श्रेणिक प्रश्न
।
*
📚 *टॉपिक:-श्रेणीक इतिहास ❓❓*
👏🏼🌈👏🏼🌈👏🏼🌈👏🏼🌈
🅿1 श्रेणीक जी का अन्य नाम
🅰बिम्बसार
श्रेणिक जी की चिता से अरिहंत ध्वनि निकली थी
🅿2 श्रेणीक जी की प्रथम पत्नी का नाम क्या
🅰नंदा जी
🅿3 नंदा जी के पिता जी का नाम
🅰सुभद्र सेठ
-राजा श्रेणिक ने महावीर स्वामी की भक्ति कितने वर्ष की ?
उत्तर -३० वर्ष तक।
श्रेणिक जी, नेजिस बच्ची को दुर्गंध मयी रास्ते मे पड़ा देखा
वहीं एक दिन उनकी रानी बनी कौन।
अपतगंधा
चिता से
🅰वेणा नदी के तट पर
🅿5 श्रेणीक जी के पिताजी का नाम
🅰प्रसेनजित जी
🅿6 श्रेणीक जी केभाई की संख्या
🅰100श्रेणीक जी सहित
🅿7 श्रेणीक को उसके पिता ने क्यों राज्य से निष्कासित किया
🅰100भाई ईष्या के कारण कोई उसे मार न दे
🅿8 श्रेणिक ने राज्य निष्कासित के बाद कय्याकिया
🅰बौद्ध धर्म के मठ के अंदर चला गया और बौद्ध धर्म के आचार विचार का पालन करने लगा
🅿9 नंदा गर्भवती होने पर श्रेणीक कहा चले गए और कय्या दिया
🅰राजगृही नगरी पिता चिंतातुर के कारण
नामांकित मुद्रा ओर एक वचन
🅿10 श्रेणीक जी ने नंदा को क्या वचन कहे
🅰राजगृही का गोपालक हु ओर उच्ची उज्ववल भवन का रक्षक हु
🅿11 किसने जाना कि मेरे पिता राजगृही के राजा है
🅰अभय कुमार
🅿12 बौद्ध धर्म से जैन धर्म मे परिवर्तन किस के कारण हुआ
🅰अनाथी मुनि
चेलना रानी
🅿13 वीर प्रभु के सर्वाधिक चतुर्मास किस जगह हुए
🅰राजगृही
🅿14 वीर प्रभु ने सर्वप्रथम राजगृही में चतुर्मास कब किया
🅰7वर्ष पश्चात
🅿15समवशरण में कय्या घटना घटित हुई
🅰एक साथ 4 को छीक आना
🅿16 एक साथ किन किन 4 को छीक आयी
🅰वीर प्रभु राजा श्रेणीक अभयकुमार कालकोसकीक को
🅿17 समवसरण में एक मिथ्यात्वी देव का नाम क्या
🅰दुर्दुरदेव
🅿18 दुर्दुर देव किस रूप में आया
🅰कोढ़ी के रूप में
🅿19 वीर प्रभु के छीक आने पर देव ने क्या कहा
🅰शीघ्र मरण को प्राप्त हो
🅿20 श्रेणीक के छीक आने पर क्या कहा
🅰दीर्घायु हो
🅿21 अभयकुमार के छीक आने पर कय्या कहा
🅰जीओ या मरो
🅿22 कालकोशिक को छीक आने पर क्या कहा
🅰जन्म है न मरण है
🅿23 अनुपयुक्त वचन सुनकर श्रेणीक ने क्या किया
🅰सेवको द्वारा पकड़वाने का इशारा किया
🅿24 वीर प्रभु ने श्रेणीक के मुख पर कय्या देखा
🅰ओह पोह के भाव
🅿25 वीर प्रभु ने किस तरह 4 छीक का समाधान किया
🅰25 1 वीर प्रभु की छीक से अर्थ है कि कर्म क्षय कर शीघ्र ही मुक्त बनो
2 राजा श्रेणीक की छीक पर कहा कि तुम यहाँ सुखमय जीवन व्यतीत कर रहे हो मरण होने पर नरक के दुःख को सहन करना पड़ेगा
3 अभयकुमार के लिये कहा कि यहां भी सुख है और मरण करने पर वहां भी सुख है
4 कालकोशिक के लिए कहा कि यहां भी दुःखी है वहां भी मरण प्राप्त करने पर भी नरक के दुःख सहन करना है
बड़ी साधुवंदना - 63
श्रेणिक नी राणी ,काली आदिक दस जाण ।
दस पुत्र वियोगे सांभली वीर नी वाण।74।
चंदनबाला पे संयम, लइ हुई जाण।
तप करी झोंसी पहोंची छे निर्वाण।75।
नंदादीक तेरह ,श्रेणिक नृप नी नार ।
सघली चंदनबाला, पे लीधो संजम भार।76।
एक मास संथारे, पहोंची मुक्ति मझार ।
ए नेवु जणा नो अंतगड मां अधिकार।77।
धन्य धन्य जिनशासन,
यह बहुत बड़ा कथानक है इसे संक्षिप्त कर रहा हूं। उसमे रस खंडन या कोई विगत रह जाती हो तो क्षमा याचना।
नेमप्रभु के शासन में कृष्ण की प्रभुभक्ति अजोड़ थी, उन्होंने कई जीवो को धर्माराधना में , संयम ग्रहण कर स्वकल्याण के लिए प्रेरित किया । ठीक वैसे ही वीर प्रभु के शासन में श्रेणिक राजा की धर्म दलाली भी उत्कृष्ट मानी जाती है।
प्रभु वीर विचरण करते हुए एकबार राजगृही नगरी के गुणशील नामक उद्यान में पधारे। प्रजा तथा राजपरिवार के सदस्य दर्शन, वन्दन व देशना श्रवण हेतु आये। श्रेणिक की नन्दा आदि 13 रानियां भी इस समाचार को पाकर हर्षित हुई। वे भी प्रभुके दर्शन के लिए आई। देशना सुनकर वैराग्यवासित हुई। राजमहल आकर उन्होंने श्रेणिक से संयम ग्रहण की आज्ञा मांगी।
श्रेणिक ने तो सभी के लिए संयम मार्ग खोल रखा था। जिन्हें भी संयम ग्रहण करना हो , वे खुशी से करें। कृष्ण की तरह ही संयम ग्रहण करने वाले के पीछे उनकी संसारिक जिम्मेदारियां राज्य उठाएगा यह घोषणा भी करवाई हुई थी।
श्रेणिक राजा ने खुशी खुशी सभी रानियों को आज्ञा दी।
तेरहो रानियों ने संयम ग्रहण किया। 20 वर्षो तक उत्कृष्ट संयम का पालन किया। ग्यारह अंगों का अभ्यास किया। और सिद्ध बुद्ध मुक्त हुई।
उन 13 के नाम
नन्दा, नन्दवती, नन्दोत्तरा, नंद श्रेणिका, मरुता, सुमरुता, महामरुता, मरूदेवा, भद्रा, सुभद्रा, सुजाता, सुमनातिका, भूतदत्ता ।
राजगृही में राज परिवार का माहौल बिगड़ गया था । राज्य की लालसा का निमित्त बना, और
श्रेणिक के पूर्वभव के वैरी कोणिक ने इस भव के पिता को कैद में डाल दिया था। वहां श्रेणिक ने अपने प्राण त्याग दिए। उसके बाद कि कथा आगे
कोणिक ने नइ राजधानी बनाई - चंपा नगरी।
कोणिक अब विशाल मगध देश का स्वामी था। अब श्रेणिक के पुत्र व कोणिक के भाइ हल विहल के पास देव प्रदत्त दिव्य हार व सेंचानक हाथी बटवारे में आये थे। पर कोणिक पत्नी को वह दोनो भी चाहिए थे। स्त्री हठ के आगे आज तक किसी नही चली।
आगे की कथा......
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📚 *टॉपिक:-श्रेणीक इतिहास ❓❓*
👏🏼🌈👏🏼🌈👏🏼🌈👏🏼🌈
🅿1 श्रेणीक जी का अन्य नाम
🅰बिम्बसार
श्रेणिक जी की चिता से अरिहंत ध्वनि निकली थी
🅿2 श्रेणीक जी की प्रथम पत्नी का नाम क्या
🅰नंदा जी
🅿3 नंदा जी के पिता जी का नाम
🅰सुभद्र सेठ
-राजा श्रेणिक ने महावीर स्वामी की भक्ति कितने वर्ष की ?
उत्तर -३० वर्ष तक।
श्रेणिक जी, नेजिस बच्ची को दुर्गंध मयी रास्ते मे पड़ा देखा
वहीं एक दिन उनकी रानी बनी कौन।
अपतगंधा
२) श्रेणिक महाराजा के परिवार में कितने दिक्षार्थी थे??
58
३) आनेवाली चोविसी मे
श्रेणिक महाराजा के कितने नाम ?ओर कोनसे?
(तिर्थकंर के)
🅰️तीन नाम है
पद्मनाभजी
महापद्म जी
विमल वाहनजी✔️✔️
४ ) आनेवाली चोविसि के तिर्थकंर के (पद्मनाभजी) के माता-पिता का नाम??
जवाब
समुचिराजाजी
भद्रा राणी माताजी ✅✅
१)श्रेणिक महाराजा ने किसके पास विद्या शीखी ??
🅰️चंडाल के पास✔️✔️
५)श्रेणिक महाराजा के मानीते
(खास)सारथी का नाम क्या था??
🅰️जवाब
नाग गाथाधिपती ✅✅
चिता से
🅿4 सुभद्र सेठ ओर श्रेणीक का मिलन कहा हुआ
🅰वेणा नदी के तट पर
🅿5 श्रेणीक जी के पिताजी का नाम
🅰प्रसेनजित जी
🅿6 श्रेणीक जी केभाई की संख्या
🅰100श्रेणीक जी सहित
🅿7 श्रेणीक को उसके पिता ने क्यों राज्य से निष्कासित किया
🅰100भाई ईष्या के कारण कोई उसे मार न दे
🅿8 श्रेणिक ने राज्य निष्कासित के बाद कय्याकिया
🅰बौद्ध धर्म के मठ के अंदर चला गया और बौद्ध धर्म के आचार विचार का पालन करने लगा
🅿9 नंदा गर्भवती होने पर श्रेणीक कहा चले गए और कय्या दिया
🅰राजगृही नगरी पिता चिंतातुर के कारण
नामांकित मुद्रा ओर एक वचन
🅿10 श्रेणीक जी ने नंदा को क्या वचन कहे
🅰राजगृही का गोपालक हु ओर उच्ची उज्ववल भवन का रक्षक हु
🅿11 किसने जाना कि मेरे पिता राजगृही के राजा है
🅰अभय कुमार
🅿12 बौद्ध धर्म से जैन धर्म मे परिवर्तन किस के कारण हुआ
🅰अनाथी मुनि
चेलना रानी
🅿13 वीर प्रभु के सर्वाधिक चतुर्मास किस जगह हुए
🅰राजगृही
🅿14 वीर प्रभु ने सर्वप्रथम राजगृही में चतुर्मास कब किया
🅰7वर्ष पश्चात
🅿15समवशरण में कय्या घटना घटित हुई
🅰एक साथ 4 को छीक आना
🅿16 एक साथ किन किन 4 को छीक आयी
🅰वीर प्रभु राजा श्रेणीक अभयकुमार कालकोसकीक को
🅿17 समवसरण में एक मिथ्यात्वी देव का नाम क्या
🅰दुर्दुरदेव
🅿18 दुर्दुर देव किस रूप में आया
🅰कोढ़ी के रूप में
🅿19 वीर प्रभु के छीक आने पर देव ने क्या कहा
🅰शीघ्र मरण को प्राप्त हो
🅿20 श्रेणीक के छीक आने पर क्या कहा
🅰दीर्घायु हो
🅿21 अभयकुमार के छीक आने पर कय्या कहा
🅰जीओ या मरो
🅿22 कालकोशिक को छीक आने पर क्या कहा
🅰जन्म है न मरण है
🅿23 अनुपयुक्त वचन सुनकर श्रेणीक ने क्या किया
🅰सेवको द्वारा पकड़वाने का इशारा किया
🅿24 वीर प्रभु ने श्रेणीक के मुख पर कय्या देखा
🅰ओह पोह के भाव
🅿25 वीर प्रभु ने किस तरह 4 छीक का समाधान किया
🅰25 1 वीर प्रभु की छीक से अर्थ है कि कर्म क्षय कर शीघ्र ही मुक्त बनो
2 राजा श्रेणीक की छीक पर कहा कि तुम यहाँ सुखमय जीवन व्यतीत कर रहे हो मरण होने पर नरक के दुःख को सहन करना पड़ेगा
3 अभयकुमार के लिये कहा कि यहां भी सुख है और मरण करने पर वहां भी सुख है
4 कालकोशिक के लिए कहा कि यहां भी दुःखी है वहां भी मरण प्राप्त करने पर भी नरक के दुःख सहन करना है
श्रेणीक राजा के पुत्र एंव काली आदि 10 रानियों के आत्मज काल आदि 10 कुमारों का ।
1184 चेलना रानी के सबसे बडे़ पुत्र का नाम किया है?
कोणिक ।
कोणिक ।
1185 कोणिक कुपूत्र किस कारण कहलाया ?
अपने देव और गुरु तुल्य पिता को बंदी बनाकर जेल में डालकर स्वयं राजगद्दी पर बैठ गया ।
अपने देव और गुरु तुल्य पिता को बंदी बनाकर जेल में डालकर स्वयं राजगद्दी पर बैठ गया ।
1186 श्रेणिक राजा के पास दो दिव्य रत्न कौन से थे?
1 सेचनक गंध हस्ती , 2 देव प्रदत 18 लड़ी हार ( १८ सेर वाला हार )।
1 सेचनक गंध हस्ती , 2 देव प्रदत 18 लड़ी हार ( १८ सेर वाला हार )।
1187 श्रेणिक ने ये दोनों श्रेष्ठ चीजें किसको दी ?
महारानी चेलना के लघुपुत्र हल्ल और विहल्लकुमार को दी ।
महारानी चेलना के लघुपुत्र हल्ल और विहल्लकुमार को दी ।
1188 कोणिक राजा का श्रेणिक राजा के प्रति पूर्वगत वैर कब उपशांत हुआ ?
माता चेलना के समझाने पर ।
माता चेलना के समझाने पर ।
1189 कोणिक पिता को बन्धन मुक्त करने आ रहा था तब श्रेणिक ने क्या किया ?
तालपुट -विषवाली मुद्रिका से प्राणान्त कर लिया ।
तालपुट -विषवाली मुद्रिका से प्राणान्त कर लिया ।
1190 श्रेणिक राजा मरकर कहाँ गये ?
प्रथम रत्नप्रभा नरक मे ।
प्रथम रत्नप्रभा नरक मे ।
1191 श्रेणिक का जीव नरक से निकलकर कहाँ पर क्या बनेगे ?
भरत क्षेत्र में पहले तीर्थकर बनेगे ।
भरत क्षेत्र में पहले तीर्थकर बनेगे ।
1192 पितृ शोक से विहवल्ल कोणिक ने क्या किया?
राजगृही छोड़कर चंपा नगरी बसा ली ।
राजगृही छोड़कर चंपा नगरी बसा ली ।
1193 हार व हाथी लेकर हल्ल और विहल्ल कुमार ने कहाँ पर किसकी शरण ली ?
वैशाली में अपने नाना -चेटक राजा की शरण ली।
वैशाली में अपने नाना -चेटक राजा की शरण ली।
1194 शरणागत की रक्षा के लिये राजा चेटक का साथ किसने निभाया ?
9 मल्लवी , 9 लिच्छवी इन 18 देशों के राजाओं ने जो चेटक राजा के मित्र थे ।
9 मल्लवी , 9 लिच्छवी इन 18 देशों के राजाओं ने जो चेटक राजा के मित्र थे ।
1195 युद्ध मे कोणिक ने किन इन्द्रों की सहायता ली?
चमरेन्द्र व शक्रेन्द्र ।
चमरेन्द्र व शक्रेन्द्र ।
1196 हार व हाथी को प्राप्त करने के लिए कोणिक को किसने उकसाया ?
कोणिक की रानी पद्मावती ने ।
कोणिक की रानी पद्मावती ने ।
1197 चेटक व कोणिक राजा के बीच कौन कौन से युद्ध हुये?
रथमूसल महासंग्राम व महाशिलाकंटक ।
रथमूसल महासंग्राम व महाशिलाकंटक ।
1198 इन दोनों इन्द्रों ने कोणिक की सहायता क्यों की ?
कोणिक के प्रति पूर्व भव के स्नेह के कारण एंव पूर्व संगतिक एंव पर्याय संगतिक होने के कारण ।
कोणिक के प्रति पूर्व भव के स्नेह के कारण एंव पूर्व संगतिक एंव पर्याय संगतिक होने के कारण ।
1199 युद्ध में विजयी होने पर भी क्या कोणिक को हार व हाथी मिला ?
नहीं मिला ।
नहीं मिला ।
1200 हार व हाथी क्यो नही मिले ?
हार को देवता ले गये एंव हाथी आग की खाई में गिरकर मर गया ।
हार को देवता ले गये एंव हाथी आग की खाई में गिरकर मर गया ।
1201 चेटक राजा कितने व्रतधारी श्रावक थे ?
बारह व्रतधारी श्रावक थे
*ɪɴᴛᴇʀɴᴀᴛɪᴏɴᴀʟ ᴊᴀɪɴ*
*ғᴏᴜɴᴅᴀᴛɪᴏɴ [ ɪᴊғ ]*
❓❔ ❓❔ ❓❔ ❓❔
😒 *आई. जे. एफ.(IJF) प्रश्नावली*..
👉 *सौजन्य : बाल जीव*
🚩 जैन क्विज # 1⃣4⃣8⃣1⃣ :
*☀अंतगड सूत्र प्रश्नोत्तर - आठवा अंतिम वर्ग ☀*
२८/०७/२०२०
🌼 *आज के सवाल और जवाब* 🌼
1⃣ कालीरानी और श्रेणिक राजा का क्या संबंध था ?
🅰 पति -पत्नी का।
2⃣ काली आर्या ने कितना अध्ययन कीया ?
🅰 सामायिक से ले कर ११ अंग का अध्ययन श्री चंदनबाला के पास कीया।
3⃣ काली आर्या ने कितने वर्ष संयम पाला ?
🅰 ८ वर्ष
. . . . . . . . . . . . . .
Topic -::- श्रेणिक जी का इतिहास
1वीर प्रभु का परम भक्त कौन है
राजा श्रेणिक
2वीर प्रभु के मुख से अपना भविष्य सुनकर क्या किया
नरक में नहीं जाने का उपाय बताए
3 वीर प्रभु ने उसे क्या कहा
*न इट्ठे समट्ठे*
*ऐसा कभी नहीं हो सकता आयुष्य का जो बन्ध किया वह भुगतना ही है*
4 श्रेणीक के कहने पर वीर प्रभु ने कितने उपाय बताए
4
5 सभी उपाय एक साथ कहे या अलग अलग
अलग अलग
6 अलग अलग किस तरह कहे
जब जब वीर प्रभु आयेतब तब पूछा गया
7 पितामही को वीरप्रभु ने कय्या कहा
तुम्हारी दादी गूढ़ मिथ्यात्वी है यदि वह निर्ग्रन्थ मुनि के दर्शन करे तो नरक टल सकती है
8 श्रेणिक ने पितामही से क्या कहा तब पितामही ने क्या कहा
*उतर पूरा देवे*
*निर्ग्रन्थ मुनि के दर्शन करने से नरक टल जाएगी पितामही ने कहा तू नरक में नहीं जाएगा और यदि दर्शन किये मेने तो नरक में चली जाऊंगी*
9 श्रेणीक जी ने इस उपाय को सिद्धकरने के लिए क्या किया
पितामही सिंहासन पर बैठी थी तब न दाएं न बाएँ न पीछे मुड़ सके इस तरह पकड़ कर बैठ गए
10 यह करने से पितामही ने कय्या किया
सम्मुख मुनि जन आएंगे यह सोचकर लोहे के सलाखें से अपनी आँखें फोड़ ली
11 दूसरा उपाय क्या बताया
कपिला दासी से दान दिलाना
12 कपिला दासी के मना करने पर श्रेणीक राजा ने कय्या किया
जबरदस्ती हाथ पकड़कर दान दिलाया
13 कपिला ने कय्या कहा
में दान नहीं दे रही हु चाटु दान दे रहा है
14तीसरा उपाय किस तरह सिद्ध किया
कालकोशिक को अंधेरे कूप में उतारकर500पाड़ो का वध नहीं करना
15 कालकोशिक ने500पाड़ो का वध नहीं किया
द्रव्य हिंसा न करकर भाव हिंसा की
16 घर आये रत्न को किसने रेत में मिला दिया
कपिला दासी
17 पुनिया श्रावक पूर्व में कौन था
सुलसकुमार
18 पुनिया श्रावक का क्या व्यापार था
रुई कातने का
19श्रेणीक पुनिया के घर पर कय्या देखा
पुनिया श्रावक सामायिक कर रहा था राजा आने पर भी सम्मान के लिए नहीं उठा
*व्रती अवर्तीका सम्मान नहीं कर सकते5वा गुणस्थान है*
20 श्रेणीक जी ने पुनिया से क्या मांगा
सामायिक
21पुनिया श्रावक ने सामायिक का क्या मूल्य बताया
जिसने खरीदने को कहा है वहीं आपको मूल्य बता सकते है
22 वीर प्रभु ने क्या बताया
52डूंगरी जितना सोना रत्न आदिदेवे तो भी सामायिक की दलाली भी नहीं होती
23 कय्या श्रेणीक जी की भी सम्यक्त्व की परीक्षा हुई
हा
24 कौन कय्याबनकर आया
*प्रथम में साधु बनकर हाथ मे मछली का जाल लेकर जब इच्छा होती है तब पकड़कर खा लेते है वीर प्रभु के सभी सन्त भी खाते है ऐसा कहकर*
25 इस तरह कहने पर श्रेणीक जी ने क्या किया
इस तरह के मिथ्या वचन न बोले ओर उसे पकड़ने के लिए आगे बढ़े
26 कुछ देर बाद ओर क्या घटित हुआ
साध्वी जी को गर्भवती देखा
27साध्वी ने क्या कहा
वासना के वशीभूत होकर साधु से संसर्ग कर लिया और गर्भवती हो गई सभी साध्वियां कामवसाना पूर्ति के लिए करती है
28श्रेणीक जी ने साध्वी को क्या कहा
भव भृमण का कार्य कियानिंदनीय कार्य किया मिथ्या वचन न बोले पकड़ने के लिए कहा
29 उस समय क्या घटना घटित हुई
देव का अवतरण हुआ और अमूल्य उपहार देना
जो तुम्हारी प्रिय हो उसे यह उपहार देना
30 श्रेणीक जी के उपहार देने पर कय्या हुआ
सभी के उपहार देखे और अंत मे देव द्वारा उपहार देखने पर मिट्टी का गोला देखकर सभी ने हसीउड़ाई
31 हसी के फलस्वरूप उस उपहार का कय्या किया
मिट्टी के गोलेको दीवार पर मारने से18लड़ी युक्त दिव्य हारऔर स्वर्ण कुंडल निकले
32 हार ओर स्वर्ण कुंडल क्या बने
जो युद्ध का कारण बने रण मुशल संग्राम
बारह व्रतधारी श्रावक थे
*ɪɴᴛᴇʀɴᴀᴛɪᴏɴᴀʟ ᴊᴀɪɴ*
*ғᴏᴜɴᴅᴀᴛɪᴏɴ [ ɪᴊғ ]*
❓❔ ❓❔ ❓❔ ❓❔
😒 *आई. जे. एफ.(IJF) प्रश्नावली*..
👉 *सौजन्य : बाल जीव*
🚩 जैन क्विज # 1⃣4⃣8⃣1⃣ :
*☀अंतगड सूत्र प्रश्नोत्तर - आठवा अंतिम वर्ग ☀*
२८/०७/२०२०
🌼 *आज के सवाल और जवाब* 🌼
1⃣ कालीरानी और श्रेणिक राजा का क्या संबंध था ?
🅰 पति -पत्नी का।
2⃣ काली आर्या ने कितना अध्ययन कीया ?
🅰 सामायिक से ले कर ११ अंग का अध्ययन श्री चंदनबाला के पास कीया।
3⃣ काली आर्या ने कितने वर्ष संयम पाला ?
🅰 ८ वर्ष
. . . . . . . . . . . . . .
Topic -::- श्रेणिक जी का इतिहास
1वीर प्रभु का परम भक्त कौन है
राजा श्रेणिक
2वीर प्रभु के मुख से अपना भविष्य सुनकर क्या किया
नरक में नहीं जाने का उपाय बताए
3 वीर प्रभु ने उसे क्या कहा
*न इट्ठे समट्ठे*
*ऐसा कभी नहीं हो सकता आयुष्य का जो बन्ध किया वह भुगतना ही है*
4 श्रेणीक के कहने पर वीर प्रभु ने कितने उपाय बताए
4
5 सभी उपाय एक साथ कहे या अलग अलग
अलग अलग
6 अलग अलग किस तरह कहे
जब जब वीर प्रभु आयेतब तब पूछा गया
7 पितामही को वीरप्रभु ने कय्या कहा
तुम्हारी दादी गूढ़ मिथ्यात्वी है यदि वह निर्ग्रन्थ मुनि के दर्शन करे तो नरक टल सकती है
8 श्रेणिक ने पितामही से क्या कहा तब पितामही ने क्या कहा
*उतर पूरा देवे*
*निर्ग्रन्थ मुनि के दर्शन करने से नरक टल जाएगी पितामही ने कहा तू नरक में नहीं जाएगा और यदि दर्शन किये मेने तो नरक में चली जाऊंगी*
9 श्रेणीक जी ने इस उपाय को सिद्धकरने के लिए क्या किया
पितामही सिंहासन पर बैठी थी तब न दाएं न बाएँ न पीछे मुड़ सके इस तरह पकड़ कर बैठ गए
10 यह करने से पितामही ने कय्या किया
सम्मुख मुनि जन आएंगे यह सोचकर लोहे के सलाखें से अपनी आँखें फोड़ ली
11 दूसरा उपाय क्या बताया
कपिला दासी से दान दिलाना
12 कपिला दासी के मना करने पर श्रेणीक राजा ने कय्या किया
जबरदस्ती हाथ पकड़कर दान दिलाया
13 कपिला ने कय्या कहा
में दान नहीं दे रही हु चाटु दान दे रहा है
14तीसरा उपाय किस तरह सिद्ध किया
कालकोशिक को अंधेरे कूप में उतारकर500पाड़ो का वध नहीं करना
15 कालकोशिक ने500पाड़ो का वध नहीं किया
द्रव्य हिंसा न करकर भाव हिंसा की
16 घर आये रत्न को किसने रेत में मिला दिया
कपिला दासी
17 पुनिया श्रावक पूर्व में कौन था
सुलसकुमार
18 पुनिया श्रावक का क्या व्यापार था
रुई कातने का
19श्रेणीक पुनिया के घर पर कय्या देखा
पुनिया श्रावक सामायिक कर रहा था राजा आने पर भी सम्मान के लिए नहीं उठा
*व्रती अवर्तीका सम्मान नहीं कर सकते5वा गुणस्थान है*
20 श्रेणीक जी ने पुनिया से क्या मांगा
सामायिक
21पुनिया श्रावक ने सामायिक का क्या मूल्य बताया
जिसने खरीदने को कहा है वहीं आपको मूल्य बता सकते है
22 वीर प्रभु ने क्या बताया
52डूंगरी जितना सोना रत्न आदिदेवे तो भी सामायिक की दलाली भी नहीं होती
23 कय्या श्रेणीक जी की भी सम्यक्त्व की परीक्षा हुई
हा
24 कौन कय्याबनकर आया
*प्रथम में साधु बनकर हाथ मे मछली का जाल लेकर जब इच्छा होती है तब पकड़कर खा लेते है वीर प्रभु के सभी सन्त भी खाते है ऐसा कहकर*
25 इस तरह कहने पर श्रेणीक जी ने क्या किया
इस तरह के मिथ्या वचन न बोले ओर उसे पकड़ने के लिए आगे बढ़े
26 कुछ देर बाद ओर क्या घटित हुआ
साध्वी जी को गर्भवती देखा
27साध्वी ने क्या कहा
वासना के वशीभूत होकर साधु से संसर्ग कर लिया और गर्भवती हो गई सभी साध्वियां कामवसाना पूर्ति के लिए करती है
28श्रेणीक जी ने साध्वी को क्या कहा
भव भृमण का कार्य कियानिंदनीय कार्य किया मिथ्या वचन न बोले पकड़ने के लिए कहा
29 उस समय क्या घटना घटित हुई
देव का अवतरण हुआ और अमूल्य उपहार देना
जो तुम्हारी प्रिय हो उसे यह उपहार देना
30 श्रेणीक जी के उपहार देने पर कय्या हुआ
सभी के उपहार देखे और अंत मे देव द्वारा उपहार देखने पर मिट्टी का गोला देखकर सभी ने हसीउड़ाई
31 हसी के फलस्वरूप उस उपहार का कय्या किया
मिट्टी के गोलेको दीवार पर मारने से18लड़ी युक्त दिव्य हारऔर स्वर्ण कुंडल निकले
32 हार ओर स्वर्ण कुंडल क्या बने
जो युद्ध का कारण बने रण मुशल संग्राम
Q 1, अवसर्पिणी काल के अंतिम तीर्थंकर व उत्सर्पिनी के प्रथम तीर्थंकर के मध्य कितना समय?
Ans 1, दोनो के मध्य चौराशि हज़ार सात वर्ष पांच माह का अंतर।
Q 2, उत्सर्पिनी काल के कौनसे कौनसे आरे मे तीर्थंकर नही होंगे?
Ans 2 , छ आरे मे प्रथम दो व अंतिम दो आरों मे तीर्थंकर नही होंगे। 1,2,5,6 मे तीर्थंकर नही होंगे।
Q 3, उत्सर्पिनी काल के प्रथम तीर्थंकर श्री पद्मनाभ स्वामि जी का आयुष्य कितना होगा ?
Ans 3, अवसर्पिणी काल के अंतिम तीर्थंकर श्री महावीर स्वामि जी जितनी आयुष्य उत्सर्पिनी काल के प्रथम तीर्थंकर श्री पद्मनाभ स्वामि जी की। यानि बहतर वर्ष।
Q 4, राजा श्रेणिक ने ऐसा कौनसा कार्य किया जिस से उनका तीर्थंकर नाम कर्म गौत्र का उपार्जन हुआ।
Ans 4, भगवान महावीर के वचनों पर अटुट श्रद्धा व आस्था । दृढ़ सम्यकत्व के धनी।
Q 5, केवल ज्ञान प्राप्ति के पश्चात भगवान महावीर अपापा से विहार कर राजागृही पहुंचे तो राजा श्रेणिक ने कौनसा व्रत लिया ?
Ans 5, राजा श्रेणिक ने सम्यकत्व धारण किया, चौथे गुणस्थान वर्ती थे, सो श्रावक व्रत नही ले सकता थे।
Q 6, राजा श्रेणिक के पिता जी का नाम?
Ans 6, राजा श्रेणिक के पिताजी का नाम राजा प्रशेनजीत था। माता का नाम धारिणी
लगता है उस समय धारिणी नाम ज्यादा प्रचलित था।
Q 7, क्या मगध की राजधानी शुरू से ही राजागृही थी ? कौन सी नगरी ?
Ans 7, मगध की राजधानी राजागृही नही थी। कुशाग्रपुर थी।
Q 8, राजागृही का निर्माण किसने करवाया ?
Ans 8, श्रेणिक जी के पिता जी राजा प्रशेनजीत राजा ने।
Q 9, श्रेणिक जी का युवा अवस्था मे राजागृही छोड़ने का कारण ?
Ans 9, पहले भाईयों को राज्य का हिस्सा देने के कारण। श्रेणिक जी 100 भाई थे।
Q 10, श्रेणिक जी राजगृही से कहाँ पहुंचे
Ans 10, वेन्नातट नगरी पहुँचे।
Q 11, वेन्नातट नगरी मे किस से श्रेणिक जी का विवाह हुआ.? किसकी पुत्री ?
Ans 11, श्रेणिक जी का विवाह भद्र सेठ की पुत्री नंदा से हुई।
Q 12, श्रेणिक जी व नंदा रानी से हुए पुत्र का नाम ?
Ans 12, बुद्धि निधान अभय कुमार।
Q 13, वेन्नातट से राजग्रही जाते समय श्रेणिक जी ने अपना परिचय मे क्या बताया ?
Ans 13, दीवार पर "राजग्रही का गोपालक" लिख कर चले गये। पत्नी नंदा उस समय गर्भवती थी।
Q 14, अभय कुमार राजग्रही के राजमहल मे कैसे पहुंचे ?
Ans 14, सूखे कुए से अंगूठी निकाल कर। प्रशेनजित राजा ने प्रधान मंत्री की नियुक्ति के लिये परीक्षा ली। कहीं कहीं वर्णन आता है अभय कुमार की उम्र उस समय मात्र 8 वर्ष थी।
Q 15, किस सुंदरी की चाह मे राजा श्रेणिक को चेलना जी प्राप्त हुए?
Ans 15, चेटक राजा की पुत्री सुज्येष्ठा की चाह मे उनकी छोटी बहन चेलना प्राप्त हुई।
Q 16, सुज्येष्ठा की प्राप्ति के लिये कितने सुभटो (विशेष वीर सैनिक) का बलिदान हुआ, और वे कौन थे ?
Ans 16, सूलसा सती के 32 पुत्र।
सुज्येष्ठा व चेलना की बहन ज्येष्ठा वीर प्रभु की भाभी ज्येष्ठा थी। बाकी 4 बहन का वर्णन 16 महासती मे आता है।
Q 17, राजा श्रेणिक को वीर प्रभु से पहले किस महामुनि ने निर्ग्रंथ धर्म की राह दिखाई.?
Ans 17, अनाथी मुनि श्री जी ने सर्व प्रथम राजा श्रेणिक को निर्ग्रंथ धर्म समझाया।
Q 18, राजा श्रेणिक ने नरक आयु का बंध किस प्रकार किया?
Ans 18, गर्भस्थ हिरनी का शिकार करके अत्यंत प्रसन्न होने पर, उस समय नरक आयुष्य का बंध हुआ।
Q 19, इतिहास कारों मे राजा श्रेणिक का एक प्रसिद्ध नाम?
Ans 19, इतिहास कारों मे राजा श्रेणिक का प्रसिद्ध नाम बिंबसार है।
Q 20, चेलना रानी से कौनसे पुत्र की प्राप्ति हुई ?
Ans 20, चेलना रानी से राजा श्रेणिक को कौणीक पुत्र की प्राप्ति हुई।
Q 21, राजा श्रेणिक पूर्व भव मे कौन था?
Ans 21, राजा श्रेणिक पूर्व भव मे बसंतपुर का राजा सुमंगल था।
Q 22, कौणीक पुत्र पूर्व भव मे कौन था?
Ans 22, कोणिक पूर्व भव मे सेनक तापस था, तीन बार राजा सुमंगल द्वारा मासखामन के पारने पर निरादर करने पर बेरी बन गया।
Q 23, चेलना रानी का पुत्र कोणिक को उकरडे मे फेंकने का क्या कारण?
Ans 23, गर्भावस्था मे अशुभ दोहद का आना। रानी को एहसास हो गया था बेरी जीव गर्भ मे आया है।
Q 24, राजा श्रेणिक के परिवार से सर्व प्रथम दीक्षा किसने ली?
Ans 24, सर्वप्रथम दीक्षा मेघ कुमार ने ली।
Q 25, मेघ कुमार की माता का नाम?
Ans 25, मेघ कुमार की माता का नाम धारिणी रानी थी
बड़ी साधुवंदना - 63
श्रेणिक नी राणी ,काली आदिक दस जाण ।
दस पुत्र वियोगे सांभली वीर नी वाण।74।
चंदनबाला पे संयम, लइ हुई जाण।
तप करी झोंसी पहोंची छे निर्वाण।75।
नंदादीक तेरह ,श्रेणिक नृप नी नार ।
सघली चंदनबाला, पे लीधो संजम भार।76।
एक मास संथारे, पहोंची मुक्ति मझार ।
ए नेवु जणा नो अंतगड मां अधिकार।77।
धन्य धन्य जिनशासन,
यह बहुत बड़ा कथानक है इसे संक्षिप्त कर रहा हूं। उसमे रस खंडन या कोई विगत रह जाती हो तो क्षमा याचना।
नेमप्रभु के शासन में कृष्ण की प्रभुभक्ति अजोड़ थी, उन्होंने कई जीवो को धर्माराधना में , संयम ग्रहण कर स्वकल्याण के लिए प्रेरित किया । ठीक वैसे ही वीर प्रभु के शासन में श्रेणिक राजा की धर्म दलाली भी उत्कृष्ट मानी जाती है।
प्रभु वीर विचरण करते हुए एकबार राजगृही नगरी के गुणशील नामक उद्यान में पधारे। प्रजा तथा राजपरिवार के सदस्य दर्शन, वन्दन व देशना श्रवण हेतु आये। श्रेणिक की नन्दा आदि 13 रानियां भी इस समाचार को पाकर हर्षित हुई। वे भी प्रभुके दर्शन के लिए आई। देशना सुनकर वैराग्यवासित हुई। राजमहल आकर उन्होंने श्रेणिक से संयम ग्रहण की आज्ञा मांगी।
श्रेणिक ने तो सभी के लिए संयम मार्ग खोल रखा था। जिन्हें भी संयम ग्रहण करना हो , वे खुशी से करें। कृष्ण की तरह ही संयम ग्रहण करने वाले के पीछे उनकी संसारिक जिम्मेदारियां राज्य उठाएगा यह घोषणा भी करवाई हुई थी।
श्रेणिक राजा ने खुशी खुशी सभी रानियों को आज्ञा दी।
तेरहो रानियों ने संयम ग्रहण किया। 20 वर्षो तक उत्कृष्ट संयम का पालन किया। ग्यारह अंगों का अभ्यास किया। और सिद्ध बुद्ध मुक्त हुई।
उन 13 के नाम
नन्दा, नन्दवती, नन्दोत्तरा, नंद श्रेणिका, मरुता, सुमरुता, महामरुता, मरूदेवा, भद्रा, सुभद्रा, सुजाता, सुमनातिका, भूतदत्ता ।
राजगृही में राज परिवार का माहौल बिगड़ गया था । राज्य की लालसा का निमित्त बना, और
श्रेणिक के पूर्वभव के वैरी कोणिक ने इस भव के पिता को कैद में डाल दिया था। वहां श्रेणिक ने अपने प्राण त्याग दिए। उसके बाद कि कथा आगे
कोणिक ने नइ राजधानी बनाई - चंपा नगरी।
कोणिक अब विशाल मगध देश का स्वामी था। अब श्रेणिक के पुत्र व कोणिक के भाइ हल विहल के पास देव प्रदत्त दिव्य हार व सेंचानक हाथी बटवारे में आये थे। पर कोणिक पत्नी को वह दोनो भी चाहिए थे। स्त्री हठ के आगे आज तक किसी नही चली।
आगे की कथा......
किस के सानिध्य में राजा श्रेणिक में शुद्ध बाइक समेत व्यक्त किया
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