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चार मूल सूत्र : परिचय

 चार मूल सूत्र : परिचय प्रश्न-१ : चार मूलसूत्र कौन से है ? इन्हें मूलसूत्र क्यों कहा गया है? उत्तर- नंदी सूत्र की आगम सूची में अंगबाह्य सूत्रों में इन सूत्रों की गणना है जिसमें एक सूत्र कालिक में और शेष तीन उत्कालिक में लिये गये हैं। वे चार सूत्र इस प्रकार है- (१) उत्तराध्ययन सूत्र (२) दशवैकालिक सूत्र (३) नंदी सूत्र (४) अनुयोगद्वार सूत्र । जिसमें उत्तराध्ययन सूत्र कालिकसूत्र है। दशवैकालिक, नंदी, अनुयोग उत्कालिक सूत्र है । जिन शास्त्रों की शब्द रचना गणधर सिवाय अन्य बहुश्रुत आचार्य करते है वे उत्कालिक कहे जाते है। जो शास्त्र गणधर रचित शास्त्र में से उद्धृत किये जाते हैं, मौलिक रचना गणधरों की रहती है, वे कालिक सूत्र कहे जाते हैं। गणधर द्वादशांगी की रचना करते है उनमें से ही कई शास्त्र उद्धृत किये जाते है। जिनमें शब्द अध्ययन वे ही रखे जाते हैं, उन्हें कालिक कहा जाता है। गणधर रचित तीर्थंकर भाषित भावों को जो आचार्य अपनी शैली में नूतन रचना करते हैं वे उत्कालिक शास्त्र कहे जाते हैं। इस में हमने चार मूल सूत्रों के साथ आवश्यक सूत्र का भी समावेश किया है उसे नो कालिक नो उत्कालिक अंगबाह्य शास्त्...

नमुत्थुणं सूत्र मेरी क्लास का2

 महान सूत्र, *नमुऽत्थु णं* का विशेष विवेचन...                               18 :11:20 बोहिदायणं *बोहिदायणं-बोधि को देने वाले परमात्मा को मेरा नमस्कार हो बोधि यानी सम्यगदर्शन।  धागे में पडी हुई गांठ जिस तरह सुई को आगे बढ़ने नहीं देती उसी तरह ग्रंथि की हाजरी में जीव सत्यतत्व को देखने, समझने के विषय में आगे नहीं बढ़ सकता। कदाचित ज्ञानशक्ति से, इंद्रियों के माध्यम से पदार्थ का बाह्य रूपरंग का ज्ञान पा सकता है, फिर भी तीव्र रागादि के कारण उसमें रही हुइ नश्वरता, आत्मभिन्नता और आत्मा के लिए अनूपकारिता(अहित) आदि धर्म का ज्ञान जीव को नहीं हो सकता।  कई बार किसी महापुरुषों के तीन वचनामृत से  ➡️1,संपत्ति आदि पदार्थ नश्वर है, 2, आत्मा को रागादि भावों से मलिन करने वाले है, 3, कर्म का बंध करा कर दुर्गति में ले जाने वाले हैं, ऐसी कुछ बातें समझ में आती है। आंशिक श्रद्धा भी होती है। फिर भी ग्रंथि की उपस्थिति में, मिथ्यात्व के उदयकाल में, यह भाव छोड़ने योग्य है, ऐसा आत्मा के लिए हितकर ऐसा संवेदन होता नहीं है। जि...

जनरल 22

 प्रश्न' प्रत्यनीक' थोकडे में से  🙏इन छहः प्रश्नों में ही आज के प्रश्नों के उत्तर छिपे हुए हैं 🙏 ^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^ 1. श्री भगवती सूत्र शतक 8,3,8 में 'प्रत्यनीक' थोकडे में प्रत्यनीक का अर्थ क्या बताया गया हैं? 1. प्रतिकूल। 2. गुरु के प्रतिकूल आचरण करनेवाले के कितने प्रकार हैं? 2. तीन भेद हैं- आचार्य का प्रत्यनीक, उपाध्याय का प्रत्यनीक और स्थविर का प्रत्यनीक। 3. तपस्वी का प्रत्यनीक कौन से प्रत्यनीक में आता हैं? 3. अनुकम्पा- प्रत्यनीक। 4. आचार्य का प्रत्यनीक, उपाध्याय का प्रत्यनीक और स्थविर का प्रत्यनीक क्या गुरु के भेद हैं? 4. हाँ। 5. अनुकम्पा- प्रत्यनीक के कितने भेद हैं? 5. तीन भेद हैं- शैक्ष का प्रत्यनीक, ग्लान का प्रत्यनीक और तपस्वी का प्रत्यनीक। 6. शैक्ष का प्रत्यनीक, ग्लान का प्रत्यनीक और तपस्वी का प्रत्यनीक क्या समूह- प्रत्यनीक के भेद हैं? 6. नहीं क्या अरिहंत भगवान बीमार हो सकते है? अगर हां तो  किस कर्म के उदय से बीमार होते है? हा,,,,, असाता वेदनीय कर्म के उदय से अरिहंत भगवान बीमार हो सकते हैं। 24 दंड़को में सें अरिहंत भगवान मे कितने दंड़क पाए जाते हैं ? 1द...