जाने पहचाने चेहरे कविता

जाने पहचाने चेहरे आज कल भीड़ में खोने से लगे हैं
जिनसे रोज मिलते थे,
आज बरसों के बाद उनकी तस्वीर से  उनका पुराना चेहरा तलाशने लगे है
दर ब दर जिंदगी इतनी आगे बढ़ गई जिंदगी
कि अब तो अपने भी छूटने लगे हैं,

छण भंगुर सी जिंदगी ,सुना करते थे,
क्षण  सी बीत गई हैं
बरसों की उम्र आज सच में  लगने लगा है

ओढ़ ली इतनी जिंदगी की
कि स्वयं का चेहरा भी पुरानी तस्वीर
से मेल खोने लगा है,

वैसे निराश नहीं जिंदगी से
पर कभी  कभी जिंदगी का फलसफा
चकित  करने लगा है

स्वरचित अंजू गोलछा

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