दशहरा की बधाई मेरी कविता
दशहरा की बधाई
दशहरा है, सतत सत्य की जीत।
झुढे गर्व को ध्वस्त कर, करें सत्य से प्रीत॥
सच्चाई की राह पर सदैव पसरे होते शूल।
सत्य पर रहो डटे, शूल बनेंगे स्वंय फूल॥
क्रोध, कपट, कटुता, कलह, चुगली अत्याचार
दगा, द्वेष, अन्याय, छल, इन अपने कषाय का, प्रथम करो संहार॥
राम चिरंतन चेतना, राम सनातन सत्य इसे स्वीकार करो।
वैर-विकार का जो रावण, हम सब मे हैं पहले उसे स्वाहा करो
मत फूंको रावण को ,
या हक़ दो उसे ही रावण फूंकने
का
जो प्रथम दहन कर आया अपने मन के रावण का
बहुत जला चुके रावण ,प्रदूषण
ही फैला है
बैढो शांति से ,सोचो भीतर
कितने रावण का रेला पेला है,
वही ही बधाई शाश्वत विजय की
राम को ही बस हक दो रावण
दहन की
स्वरचित
अंजू गोलछा🙏🙏
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