तीर्थंकर जी पहचानों2

तीर्थंकर जी


धोवन पानी बहराकर तीर्थंकर गोत्र किसने बांधा?
उत्तर २२. शंखराजा नेमिनाथजी का पूर्व भव

 प्रश्न  1846  एक साथ सोलह प्रहर की देशना कौन कौन से तीर्थंकर ने दी ?

उत्तर *(1) भगवान् अरिष्टनेमि ने केवल ज्ञान होते ही सोलह प्रहर की देशना दी।*
*(2) भगवान् महावीर ने निर्वाण के समय सोलह प्रहर की देशना दी।*
प्रश्न  1741  कौन से दो तीर्थंकर बाल बह्मचारी है ?

उत्तर *तीर्थंकर मल्लिनाथ और तीर्थंकर अरिष्टनेमि*

प्रश्न 1742 सत्ताईस भव में से भगवान महावीर ने कितने भव मनुष्य के किये ?

अ  5
ब   10
स   12
द    14

उत्तर  *द 14*

क्या प्रभु के लांछन की पूजा करनी चाहिये ?
A नहीं

इस अवसर्पिणी में कितने तीर्थंकर चक्रवर्ती भी बने हैं , और कौन-कौन से ?
3 तीर्थंकर,
शान्तिनाथजी
कुंथुनाथजी
अरनाथजी✅

24 तीर्थंकरों में से पूर्वभव में चक्रवर्ती पद किसने प्राप्त किया ?

ऋषभदेव, पार्श्वनाथ तथा महावीर स्वामी ।✅





जय जिनेंद्रसा ।
जय महावीर ।

आज का विषय ।
*तिर्थकर भगवान के नाम बताओ*

 1🔴 हे प्रभु , मुझे सद्बुद्धि दो ?
 1🔵श्री सुमतिनाथजी
2.🔴नेपोलियन के शब्दकोश में अशक्य शब्द ही नहीं था?
2🔵 श्री संभवनाथजी
3.🔴विश्व में रहने वाले चैतन्य को गिनना मुश्किल है?
3🔵श्री अनंतनाथजी
4.🔴अनासक्ति के प्रतीक ?
4🔵 श्री पद्मप्रभस्वामीजी
5.🔴नाम सूक्ष्म पर काम महान ?
5🔵श्री कुंथुनाथजी
6🔴. हे स्वामी , एक ही है अरमान , मुनि बनकर स्वीकारूं व्रत महान ?
6🔵  मुनिसुव्रत स्वामीजी
7🔴हे नाथ , सर्व जीवों का कल्याण हो ?
 7🔵 श्री श्रेयांसनाथजी
8.🔴वीतराग भगवान इन्द्र को भी पूजनीय हैं ?
8🔵श्री वासुपूज्य स्वामीजी
9.🔴 एक ही दिन में दो ज्ञान का स्वाद लेने वाले ?
9🔵श्री मल्लिनाथजी
10.🔴 क्रिया विधि पूर्वक शुद्धता से करनी चाहिए ?
10🔵श्री सुविधिनाथजी
11🔴अष्ट प्रकारी पूजा के दोहे में मुझे याद किया जाता है ?
11🔵श्री शीतलनाथजी
12.🔴 हे प्रभु , तेरे नाम है हजार , कौन से नाम से मैं तुझे याद करूँ ?
12🔵श्री पार्श्वनाथजी
13.🔴 प्रभु , मैं ऐसी साधना करूं कि मल रहित बनूं ?
13🔵 श्री विमलनाथजी
14.🔵" आईगराणं " विशेषण को सार्थक करनेवाले ?
14🔵श्री आदिनाथजी
15🔴. पंचम काल में बहुत ही कम लोगों को धर्म अच्छा लगता है ?
15🔵 श्री धर्मनाथजी
16.🔴झुकता वही है जिसमें जान है , अकडना तो मुर्दे की पहचान है ?
16🔵 श्री नमिनाथजी
17.🔴 परीक्षा में अव्वल आने से सभी ने मुझे बधाई दी ?
17🔵.  श्री अभिनन्दन स्वामीजी
18.🔴 देव-गुरु-धर्म की शरण में जाने से सबको मिलती है ?
18🔵  श्री शान्तिनाथजी
19.🔴 जिसे कोई भी पराजित नहीं कर सकता ?
19🔵श्री अजितनाथजी
20🔴आन्तर शत्रुओं को जीतने वाला वीरों का भी वीर कहलाता है ?
20🔵  श्री महावीर स्वामीजी
21🔴मेरे दर्शन रात्रि के समय ही होते है दिन में नहीं ?
21🔵 श्री चन्द्रप्रभस्वामीजी
22🔴इस बालिका के दांत फूलों की कली जैसे है ?
22🔵  श्री पुष्पदंत स्वामीजी
23.🔴 हे जीवन आधार , नौ भव की प्रीत को क्यों भूल गये ?
23🔵  श्री नेमिनाथजी
24.🔴देवता द्वारा प्रदत्त नाम प्रसिद्ध है मेरा ?
24🔵 श्री महावीर स्वामी जी


🔹1)तीर्थंकर का लालन पालन कितनी धाय माताएं करती है❓
🅰  पाँच
🔹2) तीर्थंकर को दिक्षा से पूर्व दीक्षा लेवो ऐसा कहने कौन आते है ❓
🅰 नव लोकान्तिक देव
🔹3) तीर्थंकर दीक्षा के पूर्व क्या देते है ❓
🅰 वर्षीदान
🔹4) तीर्थंकर के दान देने के कितने अतिशय है❓
🅰 6 अतिशय
🔹5)तीर्थंकर दीक्षा से पूर्व प्रतिदिन कितना दान देते है❓
🅰 1 करोड 8 लाख स्वर्ण मुद्राएँ
🔹6) तीर्थंकर कि दिक्षा शिविकाएं कौन कौन बनाता है❓
🅰 मनुष्य एवं देवता
🔹7) तीर्थंकर को दिक्षा लेते समय वस्त्र कौन देते है❓
🅰 शकेन्द्र
🔹8) तीर्थंकर कि दिक्षा मे कितने इन्द्र आते है❓
🅰 चौसठ (64)
🔹9) तीर्थंकर को दिक्षा लेते ही कौनसा ज्ञान होता है❓
🅰 चौथा (मनःपर्यव ज्ञान)
🔹10) तीर्थंकर को छदमस्थ अवस्था मे कितने कारणो से बोलते है❓
🅰 चार कारण से
🔹11) तीर्थंकर को छदमस्थ अवस्था मे कितने प्रकार के उपसर्ग आ सकते है❓
🅰 तीन
🔹12) तीर्थंकर को प्रथम भिक्षा देने वाले के घर कितने दिव्य प्रकट होते है❓
🅰 पाँच दिव्य
🔹13) तीर्थंकर के शरीर पर कितने लक्षण होते है❓
🅰 एक हजार आठ
🔹14) तीर्थंकर भगवान कि देशना सुनने कितने प्रकार कि सभा आती है❓
🅰 12 प्रकार की
🔹15) तीर्थंकर नाम कर्म का बंध कितने गुणस्थानो मे हो सकता है❓
🅰 5 गुणस्थानो मे (4 से 8)

तीर्थंकर की माता को शक्रेन्द्र कौन सी निद्रा में सुला देते है?

Aअवस्वापिनी निद्रा।✅


प्रश्न  1876   राजगृह में कितने तीर्थंकरों का शुभागमन व समवसरण हुआ ?
23 तीर्थंकर जी वासुपूज्य जी को छोड़कर

प्रश्न 1814  तीर्थंकरों के गृहस्थावस्था में  कौन सा गुण स्थान होता है?

उत्तर  *चौथा -- अविरत-सम्यग् दृष्टि गुणस्थान।*





*टोपीक :- अरिहंत परमात्मा*

*1} मेरे   भगवान ۔۔۔۔है?*

 *अरिहंत तिर्थंकर,  महावीरजी,  पार्श्वनाथजी*,

*1}अरिहंत तिर्थंकर जी*

*2} अरिहंत तिर्थंकर जी  की माता का नाम۔۔۔۔۔ ?*

  *त्रिशलाजी ,  मरूदेवाजी,  करूणा*
*2} करूणा*

*3 }अरिहंत जी  की  आत्मा पूर्व भव  के  ۔۔۔भव  मे  तिर्थंकर   नाम  कर्म  बांधते  है?*

 *2, दुसरे, 3,तिसरे, 5,पाँचवे*

*3}  तिसरे*

*4} अरिहंत   तिर्थंकर  जी ۔۔۔۔۔प्रतिहार्यो  होते   है?*

  *12,  108,  8*

*4} 8*

*5} अरिहंत तिर्थंकर जी  ۔۔۔कर्मो का क्षय  होता है?* 

   *8,  4,  1*

*5} 4*

*6 } अरिहंत  तिर्थंकर  जी  के  ۔۔۔۔۔अतिशयो  प्रसिद्ध   है?* 

 *108,  1008, 34*

 *6} 34*

*7}अरिहंत   तिर्थंकर  जी  का  वर्ण ۔۔۔होता  है?*

*पिला,  लाल,  सफेद*


*7}  सफेद*

*8}  अरिहंत  तिर्थंकर जी  की उत्कृष्ट  लम्बाइ  ۔۔۔۔۔۔होती है?*

*1000धनुष, 500 धनुष , परम धनुष*

*8} 500धनुष*

*9} अरिहंत  तिर्थंकर  जी  की  लम्बाइ ۔۔۔۔होती  है?* 
    *7हाथ ,  2हाथ, 5हाथ*

*9} 7 हाथ*

*10}  अरिहंत  तिर्थंकर  जी.....मे बैठ  के  देशना  देते  है?*

*उपश्रय ,  समोवसरण, उद्यान*

*10} समोवसरण*

*11} अरिहंत  तिर्थंकर जी   पद  ۔۔۔۔स्थानक  की  आराधना  करने  छे  बांधते  है*

*20,  8,  24*

*11} 20*

*12} घातकी  खंड  मे  ۔۔۔अरिहंत  भगवान  तिर्थंकर  जी है?*   

*20, 8, 24*

*12}  8*

*13} अशोक  वृक्ष  अरिहंत  तिर्थंकर जी  से .... गुणा उँचा  होता है?*
*4,   8,  12*

*13}  12*

*14}  समवसरण  मे अरिहंत तिर्थंकर जी  के प्रतिबिम्बो  उपर  फूल۔۔۔۔होते है*

*3,  12, 9*

*14}  9*

*15} अरिहंत  तिर्थंकर जी  के ۔۔۔۔कर्मो  का उदय होता है?*

*4,  8,  0*

*15}  4*

*16} अरिहंत  तिर्थंकर जी  की माता .....स्वपन  देखती  है?*

*4, 14,  8*


*16}  14*

*17}  अरिहंत तिर्थंकर जी  के जन्म को क्या  कहते  है?*

*जयन्ति, कल्याणक, सालगिरह*

*17}  कल्याणक*

*18} श्रेणिक राज ۔۔۔सिढिया चढ के  अरिहंत तिर्थंकर जी  के वहा गये?*

*20,00,  10,000, 80, 000*

*18}  20,000*

*19} अरिहंत तिर्थंकर जी  का उत्कृष्ट आयुष्य۔۔۔۔۔वर्ष  का होता है*

*84 लाख, 84 करोड, 84 लाख पूर्व*

*19}  84 लाख पूर्व*

*20} कोई भी  समय कम से कम   ۔۔۔۔۔अरिहंतो तिर्थंकर जी विचरते ?*

*40,  170, 20*


*20}   20*

संतप्त को  त्राण देते
 जग बंधनों से  देते  जो उन्मुक्तता
अरिहंत बनकर जन2 को संबोधि
देना  यह ही  तो है
अरिहंतो की अर्हता ।
जिन्होंने
भर कर रीतने की कला को सिखाया
स्पृह को निस्पृह  का उपदेश दिया
उन्हीं अरिहंतो के ज्ञान सुमन की सौरभ आज आपने महकाई,
तभी तो
 "राष्ट्रीका "जी ने सभी की भूरि भूरि प्रंशसा है पाई

अजित नाथ भगवान महल की छत पर सुख से विराजमान थे, तब उल्कापात देखकर उन्हें वैराग्य हो गया
3️⃣3️⃣


| एक बार महाराज सन्भवनाथ सन्ध्या के समय अपने प्रासाद की छ्त पर टहल रहे थे | सान्ध्याकालीन बाद्लो को मिलते -बिखरते देखकर उन्हे वैराग्य की प्रेरणा हुई 


🔹1)तीर्थंकर का लालन पालन कितनी धाय माताएं करती है❓
🅰  पाँच
🔹2) तीर्थंकर को दिक्षा से पूर्व दीक्षा लेवो ऐसा कहने कौन आते है ❓
🅰 नव लोकान्तिक देव
🔹3) तीर्थंकर दीक्षा के पूर्व क्या देते है ❓
🅰 वर्षीदान
🔹4) तीर्थंकर के दान देने के कितने अतिशय है❓
🅰 6 अतिशय
🔹5)तीर्थंकर दीक्षा से पूर्व प्रतिदिन कितना दान देते है❓
🅰 1 करोड 8 लाख स्वर्ण मुद्राएँ
🔹6) तीर्थंकर कि दिक्षा शिविकाएं कौन कौन बनाता है❓
🅰 मनुष्य एवं देवता
🔹7) तीर्थंकर को दिक्षा लेते समय वस्त्र कौन देते है❓
🅰 शकेन्द्र
🔹8) तीर्थंकर कि दिक्षा मे कितने इन्द्र आते है❓
🅰 चौसठ (64)
🔹9) तीर्थंकर को दिक्षा लेते ही कौनसा ज्ञान होता है❓
🅰 चौथा (मनःपर्यव ज्ञान)
🔹10) तीर्थंकर को छदमस्थ अवस्था मे कितने कारणो से बोलते है❓
🅰 चार कारण से
🔹11) तीर्थंकर को छदमस्थ अवस्था मे कितने प्रकार के उपसर्ग आ सकते है❓
🅰 तीन
🔹12) तीर्थंकर को प्रथम भिक्षा देने वाले के घर कितने दिव्य प्रकट होते है❓
🅰 पाँच दिव्य
🔹13) तीर्थंकर के शरीर पर कितने लक्षण होते है❓
🅰 एक हजार आठ
🔹14) तीर्थंकर भगवान कि देशना सुनने कितने प्रकार कि सभा आती है❓
🅰 12 प्रकार की
🔹15) तीर्थंकर नाम कर्म का बंध कितने गुणस्थानो मे हो सकता है❓
🅰 5 गुणस्थानो मे (4 से 8)

🖌1⃣ स्वप्न कितने प्रकार के है⁉
📙1⃣ ज्योतिष शास्त्र में 72 प्रकार के स्वप्न बतलाए गए है ।
🖌2⃣ जब तीर्थंकर वर्षीदान देते है तो इन्द्र का आसन चलायमान क्यों होता है⁉
📙2⃣ धन की आवश्यकता होने से ।
🖌3⃣ गोशालक की दृष्टी कैसी थी⁉
📙3⃣ भौतिक ।
🖌4⃣ गौशालाक का क्या धंधा था⁉
📙4⃣ चित्रफलक लेकर अपनी आजीविका चलाता था ।
🖌5⃣ भ.महावीर को कलबुका में किसने उपसर्ग दिया⁉
📙5⃣ काल हस्ती ने ।
🖌6⃣ जम्बुखंड से भगवान कहाँ पधारे⁉
📙6⃣ तुम्बाक ग्राम में ।
🖌7⃣ विभेलक उद्यान में किसका मंदिर था⁉
📙7⃣ यक्ष का मंदिर था ।
🖌8⃣ भद्रिका नगरी किस देश में है⁉
📙8⃣ अंग देश में ।
🖌9⃣ कुर्म ग्राम में गौशालक ने क्या देखा⁉
📙9⃣ एक तिल का पौधा ।
🖌🔟 भ.महावीर की जब इन्द्र ने प्रशंसा की तब कौन सी पडिमा धारण की थी⁉
📙🔟 महाभिक्षु पडिमा ।

1⃣ क्षमाधर्म  का सर्वोत्तम  साधक❓
🅰 अरिहंत
2⃣  सेवा  करने का क्या  लाभ  है❓
🅰 तीर्थंकर गोत्र का बन्ध होता है
3⃣ अरिहंत  को देव कौनसे सूत्र में कहा है❓
🅰 भगवती  सूत्र में
4⃣ प्रथम  तीर्थंकर  ने  पूर्व भव में  कितना ज्ञान प्राप्त किया❓
🅰 14 पूर्व  का
5⃣ पूर्व  भव में 11 अंग का ज्ञान  कितने तीर्थंकरों  ने  प्राप्त  किया❓
🅰 2-24   23 तीर्थंकरों  ने
6⃣ तीर्थंकर  श्रावक  होते हैं  या नहीं ❓
🅰 नहीं
7⃣ तीर्थंकर  किसकी  अपेक्षा  से अरूपी है❓
🅰 गुणों  की अपेक्षा  से
8⃣ तीर्थंकर  की आगत कितने स्थानों से  की गई है❓
🅰 38,स्थानों  से
9⃣ एक  जीव तीर्थंकर  के  रूप  में उत्कृष्ट  कितना  रह  सकता है❓
🅰 देशोंन एक लाख पूर्व
1⃣0⃣अतीर्थ में  अधिक  से अधिक  कितने तीर्थंकर  सिध्द  होते हैं❓
🅰 10(दस) तीर्थंकर
1⃣1⃣तीर्थंकर  पिछले  कितने भवों में  सम्यक्त्व होते हैं❓
🅰 पिछले 2 भवों में  निश्चित  सम्यकदृष्टि होते हैं
1⃣2⃣पशु पक्षियों  के  चिन्ह  कितने तीर्थंकरों  के हैं❓
🅰 17 तीर्थंकरों के
1⃣3⃣तीर्थंकर  के जन्म के समय इन्द्र  कहॉ चिन्ह देखते हैं❓
🅰 तीर्थंकर के दायें  पैर के अंगूठे  पर
1⃣4⃣तीर्थंकर  का जन्माभिषेक इन्द्र  कितने कलशों  से  सम्पन्न  करते हैं❓
🅰 8064 आठ हजार  चौसठ  कलशों  से
1⃣5⃣तीर्थंकर  नाम कर्म  वाले  अधिक या गर्भज मनुष्य❓
🅰 तीर्थंकर  नाम कर्म वाले
1⃣6⃣ तीर्थंकर  बाल्यावस्था में क्षुधा, पिपासा  कैसे  शांत करते हैं❓
🅰 अगूंली चूसकर (देवगण सभी  पदार्थो  का स्वाद  भरते हैं
1⃣7⃣84 हजार  वर्ष  की आयु  कौनसे  तीर्थंकर  की थी❓
🅰18वें  मल्लिनाथ भगवान्  की
1⃣8⃣ एक लाख  पूर्व  की  आयु  कौनसे तीर्थंकर की थी❓
🅰 शीतल नाथजी 10वें तीर्थंकर की
1⃣9⃣तीर्थंकर  दीक्षा  लेते  ही किस शब्द का  प्रयोग करते हैं❓
🅰 णमो सिध्दस्स
2⃣0⃣ रोज भोजन  करते  दीक्षा  लेने  वाले  तीर्थंकर  कौन है❓
🅰 श्री सुमति नाथ जी 5वें तीर्थंकर
2⃣1⃣तीर्थंकर भिक्षा लेते  ही देव कितने धन की  वर्षा करते हैं❓
🅰 तीर्थंकर  के  शरीर  प्रमाणे
2⃣2⃣तीर्थंकर  देशना देने के पूर्व  किसको नमस्कार करते हैं❓
🅰णमो  तीत्थस्स  (तीर्थ को)
2⃣3⃣णमो  तीत्थस्स  यानी क्या है❓
🅰 ज्ञान और चतुर्विध  संघ
2⃣4⃣तीर्थंकर  की कौन सी  देशना  अधिक  शक्तिशाली  होती है❓
🅰 प्रथम  देशना
2⃣5⃣तीर्थंकर  प्रभु के धर्म  सभा में  किस गति के  जीव नहीं  आते हैं❓
🅰 नरक गति के  जीव
2⃣6⃣तीर्थंकर  की  सभा  में  स्त्रियाँ  किस प्रकार  देशना  श्रवण करती है❓
🅰 खडी रहकर देशना  श्रवण करती है
2⃣7⃣तीर्थंकर  कौन सी  अवस्था  में  उत्कृष्ट  मौन व्रत  का पालन करते हैं❓
🅰 छद्मस्थ अवस्था  में
2⃣8⃣तीर्थंकर  छद्मस्थ  अवस्था  में  कितने कारणों से  बोलते हैं❓
🅰 4 चार  कारणों से (याचना,  मार्ग, आज्ञा लेने व प्रश्नों  के उत्तर देने)
2⃣9⃣धर्म  तीर्थ का  विच्छेद  कितनी  बार  हुआ ❓(इस  अवसर्पिणी काल में)
🅰 7 सात बार
3⃣0⃣तीर्थ  विच्छेद  का समय कितना  था❓
🅰पोने तीन  पल्योपम तक विच्छेद  रहा

सौधर्म इन्द्र इन्द्राणी सहित एक लाख योजन विस्तृत ऐरावत हाथी पर चढ़कर आकर नगरी की त्रिप्रदक्षिणा देकर अयोध्या नगरी में पहुँच जाता है

इन्द्र की आज्ञा से श्री, ह्री, धृति, कीर्ति, बुद्धि और लक्ष्मी ये षट्कुमारियाँ और दिक्कुमारियाँ माता के समीप रहकर माता की सेवा, स्तुति और तत्त्व गोष्ठियों से माता का मन अनुरंजित करने लगती हैं।
भगवान को विराजमान करके इन्द्र अपनी हजारों भुजाओं के द्वारा हजारों कलशों को एक साथ लेकर जिन बालक का अभिषेक करता है। सभी इन्द्र-देवगण अभिषेक, पूजा, स्तुति आदि से महान् सातिशय पुण्य का बंध कर लेते हैं।


 ऐसा केवलज्ञान-पूर्णज्ञान प्रकट हो जाता है। उस समय भगवान का आकाश में पाँच हजार धनुष ऊपर गमन हो जाता है। इन्द्र की आज्ञा से कुबेर समवसरण की रचना करता है



  • अध्याय 4 - तीर्थंकर

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    जो समवसरण में विराजमान होकर धर्म का सच्चा उपदेश देते हैं, जिन्हें तीन लोक के जीव नमस्कार करते हैं ऐसे तीर्थंकर प्रभु की महिमा का वर्णन इस अध्याय में है।

    1. तीर्थंकर किसे कहते हैं? 
    1. "तरंति संसार महार्णवं येन तत्तीर्थम्" अर्थात् जिसके द्वारा संसार सागर से पार होते हैं, वह तीर्थ है और इसी तीर्थ के प्रवर्तक तीर्थंकर कहलाते हैं।
    2. धर्म का अर्थ सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यक्चारित्र है। चूंकि इनके द्वारा संसार सागर से तरते हैं,इसलिए इन्हें तीर्थ कहा है और जो तीर्थ (धर्म) का उपदेश देते हैं, वे तीर्थंकर कहलाते हैं।

    2. तीर्थंकर कितने होते हैं?
    वैसे तीर्थंकर तो अनन्त हो चुके, किन्तु भरत और ऐरावत क्षेत्र में अवसर्पिणी के चतुर्थ काल में एवं उत्सर्पिणी के तृतीय काल में (दु:षमा-सुषमा) क्रमश: एक के बाद एक चौबीस तीर्थंकर होते हैं। 

    3. चौबीस तीर्थंकर के चिह्न सहित नाम बताइए?
    11.PNG

    4. विदेहक्षेत्र में कितने तीर्थंकर होते हैं? 
    विदेह क्षेत्र में 20 तीर्थंकर तो विद्यमान रहते ही हैं, किन्तु 5 विदेह में अधिक से अधिक 160 हो सकते हैं। 

    5. अढ़ाईद्वीप में एक साथ अधिक-से-अधिक कितने तीर्थंकर हो सकते हैं? 
    अढ़ाईद्वीप में एक साथ अधिक से अधिक 170 (विदेह में 160, भरत में 5, ऐरावत में 5) तीर्थंकर हो सकते हैं। 

    6. क्या कभी एक साथ 170 तीर्थंकर हुए थे? 
    सुनते हैं कि अजितनाथ तीर्थंकर के समय एक साथ 170 तीर्थंकर हुए थे।

    7. तीर्थंकरों के कितने कल्याणक होते हैं?
     तीर्थंकरों के पाँच कल्याणक होते हैं। गर्भ, जन्म, दीक्षा या तप, ज्ञान और मोक्ष कल्याणक।

    8. क्या भरत, ऐरावत एवं विदेह सभी जगह पाँच कल्याणक वाले तीर्थंकर होते हैं? 
    नहीं। भरत, ऐरावत में पाँच कल्याणक वाले ही तीर्थंकर होते हैं। किन्तु विदेह क्षेत्र में 2, 3 और 5 कल्याणक वाले भी होते हैं। दो में ज्ञान और मोक्ष कल्याणक, तीन में दीक्षा, ज्ञान और मोक्ष कल्याणक होते हैं। 

    9. तीर्थंकर की कौन-कौन सी विशेषताएँ होती हैं? 
    तीर्थंकरों की प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं:-
    1. तीर्थंकर के दाढ़ी-मूँछ नहीं होती है। (बी.पा.टी.32/98) 
    2. तीर्थंकर बालक माता का दूध नहीं पीते किन्तु सौधर्म इन्द्र जन्माभिषेक के बाद उनके दाहिने हाथ के
    आँगूठे में अमृत भर देता है जिसे चूसकर बड़े होते हैं। 
    3. जीवन भर (दीक्षा के पूर्व) देवों के द्वारा दिया गया ही भोजन एवं वस्त्राभूषण ग्रहण करते हैं।
    4. तीर्थंकर स्वयं दीक्षा लेते हैं।
    5. तीर्थंकर को बालक अवस्था में, गृहस्थ अवस्था में एवं मुनि अवस्था में भी मन्दिर जाना आवश्यक नहीं होता। उनका अन्य मुनि से, गृहस्थ अवस्था में साक्षात्कार भी नहीं होता।
    6. तीर्थंकरों के कल्याणकों के समय पर नारकी जीवों को भी कुछ क्षण के लिए आनन्दकी अनुभूति होती है।
    7. तीर्थंकर मात्र सिद्ध परमेष्ठी को नमस्कार करते हैं। अतः नमःसिद्धेभ्यः बोलते हैं।
    8. तीर्थंकरों के 46 मूलगुण होते हैं।
    9. तीर्थंकर सर्वाङ्ग सुन्दर होते है।

    10. तीर्थंकर के चिह्न कौन रखता है?
    जब सौधर्म इन्द्र तीर्थंकर बालक का पाण्डुकशिला पर जन्माभिषेक करता है। उस समय तीर्थंकर के दाहिने पैर के अँगूठे पर जो चिह्न दिखता है, वह इन्द्र उन्हीं तीर्थंकर का वह चिह्न निश्चित कर देता है।

    11. कौन से क्षेत्र के तीर्थंकर का कौन-सी शिला पर जन्माभिषेक होता है?
    भरत क्षेत्र के तीर्थंकरों का पाण्डुकशिला पर, पश्चिम विदेह के तीर्थंकरों का पाण्डु कम्बला शिला पर, ऐरावत क्षेत्र के तीर्थंकरों का रक्त शिला एवं पूर्व विदेह के तीर्थंकरों का रक्त कम्बला शिला पर जन्माभिषेक होता है। (সি.সা.633 / 634)

    12. कौन से तीर्थंकरों के शरीर का वर्ण कौन-सा था ?
    कृत्रिम-अकृत्रिम-जिनचैत्य की पूजा के अध्र्य में तीर्थंकरों के शरीर का वर्ण इस प्रकार कहा है
    द्वी कुन्देन्दु—तुषार—हार–धवलौ, द्वाविन्द्रनील-प्रभौ, 
    द्वौ बन्धूक-सम-प्रभौ जिनवृषौ, द्वौ च प्रियङ्गुप्रभौ ।
    शेषाः षोडश जन्म-मृत्यु-रहिताः संतप्त-हेम-प्रभासम् । 
    ते संज्ञान-दिवाकराः सुर-नुताः सिद्धिं प्रयच्छन्तु नः ।
    किसी कवि ने तीर्थंकरों के वर्ण के विषय निम्न प्रकार कहा है
    दो गोरे दो सांवरे, दो हरियल दो लाल। 
    सोलह कंचन वरण हैं, तिन्हें नवाऊँ भाल।
    अर्थ – चन्द्रप्रभ एवं पुष्पदन्त                 सफेद वर्ण
            मुनिसुव्रतनाथ एवं नेमिनाथ           शष्याम वर्ण / नील वर्ण
            पद्मप्रभ एवं वासुपूज्य                   लाल वर्ण
            सुपार्श्वनाथ एवं पार्श्वनाथ             हरित वर्ण
            शेष सोलह तीर्थंकरों का                पीत वर्ण 
    विशेष - मुनिसुव्रतनाथ एवं नेमिनाथ का वर्ण त्रि.सा. 847-849 के अनुसार श्याम वर्ण है।

    13. कौन से तीर्थंकर कहाँ से मोक्ष पधारे?
    ऋषभदेव कैलाश पर्वत से, वासुपूज्य चम्पापुर से, नेमिनाथ गिरनार से, महावीर स्वामी पावापुर से एवं शेष तीर्थंकर तीर्थराज सम्मेदशिखर जी से मोक्ष पधारे।

    14. अ वर्ण से प्रारम्भ होने वाले तीर्थंकरों नाम बताइए?
    आदिनाथ, अजितनाथ, अभिनन्दननाथ, अनन्तनाथ, अरनाथ एवं अतिवीर।

    15. व वर्ण से प्रारम्भ होने वाले तीर्थंकरों नाम बताइए?
     वृषभनाथ, वासुपूज्य, विमलनाथ और वर्द्धमान।

    16. श, स से प्रारम्भ होने वाले तीर्थंकरों के नाम बताइए?
    सम्भवनाथ,सुमतिनाथ,सुपार्श्वनाथ,सुविधिनाथ,शीतलनाथ,श्रेयांसनाथ,शान्तिनाथ एवं सन्मति |

    17. कितने तीर्थंकरों के चिह्न एकेन्द्रिय हैं ?
     चार। पद्मप्रभाका लालकमल, चन्द्रप्रभाका चन्द्रमा, शीतलनाथ का कल्पवृक्ष और नमिनाथका नीलकमल

    18. कौन से तीर्थंकर का चिह्न दो इन्द्रिय है ?
    तीर्थंकर नेमिनाथ का शंख चिह्न दो इन्द्रिय है।

    19. कितने तीर्थंकरों के चिह्न अजीव हैं?
    तीन। स्वस्तिक, वज़दण्ड और कलश।

    2O. कितने तीर्थंकरों के चिह्न पञ्चेन्द्रिय हैं?
    शेष 16 तीर्थंकरों के चिह्न पञ्चेन्द्रिय हैं।

    21. उन तीर्थंकरों के चिह्न बताइए जो बोझा ढोने वाले पशु हैं? 
    वे चार तीर्थंकरों के चिह्न हैं- बैल, हाथी, घोड़ा और भैंसा।

    22. उन तीर्थंकरों के चिह्न बताइए जो जल में रहते हैं?
    जल में रहने वाले - लालकमल, मगर, मछली, कछुआ, नीलकमल, शंख और सर्प चिह्न हैं।

    23. एक तीर्थंकर के उस चिह्नको बताइए जिसके शरीर में काँटे होते हैं?
    सेही के शरीर में काँटे होते हैं।

    24. चौबीस तीर्थंकरों के चिह्न में सबसे तेज दौड़ने वाला प्राणी कौन-सा है?
    हिरण सबसे तेज दौड़ने वाला प्राणी है।

    25. ऐसे कितने तीर्थंकर हैं, जिनके नाम जिस वर्ण (अक्षर) से प्रारम्भ होते हैं, उसी वर्ण से चिह्नप्रारम्भ होता है ?
    वृषभनाथ का वृषभ, सुपार्श्वनाथ का स्वस्तिक, चन्द्रप्रभ का चन्द्रमा, नमिनाथ का नीलकमल और सन्मति का सिंह।

    26. ऐसे कौन से तीर्थंकर हैं जिनका जन्म उत्तम आकिञ्चन्य धर्म के दिन हुआ था ?
    वीर (महावीर स्वामी) का।

    27. कितने तीर्थंकरों की बारात निकली थी ?
    बीस तीर्थंकरों।

    28. तीर्थंकरों सामान्य अरिहंतों में क्या अंतर है?
    1. तीर्थंकरों के कल्याणक होते हैं, सामान्य अरिहंतों के नहीं।
    2. तीर्थंकरों के चिह्न होते हैं, सामान्य अरिहंतों के नहीं।
    3. तीर्थंकरों का समवसरण होता है, सामान्य अरिहंतों के नहीं।उनकी गंधकुटी होती है।
    4. तीर्थंकरों के गणधर होते हैं, सामान्य अरिहंतों के नहीं।
    5. तीर्थंकरों को जन्म से ही अवधिज्ञान होता है, सामान्य अरिहंतों के लिए नियम नहीं है।
    6. तीर्थंकरों को दीक्षा लेते ही मनः पर्ययज्ञान होता है, सामान्य अरिहंतों के लिए नियम नहीं है।
    7. तीर्थंकर अपनी माता की अकेली संतान होते हैं, सामान्य अरिहंतों के अनेक भाई-बहिन हो सकते हैं। 
    8. तीर्थंकर जब तक गृहस्थ अवस्था में रहते हैं तब तक उनके परिवार में किसी का मरण नहीं होता है, किन्तु सामान्य अरिहंतों के लिए नियम नहीं है।
    9. भाव पुरुषवेद वाले ही तीर्थंकर बनते हैं, किन्तु सामान्य अरिहंत तीनों भाववेद वाले बन सकते हैं।
    10.  तीर्थंकरों के समचतुरस संस्थान ही होता है, किन्तु सामान्य अरिहंतों के छ: संस्थानों में से कोई भी हो सकता है |
    11. तीर्थंकरों के प्रशस्त विहायोगतिका ही उदय रहता, किन्तु सामान्य अरिहंतों के दोनों में से कोई भी हो सकता है।
    12. तीर्थंकरों के सुस्वर नाम कर्म का ही उदय रहेगा, सामान्य अरिहंतों के दोनों में से कोई भी हो सकता है।
    13. चौथे नरक से आने वाले तीर्थंकर नहीं बन सकते किन्तु सामान्य अरिहंत बन सकते हैं।
    14. तीर्थंकरों की माता को सोलह स्वप्न आते हैं, सामान्य अरिहंतों के लिए यह नियम नहीं है।
    15. तीर्थंकरों के श्रीवत्स का चिह्न नियम से रहता है, सामान्य अरिहंतों के लिए नियम नहीं है।
    16. तीर्थंकरों की दिव्य ध्वनि नियम से खिरती है, सामान्य अरिहंतों के लिए नियम नहीं है। जैसे - मूक केवली की नहीं खिरती है। 

    29. किन तीर्थंकर के साथ कितने राजाओं ने दीक्षा ली थी ?
    ऋषभदेव के साथ 4000 राजाओं ने, वासुपूज्य के साथ 676 राजाओं ने, मल्लिनाथ एवं पार्श्वनाथ के साथ 300-300 राजाओं ने, भगवान् महावीर ने अकेले एवं शेष तीर्थंकरों के साथ 1000-1000 राजाओं ने दीक्षा ली थी। (ति.प.,4/675-76)

    30. कौन से तीर्थंकर ने कौन सी वस्तु से प्रथम पारणा की थी?
    ऋषभदेव ने इक्षुरस से एवं शेष सभी तीर्थंकरों ने क्षीरान्न अर्थात् दूध व अन्न से बने अनेक व्यञ्जनों की खीर आदि से पारणा की थी।

    31. तीर्थंकरों पारणा कराने वाले दाताओं के शरीर का रङ्ग कौन-सा था?
    आदि के दो दाता राजाश्रेयांस, राजा ब्रह्मदत/सुवर्ण और अन्तकेदो दाताराजा ब्रह्मदत और राजा कूल/नन्दन श्यामवर्ण के थे। अन्य सभी दाता तपाये हुए सुवर्ण के समान वर्ण वाले थे।

    32. कौन से तीर्थंकर किस आसन से मोक्ष पधारे ?
    वृषभनाथ, वासुपूज्य और नेमिनाथ (1, 12, 22) तो पद्मासन से एवं शेष सभी तीर्थंकर कायोत्सर्गासन (खड्गासन) से मोक्ष पधारे थे, किन्तु समवसरण में सभी तीर्थंकर पद्मासन से ही विराजमान होते हैं।

    33. ऐसे तीर्थंकर कितने हैं, जिनके समवसरण में मुनियों से आर्यिकाएँ कम थीं?
    धर्मनाथ एवं शान्तिनाथ तीर्थंकर के समवसरण में मुनियों से आर्यिकाएँ कम थीं।

    34. कौन से तीर्थंकर के समवसरण का कितना विस्तार था ?
    वृषभदेव का 12 योजन एवं आगे-आगे नेमिनाथ तक प्रत्येक तीर्थंकर में / योजन घटाते जाना है एवं पार्श्वनाथ एवं महावीर में / योजन, / योजन घटाना है। तब पार्श्वनाथ का 1.25 योजन एवं महावीर स्वामी का 1 योजन का था। (ति.प.4–724-25) नोट- 4 कोस = 1 योजन, 2 मील = 1 कोस एवं 1.5 किलोमीटर का 1 मील अर्थात् 1 योजन में 12 किलोमीटर होते हैं।

    35. किन तीर्थंकर ने योग निरोध करने के लिए कितने दिन पहले समवसरण छोड़ा था ?
    ऋषभदेव ने 14 दिन पहले, महावीर स्वामी ने 2 दिन पहले एवं शेष सभी तीर्थंकरो ने 1 माह पहले योग निरोध करने के लिए समवसरण छोड़ दिया था।

    36. सबसे कम समय में कौन से तीर्थंकर को केवलज्ञान हुआ था ?
    मल्लिनाथ को मात्र 6 दिनों में केवलज्ञान हुआ था।

    37. कौन से तीर्थंकर को सबसे अधिक दिनों में केवलज्ञान हुआ था ?
    ऋषभदेव को 1000 वर्ष में केवलज्ञान हुआ था।

    38. सबसे कम गणधर कौन से तीर्थंकर के थे ?
    सबसे कम मात्र 10 गणधर पार्श्वनाथ तीर्थंकर के थे।

    39. सबसे अधिक गणधर कौन से तीर्थंकर के थे?
    सबसे अधिक 116 गणधर सुमतिनाथ तीर्थंकर के थे।

    40. सभी तीर्थंकर के कुल कितने गणधर थे?
    सभी तीर्थंकर के कुल 1452 गणधर थे।

    41. सबसे ज्यादा शिष्य मण्डली कौन से तीर्थंकर की थी ?
    सबसे ज्यादा शिष्य मण्डली पद्मप्रभ की 3,30,000 थी।

    42. तीर्थंकर के सहस्रनामों से स्तुति किसने कहाँ पर की थी ?
    सौधर्म इन्द्र ने तीर्थंकर की स्तुति केवलज्ञान होने के बाद समवसरण में की थी।

    43. पाँच बाल ब्रह्मचारी तीर्थंकर के नाम कौन-कौन से हैं?
    वासुपूज्य, मल्लिनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ एवं महावीर।

    44. तीन पदवियों से विभूषित तीर्थंकर के नाम ?
    शान्तिनाथ, कुंथुनाथ, अरनाथ। ये तीनों तीर्थंकर, चक्रवर्ती एवं कामदेव तीनों पदों के धारक थे।

    45. किन तीर्थंकर पर मुनि अवस्था में उपसर्ग हुआ था ?
    सुपार्श्वनाथ, पार्श्वनाथ एवं महावीर।

    46. जिसने तीर्थंकर प्रकृति का बंध किया वह जीव किस भव में मोक्ष चला जाएगा ?
    दो, तीन कल्याणक वाले उसी भव से एवं पाँच कल्याणक वाले तीसरे भव से मोक्ष चले जाएंगे।

    47. तीर्थंकर प्रकृति का बंध कौन कहाँ करता है?
    कर्मभूमि का मनुष्य केवली, श्रुतकेवली के पादमूल में सोलहकारण भावना तथा विश्व कल्याण की भावना भाता हुआ तीर्थंकर प्रकृति का बंध करता है।

    48. तीर्थंकर चौबीस ही क्यों होते हैं?
    आचार्य सोमदेव से जब यह प्रश्न किया गया तब उनका उत्तर था ‘इस मान्यता में कोई अलौकिकता नहीं है, क्योंकि लोक में अनेक ऐसे पदार्थ हैं जैसे-ग्रह, नक्षत्र, राशि, तिथियाँ और तारागण जिनकी संख्या काल योग से नियत है।” तीर्थंकर सर्वोत्कृष्ट होते हैं। अत: उनके जन्मकाल योग भी विशिष्ट उत्कृष्ट ही होना चाहिए या होते हैं। ज्योतिषाचार्यों का (जिनमें स्व.डॉ.नेमीचन्द आरा भी थे) मत है कि प्रत्येक कल्पकाल के दु:षमासुषमा काल में ऐसे उत्तम काल योग 24 ही पड़ते हैं, जिनमें तीर्थंकर का जन्म होता है या हो सकता है। विष्णु के भी अवतार 24 ही हैं, बौद्धों ने भी 24 बुद्ध और ईसाइयों ने भी 24 ही पुरखे स्वीकार किए हैं।

    49. तीस चौबीसी के 720 तीर्थंकर कैसे कहे जाते हैं?
    अढ़ाई द्वीप में 5 भरत क्षेत्र और 5 ऐरावत क्षेत्र = कुल 10 क्षेत्र हैं। इनमें प्रत्येक क्षेत्र में तीनों कालों के 7272 तीर्थंकर होते हैं। अत: 10 क्षेत्रों के तीनों काल सम्बन्धी 720 तीर्थंकर कहे जाते हैं।

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