धर्म पहेली न्यू


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                *टॉपिक
 
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                *टॉपिक* 
      🌹 *मुझे पहचानो* 🌹

1️⃣ आया आया मेरे विर प्रभू 
        का पारना
वोहराने के लिये मैने खोल दिया
        अंतर का बारणा
🅰️ *1) जिरण सेठ* 

2️⃣ मैं आपका  भक्त था
       मुझे क्यु दुर कर दिया
     रो रो कर पुछ रहा हुं
      क्यु अपना निर्वाण कल्याणक
       मना दिया
🅰️ **2) गौतम स्वामी** 
     
 3️⃣ शत्रुंजय पर उजमफई ने 
      ईस टुंक को बनाया था
      अपने सारे कर्म तोडकर  
       भक्ती का लाभ उठाया था
🅰️ *1) नंदिश्वर की  टुंक* 
   
4️⃣ सुबह सबने मिलकर मेरे
   दिक्षा का अवसर सजाया था
   उसी शाम मेरा केवलज्ञान 
       कल्याणक मनाया था
🅰️ *3) श्री मल्लीनाथ स्वामी* 

5️⃣ *लुणिगवसही* नाम का हमने
       मंदिर बनाया है
      आबु के पावन धरती पर
      इतिहास रचाया है
🅰️  *2) वस्तुपालजी तेजपालजी* 
      

 6️⃣आने वाली चौबीसी का मैं पहला तिर्थकर
अपने कर्म को तोडने का
तुम खोना ना अवसर
 *🅰️1) श्रेणिक राजा* 

7️⃣ चमडी उतर रही थी मेरी 
फिर भी है लिन था भक्ती में
समतारस का पालन कर 
चला गया मैं मुक्ती मे
🅰️ *3)खंदक मुनी* 

8️⃣ जरासंघ की जरा मिटाने
मैने शंख बजाया था
श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ का वही
 मंदिर बनाया था
🅰️ *3) श्रीकृष्ण जी* 

9️⃣ सौभाग्यशाली हुं मैं 
और भक्त हुं मैं श्री महावीर की
धर्मलाभ भेजा मुझे 
ऋणी हुं मैं उनकी
🅰️ *2) सुलसाजी* 
       
🔟बहनोई ने धक्का दिया 
तब जा कर मैं आगे बढा
और दिक्षा लेकरं मैं भी 
उनके साथ ही चला
 *🅰️ **2) धन्नाजी/शालीभद्रजी* 
      



मोतियों से बनी हूं, गिनती में मदद करती हूं, पर मैं केल नहीं हूं?
नवकार वली माला 💍

, अरीसा भुवन,
✅🅰️ जी भरतजी चक्रवर्ती

रोज सुबह पानी के मटके से मेरी होती है मिलने वाली जीवित जीवों की हिंसा से बचाने में करती है सहयोग एल
जलगायन✅गलना

आठ फोल्ड या बांधते हो मुझे प्रभु के पास पहुंचाने में मैं भी मदद करता हूं। करता हूँ मैं

मुख्को हूं
भगवान के पास जाने के लिए आठ पड़ का मुख्य कोष

मानता हूँ जरूरी होता है स्वर्ग नरक की रचना सा, नर तिर्यंच करे संचारी | भावना कौन सी है कहलाती, सिद्धशिला की याद दिलाती ।।

लोक


भावना क्षत्रिय राजपुत्र कहलाता, पर चोरी का काम करता
दृढ़ श्रद्धालु है वह कौन नवकार मंत्र पढ़ी ।।

एक अंजन चोर


तेजस्वी तिलक- पति वियोग-

ं दमयंती जी


मंदिर में जब प्रवेश करते हो तब मुझे बजाते हो प्रार्थना पूर्ण करके जब वापस लौटते हो केवल आनंद की खुशी में मुझे बजाते हो l

एक घंटा

पहचानो कौन- तीसरा
नरक - अममनाथजी - 3 खंड
ए श्री कृष्ण जी


पहचानो कौन? -
प्रणत देवलोक - सुवर्ण - पटपुरी
एक महावीर जी


सात भूमि में कहीं न साता, दुख ही दुख मिलता है भ्राता।
अष्टमं का नाम जाना, प्राप्त करो तो सुख पा जाओ ।।

आठवीं इषत प्राग्न भूमि यानी सिद्ध


शिला में चलाने में सफल हुई कुछ देखा।
देखिए बने भगवान

देवभद्र और यशोभद्र✅✅
ओर चिलाती पुत्र

ठंड में लगे कप कप-कप, अरु गर्मी में खूब है तपन।
कैसे अनुभव हमको होता है, आतम का प्रतीक ना खोता है ।। बीच में सरोवर मुक्तिधाम, अंतिम देशना का स्थान

एक स्पर्शक✅


सिद्ध क्षेत्र है कहो कहाँ पर, शासने हैं तीर्थंकर ।।

पटवापुरी सिद्ध क्षेत्र, जहाँ से महावीर स्वामीजी जी का निर्वाण हुआ

चलते जल में चलते जल में खिंचावते, यहाँ वहाँ जीवन की खोज होती है।
जीव कौन सा नाम है, पंचेन्द्रिय के भेद कहाते ।।

जलचर तिर्यच पंचेंद्रिय जीव तिर

मल मूत्रों का बना पिटारा, दुर्जन जैसा तन का सहारा।
भावना कौन सी है कहलाती है, वैराग्य भाव उपजाती है ।।


अशुची भावना अ


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📅
* ༺ ꧁ करे नवकार करे गर्व से पार ꧂ ✅ *


 * DSTE ~ १५ / ० ९ / २०२० *

* 🕰️समय २.२५.३.०० *

✅ * Topic -: बूजो तो जानो मतलब पहेलीया * तो
* * * * Q1 नाम मेरा नाम इतना स्वादा है *, * सबका गमनाशन हटाता। *
🦚🌼🌻🌹🦚🌼🌻🌹🦚

🤔आज की पहेली🤔
1. कौन से जीव घटते है पर बढते नहीं?भव्यजीव
2. भाव का दिवाला किसने निकाला?पूरणशेठ

1

* आकर यहाँ पर कोई वापिस नहीं जाता ।अन्तन्त जीव से मेरा नाता। *

* गति मोक्ष, सिद्ध गति, सिद्ध शिला *

* Q2️⃣ मैंने खोला मुक्तिधाम *,
* मेरा लाला प्रथम प्रधान। *
* पौत्री लाई अंक विज्ञान, पड़पोत्र ने सुपात्र दान दिया। *

* माता मरुदेवी माता जी *

* Q3️⃣reeoannat बन मैं आया था। *
* गुरु ने मेरा श्रेय गलाया।अपने गुरु का प्यारा, आप सब मुझे नमाते। शीश। *

* 🅰️ इंद्रभूति जी, गौतमस्वामी जी *

* Q4️⃣ धर्म दलाली करते करते तीर्थंकर नामकर्म कमाया.सब भाई मुक्ति में पहुंचे , अगली चौबीसी में जिनका नम्बर आया *

* 🅰️ श्रीकृष्ण वासुदेव *

* Q5️⃣ पुनिया श्रावक जी की पूंजी कहाई, मेरा आराधन कर लो भाई। *

* साम सिद्ध सामायिक *

* Q6️⃣ वीर प्रभु से प्रशंसा पाई *
* सब मिले मुनियों में श्रेष्ठ कहाये बेले-बेले करी तपस्या, सर्वार्थसिद्ध में जाय विराज *

* ️⃣ धन्ना मुनि जी *


* Q, 7 के पिता के वचन की करने रक्षा, छानी वन की राख।पत्नी ने दी अग्नि परीक्षा, रघुकुल की रखी साख। *

* 🅰️ रामचंद्र जी *


* * Q️⃣️⃣ मैंने किया माया निदानमृतनों संग मुक्ति मुक्तिधाम *

* 🅰️ मल्लिकुमारी जी * * Q1️⃣1️⃣ 45 लाख योजन विस्तारा जीव अनन्ता रहे सुखकारा *

* क्यू 9 * बीच बजरिया बेची गई, *
* हथकड़ियां भी पहनी थी।दिया सुपात्र दानवीर प्रभु की चेली थी। *

* ती महासती चंदनबाला जी *

* Q1️⃣0️⃣ जैन धर्म के त्योहारमहान, विश्वजन का करे कल्याण।कहा-सुना सबिव करो मन से। कलिमल दूर करो। *
* या क्षमायाचना पर्व * * Q1️⃣2 करते नहीं करते वो स्तनपान, देते हैं जो वर्षीदान *, * शकरेंद्र मेरु पर ले चलते मनाते जिनका जन्म कल्याणक * * र्थ तीर्थंकर प्रभु * * Q1️⃣3️⃣ पितु माता तो स्वर्ग सिधाई, तुम क्यों छोड़ो; मेरे भाई दो साल तो रुक जाओ, कहने वाले का नाम बताई * * दि नंदीवर्धन जी * * Q1ती4 गुण छतीस गुण के धारी थे।एका संभव अवतारी थे।रच दी रजोहरण की माला एक एक संथारा धारा। * * 🅰️ पूज्य जयमल जी महाराज साहब *

🤔आज की पहेली🤔
1. जिसको मैं मिल जाता हूं, वह स्वतः पंचेन्द्रिय बन जाता हैं।(कान)
2. जंगल में मंगल किसने किया? (नयसार, बलभद्र)


* 🅰️ सिद्धशिला *

तीनो लोक के सर्व स्थानों में से ,किस  स्थान में,अभी तक हम सभी ने जन्म-मरण नहीं किए ?
🅰️Sarvath siddh viman mai



*जैन धर्म पहेली*

Date : 1-12-2016

Path Taken by : *Shobha Gulechha – Chennai .*

1. अष्टकर्म को किया है नाश
रही न जिनको कुछ भी आश 
परमेष्ठी वे कौन कहाते
बीच हमारे कभी न आते।।

उत्तरःश्री सिद्ध परमेष्ठी

2.  
नरक है जिसको निश्चित जाना
 भव्य जीव क्षुल्लक का बाना।
महापुरुष का नाम बताओ
 नाम बताकर इनाम पाओ।।

उत्तर: नारायण महापुरुष 

3. मिथिला नगरी में हैं जनमें
 देव ले गया भाई को वन में ।
भाई—बहन का नाम बताना
युगल जन्म है जिनका जाना।।

उत्तर: सीता एवं भामण्डल।

4. दृढ़ श्रद्धा धर शीश नवाया
 पिण्डी से प्रभु को प्रगटाया।
चन्द्रप्रभु को शीश झुकाओं
उन मुनिवर का नाम बताओं।।

उत्तर: आचार्य समन्तभद्र स्वामी जी 

 
5. कृष्ण वर्ण पर सुन्दर काया
देखो अद्भुत पुण्य की माया।
तीर्थंकर के नाम बताओं
पुण्य कमाकर सुर सुख पाओ।।

उत्तर: १ मुनिसुव्रतनाथ २ नेमीनाथ भगवान श्याम वर्ण अथवा कृष्ण वर्ण के थे।

6. तीर्थंकर की जय—जय गाएं
मुनियों के नायक कहलाएं।
वीर प्रभु के कितने गणधर
कौन बताए संयम धरकर।।

उत्तरः कुल ११ (ग्यारह ) गणधर

7. जन्मभूमि है पूज्य कहाती
तीर्थंकर सम ख्याति पाती।
कितने तीर्थंकर है जन्में
नगर अयोध्या ख्यात है जग में।।

उत्तरः पाँच तीर्थंकर:
श्री आदिनाथ भगवान् जी, श्री अजितनाथ भगवान जी, श्री अभिनंदननाथ भगवान् जी ,श्री सुमतिनाथ भगवान् जी, श्री अनंतनाथ भगवान् जी।

8. अरहनाथ स्वामी जग नामी
रही न उनमें कुछ भी खामी।
पदवी दो कौन सी धारे
मोक्ष कहाँ से हैं वे पधारे।।

उत्तरःअरहनाथ भगवान तीर्थंकर एवं चक्रवर्ती  दो  पद के धारी थे। श्री सम्मेदशिखर जी से मोक्ष गये।

9. ऋषभदेव की पुत्री प्यारी
सबसे पहले दीक्षा धारी।
उन दोनों का नाम बताओ
मार्ग अहिंसा का अपनाओ।।

उत्तरः सुन्दरी,  ब्राह्मी

10. स्वर्गो से भी देव हैं आते
कल्याणक प्रभु का है मनाते।
लौकान्तिक वैराग्य सराहे 
कौन सा जिसको योगी चाहे।।

उत्तरः लौकान्तिक देव और  दीक्षा कल्याणक

11. मनवांछित वस्तु का दाता
मांगे से मिलती है साता । 
तीर्थंकर का नाम बताओ
चिन्ह बताकर इनाम पाओ।।

उत्तर:श्री शीतलनाथ भगवान का कल्पवृक्ष का चिह्न

12. बड़ी मस्त है चाल वो चलता
कान है देखो जिसका हिलता।
चिन्ह कौन सा वह कहलाता
तीर्थंकर की याद दिलाता।।

उत्तर: श्री अजितनाथ भगवान् जी का हाथी

13. लाल वर्ण है सुन्दर काया
मन में धरते कभी न माया।
तीर्थंकर का नाम बताओ
उन जैसा तुम पुण्य कमाओ।।

उत्तरः श्री वासुपूज्य स्वामी । श्री पद्मप्रभु स्वामी

14. पार्श्र्व प्रभु हैं सबसे न्यारे
तीर्थंकर की पदवी धारे।
कब औ कहाँ से मुक्ति पाई
सही बताओ मेरे भाई।।

उत्तरः श्रावण शुक्ला आठम  को सम्मेद शिखरजी से 

15. पार्श्र्व प्रभु ने ध्यान लगाया
शत्रु ने पत्थर बरसाया।
शत्रु का तुम नाम बताओ
समता से सब कर्म नशाओ।।

उत्तरःशम्बर नामक देव।( कमठ का जीव)

16. नेमिनाथ ना राजुल ब्याहा
चलना मोक्षमार्ग पर चाहा।
मोक्ष कहाँ से उनने पाया
दूजा नाम भी बताओं भाया।।

उत्तरः श्री नेमिनाथ भगवान श्री गिरनार जी से मोक्ष गये। दूसरा नाम- श्री ऊर्जयन्तगिरि सिद्धक्षेत्र।      

17. बाहुबली की अतिशयकारी
प्रतिमा देखो बड़ी निराली।
किसने कब प्रतिमा बनवाई
दक्षिण प्रान्त में है पधराई।।

उत्तरः बाहुबली की प्रतिमा सेनापति श्री चामुण्डराय ने सन ९८२ में बनवाई थी।

18. गगन में देखो जिनका यान
चमक से होती है पहचान।
देव कौन से वे कहलाते
कभी—कभी वे यहाँ भी आते।।

उत्तर: ज्योतिष्क देव ~ सूर्य चन्द्रमा आदि।

19. नगर बनारस खुशियाँ छाई
घर—घर देखो बजी बधाई।
जनमें कौन से हैं तीर्थंकर
पुण्यशाली वे सर्वहिंतकर।।

उत्तरः १ श्री सुपार्श्र्वनाथ भगवान् जी , २ श्री पार्श्र्वनाथ भगवान जी।

20. बड़े भाई वे नारायण के
युद्ध कला में पारायण वे । 
महापुरुष हैं वे कहलाये
कौन है कितने कुल बतलायें।।

उत्तर: रामचन्द्र जी  संख्या 4 भाई

21. पक्ष जिन्होंने धर्म का रक्खा
विद्याधर था नियम का पक्का।
लंका का था राज्य वो पाया
कौन वीर था बताओ भाया।।

उत्तरः रावण का भाई विभीषण

22. जिन की वाणी है जिनवाणी
पार हुआ है जिसने मानी।
चार भेद हैं आप बताओं
अनुयोगों को उर में लाओ।।

प्रथमनुयोग,करणानुयोग,चरणानुयोग,द्रव्यानुयोग                        

23. ऐसे शास्वत पर्व बताओ
महीने में 2,2,आते
संयम समता भाव जगाते
श्रावक के मन को है भाते                        

अष्टमी.,चतुर्दशी                        

24. काम किसी के कभी न आता
पर अपना अस्तित्व जगाता
उसको हम स्वीकार रहे हैं
पर कर्ता नही मन रहे हैं                        

में आपको थोडा हिंट देती हु यदि आप कोई काम कर रहे हैं और कोई आपकी मदद करे तो वो क्या है उस कार्य में                        
निमित्त                        

25. बुद्धि को है भ्रष्ट बनाता
घर भर में दुख दारिद्र लाता।
भूल इसे तुम कभी न छूना
नाम व्यसन का बताओ जूना ।।

उत्तर: मद्य (मदिरा) पान व्यसन।

26. आँतो को है शीघ्र गलाता
सुन्दर जीवन नाश कराता।
ऐसे पेय का नाम बताओ
बचकर जीवन सफल बनाओ।।

उत्तरः कोल्डड्रिंक्स (पेप्सी, कोको कोला आदि..,

27. पिता पुत्र की देखो जोड़ी
पुत्र ने संग में माया छोड़ी।
ऋषभदेव बाहुबली स्वामी
कितनी ऊँची काया नामी।।

उत्तरः पिता की  ५०० धनुष एवं पुत्र की ५०० धनुष

28. शत इन्द्रों में नाम है आता
तीर्थंकर का चिन्ह कहाता।
नाम प्रभु का है बतलाओ
चिन्ह कौन सा है समझाओ।।

उत्तरः भगवान महावीर का चिह्न :सिंह (शेर)














* 1️⃣5ोड़छोड़ चले हाथी का होड़ा, छोड़ गए सजी-सजाई दुल्हनिया करुणा के अवतार कहाये, बूझो इनका नाम सजनिया *

* 🅰️ भगवान अरिष्टनेमी जी *

* Q1️⃣6️⃣ स्वाद विजय का तप कहलाता, मैलावन्द को सुहाता, जब तक चला आराधना मेरी, बची रही द्वारिकानगरी *

* म्ब आयम्बिल तप * * जब धर्म विष्णु अंतिम साधु रहेगा, मैं कहता हूँ, जिनवर का संदेश। * * प्प दुप्पहुरूरी जी * * Q1️⃣8️⃣ हाथ बेंत के मानव होंगे, छोटी उमरिया होगी। । * * खाने को नहीं रसोई होगी, पीने को बस खोपड़िया * * आरा छटा आरा *


* क्यू 1️⃣7️⃣ इस आरे के अंत में, *










* Q1 निभाई9 * नव भव की थी प्रीत से, पिऊ से पहले मुक्ति पाई *

* ुल राजुल जी *

* Q2 कट0 * आदि कटे तो दुःख कहाता, मध्य कटे तो बच जाता है।अंत कटे तो दुनिया भर में, पूर्ण होने तो ज्ञान बढता है *

* 🅰️ आगम *

* Q2 ,1 * पारस गुरु के आशीर्वाद से, पवन जी ने बनाई ।छे महीने में पहुंच गया मैं *,
* कला जी ने निम्नलाया है। *

* 🅰️ "नवकार करे भव परम पार" ग्रुप *

छोटे -छोटे प्रश्न पूछते,
बड़े-बड़े मिलेनानी।
सम्यकज्ञान का पवन
जीवन जीने की कला सिखाता है
ऐसा ठिकाना बताओ, हम मिलते हैं जहाँआप
जहाँ ज्ञान दीप जलते हैं
और मानव रत्न ढलते हैं
* 🙏🙏मधु जी मठ्ठा🙏🙏 *

⛱️🌳🌻🌼⛱️🌳🌻🌼
म- 🥳 मन में बस जाएं ऐसी मीठी वाणी और मुस्कराती छवि है आपकी 👏 की
धुंधला
-🥳 धुन लगी है धर्म ध्यान की, राह यही है गर्व पार की 🥳
⛱️🌳🌻🌼⛱️🌳🌻🌼
जी-बार जीवन में आओ बहार जो एक बार सनाध्य पालें आपके
🥳
कीहड्डी की असीम भावनाओं से बचना करतां हूँ आपके सम्यक ज्ञान की👏
िता सुनीता डांगी चित्तौड़गढ़🖊️


* जिन आज्ञा विरुद्ध कुछ भी लिखा ✍ हो तो मिच्छामि दुक्कडं * *

* पाठ्शाला गुरूजी *
* मधुजी मठ्ठा चित्तौडग़ढ़ **
         
       *
* ༺ कार नवकार करे गर्व से पार ༻ ✍ *


* ओनेलाइन पाठशाला मे जुडने के लिए संपर्क करे *
* 7977689503 *


कठिन है मिलना मानव काया, फिर मिलना है धर्म की छाया।
भावना कौन सी सी कह रही है, सफल करो जीवन कमानेलाती ।।

बोधी दुर्लभ भावनाोध पूर्व

संभव मे की थी चोरी
उसकी सजा मिली बहोत बडी

ए देवनन्दा जी


मैं तीर्थंकर नहीं थी फिर भी मा ने दावा किया तीर्थंकर होनेका

एक गौशालक


पहेली -सब को लूटता था मैं - क्योकि मैं था लेकिन कांटा ऐसा चुभा पाव में। .. जो ले गए संयम की ओर ..

एक रोहिणीय


पहेली में - मेरी स्थिति बहुत है, पर स्तर सबसे नीचा है, अंधकार ही अंधकार है, मेरा नाम बताओ क्या है?

तमस्तम प्रभा ,,, माघवती, 🅿️
वीं नरक


* .418। इस हल्दीपनी कालमें विद्युत पात बिजली का गिरना कहा जाता है ~ ???? *
* .Ans। वैताढ्य पर्वत पर! *


*

* 🅿️416। इस अविसर्पिणी काल मे सर्वप्रथम शकेन्द्र धरती पर कब और क्यु आये थे ~ ???? *
* .Ans। पहली बार आषाढ कृष्णा पंचमी को आए थे प्रभु जी आषाढ कृष्णा चतुर्थी को चिवकर माता के गर्म मे आये थे। उसके माता-पिता ने 14 सपने देखें अत: उन सपनों का फल देने के लिए। *

* 🅿️417। प्रभु जी और भगवान महावीर स्वामी का अव्यवहित अंतर कितना है ~ ???? *
* भगवानAns। एक कोटे को टी सागरोपम का! *

* .418। इस हल्दीपनी कालमें विद्युत पात बिजली का गिरना कहा जाता है ~ ???? *
* .Ans। वैताढ्य पर्वत पर! *

* 🅿️419 प्रभु जी ने सर्वप्रथम आत्मविद्या का परिज्ञान को करवाया था ~ ???? *
* 🅰️Ans। प्रथमा गणधर वृषभसे जी को! *

* .420 प्रथम गणधर वृषभ सेन का अपर नाम क्या था ~ ???? *
* .Ans। पुंड्रिक जी! *






  आगम प्रतियोगिता

अ से प्रारम्भ होने वाले शब्द

१⃣ आबू का प्राचीन नाम?
🅰 अबुर्द
2⃣ तीर्थांक🅰 गर्भकाल से ही होते हैं?
🅰 पीरियडनी

3⃣ राजा वीरिक का पुत्र?
🅰 अभय कुमार

4⃣ अनुयोग व्यवस्था के
संस्थापक का नाम क्षित आर्य रक्षित

5⃣ 72 बहार कलाओं में से एक से
असि
6⃣ भगवान ऋषभ की निर्वाण भूमि?
🅰 अष्टापद पर्वत
⃣ाहबाहुबलि को केवलज्ञान उतपन्न होने में कोनसा तत्व अवरोधक था?
🅰 अहंकार
8🅰 22 वें तीर्थंकर का नाम?
🅰 अरिष्टनेमि
9⃣ काल के एक भाग का नाम?
🅰 पश्चिमप्राणी काल
1⃣0⃣ इंद्रिय यज्ञ के लिए कोनसी नगरी में चला गया?
🅰 अप्पा नगरी
           अंत में ट शब्द आना चाहिए

1 का1ार आगार का अर्थ है?
इ छूट

1 ?2⃣ एक बेइंडियन जीव? 1वीर3 स्थान प्रभु महावीर ने केवलज्ञान पाया था?     🅰ऋजुबालिका तट 1⃣4⃣ सार्वजनिक राजा ने अभय कुमार से कहा मेरी दृष्टि से कहा जा रहा है? 🅰 हट 1 सूत्रों5⃣ गणधर द्वारा रचित स्रोतों को कहा जाता है? 🅰 अंगप्रविष्ट 1⃣6⃣ कोनसा जीव खाते है पर पीटीआई नहीं? 🅰 लट 1🅰7⃣ मल्ली नाथजी ने पूर्व संभव में किया था? 🅰 कपट 1🅰8⃣ राजा पहनता है? 🅰 मुकुट 1🅰9⃣ टीवी से संस्कार होते हैं? 🅰 नष्ट 2 ारण0⃣ भगवान पार्श्वनाथ का पहला पारणा हुआ था?  🅰 कोपत्त       अंत में ठ शब्द आना चाहिए 2⃣1 का धन का रागी तन का त्यागी? 22⃣ शक्तिेंद्र के पूर्व संभव का नाम?
🅰 लट


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📅
*༺꧁ नवकार  करे  भव  से  पार    ꧂༻*

 *DSTE ~6 /11/2020*

*🕰️समय  दोपहर  2.25 से 2.55۔*

*🦚 *टॉपिक -: 🦚🦚🦚ज्ञान पहेलीया🦜🦜 🦜*

*🌹〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️🌹*

🦚🌼🌻🌹🦚🌼🌻🌹🦚🌼🌻🌹

1️⃣ संपूर्ण लोक मे राज्य है,
फिर भी सिद्धो के त्याज है।
🅰️  कर्म
2️⃣ मै हू एक पवित्र स्थान,
आओ यहा भूले ,दुख तमाम।
🅰️ समवशरण
3️⃣ एक पिता के चार, चार पूत,
दो नीच तो दो उच्च गति के सूत।
🅰️ ध्यान 
4️⃣ हम दोनो का हुआ उद्धार,
जब सुना महामंत्र नवकार।
🅰️ नाग-नागिन
5️⃣ किसको फला श्री नवकार,
विषधर बना फूलो का हार।
🅰️ श्रीमतीजी, सोमाजी
6️⃣ असुर शक्ति की हुई हार,
शुरू किया जपना नवकार।
🅰️ सुदर्शन जी
7️⃣ गुरू देख प्रसन्न हुआ हर क्षण,
गुरू के गुरू को देखा, फिर भागा तत्क्षण।
🅰️  हलुक किसान
8️⃣ मुनि हे पर संत नही अभी,
फिर भी नमन करते सभी।
🅰️ मुनिसुव्रत जी
9️⃣ शादी पहले प्रेम, बाद मे हुआ वहम,
शादी बाद त्याग, पुत्र बाद मिलाप।
🅰️ पवन कुमार
🔟 ज्ञाता है हम दृष्टा नही,
  अंग एक बताओ सही।
🅰️ ज्ञाताधर्म कंथाग
1️⃣1️⃣ पोते थे अनरण्य के, सुमित्रा के अंगजात,
बताओ वे कोन थे, करी दशानन घात।
🅰️ लक्ष्मण जी
1️⃣2️⃣ भाई की अधीनता, करी नही स्वीकार,
बताओ वे कोन थे, लीनी दीक्षा धार।
🅰️ बाहुबलीजी
1️⃣3️⃣ दो शब्द का योग हे, अक्षर जिसके चार,
तीर्थंकर के शिष्य जो , करो शीघ्र विचार।
🅰️ गणधर जी
1️⃣4️⃣  मसल सकते नही, दो बीजो को आप,
घुमेंगे संसार मे, इन्ही के साथ साथ
🅰️  राग द्वेष
1️⃣5️⃣ दण्डक उनका एक हे,वेद एक ही जान,
संख्या जिनकी सात हे, है सभी संज्ञी मान।
🅰️ 7 नरक
1️⃣6️⃣  मारी हिरणी गर्भिणी, किया शक्ति का मान,
बतलाओ वे कोन थे, मिला नरक स्थान।
🅰️  श्रैणिक राजा
1️⃣7️⃣  अखूट संपत्ति का मै स्वामी,
दीपावली को याद करते सिरनामी।
🅰️ शालीभद्र जी
1️⃣8️⃣ काली धोली बावरी, नगर देखती जाय,
लाखो रूपया देवता, मूल्य इसका न पाय।
🅰️ आँखे
1️⃣9️⃣   उजली धरती काले बीज,
हमको देती सुंदर सीख।
🅰️ कापी किताब
2️⃣0️⃣ एक नारी का सस्ता रेट , लंबी गर्दन मोटा पेट,
पहले खुद का पेट भरे, फिर सबको शीतल करे।
🅰️  सुराही

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*༺꧁ नवकार  करे  भव  से  पार    ꧂༻*

 *DSTE ~ 14 /12/2020*

*🕰️समय  दोपहर  2.25 से 2.55۔*

*🦚 💧🦜​टॉपिक -: 🦚🦚 🦚रोचक पहेलीया 🦜🦜🦜*

*🌹〰️🌹〰️🌹〰️🌹〰️🌹〰️🌹*

🦚🌼🌻🌹🦚🌼🌻🌹🦚🌼🌻🌹

 Q1️⃣ न रुपिया न कोड़ी
 न  है पग में मोजड़ी
बड़े-बड़े सब नमे उनको
गुण सत्ताविस रोकडी
🅰️ साधु -साध्वी भगवंत

Q2️⃣ पंच आचार का पालन 
स्वयम करते कराते हैं।
पीले रंग से उनका ध्यान कर
भव्य जीव तीर जाते हैं।
🅰️ आचार्य परमेष्ठी

Q3️⃣ मोक्ष मंजिल की लिफ्ट मैं
पर भव का पाथेय।
पुनिया जैसी करो आराधना,
दो घड़ी के माये।
🅰️ सामायिक 

Q4️⃣ चार से चार गुणा करने पर चौड़ाई को  पाती हूँ।
मेरे द्वारा जयणा होती
जैनों की पहचान हूँ।
🅰️  मुहंपत्ति

Q5️⃣ तृष्णा का मैं दास बना
अपार बढ़ाई लालसा।
तृष्णा को जब दास बनाया
सिद्ध गति में वास हुआ।
🅰️ कपिल केवली जी

Q6️⃣कृष्ण वर्ण और सुंदर क़ाय
पशुओं की चीख से थर्राया
तीर्थंकर का नाम बताओ
पुण्य कमा कर शिव सुख पाओ
🅰️ नेमिनाथ प्रभु

Q7️⃣ गगन में देखो इनके यान
चमक से होती पहचान
वीरप्रभु के मूल पधारे
मृगावती जी भूली निज भान
🅰️ सूर्य और चन्द्र (ज्योतिषी देव)

Q8️⃣ प्रगटी जहाँ वीर की वाणी
छः अक्षर का नाम।
       चार तीर्थ स्थापित हुए
बतलाओ वह धाम।
🅰️ समवशरण

Q9️⃣ प्रतिवर्ष मैं आती हूँ
पाठ क्षमा का पढ़ाती हूँ।
उत्सव सभी मनाते हैं
 उदायन से बन  जाते हैं।
🅰️ समवत्सरी (क्षमापना पर्व)

Q1️⃣0️⃣ वीर प्रभु है सबके प्यारे, तीर्थंकर की पदवी पाई
कब और कहाँ से मुक्ति पाई
सभी बताओ सही -सही
🅰️ कार्तिक अमावस्या , पाँवापुरी

Q1️⃣1️⃣  ये है चवदह पूर्व का सार, कर देता है भव से पार
मन में लो श्रद्धा से धार
इस ग्रुप का पहला प्यार
🅰️ नवकार मंत्र

Q1️⃣2️⃣ मेरा स्वभाव मदिरा जैसा,भुला देता सब होश हवास
निज शक्ति को भूल कर चेतन
बन जाता है मेरा दास।
🅰️ मोहनीय कर्म

Q1️⃣3️⃣ वीर प्रभु का मैं अनुयायी, अवधिज्ञान की शक्ति पाई।एक मास संथारा आया
प्रथम गणधर ने मुझे खमाया
🅰️ आनन्द श्रावक जी

Q1️⃣4️⃣ गए थे अरिहंत दर्शन को,खुद ही बन गए सिद्ध
मोक्ष नगर का ताला खोला
इस युग में प्रसिद्ध
🅰️ मरुदेवी माता जी

Q1️⃣5️⃣ हार जीत का खेल कहाता, नरक की ओर ले जाता।
व्यसन है ये बड़ा दुखदाई
इसी खेल ने महाभारत कराई
🅰️ जुआं

Q1️⃣6️⃣ हाथी के होदे पर जाकर,वीरप्रभु से दीक्षा धारी
कामांध को दे दी प्रेरणा
गुरुणी से पहले बनी अवतारी
🅰️ मृगावती जी

Q1️⃣7️⃣ इस आरे के अंत में जब होगा धर्म विच्छेद
अंतिम श्राविका बनूंगी मैं
कहता जिनवर का संदेश
🅰️ सात्यिकी जी श्राविका

Q1️⃣8️⃣ गुरु का विछोह में सह नहीं पाया ,छः माह में स्वर्ग सिधाया।
गुर्जर प्रदेश में जलाई ज्योत
फैलाया जैन धर्म उद्योत
🅰️ कुमारपाल राजा जी

Q1️⃣9️⃣ पृथ्वी माँ का नन्द हूँ
वरताता आनन्द हूँ
रोते रोते बन गया राम
बूझो सब मिल मेरा  नाम
🅰️ गौतमस्वामी जी

Q2️⃣0️⃣  पारस प्रभु का मैं अनुयायी, मिला महावीर शिष्य से
जो तुम मुझको जान न पाओ
पूछो राजा प्रदेशी से
🅰️  केशी श्रमण जी

Q 2️⃣1️⃣ सूर्य जैसे बादल को ढकता, वैसे मैं ज्ञान को ढकता।
इस ग्रुप में आकर हर कोई
मुझे बार-बार काटता रहता
🅰️ ज्ञानावरणीय कर्म


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_*📚श्री नाकोड़ा ऑनलाइन पाठशाला📚*_
     *श्री नेमिनाथाय नम:*
*पाठशाला दिनांक-  06 फरवरी  2021*

 *आज की पाठशाला कल्पना जी चौरड़िया, अजमेर द्वारा*

*पाठशाला समय-*रात्रि 9:00 बजे*

*पाठशाला का टॉपिक:-*
*पहचानिए क्या है*
📚🖌📘🖋📙🖍📚🖌

1️⃣वंदन की कला जब आएगी,
    बंधन की बला टल जाएगी  
      भावों में भक्ति आएगी
      धर्मानुरक्ति बढ़ जाएगी
उ.  वंदना


2️⃣ क्षमा के सागर है,
 सर्वज्ञ गुणों के धारकहै
 जो परम स्थान में ठहरे हैं
उ.  अरिहंतजी


3️⃣ देने से वृद्धि होती है 
   शुद्धि होती है
 देना मानव का भूषण है
   लेना दूषण है
उ.  दान


4️⃣ सबसे बड़ी कमजोरी, 
  कुशील  जड़ री सगाई
 आत्मा भान कर
 इण इच्छा ने दूर भगाई
उ. ब्रह्मचर्य


5️⃣ 6 काया के 4 गति के
     24 दंडक के सुक्ष्म बादर
    सभी जीव चाहते हैं
    हमसे सुख की नींद
उ. ईर्या समिति


6️⃣ छेदन भेदन मन वचन काया      से जिन को नहीं सुहाता
उ.साधु साध्वी जी


7️⃣ देववाणी को बताए,
 धर्म स्वरूप को जताए
   तत्वज्ञान कराएं,
   देते नित्य शिक्षा
उ. गुरुजी


8️⃣ महावीर जब मोक्ष गए
 कुछ सतत भाव अनमोल कहे गणधर ने गूथे और गढे
  उसको हम कहें????
उ. उत्तराध्ययन सूत्र, विपाक सूत्र


9️⃣ प्राणों की परवाह नहीं,       अजर अमर का ध्यान।
 महाकाल का श्मशान में,
   प्रकटा केवल ज्ञान
उ. गजसुकुमाल जी


🔟 12 महीने से आया,
 आतम मैल सफाया करने लेखा-जोखा सारा करें,
 पापों का पछतावा करने
उ. पर्यूषण पर्व


1️⃣1️⃣ हलचल से हरपल होती,       ज्ञानी अज्ञानी सभी से होती मिथ्यात्वी बिना भय करता 
दुख अपने अंदर भरता
उ. हिंसा


1️⃣2️⃣ घाती अघाती कर्म सब खापा कर, बने महाप्राण बलवंत
उ. सिद्ध जी


1️⃣3️⃣
 तीर्थंकर का पहला प्रवचन सुन बनते प्रथम शिष्य
उ. गणधर जी


1️⃣4️⃣ तीर्थंकर उत्तम सिद्धों का जिनमें गुणगान करें हम
उ. लोगस्स का पाठ


1️⃣5️⃣ स्वयं बन सको कोई बात नहीं
 औरों को बनने ना दो अच्छी बात नहीं
उ. ईर्ष्या


1️⃣6️⃣ श्रमण को योग्य बनाए यतना करना सिखलाएं
 महाव्रतों में दक्ष बनाएं 
  प्रवचन माता कहलाए
उ. अष्ट प्रवचन माता


1️⃣7️⃣ बाहर से तन और है अंदर से कुछ और
 चिंतन करके देख लो 
  घटे मोह का जोर
उ. अशुचि भावना


1️⃣8️⃣ भान हुआ यह रूप
    तो कोरा मायाजाल 
छोड़ दिया तत्काल ही 
  पुद्गल का बस राग
उ. भरत जी/सनत्कुमारजी


1️⃣9️⃣ प्रेम प्रीति का नाशक है
       है बड़ा चांडाल
 द्वेष भाव को है बढ़ाता
   जो बड़ा विकराल
उ. क्रोध


2️⃣0️⃣ मार पड़ रही अब 
गत भूलों के परिणामों से 
भुगत भुगत दुख पाऊं
 नहीं सुणया जिन वचन
उ. नरक


2️⃣1️⃣ श्रावक कैसा हो ये    दिवस कहने आएंगे
 नरकों के बंधन टूटेंगे
 जब आश्रव कारज छूटेंगे
उ. पर्युषण पर्व


2️⃣2️⃣ जब पर्यूषण पर्व आते सोए खोए जग जाते
 महापुरुषों की जीवन गाथा
 सुन सुधरे हमारा माथा???(स्थानकवासी परंपरानुसार)
उ. अंतगढ़दशा सूत्र


2️⃣3️⃣ सामायिक स्वाध्याय समभाव से
 शिथिलों को भी मिले प्रेरणा
 वह स्थान ????
उ. स्थानक/उपाश्रय


2️⃣4️⃣ देखो कैसा इस सूत्र में दुख सुख का दृष्टांत
 जो सुणा ध्यान सूं तो
 सामी आवे  कर्म सिद्धांत
उ.विपाक सूत्र


2️⃣5️⃣ कमजोरी से त्रुटियां होती,
 प्राणों की हिंसा होती
 पर सब जीवो से हमें
   कर लेना चाहिए
उ. क्षमायाचना


2️⃣6️⃣ करने से नहीं लगती ताकत,
 है दुनिया में एक ऐसा काम, नहीं करने से लगती मेहनत
  जल्दी बताओ उसका नाम
उ. आलस्य


2️⃣7️⃣ आवे तो भी अच्छी नहीं
          जावे तो भी अच्छी नहीं
उ. आंख


2️⃣8️⃣
 मेरे परिवार के सदस्य हैं 8
 कर दूं खड़ी अच्छे अच्छों की खाट 
पाना है अगर मुक्ति तो 
मुझको तू जड़ से काट
उ. कर्म


2️⃣9️⃣ परिवार है ऐसा जहां
 हर एक की अपनी विशेषता लेन-देन में करके सहयोग 
मुखिया जी की अपनी विशिष्टता
उ.नाकोड़ा ऑनलाइन पाठशाला और  C. P. Ji

🌸🙏🏻🌸🙏🏻🌸🙏🏻🌸🙏🏻
*श्री नाकोडा दरबार पाठशाला ग्रुप*
 
*जिन आज्ञा विरुद्ध अंश मात्र भी ✍🏻 लिखने में आया हो और किसी के मन को संक्लेश पहुंचाया हो तो मन वचन काया से मिच्छामि दुक्कडम 🙏🏻*

*आप सब की खूब खूब अनुमोदना सा*
🌸🙏🏻🌸🙏🏻🌸🙏🏻🌸🙏🏻
कल्पना जी

क - कर्तव्य बोध का आपको ज्ञान हो
ल् - लगे जो छोटा वो कसाय मान हो
प - परम शाश्वत सुख का आह्वान हो
ना - नामकर्म का अब न अभिमान हो

















🅰 मम्मण सेठ

🅰 कार्तिक सेठ
2⃣3⃣ पार्श्वनाथजी के प्रति प्रतिशोध की भावना रखने वाला कौन?
🅰 लोथ
24 है श्रीपाल रास का खलनायक है?
ु धवल सेठ
2⃣5⃣ माता मरु देवी ने कितने हजार पीढियों को देखा?
🅰 ६ ५ पैंसठ, हजार
२🅰६ील शील के पालक थे?
🅰 विजय सेठ
2⃣7⃣ प्रशंसनीय पुरुष कैसे?
⃣ 63 त्रिरेष्ठ शलाका पुरुष
2🅰8 सम व्यवहार समकित के कितने बोल है?
भ 67 डिकसथ
2⃣9⃣ शालीभद्रजी के पिता कोन थे?
🅰 गोभद्रर सेठ
3⃣0🅰 जम्बूद्वीप के कितने विजय में तीर्थांकऱ है?
    🅰 आठ
     अंत में र शब्द आना चाहिए

3⃣1 को ऐसा कोनसा "सार" है जहाँ व्यक्ति फाँसा रहता है?
🅰 संज्ञा
32ता यह "सर" गन्ध फैलाता है?
🅰 केसर
3🅰3⃣ जो "वर" की साधु रक्षा करते है?
🅰 स्थावर
3🅰4⃣ यह "सर मिले तो लाभ उठाना चाहिए?
⃣ अवसर
3⃣5⃣ नाकोड़ा तीर्थ स्थल कोनसे जिले में स्थित है?
वर अलवर
3⃣6⃣ सिद्वो में क्या
कोई नहीं है? 🅰 शरीर
3⃣7⃣ भगवान महावीर को कोनसा रोग हुआ?
🅰 अतिसार
3⃣8⃣ धर्म भावना किसने भाई को दी। ?
 ⃣धर्म रूचि अणगार ने
3⃣9ः छः पर्याप्ति में से एक
?, आहार, या शरीर 4
कृ0 शरीर श्रीकृष्ण के भाई;
राक जराकुमार


एक घोड़ा ऐसा देखा, पहुँचे चीन से लंदन, करले जो भी इसे खत्म में करता है, दुनिया उसकी वंदन l क्या हूँ? ?
   एक मन

   

        बूझो तो जा, धार्मिक जीवन

51्या चवदा चुक्या, बारह भूल्या, नव का कोई जाने वाला नाम ।नगर ढिंढोर पिटिया श्रंगार भगवान का नाम?
 🅰 मिथ्या दृष्टि श्रंगार कृ चन्दनबाला 🅰 मरुदेवा
52, आंसू आये जब आँखों में, छः मासी तप का लाभ मिला, भगवान के शिष्यत्व में, स्व पर का कल्याण किया? 53ग्रह श्री कृष्ण का पुत्र हुआ, अभिज्ञान मेने धारित। पानी पानी नहीं मिला, लड्डू से केवल ज्ञान हुआ? 🅰 ढंढन मुनि 5⃣4🅰 ब्रह्मचर्य को मेने पाला था, माता को Iience बंधाया था। भक्त और भगवान के बीच, अनुपम प्रेम दर्शाया था? ⃣ हनुमानजी, भीष्म पितामह 5⃣5ाना नाना से युद्व किया, पिता को डाला कैद में ।हर गया, राज गया और गया नर्क में? 🅰 कोणिक 5🅰6⃣ में आई था वनस्पति से, गया हाथी के ओहदे से। मोक्ष नगर का दरवाजा खुला, मोक्ष पहुंची सबसे पहले? 57 महीने पाप मेरे से बहुत हुआ, छः महीने में काट दिया। लोगो ने मुझे दी गालियां फिर भी मेने आश्वासन किया? 🅰 अर्जुनमाली











58 सोचा मेरे से बड़ा कोई नहीं, ऐसा मैंने सोचा था। आगे बढ़ रहा है? केवलज्ञान मुझे हुआ
ु बाहुबलीजी
⃣⃣⃣ की कंगन की आवाज सुन, एकत्व भावना भाई थी शक्तिेंद्र ने निर्भय कर महिमा गाई थी?           विषय: - आगम के प्रश्न --- में कौन हूँ?
र्ष नमि राजर्षि
60 सब सयंम की हुई भावना, रोग सब दूर हुआ। नाथ कोन, अनाथ कोन, इसका मुझको ज्ञान हुआ?
🅰 अनाथि मुनि


आप तीरे और चाँद को तारे, वंदन करते हुए सूरज और तारे, करते हैं धर्म प्रवर्तन पृथ्वी पर, कालचक्र में अड़तालीस सभी होते हैं?

तीर्थंकर जी

कितने वर्ष का घोर तप करके चारित्र पालन करने वाला कुंडरिक मुनि था?
1000 वर्ष 6 रखा1 वर्ष मुझे बेड़ियों में बांध कर रखा गया? 🅰 मानतुंग आचार्य 6⃣2🅰 मेरे सिर पर जलती सिगरी रखी गई है? 🅰 यासुकुमार मुनि 6⃣3े हमे लोहे के गर्म आभूषण पहनाये गए? 🅰 पाँच ५ पांडव मुनि ६⃣४ 700 मैंने मु०० सों मुनिराज का उपसर्ग दूर किया? 🅰 विष्णु कुमार मुनि 6⃣5⃣ मुझे भस्मक व्याधि कहा जाता है? 🅰 आचार्य समन्तभद्र
क्रोध मेरे स्वभाव से द्वारिका जली?
🅰 द्वेपायन ऋषि
6⃣7⃣ में एक वर्ष तक कायोत्सर्ग में खड़ा किया जा रहा है?
🅰 बहुबलीजी
6⃣8⃣ मेरे गले में मार हुआ सर्प डाला गया?
🅰य रेफर मुनि
6⃣9⃣ मेअन्तरमुहूर्त में केवल ज्ञान प्राप्त हुआ?
🅰 भरत चक्रवती
7⃣0⃣ मुझे कानी महिला से मोह हुआ?
🅰 पुष्पदंत मुनि
          जैन धर्म से संबंधित प्रश्न?
71 म लड्डू में से जल कान्ट मानी किस सेठ को प्राप्त हुई?
🅰 सेठ कृत पुण्य (कयवन्ना)
7⃣2ने स्पर्शनेन्द्रिय पर विजय प्राप्त करने वाले खाल उतारवाड़ा खुदा को बने?
🅰 खंदक ऋषि
7⃣3⃣ जम्बू केवली के माता पिता का क्या नाम था?
🅰 पिता ऋषभदत्त माता-पिता की 7🅰4सार
संसार में और मुक्ति में साथ निभाने वाले कौन?
🅰 जितशत्रु राजा, सुबुद्धि प्रधान ने
7⃣5ह अरहंत (महावीर) की आशातना किसने की
ने जमाली ने
7⃣6⃣ राजा कोणिक के आदेश से वेश्या ने किस मुनि को पथभ्रष्ट किया?
🅰 कुलबालक मुनि
7⃣7⃣ आजीवक मत का प्रवर्तक कोन था?
🅰 गोवशालक
⃣⃣⃣🅰 रोते रोते राम को बनाया?
स्वामी गौतम स्वामी
79िन भगवती की जोड़ कितनी रागिनियों में निबद्व हे?
🅰 501 (पांचसौ वन) रागिनियों में
8⃣0 वै में वैशाली में गधों से हल चलवा दूंगा यह प्रतिज्ञा किसने की?

देव शब्द से - तिर्थंकर प्रभुजी के पास होता है
एक देवदुष्य वस्त्र

देव शब्द - एक प्रातिहार्य

दु देव दुदुंभी

देव शब्द से - तिर्थंकर की माता का एक स्वप्न

एक देव विमान
 

        "उ" प्राम्भ होने वाले शब्द
9⃣1⃣ पार्श्व स्तुति का एक मंत्र?
ग्उव्सगगहर स्रोत। 🅰 उदधि कुमार 9⃣3⃣ वायुकाय का एक?  प्रकार 🅰 उत्कलिका वायु 9⃣4⃣ त्रिकमिति का एक प्रकार? योगउद्भिज ९⃣५⃣ सत्यवचन योग का एक प्रकार? 96? स्पर्शनेंद्रिय का एक विषय? प्रकारउष्ण स्पर्श 9⃣7⃣ आत्मा का एक प्रकार? 🅰उच्च आत्मा 9⃣8⃣ निर्जरा का एक प्रकार? 🅰 उनोदरी 9⃣9⃣ द्रव्येन्द्रिय का एक प्रकार? 🅰 उपकरण 1 का0⃣0⃣ एक राजर्षि का नाम? 🅰 उदई राजर्षि
92 द एक दण्डक का नाम? सत्यउपमा सत्य



सम्मत प्रश्नोतरी मे जिन आज्ञा आगम विरूद्व बताया हो तो तस्स मिच्छामि दु कडं

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
पहचानो कौन? -
12 वे देवलोक- जनक जी - भामंडल जी
ए सीता जी⌛

देधर्मी पहेलियाँ⏳
🎯 बूझो तो जानेझ

🚹1 में आई थी वनस्पति से, हाथी के ओहदे से गया था।
सुख नगर का दरवाजा खुला, मोक्ष पहुँची सबसे पहले। 🚹2 मेरे से बड़ा कोई नहीं, ऐसा मैंने सोचा था। चरण आगे बढ़ते ही, केवलज्ञान, मुझे हुआ था। 2 बाहुबली पाप3 पाप मेरे से बहुत हुआ, छह महीने में काट दिया गया। लोगों ने मुझे दी गालियां, फिर भी मैंने किया। 3 अर्जुनमाली हम4 हम तीनो निम्न गति के जीव है, पर इतनी योग्यता पाते है। केवली बन हम भी, मोक्ष पूरी को पाते है।
1 मरुदेवी माता-पिता








4 मनुष्य; तिर्यंच; देव
पाप5 पाप का में बाप हु, सब गुणों का करता हु विनाश।
मुजको जितना हो तो, सन्तोष, मोहनीय कर्म का नाश होगा।
5 लोभ
लो6 भूख, बीमारी या मच्छर सतावे, सहे उन्हें समभावो से।
उन्हें सहते सहते ही, मंजिल मिले सरलता से।
6 परिषह
परिष 7जन्म हुआ था बन्धन में, मृत्यु हुई थी जंगल में।
दर्शकोंनाचार का पालन किया, फिर भी नरक में गया।
7 श्रीकृष्ण छ
8 छः कानून का रक्षक हु, आँख से तिनका निकलता नहीं।
मोक्ष का अभिलाषी हूँ, मुक्ति मुझे दूर नहीं।
8 साधु
साध9 हम चार विकल्प तलाशते हैं, फिर भी हम कुल पांच है।
बिन हमारे संसार न चलता, भाई हम काम है।
9 एकेन्द्रीय न
10 नाना से युद्ध किया, पिता को डाला कैद में।
हार गया, राज गया, और गया नरक में।
10 कोणिक को
11 ब्रह्मचर्य को मेने पाला था, माता को Iience बंध्या था।
भक्त और भगवान के बीच, अनुपम प्रेम दर्शाया था।
11 विजय सेठ; विजया सेठानी से
12 चार से चार बहु ​​करने पर, चौड़ाई को में पाती हूँ।
मेरे द्वारा जयना होती है, जैन धर्म की पहचान हूँ
12 मुहपत्ति 13 सन्म की
🚹13 सन्म की हुई भावना जब, रोग सब दूर हुआ।
नाथ कौन, अनाथ कौन, इसका मुजको ज्ञान हुआ।
13 अनाथि मुनि
श्री14 श्री कृष्ण कहलाया, और सेठ का नाम धराया।
आतंक सब दूर किया मैंने, माफ करना, अहिंसा का पाठ पढ़ाया।
14
🚹15 मुजको भाता केवल पुरुष वर्ग, जो पाँच इन्द्रिया पाते है।
मेरे यहाँ से निकल कर, निम्न गति को पाते है।
15
1516 पाँच में से एक हूँ, सभी घरों में मिलता हूँ
पृथ्वी से बहुत अधिक हु, सभी रसो का मूल हूँ।
16 नीर (पाणी)
मेरी17 मेरी स्थिति कम है, फिर भी सबसे ऊपर हूँ।
योगी का मै हूँ विलोम, फिर भी सबसे ऊपर हूँ।
17 अनुत्तर विमान चालक नी
18 नीच कुल में जन्म लिया, सियम को मैं धार लिया।
सर्प से मुजको ज्ञान हुआ, कर्मो को मेने काट लिया।
18 हरिकेशमुनि
🚹19 श्री कृष्ण का पुत्र हुआ अभिज्ञान मेने बड़ा लिया।
आहार पानी मिला नहीं, लड्डू से केवल ज्ञान हुआ।
19 ढंढनुम्नी
सोने 20 सोने की लालसा होते ही, आर्थिकये अपार बढ़ती गयी।
सन्तोष धारण ही, मुक्ति मुझे मिल गसे।
20 कपिल केवली रहता
21 रहता था जंगल में, प्रभु वाणी को पाया
गुस्सा का त्याग किया तो, देवलोक को मिला।
21 चंडकौशिक सर्प
ंड 21कंगन की आवाज सुन, एकत्व भावना भाई था।
शक्तिेंद्र ने स्पष्ट शुभ कर महिमा गाई थी।
21 नमि राजर्षि 🚹22
अंसु आये जब आँखों में, छः मासी तप का लाभ मिला।
भगवान के शिष्यत्व में, स्व पर का कल्याण किया।
22 चंदनबाला
🚹23 मेरी स्थिति बहुत है, पर स्तर सबसे नीचा है।
अन्धकार ही अन्धकार है, मेरा नाम क्या है।
२३ 23 वी नरक
🚹24 में भी एक तिर्थ कहलाता हु, पर मोक्ष में नहीं जा पाता हूँ।
विश्राम सहित साधना कर, देवलोक को पाता हूँ।
24
कली 25 घेर घेर गूघरो, कली कली पील।
ययन से वापरें तो, निकले कर्म की खील।
25 रजोहरण
26 पड्या कैद में तो रोवे नहीं, कैद से छूटता ही रोवे।
यह जेल तो सब जीव भोगे, पानाचार नहीं होवे।
26 गर्भस्थ जीव जीव27 में मैं
एक ऐसा वस्त्र हूँ, जिसे कोई नहीं पहनता।
दुनिया तो देखागी, पर खुद नहीं देख रहे हैं।
27 कफिंग
28 देवू तो लाजू, न देवू तो लाजू
जल्दी से दो जवाब, न देखो आजू।
28 चिंदी
खाने 29 खाने को नहीं पूड़ियाँ, खर्चने को नहीं कौड़ियाँ।
बैठने नहीं घोड़ियाँ, न्यूआई पाव में स्टॉकड़िया.फिर भी सुखी कौन।
29 साधु
🚹30 चौदह चुक्या, बारह भुल्या, नव का कोई जाने का
नाम।
नगर ढिनढोरा पीटा, कर्व मेरा नाम।
1412 -9❓
30 14-गुणस्थान
12-व्रत
9-तत्व

बू


धार्मिक पहेलियाँ

 बूज़ो तो जाने थी



1 मैं II वनस्पति से, गया हाथी के ओहदे से था। सुख नगर का दरवाजा खुला, मोक्ष पहुँची सबसे पहले।
1 * मरुदेवी माता *

मेरे2 मेरे से बड़ा कोई नहीं, ऐसा मैंने सोचा था। चरण आगे बढ़ते ही, केवलज्ञान, मुझे हुआ था।
2 * बाहु

बाली जी। * बाह3 पाप मेरे से बहुत हुआ, छह महीने में काट दिया। लोगों ने मुझे दी गालियां, फिर भी मैंने किया।
3 * अर्जुनमालि। *

🚹4 हम तीनो निम्न गति के जीव है, पर इतनी योग्यता पाते है।केवली बन हम भी, मोक्ष पूरी को पाते है।
4 * पृथ्वी, पानी, वनस्पति। *

वनस्पति 5 पाप का में बाप हु, सब गुणों का करता हु विनाश। मुझको जैसा हो, तो सन्तोष, मोहनीय कर्म का नाश होगा।
5 * लोभ। * ,

6 भूख, बीमारी या मच्छर सतावे, सहे उन्हें समभावो से। उन्हें सहते सहते ही, मंजिल मिले सरलता से।
6 * परिषह। *

ज7जन्म हुआ था बन्धन में, मृत्यु हुई थी जंगल में। दर्शकोंनाचार का पालन किया, फिर भी नरक में गया।
* श्री कृष्ण वासुदेव। *

ः8 छः कार्य का रक्षक हु, आँख से तिनका निकल नहीं।
मोक्ष का अभिलाषी हूँ, मुक्ति मुझे दूर नहीं।
8 * अनाड़ी। *

पाते9 हम चार विकल्प तलाशते हैं, फिर भी हम कुल पांच है। बिन हमारे संसार न चलता, भाई हम काम है।
9 * पांच स्थावर। *

10 नाना से युद्ध किया, पिता को डाला कैद में। हार गया, राज गया, और गया नरक में।
10 * कोइक। *

🚹11 ब्रह्मचर्य को मेने पाला था, माता को Iience बंध्या था।
भक्त और भगवान के बीच, अनुपम प्रेम दर्शाया था।
11 * हनुमान। *

चार12 चार से चार बहु ​​करने पर चौड़ाई को में पाती हूँ।मेरे द्वारा जयना होता है, जैन धर्म की पहचान हूँ।
12 * मुहति। *

स13 सन्म की हुई भावना जब, रोग सब दूर हुआ।नाथ कौन, अनाथ कौन, इसका मुजको ज्ञान हुआ।
13 * अनाथ मुनि। *

श्री14 श्री कृष्ण का मित्र कहलाया, और सेठ का नाम धराया।आतंक सब दूर किया मैंने, क्षमा करें, अहिंसा का पाठ पढ़ाया।
14 * सुदर्शन सेठ। *

सु15 मुझको भाता केवल पुरुष वर्ग, जो पाँच इन्द्रिया पाते है। मेरे यहाँ से निकल कर, निम्न गति को पाते है।
15 * सातवीं नरक। *

पांच16 पाँच में से एक हूँ, सभी घरों में मिलती हूँ पृथ्वी से बहुत अधिक हु, सभी रसो का मूल हूँ।
16 * पानी। *

🚹17 मेरी स्थिति कम है, फिर भी सबसे ऊपर हूं। योगी का मै हूँ विलोम, फिर भी सबसे ऊपर हूँ।
17 * अयोगी। *

नी18 नीच कुल में जन्म लिया, सियम को मैंने धार लिया। सर्प से मुजको ज्ञान हुआ, कर्मो को मेने काट लिया।
18 * हरिकेश मुनि। *

कृ19 श्री कृष्ण का पुत्र हुआ अभिज्ञान मेने बड़ा लिया। आहार पानी मिला नहीं, लड्डू से केवल ज्ञान हुआ।
19 * ढँढन मुनि। *

लाल20 सोने की लालसा होते ही, आर्थिकये अपार बढ़ती गयी। सन्तोष धारण ही करते हैं, मुक्ति मुझे मिल गयी।
20 * कपिल मुनि। *

रहता21 रहता था जंगल में, प्रभु वाणी को पाया क्रोध का त्याग किया तो, देवलोक को पाया।
21 * चंदकौशिक। *

🚹22कंगन की आवाज सुन, एकत्व भावना भाई थी। शक्तिेंद्र ने स्पष्ट शुभ कर महिमा गाई थी।
22 * नमि राजर्षि। *

नम23आंसू आये जब आँखों में, छः मासी तप का लाभ मिला भगवान के शिष्यत्व में, स्व पर का कल्याण किया।
23 * चंदन बाला। *

🚹24 मेरी स्थिति बहुत है, पर स्तर सबसे नीचा है। अन्धकार ही अन्धकार है, मेरा नाम क्या है।
24 * नरक। *

🚹25 में भी एक तीर्थ कहलाता हु, पर मोक्ष में कोई नहीं पाता।
विश्राम सहित साधना कर, देवलोक को पाता हूँ।
25 * श्रावक। *

ेर26 घेर घेर गूघरो, कली कली पील। ययन से वापरें तो, निकले कर्म की खील।
26 * रजोहरण। *

प27 पड्या कैद में तो रोवे नहीं, कैद से छूटता ही रोवे। यह जेल तो सब जीव भोगे, पानाचार नहीं होवे
27 * गर्भवास। *

28 में हूँ एक ऐसा वस्त्र, जिसे कोई पहने नहीं। दुनिया तो देखागी, पर खुद नहीं देख रहे हैं।
28 * कफ़न। *

🚹29 देवू तो लाजू, न देवू तो लाजू जल्दी से दो जवाब, न देखो आजू अंक।
29 * कपड़े में

कारीगर । * खाने30 खाने को नहीं पूड़ियाँ, खर्च ने को नहीं कौड़ियाँ। बैठने नहीं घोड़ियाँ, न्यूआई पाव में स्टॉकड़िया.फिर भी सुखी कौन।
30 * साधु। *

🚹31 चौदह चुक्या, बारह भुल्या, नव का कोई जाने का नाम। नगर ढिंढोरा पीटा, कर्व मेरा नाम।
31. * 14 नियम 12 व्रत 9 तत्व *



1️⃣वंदन की कला जब आएगी,
    बंधन की बला टल जाएगी  
      भावों में भक्ति आएगी
      धर्मानुरक्ति बढ़ जाएगी
उ.  वंदना


2️⃣ क्षमा के सागर है,
 सर्वज्ञ गुणों के धारकहै
 जो परम स्थान में ठहरे हैं
उ.  अरिहंतजी


3️⃣ देने से वृद्धि होती है 
   शुद्धि होती है
 देना मानव का भूषण है
   लेना दूषण है
उ.  दान


4️⃣ सबसे बड़ी कमजोरी, 
  कुशील  जड़ री सगाई
 आत्मा भान कर
 इण इच्छा ने दूर भगाई
उ. ब्रह्मचर्य


5️⃣ 6 काया के 4 गति के
     24 दंडक के सुक्ष्म बादर
    सभी जीव चाहते हैं
    हमसे सुख की नींद
उ. ईर्या समिति


6️⃣ छेदन भेदन मन वचन काया      से जिन को नहीं सुहाता
उ.साधु साध्वी जी


7️⃣ देववाणी को बताए,
 धर्म स्वरूप को जताए
   तत्वज्ञान कराएं,
   देते नित्य शिक्षा
उ. गुरुजी


8️⃣ महावीर जब मोक्ष गए
 कुछ सतत भाव अनमोल कहे गणधर ने गूथे और गढे
  उसको हम कहें????
उ. उत्तराध्ययन सूत्र, विपाक सूत्र


9️⃣ प्राणों की परवाह नहीं,       अजर अमर का ध्यान।
 महाकाल का श्मशान में,
   प्रकटा केवल ज्ञान
उ. गजसुकुमाल जी


🔟 12 महीने से आया,
 आतम मैल सफाया करने लेखा-जोखा सारा करें,
 पापों का पछतावा करने
उ. पर्यूषण पर्व


1️⃣1️⃣ हलचल से हरपल होती,       ज्ञानी अज्ञानी सभी से होती मिथ्यात्वी बिना भय करता 
दुख अपने अंदर भरता
उ. हिंसा


1️⃣2️⃣ घाती अघाती कर्म सब खापा कर, बने महाप्राण बलवंत
उ. सिद्ध जी


1️⃣3️⃣
 तीर्थंकर का पहला प्रवचन सुन बनते प्रथम शिष्य
उ. गणधर जी


1️⃣4️⃣ तीर्थंकर उत्तम सिद्धों का जिनमें गुणगान करें हम
उ. लोगस्स का पाठ


1️⃣5️⃣ स्वयं बन सको कोई बात नहीं
 औरों को बनने ना दो अच्छी बात नहीं
उ. ईर्ष्या


1️⃣6️⃣ श्रमण को योग्य बनाए यतना करना सिखलाएं
 महाव्रतों में दक्ष बनाएं 
  प्रवचन माता कहलाए
उ. अष्ट प्रवचन माता


1️⃣7️⃣ बाहर से तन और है अंदर से कुछ और
 चिंतन करके देख लो 
  घटे मोह का जोर
उ. अशुचि भावना


1️⃣8️⃣ भान हुआ यह रूप
    तो कोरा मायाजाल 
छोड़ दिया तत्काल ही 
  पुद्गल का बस राग
उ. भरत जी/सनत्कुमारजी


1️⃣9️⃣ प्रेम प्रीति का नाशक है
       है बड़ा चांडाल
 द्वेष भाव को है बढ़ाता
   जो बड़ा विकराल
उ. क्रोध


2️⃣0️⃣ मार पड़ रही अब 
गत भूलों के परिणामों से 
भुगत भुगत दुख पाऊं
 नहीं सुणया जिन वचन
उ. नरक


2️⃣1️⃣ श्रावक कैसा हो ये    दिवस कहने आएंगे
 नरकों के बंधन टूटेंगे
 जब आश्रव कारज छूटेंगे
उ. पर्युषण पर्व


2️⃣2️⃣ जब पर्यूषण पर्व आते सोए खोए जग जाते
 महापुरुषों की जीवन गाथा
 सुन सुधरे हमारा माथा???(स्थानकवासी परंपरानुसार)
उ. अंतगढ़दशा सूत्र


2️⃣3️⃣ सामायिक स्वाध्याय समभाव से
 शिथिलों को भी मिले प्रेरणा
 वह स्थान ????
उ. स्थानक/उपाश्रय


2️⃣4️⃣ देखो कैसा इस सूत्र में दुख सुख का दृष्टांत
 जो सुणा ध्यान सूं तो
 सामी आवे  कर्म सिद्धांत
उ.विपाक सूत्र


2️⃣5️⃣ कमजोरी से त्रुटियां होती,
 प्राणों की हिंसा होती
 पर सब जीवो से हमें
   कर लेना चाहिए
उ. क्षमायाचना


2️⃣6️⃣ करने से नहीं लगती ताकत,
 है दुनिया में एक ऐसा काम, नहीं करने से लगती मेहनत
  जल्दी बताओ उसका नाम
उ. आलस्य


2️⃣7️⃣ आवे तो भी अच्छी नहीं
          जावे तो भी अच्छी नहीं
उ. आंख


2️⃣8️⃣
 मेरे परिवार के सदस्य हैं 8
 कर दूं खड़ी अच्छे अच्छों की खाट 
पाना है अगर मुक्ति तो 
मुझको तू जड़ से काट
उ. कर्म


2️⃣9️⃣ परिवार है ऐसा जहां
 हर एक की अपनी विशेषता लेन-देन में करके सहयोग 
मुखिया जी की अपनी विशिष्टता
उ.नाकोड़ा ऑनलाइन पाठशाला और  C. P. Ji

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