारित कुछ प्रश्न और कुछ सामान्य प्रश्न❓🌹
❓१) जो कभी कभी धर्म करते है उसे _______कहते हैं?
🙏१) कदैया।
❓२) पर्यूषण के पहले ३ दिन _______ सुनते हैं?
🙏२) अष्टानहिका प्रवचन।
❓३) सामान्य से संवतसरी के बाद _______दिन के बाद साधु भगवान् विहार करते हैं?
🙏३) ७० दिन!
❓४) महाविदेह क्षेत्र में ______और _____जीव होते है?
🙏४) रूजू और जड़!
❓५) जो व्यक्ति कल्प सूत्र _____बार अखंड सुनते हैं वे आठवें भव में मोक्ष जाते हैं?
🙏५) २१ बार!
❓६) पर्युषण पर्व के सातवें दिन प्रतिक्रमण में ______स्तुति बोलते हैं?
🙏६) कल्लाण कंदं!
❓७) द्रौपदी का अपहरण _______ राजा ने करवाया?
🙏७) पदमोत्तर राजा!
❓८) पर्युषण पर्व के कल्प सूत्र में _____तीर्थंकर का वर्णन आता है?
🙏८) ४ तीर्थंकर के!
❓९) कौन से ४?
🙏९) ऋषभ देव , नेमीनाथ , पार्श्वनाथ,महावीर स्वामी!
❓१०) कल्प सूत्र के रचयिता _____है?
🙏१०) भद्रबाहु स्वामी!
❓११) संवत्सरी चौथ की किस आचार्य ने की थी?
🙏११) कालक सूरीजी!
❓१२) पर्युशन में देवसी प्रतिक्रमण कितने होते है?
🙏१२) ६!
❓१३) त्रिशला रानी तृतीय स्वपने में ____देखती है?
🙏१३) हाथी!
❓१४) २४ तीर्थंकरों में _____तीर्थंकर का वर्ण सुवर्ण है?
🙏१४) १६ तीर्थंकर!
❓१५) इस सूत्र में _____ तीर्थंकरों के सिर्फ अंतर सुनते जाते हैं?
🙏१५) २०!
❓१६) १४ स्वप्नों का वर्णन कल्प सूत्र के _____ व्याख्यान में आता है?
🙏१६) तीसरे व्याख्यान !
❓१७) पर्युषण पर्व के आलोचना निमित ______पक्की माला गिननी चाहिए?
१७)६० माला!
❓१८) कल्प सूत्र का प्रथम श्रवण प्रभु निर्वाण के कितने वर्ष पश्चात हुआ?
🙏१८) ९९३ वर्ष!
❓१९) कल्प सूत्र के मूल श्लोक कितने हैं?
🙏१९) १२१५ श्लोक!
❓२०) ______आनंद श्रावक को मिच्छामि दुक्कड़म देने गए थे?
१) ग्वाला २) मुखिया ३) श्रावक?
🙏२१)मुखिया!
❓२२) नयसार कौन से गांव का मुखिया था?
🙏२२) पृथ्वी प्रतिष्ठान नगर!
❓२३) नयसार किस राजा के राज्य का ग्राम प्रमुख या मुखिया था?
🙏२३) शत्रुमर्दन राजा!
❓२४) वीर प्रभु का च्यवन देवा नंदा की कुक्षी में कब हुआ?
🙏२४) आषाढ़ सुद ६!
❓२५) वीर प्रभु का गर्भ संहरण किस नक्षत्र में हुआ?
🙏२५) हस्तोत्तरा नक्षत्र में!
❓२६) त्रिशला माता के गर्भ में कब च्यवन हुआ?
🙏२६) अश्विनी वद १३!
❓२७) वीर किस वंश के थे?
🙏२७) ज्ञांत वंश!
❓२८) किस गोत्र के थे?
🙏२८) काश्यप!
❓२९) किस जाति के थे?
🙏२९) क्षत्रिय जाति!
❓३०) किस कुल के थे?
🙏 ३०) इक्ष्वाकु कुल !
Aभरत एरावत क्षेत्र✅
पर्युषण का अर्थ है परि यानी चारों ओर से, उषण यानी धर्म की आराधना
अष्टान्हिका महोत्सव देवता कौनसे द्वीप में मनाते है ?
A - वरुण
B - नंदीश्वर
,Aनंदीश्वर
#अष्टाह्निका_महापर्व_का_महत्व
अष्टाह्निका पर्व कब ओर क्यों मनता है।
संपूर्ण श्रेष्ठ पर्वों में अष्टाह्निका पर्व का अपना विशेष महत्व है। कार्तिक,फाल्गुन व आषाढ़ के अंतिम आठ दिनों में यह पर्व आता है।
अष्टमी से प्रारंभ होकर चतुर्दशी व पूर्णिमा तक आठ दिनों में पूरा होता है।इस पर्व में किए गए जप,तप,अनुष्ठान विशेष फलदायी हैं।पर्व के दौरान स्वर्ग के संपूर्ण देव मिलकर मध्य लोक के आठवें नंदीश्वर द्वीप में जाते हैं और धूमधाम से भक्तिभाव से अकृत्रिम चैत्यालयों में स्थित जिनबिंबों की अर्चना करते हैं।
अष्टम नंदीश्वर द्वीप
नंदीश्वर द्वीप में कुल ५२ चैत्यालय होते हैं चूंकि हम नंदीश्वर द्वीप जाने में असमर्थ हैं अतः मध्यलोक के आर्यखंड में भक्तगण यहां कृत्रिम देव का रुप धारण कर भक्तिभाव से अष्टान्हिका पर्व में विधानानुसार देवार्चना पूजन करते हैं।
नंदीश्वर द्वीप की चारों दिशाओं में चारों ओर काले रंग के चार अंजन गिरि होते हैं जोकि ८४००० योजन विस्तार वाले होते हैं।
ये पर्वत ढोल के समान गोल होते है तथा उनपर सुंदर मंदिर होते हैं।इन ४ अंजन गिरि के चारों दिशाओं में चार-चार कुल १६ वापियाँ बताई गई है।ये वापियाँ एक लाख योजन विस्तार वाली व निर्मल जल से भरी हैं।
इन १६ वापियों के मध्य में १०००० योजन विस्तार वाले सफेद रंग के १६ रतिकर पर्वत होते हैं जिनके ऊपर भी मंदिर होते हैं।इन १६ वापियों के किनारों पे चारों ओर दिशाओं में १ लाख योजन वाले,४ वन होते हैं।
प्रत्येक वापिका के बाहरी दोनों कोनों में २-२ लाल रंग के रतिकर पर्वत हैं इस प्रकार १६ वापिकाओ के ३२ रतिकर पर्वत हैं।इनका प्रत्येक का विस्तार १००० योजन है।इन ३२ रतिकर पर्वतों पर भी जिन मंदिर हैं। सभी मिलाकर कुल ५२ अकृत्रिम चैत्यालय ५२ पर्वत १६ वपियाँ और ६४ वन होते है।
सभी पर्वतों के शीश पर एक एक जिन मंदिर होता है जिनमें नयनो को मोहित करने वाली प्रतिमाएं ५०० धनुष उत्तंग व कांति से युक्त होती हैं।इनके मुख मंडल सूर्य के समान दैदीप्यमान श्वेत व श्याम रंग के सुंदर नेत्र हैं। ये प्रतिमाएं समचतुरस्त्र संस्थान वाली अतीव सुंदर होती हैं। उनकी सुंदरता का वर्णन करते हुए कहा जाता है कि देखने वाले वहां से अपने नेत्र हटाना ही नहीं चाहते, अपलक देखते ही रहते हैं। भौंह व सिर के केश श्यामवर्णी अतीव सुंदर होते हैं उन श्री जिन की प्रतिमाएं निहारते हुए ऐसा लगता है मानो वे हमसे बातें कर रही हों तथा हमें देख प्रसन्नता से मुस्करा रहे हों।अनेक आकर्षण अकथनीय होता है।
उन श्री जिन बिंबों की कांति करोड़ों सूर्यो की कांति को भी छुपाने वाली होती है। उन जिन बिंबों के दर्शन मात्र से प्राणियों के परिणाम वैराग्यमय हो जाते हैं और भव्य प्राणी उनके दर्शन पा सम्यकदर्शन को प्राप्त कर लेते हैं।
पूर्व दिशा में कल्पवासी,दक्षिण में भवनवासी,पश्चिम में व्यंतर व उत्तर में ज्योतिष देव व देवी पूजा करते हैं।
भक्ति वह सेतू है जो मुक्ति का प्रबल हेतू है। भक्ति करने वाला अपने सकल इष्ट ध्येयों की सिद्धि कर लेता है।मुक्ति पथानुगामी अपने लक्ष्य की प्राप्ति हेतू भक्ति का ही सहारा लेते हैं।अष्टान्हिका पर्व की पुनीत बेला में नंदीश्वर द्वीप की कल्पना कर जो भक्ति करता है वह अवश्य ही उसके गुणश्रेणी निर्जरा व प्रबल पुण्य संचय का हेतू बनेगा।
आषाढ़, कार्तिक और फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष में अष्टमी को लेकर पूर्णिमा तक ऐसे आठ दिन को आष्टान्हिक पर्व या नन्दीश्वर पर्व कहते हैं। यह पर्व अनादिनिधन है। इन दिनों में इन्द्रगण असंख्य देव-देवियों के साथ वहाँ नन्दीश्वर द्वीप में जाकर आठ दिनों तक चौबीस घंटे अखंड पूजा करते हैं।
मनुष्य लोगों में चाहे चारण ऋद्धिधारी मुनि हो, चाहे विद्याधर ये लोग भी ढाई द्वीप से बाहर नन्दीश्वर द्वीप में नहीं जा सकते हैं। अतएव ये सभी मनुष्य, मुनिगण और श्रावकगण यहीं पर नन्दीश्वर द्वीप के जिनमंदिरों की, उनमें विराजमान जिनबिम्बों की स्तुति, वंदना और पूजा करते हैं।
इन आष्टान्हिक पर्वों में नाना प्रकार से – उपवास आदि से व्रत भी किये जाते हैं। इन पर्वों में सिद्धचक्र विधान, इन्द्रध्वज विधान, कल्पद्रुम विधान, तीनलोक विधान, सर्वतोभद्र विधान आदि विधानों को किया जाता है। सभी विधानों में सिद्ध भगवान या पंचपरमेष्ठी की उपासना की जाती है। इन्द्रध्वज विधान में तो मध्यलोक के समस्त अकृत्रिम जिनमंदिरों की पूजा होती है, ऐसे ही तीनलोक विधान, सर्वतोभद्र विधान में भी मध्यलोक के जिनमंदिरों की पूजाएं हैं। फिर भी नन्दीश्वर पर्व में खासकर नन्दीश्वर द्वीप के जिनमंदिरों की पूजन करना ही चाहिए। नन्दीश्वर विधान में पांच पूजाओं में संक्षेप से नन्दीश्वर द्वीप के बावन जिनमंदिरों की पूजा की गई है।
इसका मंत्र निम्नलिखित है –
ऊँ ह्रीं नंदीश्वरद्वीपस्थद्वापंचाशज्जिनालयजिनबिम्बेभ्यो नमः
अष्ठानिका शुरू हो रही है तो उनके ऊपर कुछ प्रश्नों का उत्तर
(१) पूरे साल में कितनी बार अष्ठानिका आती है और कोनसे महीने में ?
उ- वर्ष में कुल तीन बार अष्टान्हिका शाश्वत पर्व आते है:-
कार्तिक मास में , फाल्गुन मास और आषाढ़ मास में।
(२) कोनसी तिथि से कोनसी तिथि तक?
उ- कार्तिक शुक्ल अष्टमी से पूर्णिमा पर्यंत , फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से पूर्णिमा पर्यंत तथा आषाढ़ शुक्ल अष्टमी से पूर्णिमा पर्यंत।
(३) अंतिम आठ दिन माहे ऐसा क्यू आता है?
उ- क्योंकि गुजराती में सूद से महीने की शरुआत होती है और वद में पूरा होता है। लेकिन हिंदी,मराठी में वद से महीने की शरुआत होती है इसलिए अंतिम आठ दिन लिखाता है।
(४) 4 प्रकार के देवो कोनसे द्वीप पे पूजा करने जाता है और उसका द्वीप और समुद्र की अपेक्षा से कोनसा नंबर आता है
उ- ये देव नंदीश्वर द्वीप पर पूजा करने जाते है जिसका नं० आठवाँ है।द्वीप और समुद्र मिलके 15 मा नंबर होता है
(५) देवो कितने समय पूजा करते है?
उ- पुरे 24 घंटे और निरंतर 8 दिन तक
(६) और वहा रात को पूजा होती है ? अगर होती है तो क्यू रात को होती है?
उ- वहा 24 घंटो पूजा होती है लेकिन वहाँ रात - दिन का भेद नही होता।
(७) पूजा फल फूल से करता है जो हमारे यहाँ फल फूल से पूजा करना निषेध है और वो कर सकते हे ऐसा क्यू?
उ- उनके दिव्य फल - फूल होते है जो सचित्त नहीं होते और हमारे फल - फूल सचित्त होने से दोष लगता है।
(८) चारे दिशा में रहेला 52 अकृत्रिम जिन चैत्यालय में बिराजमान जिन प्रतिमा की पूजा करते है और उसमे भी नियम से करते है
जैसे सबसे पहेले पूर्व में कोनसे प्रकार के देव,उसी समय दक्षिण में कोनसे प्रकार के देव,उसी समय पश्चिम म् कोनसे प्रकार के देव और उसी समय उत्तर में कोनसे प्रकार के देव?
उ- कल्पवासी देव पूर्व दिशा में , भवनवासी देव दक्षिण दिशा में , व्यंतर देव पश्चिम दिशा में और ज्योतिषी देव उत्तर दिशा में पूजा करते है ।और हर 6 घंटे के बाद दिशा बदलते है।इसी तरह 4 दिशा के जिन प्रतिमा जी की पूजा करते है।
(९) 52 अकृत्रिम जिन चैत्यालय में कितनी जिन प्रतिमा होती है?
उ- बावन अकृत्रिम जिन चैत्यालयों में 108 - 108 जिन प्रतिमा होती है।टोटल 5616 जिन प्रतिमा.
(१०) उसके सिवा कोनसे द्वीप में (अद्धी द्वीप से बहार) अकृत्रिम जिन चैत्यालय होते है नाम जनावो?
उ- 11वाँ द्वीप कुण्डलवर तथा 13वाँ रूचकवर द्वीप में भी अकृत्रिम जिन चैत्यालय होते है।
अर्थ-अष्टान्हिका व्रत कार्तिक, फाल्गुन और आषाढ़ मासों के शुक्ल पक्षों में अष्टमी से पूर्णिमा तक किया जाता है। तिथि-वृद्धि हो जाने पर एक दिन अधिक करना पड़ता है। व्रत के दिनों के मध्य में तिथि ह्रास होने पर एक दिन पहले से व्रत करना होता है। जैसे मध्य में तिथि ह्रास होने से सप्तमी को उपवास, अष्टमी को पारणा, नवमी को कांजी-छाछ, दशमी को ऊनोदर, एकादशी को उपवास, द्वादशी को पारणा, त्रयोदशी को नीरस, चतुर्दशी को उपवास एवं शक्ति होने पर पूर्णिमा को उपवास, शक्ति के अभाव में ऊनोदर तथा प्रतिपदा को पारणा करनी चाहिए। यह सरल और जघन्य विधि अष्टान्हिका व्रत की है। व्रत की उत्कृष्ट विधि यह है कि अष्टमी से षष्ठोपवास अर्थात् अष्टमी, नवमी का उपवास, दशमी को पारणा, एकादशी और द्वादशी को उपवास, त्रयोदशी को पारणा एवं चतुर्दशी और पूर्णिमा को उपवास और प्रतिपदा को पारणा करनी चाहिए । श्री पद्मप्रभदेव के वचनों का आदर करने वाले भव्य जीवों को उक्त विधि से व्रत करना चाहिए।
इस प्रकार बताई हुई विधि से जो व्रत नहीं करते हैं, उनकी व्रतविधि दूषित हो जाती है और व्रत का फल नहीं मिलता ।
विवेचन-कार्तिक, फाल्गुन और आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में अष्टमी से पूर्णिमा तक आठ दिन यह व्रत किया जाता है। सप्तमी के दिन व्रत की धारणा करनी होती है। प्रथम ही श्री जिनेन्द्र भगवान का अभिषेक, पूजन सम्पन्न किया जाता है, तत्पश्चात् गुरु के पास, यदि गुरु न हों तो जिनबिम्ब के सम्मुख निम्न संकल्प को पढ़कर व्रत ग्रहण किया जाता है।
व्रत
‘ॐ
(१) पूरे साल में कितनी बार अष्ठानिका आती है और कोनसे महीने में ?
उ- वर्ष में कुल तीन बार अष्टान्हिका शाश्वत पर्व आते है:-
कार्तिक मास में , फाल्गुन मास और आषाढ़ मास में।
(२) कोनसी तिथि से कोनसी तिथि तक ?
उ- कार्तिक शुक्ल अष्टमी से पूर्णिमा पर्यंत , फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से पूर्णिमा पर्यंत तथा आषाढ़ शुक्ल अष्टमी से पूर्णिमा पर्यंत।
(३) अंतिम आठ दिन माहे ऐसा क्यू आता है ?
उ- क्योंकि गुजराती में सूद से महीने की शरुआत होती है और वद में पूरा होता है। लेकिन हिंदी,मराठी में वद से महीने की शरुआत होती है इसलिए अंतिम आठ दिन लिखाता है।
(४) 4 प्रकार के देवो कोनसे द्वीप पे पूजा करने जाता है और उसका द्वीप और समुद्र की अपेक्षा से कोनसा नंबर आता है ?
उ- ये देव नंदीश्वर द्वीप पर पूजा करने जाते है जिसका नं० आठवाँ है।द्वीप और समुद्र मिलके 15 मा नंबर होता है।
(५) देवो कितने समय पूजा करते है ?
उ- पुरे 24 घंटे और निरंतर 8 दिन तक
(६) और वहा रात को पूजा होती है ? अगर होती है तो क्यू रात को होती है ?
उ- वहा 24 घंटो पूजा होती है लेकिन वहाँ रात - दिन का भेद नही होता।
(७) पूजा फल फूल से करता है जो हमारे यहाँ फल फूल से पूजा करना निषेध है और वो कर सकते हे ऐसा क्यू ?
उ- उनके दिव्य फल - फूल होते है जो सचित्त नहीं होते और हमारे फल - फूल सचित्त होने से दोष लगता है।
(८) चारे दिशा में रहेला 52 अकृत्रिम जिन चैत्यालय में बिराजमान जिन प्रतिमा की पूजा करते है और उसमे भी नियम से करते है, जैसे सबसे पहेले पूर्व में कोनसे प्रकार के देव,उसी समय दक्षिण में कोनसे प्रकार के देव,उसी समय पश्चिम म् कोनसे प्रकार के देव और उसी समय उत्तर में कोनसे प्रकार के देव ?
उ- कल्पवासी देव पूर्व दिशा में, भवनवासी देव दक्षिण दिशा में, व्यंतर देव पश्चिम दिशा में और ज्योतिषी देव उत्तर दिशा में पूजा करते है।और हर 6 घंटे के बाद दिशा बदलते है।इसी तरह 4 दिशा के जिन प्रतिमा जी की पूजा करते है।
(९) 52 अकृत्रिम जिन चैत्यालय में कितनी जिन प्रतिमा होती है ?
उ- बावन अकृत्रिम जिन चैत्यालयों में 108 - 108 जिन प्रतिमा होती है।टोटल 5616 जिन प्रतिमा.
(१०) उसके सिवा कोनसे द्वीप में (अद्धी द्वीप से बहार) अकृत्रिम जिन चैत्यालय होते है नाम जनावो ?
उ- 11वाँ द्वीप कुण्डलवर तथा 13वाँ रूचकवर द्वीप में भी अकृत्रिम जिन चैत्यालय होते है।
जैनम् जयतु शासनम्
वास्तुगुरू महेन्द्र जैन (कासलीवाल)
67. पर्युषण पर्व के प्रथम तीन दिन किसका वांचन होता हे ?
ans. अष्टान्हिका प्रवचन
68. अष्टान्हिका प्रवचन में किसका वर्णन हे ?
ans. श्रावक के कर्तव्यों का
69. पर्युषण पर्व में चौथे दिन से सातवे दिन तक किसका वांचन होता हे ?
ans. कल्पसूत्र
70. संवत्सरी के दिन किसका वांचन होता हे ?
ans. बारसा सूत्र
71. श्रावक को पर्युषण में कितने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए ? कौन से ?
ans. 5 – अमारी प्रवर्तन, साधर्मिक भक्ति, क्षमापना, अट्ठम तप, चैत्य परिपाटी
72. श्रावक के वार्षिक कर्तव्य कितने हे ? कौन से ?
ans. 11 – संघ पूजा, साधर्मिक भक्ति, यात्रा त्रिक, स्नात्र पूजा, देव द्रव्य वृद्धि, महा पूजा, धर्म जागरण, श्रुत पूजा, उपधान, तीर्थ प्रभावना, प्रायश्चित
73. कल्पसूत्र की प्रथम वाचना कहा प्रारंभ हुई थी ?
ans. आनंदपुर
74. श्रावक के 11 कर्तव्यों में से सब से मुख्य कौन सा हे ?
ans. प्रायश्चित (आलोचना)
75. श्रावक का गुणस्थान कौन सा हे ? नाम ?
ans. 5 – देशविरति गुणस्थान
76. कल्पसूत्र में किसकी तरह अट्ठम तप करने को कहा गया हे ?
ans. नागकेतु
77. अमारी प्रवर्तन का पालन किस राजा के जैसे करना चाहिए ?
ans. कुमारपाल
78. उपवास कर के भी साधर्मिक भक्ति का लाभ कौन लेते थे ?
ans. पुणीया श्रावक
79. गंगा नदी पार करते समय देव द्वारा उपसर्ग से शरीर के गिरते खून से अपकाय जीव की विराधना देख कर कांप उठे और केवलज्ञान प्राप्त हुआ – वो कौन ?
ans. अरणिकापुत्र आचार्य
80. श्री हिरसूरीश्वरजी की प्रेरणा से किसने अपने राज्य में अमारी का पालन करवाया ?
ans. अकबर बादशाह
81. किस राजा के जैसी क्षमापना करनी चाहिए जिसने जीता हुआ राज्य भी लौटा दिया ?
ans. उदयन नरेश
82. कल्पसूत्र कौन सी भाषा में हे ?
ans. अर्धमागधी
83. कल्पसूत्र में कितने अधिकार हे – कौन से ?
ans. 3 – तीर्थंकर चरित्र, स्थविरावली, साधु सामाचारी
84. कल्पसूत्र में कुल कितने श्लोक हे ?
ans. 1215
85. कौन से राजा के समय कल्पसूत्र सर्व संघ के समक्ष पढ़ा गया ?
ans. ध्रुवसेन
86. कल्पसूत्र कौन से आगम का आठवा अध्ययन हे ?
ans. दशाश्रुतस्कंध
87. शुद्ध मन वचन काय से कल्पसूत्र कितनी बार सुनने से मोक्ष मिलता हे ?
ans. 21
88. वर्तमान में किनके द्वारा हिंदी भाषा में अनुवादित कल्पसूत्र का वांचन होता हे ?
ans. महोपाध्याय विनयविजयजी
89. कौन कौन से तीर्थंकर के आचार समान होते हे ?
ans. पहले और चोविसवे तीर्थंकर के और 2 से 23 वे तीर्थंकर के
90. कल्प का मतलब क्या ?
ans. आचार
91. कल्प कितने होते हे ?
ans. 10
92. प्रथम तीर्थंकर के साधु कैसे थे ?
ans. रुजू और जड़
93. अंतिम तीर्थंकर के साधु कैसे थे ?
ans. वक्र और जड़
94. 2 से 23 तीर्थंकर के साधू कैसे थे ?
ans. रुजू और प्राज्ञ
95. महाविदेह के साधु कैसे होते हे ?
ans. रुजू और प्राज्ञ
96. 10 कल्प के नाम ?
ans. अचेलक, उद्देशिक, शय्यातर, राजपिंड, कृतिकर्म, व्रत, जयेष्ठ, प्रतिक्रमण, मासकल्प, पर्युषण
97. 2 से 23 वे तीर्थंकर के साधु कैसे वस्त्र धारण करते हे और क्यों ?
ans. विविध रंगो के मूल्यवान वस्त्र क्युकी रुजू और प्राज्ञ होने से उन्हें वस्त्रो की मूर्च्छा – आसक्ति नहीं होती
98. साल में २ बार श्री संघ समक्ष शाश्वती आराधना में पढ़ा जाने वाला ग्रंथ ?
ans. श्रीपाल राजा का रास
99. कौन सा ग्रन्थ श्री सीमंधर स्वामी की देशना हे ?
ans. उपमितिभव प्रपंचा
100. पूज्य धनेशसूरीश्वरजी ने पालिताना पर लिखा हुआ ग्रन्थ ?
ans. शत्रुंजय माहात्म्य
पर्व पर्युषण
आरती गोसलिया
🅿️1 त्योहार क्या होता हैं❓
🅰️ जिसमे पाप का बंध हो वह त्योहार हैं
🅿️ 2 पर्व क्या है ❓
🅰️ कर्म निर्जरा करवाये यह पर्व
🅿️3 मुख्यतः पर्व कौनसे है ❓
जैन धर्म के मुख्य पर्व
पर्युषण पर्व
शाश्वती ओली
मौन अगियारस आदि
🅿️ 4 सब से महत्व का पर्व कौनसा हैं ❓
🅰️ पर्व पर्युषण
🅿️ 5 पर्युषण शाश्वत है य्या अशाश्वत ❓
🅰️ अशाश्वत
🅿️ 6 पर्युषण के कर्तव्य रूप से कितने उपवास करने हैं ❓
🅰️ 3
🅿️ 7 क्या ये उपवास एक साथ ही करना है ❓
🅰️ छूटे छूटे भी कर सकते है जरूरी नही एक साथ करे
🅿️ 8 पर्युषण में कितने कल्प का वर्णन हैं ❓
🅰️ 10
🅿️ 9 मात्र पर्युषण में ही आरधना करते है उसे क्या कहते है❓
🅰️ भद्दया
🅿️10 चातुर्मास लगने के कितने (सामान्य से ) बाद संवत्सरी आती हैं
🅰️ 50 वे दिन
*स्वागत् ।पर्युषण।सुस्वागतम।*
पर्युषण पर्व एक ऐसा आठ दिवसीय आध्यात्मिक शिविर है जहाँ श्रोता को श्रावक बनने की,
शस्त्रधारी को शास्त्रधारी बनने की,स्वार्थी को परमार्थी बनने की
हिंसक को अहिंसक बनने की कला सिखायी जाती है।
इस लोकोत्तम व लोकोत्तर आध्यात्मिक पर्व का स्वागत और अभिनन्दन करते हुए सभी कल्याण मित्रों को जय जनेन्द्र।
*📢1 पर्व कितने प्रकारके है ? नाम लिखो ?9*
*🅰️🎷 दो प्रकार के !लौकिक ,लोकोत्तर पर्व !*
*📢2. पर्युषण कौनसा पर्व है ?*
*🅰️🎷 लोकोत्तर पर्व !*
*📢3. पर्युषण पर्व का मुल उद्देश क्या है ?*
*🅰️🎷आत्मशुध्दि, आत्म शोधन !*
*📢4. पर्युषण पर्व मे किस सूत्र की वांचना होती है ?*
*🅰️🎷 कल्पसूत्र, बारसासूत्र, अंतगड दशांग सूत्र !*
*📢5. कल्पसुत्र के रचियता कौन है !*
*🅰️🎷. श्री भद्रबाहु स्वामी जी !*
*📢6. कल्पसूत्र की वाचना किस राजा के सामने प्रारंभ हुई ?*
*🅰️🎷 ध्रृव राजा के !*
*📢7 पर्युषण पर्व मे कितने कर्तव्य का पालन किया जाता है ?*
*🅰️🎷.5 कर्तव्य का !*
*📢8. आमरी की।6 महिनेतक घोषणा अपने राज्य मे किस बादशाह ने करवाई थी ?*
*🅰️🎷 अकबर बादशाह ने !*
*📢9 सार्धमर्मिक भक्ति से तीर्थंकर कौन बने ?*.
*🅰️🎷. श्री संभवनाथ भगवान !*
*📢10. पुर्वभव मे सौतेली माँ के कारण अठ्ठम तप अधुरा रहनेपर पालने मे सोते सोते किसने पुरा किया ?*
*🅰️🎷 नागकेतु राजा ने !*
*📢11. पर्युषण पर्व के कितने प्रतिक्रमण होते है ?*
*🅰️🎷4 प्रकारके (देवसी, राई, पक्खि संवत्सरीक !*
*📢12. दो प्रतिक्रमण और सामायिक करने से कौनसा व्रत पुरा होता है ?*
*🅰️🎷 देसावगासिक !*
*📢13. संवत्सरी के दिन कौनसे राजा बंधियो को मुक्तकर संसार के बंधन से उन्मुल हो गये !*
*🅰️🎷 उदायन राजा !*
*📢14.महावीर स्वामी जी ने संयम जीवन स्विकारने से पहले ~~~~ दिया ?*
*🅰️🎷 वर्षिदान !*
*📢15. संयम जीवन स्विकारने के बाद ~~~~~दिया ?*
*🅰️🎷. अभयदान !*
*📢16. केवलज्ञान की प्राप्ति के बाद ~~~~ दिया ?*
*🅰️🎷 ज्ञानदान !*
*📢17.90 साधको का वर्णन किस सूत्र मे आता है ?*
*🅰️🎷.अंतगडदशसांग सूत्र !*
*📢18. अंतगड सूत्र मे कितने श्रृतस्कंध व वर्ग है ?*
*🅰️🎷 1 श्रृतस्कंध व 8 वर्ग है !*
*📢19. दशाश्रृत स्कंध मे निदान के कितने रुप बताए है ?*
*🅰️🎷9 रुप !*
*📢20. पुर्वभव मे निदान करनेपर भी मैने शलाका पुरुष मे स्थान पाया लेकिन अंत मे नरक गामी बना ? नाम सहित पद बताए ?*
*🅰️🎷.वासुदेव~ श्रीकृष्ण महाराजा !*
*📢21. श्रीकृष्ण महाराजा प्रतिदिन कितनी माताओ के वंदन करते थे ?*
*🅰️🎷 400 माताओ के !*
*📢22 श्मशान मे सिद्ध कौन हुए ?*
*🅰️🎷. गजसुकुमाल मुनि जी !*
*📢23. सबसे अल्पकाल दिक्षा पर्याय किसका ?*
*🅰️🎷 गजसुकुमाल मुनि जी ?*
*📢24. सबसे दिर्घकाल दिक्षा पर्याय किसका ?*
*🅰️🎷. एवंता मुनिजी का !*
*📢25. हाथी के मुल्य वाली चिज को कोडी के मुल्य मे बेचनेवाला कौन ?*
*🅰️🎷निदान करने वाला !*
*📢26. 11 अंग मे अंतगड दशा का कौनसा स्थान है ?*
*🅰️🎷. 8 वा स्थान !*
*📢27. कल्पसूत्र मे किसकी तरह अठ्ठम करने को कहागया है ?*
*🅰️🎷 नागकेतू राजा की तरह !*
*📢28. श्री हिर विजय सूरीश्वर जी की प्रेरणा से किसने अपने राज्य मे आमरी का पालन करवाया ?*
*🅰️🎷 अकबर बादशाह ने !*
*📢29. आयंबिल👌 वर्धमान तप मे कितने आयंबिल होते है !*
*🅰️🎷5050 आयंबिल !*
*📢30. शाब कुमार की माता का नाम ?*
*🅰️🎷 जामवंती जी !*
*🅰️🎷5050 आयंबिल !*
*📢31 क्लप सूत्र के कितने अधिकार है ?*
*🅰️🎷3 अधिकार ,जिन चारित्र, स्थविरावली, साधुसमाचारी !*
*📢33. पर्युषण मे विस्तृत रुप से कौनसे भगवान के चरित्र का वाचन किया जाता है ?*
*🅰️🎷 श्री महावीर भगवान का !*
*📢34. 6 कल्याणक कौनसे भगवान के हुए ?*
*🅰️🎷श्री महावीर स्वामी जी के !*
*📢35.श्री महावीर प्रभु जी के सबसे पहले दर्शन किसने किए ?*
*🅰️🎷 हरिणगमेषी देवने !*
*📢36. चौदह स्वप्न किस प्रकार के स्वप्न के अंतर्गत आते है ?*
*🅰️🎷 मुख्य शुभ स्वप्न !*
*📢37. चार दांत वाले हाथी का स्वप्न किसका सुचक है ?*
*🅰️🎷. प्रभु चतुरविध संघ की स्थापना करेगे !*
*📢38. 27 भव मे सबसे उत्कष्ट तपस्या कौनसी थी ?*
*🅰️🎷 मासक्षमण की तपस्या !*
*📢39 सबसे ज्यादा मासक्षमण की तपस्या किस भव मे की थी ?*
*🅰️🎷 25 वे नंदनमुनि भव मे !*
*📢40.नंदन मुनि के भव मे प्रभु जी ने कितने मासक्षमण किए थे ?*
*🅰️🎷 11 लाख 60 हजार मासक्षमण किए !*
*📢41.प्रभु जी ने कौनसे भव मे तीर्थंकर गोत्र का बंध किया ?*
*🅰️🎷 नंदनमुनि के भव मे !*
*📢42. अंतगड सूत्र मे किसकी ध्यान की प्रथानता है या तपकी ?*
*🅰️🎷 तप की !*
*📢43. अष्टप्रवचन माता का अध्ययन कितने साधको ने किया?*
*🅰️🎷 दो साधकोने (गजसुकुमाल मुनि जी ,अर्जुनमाली अणगार !*
*📢 44. "सत्यभामा जहा पुत्र रत्न को जन्म देगी वही से यादव वंश का अम्युदय होगा" ,उस पुत्र का नाम क्या ?*
*🅰️🎷 भानु कुंवर !*
*📢45. द्वारिका नगरी कितने योजन लंबी और चौडी ?*
*🅰️🎷. 12 योजन लंबी और 9 योजन चौडी थी !*
🌹❓आज का विषय ❓🌹
🌹❓ पर्युषण पर आधारित कुछ प्रश्न और कुछ सामान्य प्रश्न❓🌹
❓१) जो कभी कभी धर्म करते है उसे _______कहते हैं?
🙏१) कदैया।
❓२) पर्यूषण के पहले ३ दिन _______ सुनते हैं?
🙏२) अष्टानहिका प्रवचन।
❓३) सामान्य से संवतसरी के बाद _______दिन के बाद साधु भगवान् विहार करते हैं?
🙏३) ७० दिन!
❓४) महाविदेह क्षेत्र में ______और _____जीव होते है?
🙏४) रूजू और जड़!
❓५) जो व्यक्ति कल्प सूत्र _____बार अखंड सुनते हैं वे आठवें भव में मोक्ष जाते हैं?
🙏५) २१ बार!
❓६) पर्युषण पर्व के सातवें दिन प्रतिक्रमण में ______स्तुति बोलते हैं?
🙏६) कल्लाण कंदं!
❓७) द्रौपदी का अपहरण _______ राजा ने करवाया?
🙏७) पदमोत्तर राजा!
❓८) पर्युषण पर्व के कल्प सूत्र में _____तीर्थंकर का वर्णन आता है?
🙏८) ४ तीर्थंकर के!
❓९) कौन से ४?
🙏९) ऋषभ देव , नेमीनाथ , पार्श्वनाथ,महावीर स्वामी!
❓१०) कल्प सूत्र के रचयिता _____है?
🙏१०) भद्रबाहु स्वामी!
❓११) संवत्सरी चौथ की किस आचार्य ने की थी?
🙏११) कालक सूरीजी!
❓१२) पर्युशन में देवसी प्रतिक्रमण कितने होते है?
🙏१२) ६!
❓१३) त्रिशला रानी तृतीय स्वपने में ____देखती है?
🙏१३) हाथी!
❓१४) २४ तीर्थंकरों में _____तीर्थंकर का वर्ण सुवर्ण है?
🙏१४) १६ तीर्थंकर!
❓१५) इस सूत्र में _____ तीर्थंकरों के सिर्फ अंतर सुनते जाते हैं?
🙏१५) २०!
❓१६) १४ स्वप्नों का वर्णन कल्प सूत्र के _____ व्याख्यान में आता है?
🙏१६) तीसरे व्याख्यान !
❓१७) पर्युषण पर्व के आलोचना निमित ______पक्की माला गिननी चाहिए?
१७)६० माला!
❓१८) कल्प सूत्र का प्रथम श्रवण प्रभु निर्वाण के कितने वर्ष पश्चात हुआ?
🙏१८) ९९३ वर्ष!
❓१९) कल्प सूत्र के मूल श्लोक कितने हैं?
🙏१९) १२१५ श्लोक!
❓२०) ______आनंद श्रावक को मिच्छामि दुक्कड़म देने गए थे?
🙏२०) गौतम स्वामी!❓२१) नयसार कौन था?
१) ग्वाला २) मुखिया ३) श्रावक?
🙏२१)मुखिया!
❓२२) नयसार कौन से गांव का मुखिया था?
🙏२२) पृथ्वी प्रतिष्ठान नगर!
❓२३) नयसार किस राजा के राज्य का ग्राम प्रमुख या मुखिया था?
🙏२३) शत्रुमर्दन राजा!
❓२४) वीर प्रभु का च्यवन देवा नंदा की कुक्षी में कब हुआ?
🙏२४) आषाढ़ सुद ६!
❓२५) वीर प्रभु का गर्भ संहरण किस नक्षत्र में हुआ?
🙏२५) हस्तोत्तरा नक्षत्र में!
❓२६) त्रिशला माता के गर्भ में कब च्यवन हुआ?
🙏२६) अश्विनी वद १३!
❓२७) वीर किस वंश के थे?
🙏२७) ज्ञांत वंश!
❓२८) किस गोत्र के थे?
🙏२८) काश्यप!
❓२९) किस जाति के थे?
🙏२९) क्षत्रिय जाति!
❓३०) किस कुल के थे?
🙏 ३०) इक्ष्वाकु कुल !
https://www.facebook.com/groups/521310878315183/
*🗓️ गुरुवार*
*Date~ 23/07/2020*
⏰
*समय~ दोपहर 3 से 3:30*
🎇🎇🎇🎇🎇🎇🎇🎇
🙏 *(11)* शामला पार्श्वनाथ भगवान के चरणों में नमन ।।।
*📜अरुणा जी जैन राजमंड्रि (आस्टेलिया ) की लेखनी से ✍️*
👉 *आज का टॉपिक*......*पर्युषण पर्व *pyala* पिओ मेरे लाला वेर नु विसर्जन सन्हे नु सर्जन गुणोनु अर्जन कर्मो नु निकंदन कषायो नु मर्दन !!!
🙏 हैं प्रभु ???
🔥 दीप के जलने से पतंगें का अरमान छुपा होता हैं ।।।
🧎♂️ भक्त की लगन में भगवान का वरदान छुपा होता हैं ।।।।।।
💁♀️ ऐ दुनिया के समझदारों , इतना तो समझ लो ।।।।
🌹 इंसान के दिल में , कोई ना कोई भगवान छुपा होता हैं।।।।
📿 माला से मोती 💧 तुम थोड़ा ना करों , गुरु से मुंह मोडा ना करों ।।।।
👉 आज दोपहर की ज्ञानशाला का पाठ लेकर आ रहे हैं परिवार के 🌹
ज्ञानी गुरुवर
परम ज्ञानी
परम आदरणीय
💧 *:- दर्शना जी शाह पुणे* 💐
हम सब आपका हार्दिक स्वागत करते हैं ।।।।
आपको प्रणाम सा 🙏🙏
पर्युषण पर्व pyala पिओ मेरे लाला
वेर नु विसर्जन सन्हे नु सर्जन गुणोनु अर्जन कर्मो नु निकंदन कषायो नु मर्दन🙏🏻🙏🏻
🅿पर्युषणा पर्व का दूसरा नाम
🅰पर्वाधिराज
कितने कर्तव्य पालने चाहिऐ
🅰५
🅿पर्व का प्रथम कर्तव्य
🅿कितने प्रतिकमण जरूर करना चाहिऐ
🅰अमारी प्रवर्तन
🅰१७
🅿तेलाधर का कौन सा तप करना चाहिऐ
🅰अठृम
🅰भदैया
🅿पर्व मा आराधना करनारा जीव
🅿प़थम दिनने क्या नाम थी संबोधन करते है
🅰अठृठाईघर
🅿केटला ग़ंथ नु वांचन थाय?
🅰३
🅿कौन सा ग़ंथ ४ दिन २ बार पढते है?
🅰कल्पसूत्र
🅿ग़ंथ ना रचियिता?
🅰भद्बबाहुस्वामी
🅿कितने प़हरी पौषध करते?
🅰६४
🅿८ वे दिन कौन सा ग़ंथ पढते?
🅰बारसासूत्र
🅿सबसे ऊचा कर्तऱ्य?
🅰साधर्मिक भक्ति
🅿कुल कितने व्याख्यान?
🅿 २१ बऻर कल्पसूत्र श्नवन करनेवाले कितने भवे मोक्ष?
🅰नव भव
🅰८ वे भवे मोक्ष
🅿चार्तुमास १४ के कितने दिन बाद संवतसरी आती है?
🅰५० वे दिन
🅿पर्युषण मे कितने ग़थ गुरुजी पढते है?
🅰अष्टानिका कल्पसूत्र बारसासूत्र
🅿८ वे दिन कौन सा ग़थ पढते है?
🅰बारसासूत्र
🅰२१ बार
🅿१ से १०० संख्या मे १ कितनी बार इक आते है?
🅿तिर्थकर की माता को आये कोई भी ७ स्वपन?
🅰हाथी सिंह लक्ष्मी सूर्य चंद् देवविमान कुंभ
🅿भोजन कौन से भाव से करना चाहिऐ?
🅰अनासक्त भाव से
Pathashala taken
*दर्शना जी शाह पुणे*
*✍️अति सुंदर👌 प्रश्नावली ⁉️ खूब खूब अनुमोदना आपके समय ज्ञान की 🙏😊💐🏆*
*📚 गुरु गौतम ज्ञानशाला*
*आँनलाइन पाठशाला से*
*जुडने के लिए संपर्क करे*
*Subhadra ji Banwat*
मो.न. *9993795987*
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