आचार्य ,साधु



*
*🅿️1.अल्पभवी बनानेवाला आवश्क कौनसा ?*
*🅰️ प्रतिक्रमण ।*

*🅿️ 2 4 गति मे कौनसे जीव की जीवन भर एक जैसी लैश्या होती ?*
*🅰️ नारकी, देवता ।*

*🅿️3 एक सामायिक से कितने प्रकारके तप का लाभ होता है ?*
*🅰️ 12 प्रकारके तप ।*

*🅿️4. लोगस्स मे अरिहंत परमात्मा का स्वरुप बताती गाथा कौसी ?*
*🅰️ पहली गाथा ।*

*🅿️5 दशवैकालिक सूत्र मे गोचरीजाते साधु को क्या उपमा दि गई है ?*
*🅰️ मधुकरी ,अर्थात भ्रमर की ।*

1️⃣ किस आचार्य जी का नाम गृहस्थअवस्था में करमणजी था ?
🅰️ आचार्य श्री जिनकुशल सुरिजी ।

2️⃣ किस आचार्य जी की चमडी स्टेपलर से जोड़ी गई थी ?
🅰️ आचार्य श्री हिमांशुसुरि जी ।

3️⃣ किस आचार्य जी ने 50 साल तक 1 उपवास 1पारणा लगातार किया था ?
🅰️ आचार्य श्री धर्मघोष  सूरिश्वर जी ने ।

4️⃣ किस आचार्य जी ने आकाश गामिनी विध्या से सम्मेतशिखरजी कि यात्रा की थीं ?
🅰️ आचार्य श्री पादलिप्तसूरिजी और बप्पभट्ट सूरिश्वर जी ने।

5️⃣ किस आचार्य जी ने  एक ही रात में 400 और 300 श्लोक कंठस्थ किये थे ?
🅰️ आचार्य श्री महामहोध्याय यशोवियजी और विनय विजयजी ने "श्रीपाल राजा के रास; कि रचना की थी ।

6️⃣ किस आचार्य जी ने एक दिन में एक ही समय पर कौन-कौन से गांव में प्रतिष्ठा करवाई थी ?
🅰️ आचार्य श्री यशोभद्रसूरिजी ने आहड, करहेडा, कविलन , सांभर , भसेर , इन पांच गांवों में ।

7️⃣ किस आचार्य जी ने सिर्फ एक ही श्लोक के आधार पर 10000 प्रमाण विशाल ग्रंथ बनाया था ?
🅰️ आचार्य श्री मल्लवादि सूरिश्वर जी ने।

8️⃣ किस आचार्य जी के महावीर स्वामी जी के शासन में दिक्षा पर्याय सबसे ज्यादा रहा ?
🅰️ आचार्य श्री वज्रसेनसूरिजी का 120 वर्ष ।

9️⃣ किस आचार्य जी ने 'अर्हन्तो भगवंत इन्द्र महिता , कि रचना की थी ?
🅰️ आचार्य श्री जिनपद्मसूरीजी ने ।

1️⃣0️⃣ किस आचार्य जी ने संघ को एक करने के लिए 4601 आयंम्बिल किये थे ?
🅰️ आचार्य श्री हिमांशु सूरिश्वर जी ने।

1️⃣1️⃣ किस आचार्य जी ने अंतरिक्ष तीर्थ में एक ही रात में 700 श्लोक की रचना की थीं ?
🅰️ आचार्य श्री भुवनतिलकसूरिश्व जी ने ।

1️⃣2️⃣ किस आचार्य जी ने रोज रात को उठकर 1008 खमासणा और 1008 लोगस्स का काउसग्ग किया करते थें ?
🅰️ आचार्य श्री रविशेखर सूश्वरजी ।

1️⃣3️⃣ किस आचार्य जी ने रोज सुबह 700 गाथा नंदिसूत्र का पाठ करने के बाद ही पच्चक्खाण पालने वाले थे ?
🅰️ आचार्य श्री पादलिप्तसूरिजी ।

1️⃣4️⃣ वो कोन आचार्य जी थे जो गंगा नदी पार करते समय देव द्वारा उपसर्ग शरीर के गिरते खून से अपकाय जीव की विराधना देखकर कांप उठे और केवलज्ञान हुआ था ?
🅰️ आचार्य श्री अरणिका पुत्र जी ।

1️⃣5️⃣ किस आचार्य जी के प्रेरणा से किसने अपने राज्य में अमारी का पालन करवाया ?
🅰️ आचार्य श्री हिरसूरिजी की प्ररेणा से , अकबर ने ।

1️⃣6️⃣ किस आचार्य जी ने पालितणा पर 'शत्रुंयज महात्म्य, ग्रंथ लिखा था ?
🅰️ आचार्य श्री धनेश सूरीश्वजी ।

1️⃣7️⃣ वो कौन आचार्य जी थे जो 'यकिनी महात्तरा सुनु , पुस्तक लिखी थी ?
🅰️ आचार्य श्री हरिभद्र सुरिजी ।

1️⃣8️⃣ वो कौन आचार्य जी थे जो ' सिद्ध हेम शब्दानुशासन ग्रंथ के रचयिता थे ?
🅰️ आचार्य श्री हेमचन्द्राचार्य जी ।

1️⃣9️⃣ कौन से आचार्य जी ने अष्ट प्रकरण में सामायिक के लक्षण बताए थे ?
🅰️ आचार्य श्री हरिभद्र सूरिश्वर जी ने।

2️⃣0️⃣ किस आचार्य जी ने राजा विक्रमादित्य को प्रभावित किया था ?
🅰️ आचार्य श्री सिद्धसेन दिवाकर जी ।

2️⃣1️⃣ किस आचार्य जी ने 99 प्रकार पूजा  की रचना की थी ?
🅰️ आचार्य श्री विरविजय जी ने।

2️⃣2️⃣  किस आचार्य जी ने आजीवन 8 कवल आहार लेने कि प्रतिज्ञा की थी ?
🅰️ आचार्य श्री यशोभद्र सूरिजी ने।

2️⃣3️⃣ किस आचार्य जी को जगद्गुरु का बिरुद्ध प्राप्त हुआ था ?
🅰️ आचार्य श्री हिरसूरिजी ।

2️⃣4️⃣ कौन से आचार्य जी नवांगी टीकाकार के नाम से प्रसिद्ध है ?
🅰️ आचार्य श्री अभयदेव सूरिश्वर जी।

2️⃣5️⃣ किस आचार्य जी ने मयणा और श्रीपाल जी को नवपद आराधना का उपदेश दिया था ?
🅰️ आचार्य श्री मुनिचंद्र सूरिश्वर जी ने।
प्र:- साधु होते कौन हैं ?
उ:- जिन्होंने, ये जान लिया है कि परम सुख तो मोक्ष में ही है और जिन्होंने अपने सच्चे स्वरुप को पाने के लिए, अपने घर-परिवार को, यार-दोस्तों को, पैसे-संपत्ति को, राग-द्वेष भावों को, सभी आरम्भ-परिग्रहों को यहाँ तक कि अपने वस्त्रों तक को त्याग दिया, और अपने मुलगुणों का विधिवत पालन कर करते हुए निरंतर मोक्ष-मार्ग पर अग्र्सर हैं, वो सिर्फ वो ही साधु हैं !!!
याने,

जो रत्नत्रय कि साधना शुद्ध रीति से करते हैं, वो ही साधु होते हैं !!!

"पञ्च महाव्रत पञ्च समिति, पञ्च इन्द्रिरोध षट आवश्यक नियम गुण, अष्ठविशन्ति बोध"

साधु परमेष्ठी के 28 मूलगुण होते हैं :-

5 - महाव्रत,
5 - समिति,
5 - इन्द्रिय दमन,
6 - आवश्यक और,
7 - शेष गुण
-----
28 - साधु परमेष्ठी के गुण ...
-----

*** पांच महाव्रत ***

हिंसा अनृत तस्करी, अबह्म परिग्रह पाय !
रोकें मन वच काय से, पञ्च महाव्रत थाय !!

1 - अहिंसा महाव्रत :- त्रस और स्थावर जीवों कि हिंसा का त्याग !
2 - सत्य महाव्रत :- झूठ बोलने का त्याग !
3 - अचौर्य महाव्रत :- किसी भी यहाँ तक कि जल, मिट्टी भी बिना दिये न लेना !
4 - बह्मचर्य महाव्रत :- स्त्री मात्र के शरीर स्पर्श का त्याग !
5 - परिग्रह त्याग महाव्रत :- 14 प्रकार अंतरंग और 10 प्रकार के बहिरंग परिग्रह का त्याग !

*** पांच समिति ***

"ईर्या भाषा एषणा, पुनि क्षेपण आदान !
प्रतिष्ठापना जुत क्रिया, पाँचों समिति विधान !!"

1 - ईर्या समिति :- चार हाथ आगे कि भूमि को देख कर चलना, ताकि जीव हिंसा न हो !
2 - भाषा समिति :- सर्व प्राणियों के हितकारी, मिष्ठ, प्रिय, सत्य वचन बोलना !
3 - एषणा समिति :- 46 दोष, 32 अंतराय और 14 मॉल दोषों को टालकर कुलीन श्रावक के घर आहार ग्रहण करना !
4 - आदान निक्षेपण :- शास्त्र, पिच्छी, कमण्डलु देखभाल कर उठाना !
5 - प्रतिष्ठापना या उत्सर्ग :- मल-मूत्र-थूक आदि का निर्जन स्थान पर त्याग करना !

*** पञ्च इन्द्रियदमन ***

"सपरस रसना नासिका, नयन श्रोत को रोध
षट आवशि मंजन तजन, शयन भूमि को शोध"

हम जानते हैं कि इंद्रियां पांच होती हैं, उनके इंद्रियों विषयों में राग-द्वेष रहित हो जाना, सो इन्द्रिय दमन है !!!
याने,
जैसा भी स्पर्श किया, खाया-पीया, देखा, सुना इंद्रियों से जो कुछ भी भोग उस सब के प्रति सामान भाव, न कुछ भी अच्छा है न बुरा है, सो इन्द्रिय दमन है ...

1 - स्पर्शन इन्द्रिय रोध :- चेतन पदार्थ, जैसे पुत्र-पुत्री,स्त्री और अचेतन पदार्थ आदि में स्पर्शन इंद्रियों के विषयों जैसे, ये रूखा है, ये कोमल है, ठंडा-गरम है, रुपी राग-द्वेष न करना सो स्पर्शन इन्द्रिय का रोध है !!!

2 - रसना इन्द्रिय रोध :- 4 प्रकार आहार, 6 प्रकार रस रूप इष्ट अनिष्ट आहार में राग-द्वेष न करना !

3 - घ्राणेन्द्रिय रोध :- सुगन्धित व दुर्गन्धित पदार्थों में राग-द्वेष न करना !

4 - चक्षु इन्द्रिय रोध :- दर्शनीय तथा अदर्शनीय पदार्थों में राग-द्वेष न करना !

5 - कर्णेन्द्रिय रोध :- अच्छा सुन कर प्रशंसा और निंदा आदि के शब्द सुनकर राग-द्वेष न करना !

और, षडावश्यक मूलगुण वही आचार्य परमेष्ठी वाले ... सामायिक, वंदना, स्तुति, प्रतिक्रमण, स्वाध्याय और कायोत्सर्ग ...

मुनिराज इनका भी दृढ़ता से पालन करते हैं ..

*** 7 - शेष गुण ***

"सपरस रसना नासिका, नयन श्रोत को रोध
षट आवशि मंजन तजन, शयन भूमि को शोध
वस्त्रत्याग कचलुँच अरु, लघु भोजन इक बार
दंतन मुख में ना करें, ठाढें लेहिं आहार"

१- मुनिराज कभी स्नान नहीं करते, यदि कभी अशुचि पदार्थ का स्पर्श हो जाए तो एकांत स्थान पर निश्चल खड़े होकर कमंडल का पानी सर पर से डाल लेते हैं !
२- भूमि पर सोना, मुनिराज पलंग या मखमली शैय्या पर नहीं सोते, ज़मीन,शिला,तख्ती इत्यादि पर एक करवट से सोते हैं !
३- वस्त्रों का त्याग रहता है !
४- केशलोंच- सिर,दाढ़ी,मूँछ के बालों को हाथ से उखाड़ते हैं !
५- दिन में एक बार और थोडा ही भोजन करते हैं !
६- दातून नहीं करते !
७- खड़े होकर भोजन करना !

इन 28 मुलगुणों के साथ मुनिराज 22 परीषहजयी भी होते हैं !

ये साधु परमेष्ठी के 28 मूलगुण समाप्त हुए !

और इस प्रकार हमने पञ्च-परमेष्ठी भगवान् के 143 मुलगुणों को जाना ...
प्र:- साधु होते कौन हैं ?
उ:- जिन्होंने, ये जान लिया है कि परम सुख तो मोक्ष में ही है और जिन्होंने अपने सच्चे स्वरुप को पाने के लिए, अपने घर-परिवार को, यार-दोस्तों को, पैसे-संपत्ति को, राग-द्वेष भावों को, सभी आरम्भ-परिग्रहों को यहाँ तक कि अपने वस्त्रों तक को त्याग दिया, और अपने मुलगुणों का विधिवत पालन कर करते हुए निरंतर मोक्ष-मार्ग पर अग्र्सर हैं, वो सिर्फ वो ही साधु हैं !!!
याने,

जो रत्नत्रय कि साधना शुद्ध रीति से करते हैं, वो ही साधु होते हैं !!!

"पञ्च महाव्रत पञ्च समिति, पञ्च इन्द्रिरोध षट आवश्यक नियम गुण, अष्ठविशन्ति बोध"

साधु परमेष्ठी के 28 मूलगुण होते हैं :-

5 - महाव्रत,
5 - समिति,
5 - इन्द्रिय दमन,
6 - आवश्यक और,
7 - शेष गुण
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28 - साधु परमेष्ठी के गुण ...
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*** पांच महाव्रत ***

हिंसा अनृत तस्करी, अबह्म परिग्रह पाय !
रोकें मन वच काय से, पञ्च महाव्रत थाय !!

1 - अहिंसा महाव्रत :- त्रस और स्थावर जीवों कि हिंसा का त्याग !
2 - सत्य महाव्रत :- झूठ बोलने का त्याग !
3 - अचौर्य महाव्रत :- किसी भी यहाँ तक कि जल, मिट्टी भी बिना दिये न लेना !
4 - बह्मचर्य महाव्रत :- स्त्री मात्र के शरीर स्पर्श का त्याग !
5 - परिग्रह त्याग महाव्रत :- 14 प्रकार अंतरंग और 10 प्रकार के बहिरंग परिग्रह का त्याग !

*** पांच समिति ***

"ईर्या भाषा एषणा, पुनि क्षेपण आदान !
प्रतिष्ठापना जुत क्रिया, पाँचों समिति विधान !!"

1 - ईर्या समिति :- चार हाथ आगे कि भूमि को देख कर चलना, ताकि जीव हिंसा न हो !
2 - भाषा समिति :- सर्व प्राणियों के हितकारी, मिष्ठ, प्रिय, सत्य वचन बोलना !
3 - एषणा समिति :- 46 दोष, 32 अंतराय और 14 मॉल दोषों को टालकर कुलीन श्रावक के घर आहार ग्रहण करना !
4 - आदान निक्षेपण :- शास्त्र, पिच्छी, कमण्डलु देखभाल कर उठाना !
5 - प्रतिष्ठापना या उत्सर्ग :- मल-मूत्र-थूक आदि का निर्जन स्थान पर त्याग करना !

*** पञ्च इन्द्रियदमन ***

"सपरस रसना नासिका, नयन श्रोत को रोध
षट आवशि मंजन तजन, शयन भूमि को शोध"

हम जानते हैं कि इंद्रियां पांच होती हैं, उनके इंद्रियों विषयों में राग-द्वेष रहित हो जाना, सो इन्द्रिय दमन है !!!
याने,
जैसा भी स्पर्श किया, खाया-पीया, देखा, सुना इंद्रियों से जो कुछ भी भोग उस सब के प्रति सामान भाव, न कुछ भी अच्छा है न बुरा है, सो इन्द्रिय दमन है ...

1 - स्पर्शन इन्द्रिय रोध :- चेतन पदार्थ, जैसे पुत्र-पुत्री,स्त्री और अचेतन पदार्थ आदि में स्पर्शन इंद्रियों के विषयों जैसे, ये रूखा है, ये कोमल है, ठंडा-गरम है, रुपी राग-द्वेष न करना सो स्पर्शन इन्द्रिय का रोध है !!!

2 - रसना इन्द्रिय रोध :- 4 प्रकार आहार, 6 प्रकार रस रूप इष्ट अनिष्ट आहार में राग-द्वेष न करना !

3 - घ्राणेन्द्रिय रोध :- सुगन्धित व दुर्गन्धित पदार्थों में राग-द्वेष न करना !

4 - चक्षु इन्द्रिय रोध :- दर्शनीय तथा अदर्शनीय पदार्थों में राग-द्वेष न करना !

5 - कर्णेन्द्रिय रोध :- अच्छा सुन कर प्रशंसा और निंदा आदि के शब्द सुनकर राग-द्वेष न करना !

और, षडावश्यक मूलगुण वही आचार्य परमेष्ठी वाले ... सामायिक, वंदना, स्तुति, प्रतिक्रमण, स्वाध्याय और कायोत्सर्ग ...

मुनिराज इनका भी दृढ़ता से पालन करते हैं ..

*** 7 - शेष गुण ***

"सपरस रसना नासिका, नयन श्रोत को रोध
षट आवशि मंजन तजन, शयन भूमि को शोध
वस्त्रत्याग कचलुँच अरु, लघु भोजन इक बार
दंतन मुख में ना करें, ठाढें लेहिं आहार"

१- मुनिराज कभी स्नान नहीं करते, यदि कभी अशुचि पदार्थ का स्पर्श हो जाए तो एकांत स्थान पर निश्चल खड़े होकर कमंडल का पानी सर पर से डाल लेते हैं !
२- भूमि पर सोना, मुनिराज पलंग या मखमली शैय्या पर नहीं सोते, ज़मीन,शिला,तख्ती इत्यादि पर एक करवट से सोते हैं !
३- वस्त्रों का त्याग रहता है !
४- केशलोंच- सिर,दाढ़ी,मूँछ के बालों को हाथ से उखाड़ते हैं !
५- दिन में एक बार और थोडा ही भोजन करते हैं !
६- दातून नहीं करते !
७- खड़े होकर भोजन करना !

इन 28 मुलगुणों के साथ मुनिराज 22 परीषहजयी भी होते हैं !

ये साधु परमेष्ठी के 28 मूलगुण समाप्त हुए !

और इस प्रकार हमने पञ्च-परमेष्ठी भगवान् के 143 मुलगुणों को जाना ...
*🙏

1⃣गुरु का ज्ञान किस तरह का
तैल की बूंद की तरह
2 तैल की बूंद की तरह किस तरह बताया गया
तैल सर्वत्र फैल जाता है डूबता नहीं उसी तरह
3आज का दिवस किस रूप में
चैत्र पूनम गुरु रूप में
4 गुरु के प्रति सच्ची श्रद्धा किसकी
एकलव्य की
5तिनका बन कर साहाराकोन देता है
गुरु
6गुरु के बिना क्या नहीं होता है
जीवन शुरू
जीवन उद्धार
ज्ञान
7गुरु शिष्य का अविस्मय उदाहरण
महावीरजी गौतम जी
8शिष्या ने गुरु को गुरु पथ तक पहुँचाया
मृगावती चंदन बाला जी
9पहला गुरु कौंन है
माता(माँ)
10चण्डकौशिक के लिए क्या उद्गोष गुरु रूप में हुआ
बुझ्झम
11कौनसा श्रावक कौनसे मुनि के लिए गुरु सार्थक हुआ
आंनद जी गौतम जी
सुदर्शन सेठ अर्जुन मालीके लिए
12कौनसे तिर्यंच नाम से कौनसे मुनि को किसने गुरु रूप में स्थिर किया
सिंह गुफा वासी मुनि को कोशा वेश्या ने
13सिद्ध के गुरु कोन है
सिद्ध के गुरु कोई नहीं
14गुरु से ज्ञान पाने का प्रथम गुण
विनय वान होना
15 गुरु शिष्य का एक नाम
धर्म रुचि
धर्म घोष
16गुरु किस तरह होना चाहिए
सद मार्ग की और प्रेरित करने वाला हो
17गुरु का व्यवहार किस तरह हो
फूल की तरह कोमल वज्र की तरह कठोर
नारियल जैसे
18गुरु को किस चित्रकार की संज्ञा दी गई
कुंभकार
19 जीवन मे अंधेरा कबआच्छादित हो जाता है
गुरु के बिना
20प्रतिमा से शिक्षा पाने वाले कौन है
गुरु द्रोणाचार्य की प्रतिमा से एकलव्य
21हम किनके उपकार से कभी मुक्त नहीं हो सकते है
माता पिता गुरु
22गुरु को कौनसी जहाज कहा गया है
तिरण तारण की जहाज
23गुरु कितने तरह के होते है और कौन कौन से
लौकिक गुरु आध्यात्मिक गुरु
24सबसे छोटे वय में गुरु रूप में कौन हुए
वज्र स्वामी जीअतिमुक्तक मुनि
25तीन देवता का समावेश किसमें होता है
माता में
ब्रह्मा विष्णु महेश


🅿7⃣7-साधु बड़ी दीक्षा किस पाठ से लेते हैं?
🅰7⃣-"दशवैकालीक सूत्र" के चौथे अध्याय से।

🅿8⃣-साधु के 27 गुणों में मूलगुण और उत्तर गुण कौनसे हैं?
🅰8⃣5 महाव्रत मूलगुण।शेष 22 उत्तर गुण।

🅿9⃣-साधु के व्रत कितने कोटि के होते हैं?
🅰9⃣-9 कोटि से।

🅿1⃣0⃣कोटि का क्या मतलब?
🅰1⃣0⃣A-3 करण❌3 योग = 9 कोटि

🅿1⃣1⃣1-साधु के अनाचार और आशतनाएं कितनी है?
🅰1⃣1⃣52 अनाचार और 33 आशातनाएं।

🅿1⃣2⃣-साधु-साध्वी कितना हाथ कपड़ा रखते हैं?
🅰1⃣2⃣-साधु-72 हाथ / साध्वी-96 हाथ।

🅿1⃣3⃣-लोक में जगन्य और उत्कृष्ट साधु कितने?
🅰1⃣3⃣ज.2000करोड़/ उ-9000 करोड़

🅿1⃣4⃣साधु की स्तिथि कितनी है?
-🅰1⃣4⃣ज.एक समय / उ-देशोन करोड़ पूर्व।

🅿1⃣5⃣-साधु की अवगाहना कितनी होती हैं?
🅰   1⃣5⃣जगनंय दो
हाथ उत्कृष्ठ 500 धनुष❗
_
〰〰〰〰〰〰〰〰

1⃣🙏🏻 जिनके अग्नि संस्कार के समय वस्त्रादि जले नहीं थे
🅰 आचार्य श्री जिनदत्त सूरि जी

2⃣🙏🏻कौनसे आचार्य श्री के नाम से पालीताणा नगर बसा है❓
🅰 *पूज्य पादलिप्त सूरिजी*

3⃣🙏🏻 कौन सी पदवी पू. आचार्य हीरसूरिजी मा.सा. को दी गई थी❓
🅰 *जगद्गुरु*

4⃣ 🙏🏻 आचार्य श्री कि नाम बताएं जिन्होंने नमिऊण स्त्रोत की रचना की❓
🅰 *आचार्य मानतुंग सूरि जी*

5⃣🙏🏻कौन से जैनाचार्य ने महाराजा विक्रमादित्य को जैन अनुयायी बनाया था❓
🅰 *श्री सिद्ध सेन दिवाकर जी ने*

6⃣ 🙏🏻 आचार्य श्री जिनके ललाट पर मणि चमकता था❓
🅰 *मणिधारी जिनचंद्र सूरि जी*

7⃣🙏🏻 कौन से आचार्य श्री ने महावीर विश्व विद्यालय की स्थापना की❓
🅰 *आचार्य विजय बल्लभ सूरिश्वर जी*

8⃣🙏🏻 कौन पंचम श्रुत केवली हुए थे❓
🅰 *भद्रबाहु स्वामी*

9⃣🙏🏻कौन तेरापंथी समाज के प्रथम आचार्य माने जाते हैं❓
🅰 *आचार्य भिक्षु जी*

🔟🙏🏻कौन से आचार्य श्री ने श्रीपाल मैना सुंदरी जी को सिद्धचक्र की महिमा बताया❓
🅰 *आचार्य मुनिचंद्र सूरि*

1⃣1⃣🙏🏻 आचार्य श्री जो 1000 गाथा कंठस्थ करके गुरु म.सा.को देते थे❓
🅰 *आचार्य बप्पभट्टि सूरि जी*

1⃣2⃣🙏🏻कौन से आचार्य श्री ने राणकपुर तीर्थ की प्रतिष्ठा करवाई थी❓
🅰 *आचार्य श्री सोमसुंदरसूरि जी*

1⃣3⃣🙏🏻कौनसे आचार्य कलिकाल सर्वज्ञ के नाम से प्रसिद्ध हुए थे❓
🅰 *श्री हेमचंद्राचार्य जी*

1⃣4⃣🙏🏻कौनसे आचार्य न अकबर बादशाह को जीवदया प्रेमी बनाया था❓
🅰 *आचार्य हीर विजय जी*

1⃣5⃣🙏🏻 आचार्य श्री का नाम बताएं जिन्होंने 1444 ग्रंथों की रचना की थी❓
🅰 *आचार्य हरिभद्रसूरि जी*

1⃣6⃣🙏🏻 पचास हजार नुतन जैन किस दादा गुरूदेव ने बनाया❓
🅰 *दादा गुरूदेव श्री जिनकुशल सूरि जी ने*

1⃣7⃣🙏🏻तत्वार्थ सुत्र के रचयिता❓
🅰 *उमास्वाती जी*

1⃣8⃣ मोहनखेड़ा तीर्थ की प्रतिष्ठा कौन से आचार्य श्री के हाथो हुई❓
🅰 *श्री राजेन्द्र सूरि जी*

1⃣9⃣🙏🏻कल्याण मंदिर स्त्रोत के रचयिता❓
🅰 *श्री सिद्ध सेन दिवाकर जी*

2⃣0⃣ कौनसे योगीराज ने भगवान ऋषभदेव को अपना प्रियतम कह कर स्तवन की रचना की थी❓
🅰 *श्री आनंदघन जी*

2⃣1⃣ 🙏🏻 कौनसे आचार्य श्री ने गिरनार तीर्थ रक्षार्थ अपने गुरु से आजीवन आयंबिल तप का पच्चखाण लिया❓
🅰 *आचार्य हेम बल्लभ सूरि जी*

2⃣2⃣ कौनसे आचार्य ने महाकाल के मंदिर में रहे लिंग मे से पार्श्वनाथ भगवान को प्रगट किया था❓
🅰 *आचार्य सिद्ध सेन दिवाकर जी*

2⃣4⃣🙏🏻 अजित शांति के रचयिता❓
🅰 *नंदिषेण मुनि*

2⃣5⃣🙏🏻 आचार्य के गुण कितने❓
🅰 *36*

2⃣6⃣ किसने सिद्ध किया कि पेड पौधे मे प्राण है
🅰 *आचार्य जगदीश चंद्र बसु*

2⃣7⃣ आचार्य का वर्ण❓
🅰 *पीला*

📙✏📙✏📙✏📙✏

💠💠💠💠💠💠💠💠

Q 1, वर्तमान शासन काल के प्रथम श्रुतकेवली आचार्य कौन हुए  ?
Ans 1, वर्तमान शासन काल के प्रथम श्रुतकेवली आचार्य श्री प्रभव स्वामि जी हुए।

Q 2, आचार्य प्रभव किस उम्र मे आचार्य बने ? उनकी सर्व आयु कितनी थी।
Ans 2, आचार्य प्रभव 94 वर्ष की उम्र में आचार्य बने। उनकी सर्व आयु 105 वर्ष थी।

Q 3, प्रथम चतुर्दश पूर्वधारी आचार्य कौन हुए  ?

Ans 3, प्रथम चतुर्दश पूर्वधारी आचार्य श्री प्रभव स्वामि जी हुए।
चतुर्दश पूर्वधारी, श्रुत केवली एक ही बात।

Q 4, अंतिम पूर्वधर आचार्य
 कौन हुए  ?
Ans 4, अंतिम पूर्वधर आचार्य श्री देवार्द्धिगणी क्षमाश्रमण हुए, जिन्हे केवल एक पूर्व का ज्ञान था।

Q 5, चतुर्दश पूर्वधर आचार्य कितने हुए जिन्हे अर्थ साहित 14 पूर्व का ज्ञान था  ?
Ans 5, पांचवे प्रश्न का उत्तर पांच ही है। प्रभव जी, श्वयंभव जी, यशोभद्र जी,संभूतविजय जी, भद्रबाहु जी। स्थूलीभद्र जी ने 14 पूर्व का अध्ययन किया, लेकिन अर्थ सहित 10 पूर्व का ज्ञान था।

Q 6, कौनसे आचार्य को देखकर राजा संप्रति को जातिस्मरण ज्ञान हुआ ?
Ans 6, आर्य सुहस्ति को देखकर राजा संप्रति को जातिस्मरण ज्ञान हुआ।

Q 7, पूर्व भव मे राजा संप्रति कौन थे ?
Ans 7, पूर्वभव मे राजा संप्रति एक भिख़ारी रंक था जिसने रोटी की लालच मे आर्य सुहस्ति से दीक्षा ली, दीक्षा वाली रात ही उसकी उच्च भावों मे मृत्यु हो गयी , एक दिन के संयम पर्याय से राजा का पद प्राप्त हुआ।

Q 8, कौनसे मुनि की अगवानी मे आचार्या 5-7 कदम आगे आकर उनके गुणों की वर्धपना करते है ?
Ans 8, आचार्य सम्भुत विजय जी कोशा वैश्या के यहाँ चतुर्मास परिसंपन्नता के पश्चात मुनि स्थूलीभद्र जी के आगमन पर उनके सामने 5-7 कदम आगे जा कर " दुष्कर, दुष्कर, महादुष्कर"शब्द कहकर उनका स्वागत करते हैं।

Q 9, कितने चौबीसी तक आर्य स्थूलीभद्र जी याद किये जायेंगे ?
Ans 9, आर्य स्थूलीभद्र जी को 84 चौबीसी तक उनके उत्तम ब्रह्मचर्य साधना के लिये याद किये जायेंगे।

Q 10, यदि आचार्य स्थूलीभद्र जी को 14 पूर्वधारी (अध्ययन)माने तो दश पूर्वधारी कितने आचार्य हुए।
Ans 10, दश पूर्वधारी आचार्य 10 ही हुए।

Q 11, प्रथम दश पूर्वधर आचार्य कौन ?
Ans 11, आचार्य महागिरी प्रथम दश पूर्वधर।

Q 12, अंतिम दश पूर्वधर आचार्य कौन  ?
Ans12, अंतिम 10 पूर्वधर आचार्य वज्र स्वामि।
दश पूर्वधर आचार्य के नाम, महागिरी, सुहस्ति, गुणसुंदर, कालकाचार्य, स्कंदिल, रेवतिमित्र,धर्म, भद्रगुप्त, श्रीगुप्त, आर्य वज्र। कृपया जी लगा लेवे।

Q 13, मात्र तीन वर्ष की उम्र मे बालक वज्र ने कितना ज्ञान कंठस्थ कर लिया ?
Ans 13, बालक वज्र ने तीन वर्ष की उम्र मे 11 अंगो का ज्ञान कंठस्थ कर लिया।

Q 14, पन्नवना सूत्र के रचियेता कौनसे आचार्य है ?
Ans 14, पन्नवना सूत्र के रचियेता श्री श्याम आचार्य (कालक आचार्य) प्रथम थे।

Q 15, आचार्य सुहस्ती द्वारा दीक्षित एक दिन  ही sanyam पर्याय पालने वाले  और कौन से मुनि हुए ?
Ans 15,  श्रेष्ठी पत्नी भद्रा माता पुत्र अवंति सुकुमाल हुए।

Q 16, अवंति सुकुमाल जिस विमान से आये उसी विमान से वापस गये,  कौनसा विमान ?
Ans 16,  अवंति सुकुमाल नलिनी गुल्म विमान से आये थे, काल धर्म को प्राप्त करके उसी विमान मे चले गये।

Q 17, सौधर्मेन्द्र देव की जिज्ञासा पर श्री सीमंधर स्वामि परमात्मा ने कौनसे आचार्य को भरत क्षेत्र में सूक्ष्म निगोद का व्याख्याता बताया ?
Ans 17, श्री श्याम आचार्य (श्री कालक आचार्य प्रथम)को भरत क्षेत्र मे सूक्ष्म निगोद का व्याख्याता बताया।
कहीं कहीं इस घटना को आर्य रक्षित आचार्य के साथ जोड़ा गया है।

Q 18, अपनी साध्वी बहन की रक्षार्थ कौन से आचार्य ने रजोहरण के स्थान पर तलवार उठाई  ?
Ans 18, श्याम आचार्य( कालक आचार्य) द्वित्य ने अपनी बहन साध्वी सरस्वती जी को गर्द्भिल्ल राजा से मुक्त कराने के लिए तलवार उठाई, युद्ध किया, विजयी हुए।
श्याम आचार्य (कालक आचार्य) नाम के चार आचार्य हुए।

Q 19, कौनसे आचार्य जो शत्रुंजय गिरिराज पर दर्शन करके ही गोचरी करते थे ?
Ans 19, आचार्य पादलिप्त सूरी जी, गगन यामिनी विद्या द्वारा नित्य शत्रुंजय गिरिराज पर दर्शन करके ही गोचरी वापरते थे।

Q 20, पादलिप्त सूरी जी कितने वय मे आचार्य बने ?
Ans 20, दश वर्ष की छोटी वय मे ही उनके गुरु ने  पादलिप्त मुनि को आचार्य पद प्रदान किया।

Q 21 श्वेतांबर परंपरा में महावीर स्वामि जी के प्रथम पट्टधर श्री सुधर्मा स्वामि जी थे, दिगंबर परंपरा में कौन ?
Ans 21, दिगंबर परंपरा मे श्री गौतम स्वामि जी को प्रथम पट्टधर मानते है।

Q 22, संवतश्री पँचमी के स्थां पर चौथ की कौनसे आचार्य ने शुरू की ?
Ans 22, संवतश्री पंचमी के स्थान पर चौथ की कालक आचार्य द्वित्य ने शुरू की।

Q 23, एला आचार्य किस आचार्य का उपनाम है ?
Ans 23, दिगंबर आचार्य कुंदकुंद का उपनाम एला आचार्य है।

Q 24, यह उपनाम क्यों पड़ा ?

Ans 24, साधना के प्रभाव से महाविदेह क्षेत्र मे श्री सीमंदर स्वामिजी के समवशरण मे गये थे, वहां का देहमान 500 धनुष वाली थी, आपकी काया भरत क्षेत्र के अनुसार 5-6 हाथ की थी, जो इलाईची जैसे लग रही थी, इस हिसाब से उनका नाम एला आचार्य पड़ गया।


44. रोज आकाशगामिनी विध्या से सम्मेत शिखर तीर्थ की यात्रा करते थे ?
ans. आचार्य श्री पादलिप्तसूरीश्वरजी और आचार्य श्री बप्पभट्ट सूरीश्वरजी

46. वो 2 मुनीवर कौन जिन्होंने एक ही रात में 4000 और 3000 श्लोक कंठस्थ किये- और दोनों ने मिलकर एक प्रख्यात ग्रन्थ की रचना की थी।
ans. महामहोपाध्याय यशोविजयजी ने एक ही रात में 4000 श्लोक और महामहोपाध्याय विनयविजयजी ने एक ही रात में 3000 श्लोक कंठस्थ किये- और दोनों ने मिलकर “श्रीपाल राजा के रास” की रचना की थी।
47. श्री यशोभद्र सूरीश्वरजी ने आचार्य पदवी मिलने के बाद कौन सी प्रतिज्ञा ली थी ?
ans. 6 विगई का त्याग और आहार में सिर्फ 8 निवाले लेने की प्रतिज्ञा ली थी।


*टोपीक :- जैन धर्म के प्रभावक आचार्य 2*

Q 1,  उपरोक्त दोहे के रचनाकार  कौन है ?
Ans 1, उपरोक्त दोहे के रचनाकार कलिकाल सर्वज्ञ हेम चंद्र आचार्य है ।

Q 2, मुशल मे भी फूल उग्वाये कौन से  आचार्य ने ?
Ans 2, मुशल (लकड़ी का मोटा डंडा) मे भी फूल उगाये वृद्धवादी आचार्य ने। (आचार्य सिद्ध सेन के गुरु)

Q 3, आचार्य सिद्धसेन दिवाकर न "कल्याण मंदिर स्तोत्र" की रचना कौन से शहर मे की ?
Ans 3, प्राचीन नाम अवंती वर्तमान नाम उज्जैन मे की।

Q 4, आचार्य सिद्धसेन जी कैसे वृद्धवादी आचार्य के शिष्य बने ?
Ans आचार्य सिद्धसेन जी ब्राह्मण कर्मकांडित अभिमानी पंडित थे। उनकी प्रतिज्ञा थी जो शास्त्रार्थ मे मेरे को हरा देगा मै उसी का शिष्य बन जाऊंगा। आचार्य वृद्धवादी से शास्त्रार्थ मे हारने के पश्चात जैन धर्म स्वीकार किया व वृद्धवादी आचार्य के शिष्य बनें।

Q 5, आचार्य सिद्धसेन द्वारा रचित कल्याण मंदिर स्तोत्र मे कितने शलोक एवं कौनसे श्लोक मे शिव प्रतिमा मे से प्रभू प्रतिमा प्रकट हुई ?
Ans 5, कल्याण  मंदिर स्तोत्र मे 44  श्लोक व 11 वे  श्लोक मे प्रभु पार्श्व नाथ की प्रतिमा प्रकट हुई।

Q 6, त्रिषष्टिशलाकापुरुष चारित्र ग्रंथ के रचनाकार कौन है ?
Ans 6, कलिकाल सर्वज्ञ आचार्य हेम चंद्र जी।

Q 7, प्रतिक्रमण जब करते है आवश्यक के साथ कौनसे आचार्य का नाम जुड़ा होता है ?
Ans 7, हरिभद्राश्यक शब्द इरियावाहियम् पाठ, तस्स उतरीकरनेनम पाठ के साथ नीचे जुड़ा होता है।  1444 ग्रंथ रचियेता श्री हरिभद्र जी का नाम जुड़ा होता है।

Q 8, अपनी प्रत्येक रचना मे ग्रंथ रचनाकार अपने नाम हरिभद्र के साथ और क्या नाम लिखते है ?
Ans 8, अपनी प्रत्येक रचना में श्री हरिभद्र जी अपने नाम के साथ अपनी गुरुणी याकिनीमहतरासुनो शब्द का प्रयोग करते थे।

Q 9, क्या श्री हरिभद्र जी की दीक्षा याकिनीमहतरा जी के हाथों हुई।
Ans 9, श्लोक का अर्थ समझने के लिये याकिनीमहतरा साध्वी जी ने अपने गुरु के पास जाने को कहा,गुरु श्री जिनदत्त सूरी जी(दादा गुरुदेव नही) उनको मुनि दीक्षा देकर श्लोक का अर्थ समझाया।

Q 10, अपने दो शिष्य हंस, परमहंस की मृत्यु का बदला किस प्रकार लेने से याकिनीमहतरा जी ने श्री हरिभद्र जी रोका ?
Ans 10, 1444 बौद्ध भिक्षु को गर्म तैल मे उबालने से रोकने के लिये, याकिनीमहतरा ने हरिभद्र जी से मैन्ढकी हत्या के प्रायश्चित का नाटक करके उन्हे बोध दिया।

Q 11, चांगदेव किस आचार्य का बाल्यकाल का नाम  ?
Ans 11,  चांगदेव आचार्य हेम चंद्र का बाल्य काल का नाम। माता का नाम पाहिनी जी, जो बाद मे दीक्षित हुई।

Q 12, दादा गुरुदेव कितने हुए ?
Ans 12, दादा गुरुदेव चार हुए ।

Q 13, दूसरे दादा गुरुदेव का क्या नाम है ?
Ans 13, दूसरे व चौथे दादा गुरुदेव का एक ही नाम जिनचंद्र सूरि जी है। दूसरे जिनचंद्र सुरि जी मणिधारी के नाम से ज्यादा प्रसिद्ध है।

Q 14, कौनसे दादा गुरुदेव ने मंत्रोचार के द्वारा चाँद के स्थान पर थाली को ही चाँद बना दिया ?
Ans 14, द्वित्य दादा गुरुदेव जिनचंद्र सुरि जी ने अपने शिष्य के गलती से अमावस को पूनम कहने के कारण थाली को अभिमंत्रित  करके सभी को पूनम का चाँद दिखा दिया।


Q 15, नवांगी टीकाकार के नाम से कौन विख्यात ? कौनसे गच्छ से सम्बंधित ?
Ans 15, नवांगी टीकाकार आचार्य अभय देव सूरी जी।  मंदिर मार्गी परंपरा मे खरतरगच्छ से संबंधित।

Q 16, इतना विशाल साहित्य का सृजन कैसे किया ?
Ans 16,  आचार्य अभय देव जी को शासन देवी ने दर्शन देकर लुप्त आगम टीकाओं का सृजन करने की प्रेरणा दी,कहीं संशय होने पर उनको पुनः स्मरण करने के लिये कहा। आचाम्ल तप से यह कार्य  संपन्न किया।

Q 17, अकबर प्रतिबोधक आचार्य कौन ?
Ans 17, बादशाह अकबर को प्रतिबोध देने वाले आचार्य हीरविजय जी थे।

Q 18, अपने शिष्य के संथारे से विचलित होने पर धर्म प्रभावना के हेतु कौन से आचार्य ने अपने को स्थापित किया ?
Ans 18, आचार्य धर्मदास जी ने अपने शिष्य के संथारे से विचलित होने पर उसके आसान पर स्वयं बैठ गये।

Q 19, "जब तक प्रतिक्रमण कंठस्थ नही कर लू बैठूंगा नही " कौनसे मुनि ने (दीक्षा पूर्व) यह प्रण किया ?
Ans 19, बालक जयमल ने यह प्रण किया।

Q 20, कौनसे आचार्य के पहले प्रवचन श्रवण से बालक जयमल ने आजीवन ब्रह्मचर्य का संकल्प किया?
Ans 20, आचार्य भूधरजी का प्रवचन सुनकर बालक जयमल ने आजीवन ब्रह्मचर्य का संकल्प किया।

Q 21, "जीवन पर्यंत लेट कर नींद नही लूंगा" कितने वर्ष तक यह प्रण आचार्य जयमल जी ने निभाया ?
Ans 21, अपने गुरु के स्वर्गवास के समय लिया हुआ प्रण अंत समय 50 वर्ष तक निभाया। विक्रम संवत 1803 से 1853 तक।

Q 22, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी ने 15 August को लालकिले पर दिये भाषण में किस आचार्य एवं किस तीर्थ का जिक्र किया ?
Ans 22, अपने 15 August के भाषण में प्रधानमंत्री मोदी जी ने आचार्य बुद्धिसागर जी महाराज व महुडी तीर्थ का जिक्र किया।

Q 23, आचार्य बुद्धि सागर जी कौन थे  ?
Ans 23 आचार्य बुद्धि सागर जी  जाती के पटेल (जाट) थे। जैनत्व का कुछ भी ज्ञान नही।

Q 24, वैराग्य का निमित क्या बना?
Ans 24, रास्ते चलते जैन साधु (श्री रवि सागर जी) के तप वैराग्य से प्रभावित् हो कर 27 वर्ष की भरी जवानी मे दीक्षित हो गये।

Q 25, कितने ग्रंथो का अध्ययन किया ?
Ans 25, उत्तर भी 25 , पच्चीस नही, पच्चीस सौ नही, पच्चीस हजार ग्रंथो का अध्ययन किया। वह भी सिर्फ 24 वर्ष के संयम पर्याय मे। नित्य 3 पुस्तक का average . लगभग 1 pencil नित्य प्रयोग मे लेते थे।

Q 26, आचार्य श्री बुद्धि सागर जी कितने समय नींद लेते थे ?
Ans 26, आचार्य श्री बुद्धिसागर जी पूरे दिन मे लगभग एक से देढ़ घंटे सोते थे।

Q 27, वर्तमान युग के एक और भीष्म पितामह ?
Ans 27, गिरनार तीर्थ उद्धारक आचार्य श्री हेमवल्लभ सुरिस्वर जी महाराज साहब।

Q 28,  भीष्म पितामह क्यों ?

Ans 28, अपने गुरु के एक इंगित पर 33-34 वर्ष की वय मे आजीवन आचाम्ल (आयम्बिल्) व्रत का प्रत्याखान। 7000 से अधिक आयम्बिल हो गये।आप लगभग प्रतिदिन गिरनार तीर्थ की यात्रा करके भरी दुपहर 2-3 बजे गांव मे अजैन घर के यहाँ गौचरी जा कर (जैन घर है नही) आयम्बिल करते है। अजैन डोली वाले, रब्बारी जाती के घर। रुखी सुकी रोटला।

*कल पूछे गए सवालों के जवाब*

प्रश्न 1976 पाड़िहारीय वस्तु किसे कहते हैं ?

उत्तर  *जो वस्तु जांच कर (ग्रहण कर ) वापिस गृहस्थ को भुलाई (सौंपी )जा सकती है।*

प्रश्न 1977  साधु कितने कोस तक आहार-पानी ला-ले जा सकता है ?

उत्तर  *दो कोस  याने करीब 7 किलोमीटर तक।*

प्रश्न 1978  प्रासुक-एषणीय का क्या अर्थ है ?

उत्तर  *अचित्त (जीव रहित) व कल्पनीय (साधु के ग्रहण करने योग्य)।*

प्रश्न 1979 साधु को कितने प्रकार का दान दिया जाता है ?

उत्तर   *साधु को 14 प्रकार का दान दिया जाता है।*

प्रश्न 1980 साधु कितने व कौन कौन से कारणों से आहार ले सकता है ?

उत्तर  *6 कारणों से ले सकता है।* *क्षुधा वेदना, सेवार्थ, ईर्या समिति, संयम साधना, प्राण-धारण एवं धर्म चिंतन के लिए।*

*कल पूछे गए सवालों के जवाब*

प्रश्न 1961  सचित्त और अचित्त किसे कहते हैं ?

 उत्तर  *जीव सहित वस्तु को  सचित कहते हैं जैसे कच्चा पानी हरियाली नमक आदि।*
*जीव रहित वस्तु को अचित कहते हैं जैसे दूध रोटी पक्की हुई सब्जी आदि।*

प्रश्न 1962  नित्य पिंड तथा सत् पिंड किसे कहते हैं ?

उत्तर  *रोजाना एक घर से भोजन आदि लेना नित्य पिंड है तथा एक दिन छोड़कर कभी आहार पानी लेने का नाम सत् पिंड है ।*

प्रश्न 1963  पूर्वकर्म दोष और पश्चात् कर्म दोष किसे कहते हैं ?

उत्तर  *गोचरी के निमित्त बहराने से पहले किसी प्रकार की हिंसा कारी प्रवृत्ति को पूर्व कर्मदोष तथा बहराने के पश्चात उस निमित्त से किसी प्रकार की हिंसाकारी प्रवृत्ति को पश्चात कर्म दोष कहते हैं।*

प्रश्न 1964 कल्प से क्या तात्पर्य है और तीन प्रहर का कल्प क्या होता है ?

उत्तर  *साधु के लिए आचरणीय को कल्प कहते हैं।*
*प्रथम प्रहर में लाया हुआ भोजन तीसरे प्रहर तक भी काम में लिया जा सकता है।*

प्रश्न 1965  साधु कितने दोषों को टालकर भिक्षा लेता है ?

 उत्तर   *42 दोषों को।*

श्री नवपद ओली का पंचम दिवस साधु भगवंत की आराधना....  श्री  नवपद। शाश्वत। ओली  आराधना...  5  पंचम दिवस : साधु भगवंत की आराधना..   साधु भगवंत की आराधना को प्राणवंती बनाने के लिये उनका संक्षिप्त परिचय...   साधु पद अरिहंत, सिद्ध, आचार्य एवं उपाध्याय की जन्मभूमि है, साधु बने बिना ऊपर के कोई पद प्राप्त नही हो सकते।   साधु-साध्वीजी सत्ताइस गुण के धारक होते है, साधु संयम रूपी चद्दर पर कभी दाग न लगे, इसके लिए सदा जागृत रहते है।   जिनशासन गुण प्रधान है, वेश प्रधान नही, इसी विषय में पू° उपाध्याय यशोविजयजी म° सा ने लिखा है, संयम खप करता मुनि नमिये रे, गुणों से युक्त मुनि ही वंदनीय, नमनीय है।   श्रावक-श्राविकाओं को यंत्र-मंत्र, डोरे-राखरी धागे देकर उन्हें जिनपथ से भटकावें नही, उत्तम गुण वीतराग वाणी की शिक्षा देनी चाहिए।   साधू-साध्वी भगवंत अरिहंत की राह पर है, वे हमें भी उसी राह की ओर ले जाने का निरन्तर प्रयास में लगे रहते है, वे हमारे प्रेरक है, पूरक है, बिना उनके सानिध्य के हम अनाथ समान है।   हमें पाप कर्मों से बचाकर, पूर्व पापकर्मों से भी मुक्त करने की चेष्टा करने वाले सभी साधू-साध्वी भगवंतों को कोटिशः वंदन।

ओली श्रृंखला 5 वा पद " साधू "
प्रश्न. 1. : नमस्कार मंत्र का पांचवा पद कौनसा है ?

उ. 1. : णमो लोए सव्व साहूणं

प्रश्न. 2. : साधू किसे कहते है ?

उ. 2. : जो ज्ञान आदि के द्वारा आत्मा की साधना करते हुए मोक्ष की साधना करते है, वे साधू कहलाते है .

प्रश्न. 3. : साधू कब बन सकते है ?

उ. 3. : जब चारित्र मोहनीय कर्म का क्षय / क्षयोपशम हो तब .

प्रश्न. 4. : कितने वर्ष की उम्र वाला साधू बन सकता है ?

उ. 4. : जघन्य 8 वर्ष  झाझेरी ( कुछ अधिक ) की आयु वाला दीक्षा ले सकता है, माध्यम - उत्कृष्ट कितनी भी उम्र हो सकती है .

प्रश्न. 5. : चारित्र धर्म के 2 भेद कौनसे है ?

उ. 5. : अगारधर्म, अनगार धर्म

प्रश्न. 6. : साधू बनने वाल कौनसे धर्म का पालन करता है ?

उ. 6. : अनगार धर्म का

प्रश्न. 7. : साधू बनने वाला सर्वविरत होता है या देशविरत होता है ?

उ. 7. : सर्वविरत

प्रश्न. 8. : साधू बनने वाला किसका त्याग करता है ?

उ. 8. : सर्व सवाद्य योगों का ( सववं सावज्जं जोगं पच्चक्खामि )

प्रश्न. 9. : साधू कितने करण एवं कितने योग से सवाद्य योगों का त्याग करता है ?

उ. 9. : तीन करण व 3 योग से .

प्रश्न. 10. : साधक बनते समय प्रतिक्रमण किसका करते है ?

उ. 10. अपने पूर्व पापों का प्रतिक्रमण करते है ( पडिक्कमानी )

प्रश्न. 11. : निंदा किससे की जाती है ?

उ. 11. :गुरु साक्षी से ( निन्दामि )

प्रश्न. 12. : गर्हा किसे कहते है ?

उ. 12. : आत्म साक्षी से ( गरिहामि )

प्रश्न. 13.. : साधक दीक्षा लेते समय कौनसी आत्मा को छोड़ते अहि ?

उ. 13. : पापयुक्त आत्मा को छोड़ते है ( अप्पाणं वोसिरामि )

प्रश्न. 14. : प्रवजीत होने के कितने कारण है व कौन कौनसे ?

उ. 14. : 10 कारण .    1) छंदा, 2) रोषा, 3) परिधुन, 4) स्वप्न, 5) प्रतिश्रुत, 6) स्मरण, 7) रोगिणिका, 8) अनादृत-अनादर, 9) देवसंज्ञप्ति, 10) वत्सानुबंधिका .

प्रश्न. 15. : साधू के कितने परिषह है ?

उ. 15. : बावीस परिषह है

प्रश्न. 16. : परिषह किसे कहते है ?

उ. 16. :स्वीकृत मार्ग से च्युत ना होने के लिए तथा कर्म निर्जरा के लिए कुछ सहा जाता है उसे परिषह कहते है . ( मार्गा च्यवन निर्जरार्थ परिषोढव्या-परिषहाः , तत्वार्थ सूत्र 9/8 )

प्रश्न 17. : साधू कितने क्षेत्र में पाये जाते है ?

उ. 17. : 15 कर्मभूमि क्षेत्र में

प्रश्न. 18. : साधू लोक में पाये जाते है या अलोक में पाये जाते है ?

उ. 18. : लोक में

प्रश्न. 19. : एक समय में कम से कम कितने साधू हो सकते है ?

उ. 19. : 2 हजार करोड़ साधू

प्रश्न. 20. : ज्यादा से ज्यादा कितने साधू पाये जा सकते है ?

उ. 20. : 9 हजार करोड़ साधुजी

प्रश्न. 21. : भगवान सीमंधर स्वामी के सानिध्य में कितने श्रमण विचरणशील है ?

उ. 21. : 100 करोड़ .

प्रश्न. 22. : जब 160 - 170 तीर्थंकर होते है तब कितने साधुजी होते है ?

उ. 22. : 9 हजार करोड़

प्रश्न. 23. : कितने गुणस्थान साधुजी के है व कौनसे  ?

उ. 23. : छठे गुणस्थान से चौदहवे गुणस्थान तक .

प्रश्न. 24. : ऋजु और प्रज्ञा प्रकृति के साधू कितने महाव्रतो की आराधना करते है ?

उ. 24. : चार महाव्रतों की .

प्रश्न. 25. : साधू के पर्यायवाची नाम कौन कौन से है ?

उ. 25. : निर्ग्रन्थ, सयंत, यति, मुनि, अणगार, माह, ब्राह्मण, सयन्ति, श्रमण, भिक्षु, साधू, साधक, चारित्रि, महाव्रती, संयमवंत, संयमी .

प्रश्न. 26. : सूत्रकृतांग में साधू के चार नाम कौन कौन से से बताये है ?

उ. 26. : माहन, श्रमण, भिक्षु, निर्ग्रन्थ

प्रश्न. 27. : निर्ग्रन्थ किसे कहते है ?

उ. 27. : जिन्होंने राग-द्वेष की गाँठ अथवा ममता की ग्रंथि का छेदन कर दिया हो .

प्रश्न. 28. : साधू किसका पालन करते है ?

उ. 28. : पाँच आचार का

प्रश्न. 29.. : जो निर्ग्रन्थ के आचरण योग्य नहीं उसको क्या कहते है व कितने है ?

उ. 29. : अनाचार ,   52 है .

प्रश्न. 30. : साधू को कितनी उपमा से उपमित किया गया है ?

उ. 30. : 84 उपमाओं से

प्रश्न. 31. : साधू महाव्रतों का कितनी भावनाओं के साथ पालन करते है ?

उ. 31. 25 भावनाओं के साथ

प्रश्न. 32. : अनुयोग द्वार सूत्र में साधू के लिए कितनी उपमाएं दी गई है ?

उ. 32. : बारह उपमाएं दी गई है .

प्रश्न. 33. : प्रवज्ज्या के 10 कारण कौन कौन से सूत्रों में आये है ?

उ. 33. : ठाणांग  सूत्र स्थान 10, समवायांग के 10 वे समवाय में और भी अन्य स्थलों में वर्णित है .

प्रश्न. 34. : देव संज्ञप्ति प्रवज्ज्या किसने ली ?

उ. 34. : तेतलि पुत्र, देवर्द्धिगणि क्षमाश्रमण आदि ने .

प्रश्न. 35. : दूसरों की इच्छा से दीक्षा किसने ली ?

उ. 35. : भवदत की इच्छा से भवदेव ने ली ( जम्बूस्वामी के पूर्व भव में )

SHRI NAVPAD JI OLI ka 5th DAY
SADHU PADH KO VANDAN

Sagar main aane wali nadi ka bhi koi utpatti sthaan hota hai, saalo se purane kisi vruksh k bhi jamin main mul hote hai. Issi tarah aaj tak ho gaye sab arihant, sidhha, aacharya aur upadhyay ka mul (root) kon hai??

Jawab hai : SADHU

Sadhu ko arihant, sidhha, aacharya aur upadhyay ki mata kaha gaya hai, kyunki ye sab ka janam sadhu se hota hai. Aaj tak jitne bhi arihant ya sidhh, aachrya ya upadhyay bane hai sab ne pehle sadhu dharma ka swikar kiya hai
Sadhu pancham pad pe biraajmaan hai lekin pratham 4 pad ki utapatti sadhu main se huyi hai.

Jis ko mamatva na ho us ko sadhu kehte hai. Sadhu nirmam hote hai aur sadhu nir- sang hote hai. Nirmam matlab mamatva bina k aur nirsang matlab sang rahit. Kisi padarth ka tyag karna matlab nirsang.

Ghar se nikal jana wo tyag hai lekin mann main se ghar ko nikal dena wo vairagya hai. Ghar ka tyag karna saral hai lekin apne mann main se ghar ka moh dur karna bahot kathin hai. Sadhu bhagwant k bhaav se namasakaar kare to apni mukti ho sakti hai.

Ilachi kumar ek nati (khel karne wali aurat) ko prapt karne k liye rassi (thick thread) pe chad kar k khel kar rahe the. 6 Baar khel kiye lekin raja khush ho kar k kuch mangne ko nahi kehte hai. 7th baar ilachi kumar khel karne k liye rassi pe chade aur un ki najar ek muni pe padi. Muni apni najar nichi kar k gochari le rahe the. Un ko dekh kar ilachi kumar ko apne pe dhikaar hua aur issi bhaav main un ko keval gyan ho gaya. Ek sadhu k darshan se hi keval gyan ho gaya.

Tamli tapas 60000 varsh se ghor tap kar raha tha. Ek baar nadi k kinare se jain sadhu ja rahe the. Nadi k kinare pe vanaspati thi. Sadhu sambhal kar pair rakh rahe the. Galti se bhi koi vanaspati ko vedana na ho aisa pura khayaal tha. Kantak k darr se chale toh mohaniya karma bandh hota tha. Sadhu bhagwant ki chalne ki kriya aur jiv daya dekh kar tamli tapas khush ho gaya aur anumodna ki aur samyag darshan ki prapti huyi..

Ye kalyug main hum sab ko sadhu mile hai wo hum sab ka soubhagya hai. Antim samay pe sadhu k vesh ki bhi anumodna kar le to bahot kalyankaari hota hai.

Samrat samprati ka aatma purva bhav main bahot garib jiv tha. Khane k liye khana bhi nahi tha. Khane k liye sadhu ka vesh pehna. Nutan muni ne gochari main mile saare laadu ek saath khaye kyun ki bahot din se bhukh lagi thi. Shaam ko pet(stomach) main dard hua aur tabiyat bigadne lagi. Guru ne un ko apni god main liya, nagar k shrimant sheth un ki seva main aa gaye. Nutan muni ko vichaar aaya k kal tak jo muje khana tak nahi dete the aur mera apmaan karte the wo sab aaj meri seva mian hai ye sab ye sadhu k vesh ka kamaal hai. Bas antim samay main ki huyi ye anumodna kaam aa gayi aur agle janam main samrat samprati ban gaye aur 12500000 jin pratima banwa k ye dharti ko dhanya kar diya.

Sadhu paanch indriyo pe vijay prapt karte hai. Ratri bhojan nahi karte, lobh nahi rakhte, kshama dete hai, apna antar nirmal rakhte hai, samta se saare upsarg ko sahan karte hai, man vachan kaya k dosho se dur rehte hai.
Sadhu vishay viragi hote hai. 5 indriyo k vishay (sukh) k prati raag nahi hota. Sadhu lok sangya k tyagi hote hai. Matlab duniya k logo ko khush karne ki bhavana nahi hoti lekin moksh k liye hi bhavana hoti hai.

Sadhu kshama, namrata, dharma palan, saralta jaise gun rakhte hai, maan-apmaan ko ek ginte hai. Maan prapt hone se abhimaan nahi karte aur apmaan karne wale ko krodh nahi karte.
Sadhu sahayak hote hai. Khud to aatma ka kalyan karte hai lekin dusro ko bhi dharma marg pe le jane main sahay (madad) karte hai. Sadhu guru ki aagya ka palan karte hai.
Sadhu sayam jivan ka palan karte hai aur jin shashan ki ninda na ho us ka dhyaan rakhte hai.

Sadhu har ghar se thodi thodi bhiksha lete hai. Iss vruti ko bhramar vruti kehte hai. Jaise bhawra har ful se thoda thoda ras leta hai issi tarah sadhu jar ghar se thodi thodi gochari lete hai.

Tirth k 2 prakaar hote hai. Sthavar tirth aur jangam tirth. Sthavar tirth matlab jo ek jagah pe sthir hota hai aur jangam tirth matlab ghumta firta tirth.
Palitana sammet sikhar jaise tirth sthavar tirth hai aur har sadhu ko jangam tirth ki upma di gayi hai.

Sadhu banne k liye 5 maha vrat ka palan karna jaruri hai.
1. Ahinsa: man vachan aur kaya se kisi jiv ki hinsa nahi karni hai, na karwani hai aur na to hinsa karne ki anumodna karni hai.
2. Satya: hamesha satya bolna hai. Astaya bolna nahi hai, kisi se bulwana nahi hai ya toh asatya bolne wale ki anumodna nahi karni hai.
3. Chori tyag: man vachan aur kaya se chori nahi karni hai, na karwani hai na anumodna karni hai
4. Bharmcharya: aajivan bharmcharya ka palan karna hai.
5. Aprigrah: kisi bhi chij ka parigrah nahi karna hai.

Sadhu 6 prakaar k jivo ki raksha karte hai.
1. Pruthvi kaay
2. Jal kaay
3. Agni kaay
4. Vaayu kaay
5. Vanaspati kaay
6. Tras kaay

Arihant bhagwant ne sadhu k 10 dharma bataye hai.
1. kshama
2. Madarva (hraday komal hota hai)
3. aajarva (saralta)
4. Souch dharma (antar ki shudhi)
5. Sayam
6. Tyag
7. Satya
8. Tap
9. Bharmacharya
10. Aparigrah

Toh aise mahan sadhu ko apne antar se pranam karte hai aur mann main yeh bhavana karte hai k hum bhi ye sansaar ko chhod k bahot jaldi sayam dharma ko prapt kar sake aur jab mrutyu ho tab mrutyu shayya pe hum sadhu vesh main ho aur mrutyu bhi mahotsav ban jaye...

BHUL CHUK MICHHAMI DUKKDAM

LI NO PANCHAM DIVAS
*******

SHREE SADHU PAD
******

PAD :- Shree Sadhu

JAAP :-OM HRIM NAMO LOYE SAVVSAHUNAM.

MALA :-20

VARN :- Kalo...Aayambil Ek Dhany Nu..ADAD Nu....

KAUSAGG :- 27 Logass

SWASTIK :- 27

KHAMASAMAN :-27

PRADAXINA :- 27

KHAMASAMAN NO DUHO
******

APRAMAT JE NITYA RHE NAVI HARKHE NAVI SHOCHE RE....

SADHU SUDHA TE AATMA SHU MUNDYE SHU LOCHYE RE...

VIR JINESHWAR UPADISE SAMBHALJO CHITT LAYI RE...

AATAM DHYANE AATMA RUDDHI MLE SAVI AAYI RE....

➡Aa Chhe Sadhu Amara
〰〰〰〰〰〰〰〰

Namo Loe Savva Sahunam...

27 Guno Thi Yukt... Krushna Varna...!

Sadhana Kare Te Saadhu...! (Mox Margni)

Sahay Kare Te Saadhu....! ( Mox Marg Na Sadhak Ne)

Sahan Kare Te Saadhu....! ( Mox Sadhava)

Saadhu Panu Etle Shu? Sarv Jiv Sneh Parinam... Jagat Na Jiv Matra Par Vatsalya Bhav...!

14 Purv Dhar Ke Astpravachan Maata No Aaradhak...!

Panch Mahavrat Dharak...!

Sansar Na Samast Paap Na Tyagi...!

Moh Raja Ni Same Zazumta Sainiko...!

Jin Shasan Ni Aatmasudhdhi Hospital Ma... Aacharya-Doctor, Upadhyay-Compounder, Saadhu-Dardi, Dard- Raag,Dwesh,Ahankar, Jiv Pratye Tiraskar Ane Jad Pratye Aadarbhav....!

Mahavideh Ma Rahela Ke Nandishwar Ni Yaatra E Gayela... Gochari Paani Lavi Bhakti Karta Ke Rog Sahan Karta... Ratrina Kausagg Dhyane Rahela Ke Nava Divas Ni Sadhana Mate Nindra Vas Thayela... Sadhu Maharaj Ke Sadhviji Maharaj.. Prabhavak Pujyo Ke Koi Pan Anya Munivaro Ne Koti Koti Vandan...!

Mahavideh Xetrama 1-1 Viharman Jin Sathe Vicharta 100 Karod Saadhu-100 Karod Sadhviji Aam Kul 20 Viharman Bhagwan Na 2000 Karod Saadhu Ane 2000 Karod Sadhviji Bhagwanto Ne Koti Koti Vandan...!

Guriji Amaro Antar Naad Sanyam Na Dyo Aashirwad...!

Sadhu Pad No Ayambil No Panchmo Divas Mangal May Ho...!.

💢Sadhu
➖➖➖

Jeo Panch Indriyo Ne Ane KRODH....MAAN.....MAYA....LOBH...Ye Char Kashayo Ne Roke Chhe.......

CHHAKAY Jiv Nu Raxan Kre Chhe...

Sattar Prakare SANYAM Ne Aaradhe Chhe...

Eva MUNIRAJ Ne Hu Vandan Karu Chhu..

💢Sadhu Ne Olkho
➖➖➖➖➖➖

01:-Sadhu Padni Aaradhna Ketlama Divse Karay ?-Panchma

02:-Sadhu Bhagvanto Ketla Gun Yukt Hoy ?-Satavish

03:-Kya Sadhu Bhagvantnu Naam 84 Chovichi Sudhi Amar Rahese ? Sthulibhdra

04:-Savare Ragi Bapore Vairagi Sanje Vitragi E Kaya Sadhu ? Gajsukumal

05:-Nadino Kinaro Fervnar Muni Kaya ? Kulvahakmuni

06:-Chamdi Utre Chhta Samtadhari Mahamuni ?-Khandhak Muni

07:-Kadvi Tumbdi… Kidina Raksharthe Vaprnaar ? Dharmruchi Muni

08:-Vaghan Pote Bachka Bhare Ne Muni Kshrma Dhare Te Muni Kon ? Sukoshal Muni

09:-Guruvandanthi Ketla Gunni Prapti Thay ? 6

10:-Nitya Urdhv Parinami Muni Jene Veer Vakhanya Te Kon ? Dhannaji Angaar

11:- Sada Aath Krod Muni Sathe Shatrunjayethi Mokse Janara Kon ? Shamb-Prdhyuman

12:-Kone Potana Gurunine Kevalratnani Bhet Aapi ? Mrugavati

13:-Krushn Maharaje Ketla Sadhu Bhagvanta Vandan Dwara 4 Narak Todi ? – 18000

14:-700 Rogone 16 Varsh Sudhi Sahan Karnaar Kon ? Sanatmuniji

15:-Aangli Pakdi Aatmanandi Bannar Kon ?-Aimutta Muni

16:-Natak Karata Kevalgyani Bannar Kon? Ashadhabhuti

17:-Munina Darshne Kone Kevalgyan Thayu ? Ilachikumar

18:-Kalikaal Sarvgnajinu Munipananu Naaam ?-Somchandra Muni

19:-Sadhu Bhagvant Ketla Parishahne Sahan Kare ?-22

20:-Sadhu (Yati) Dharm Ketla Hoy ?-10

21:-Navi Pedhine Bachavava Tapovanni Prenana Aapnaar Kon?-Pandit Chandra Shekhar Vijay

22:-Maatana Santosh Mate Drashtivad Kon Bhanyu Hatu ?-Aaryarakshitji

23:-Kaya Muniji E Rajane Bodhpath Aapva Vaikriy Sharir Banavyu ? Vishnukumar Miniji

24:-Gokhta Gokhta Kaya Munivarne Kevalgyan Thayu ?-Mastushmuni

25:-Patit Thayela Kaya Munivar Veshya Gruhe Raheta Roj 10ne Pratibodhta Hata?-Nandisen

Dhan dhan te munivara je sayam jivan paale

Raag dwesh ne dur kari aatam suddhi sadhe..
by:- Priti Shah

श्री नवपद ओली का पंचम दिवस साधु भगवंत की आराधना....  श्री  नवपद। शाश्वत। ओली  आराधना...  5  पंचम दिवस : साधु भगवंत की आराधना..   साधु भगवंत की आराधना को प्राणवंती बनाने के लिये उनका संक्षिप्त परिचय...   साधु पद अरिहंत, सिद्ध, आचार्य एवं उपाध्याय की जन्मभूमि है, साधु बने बिना ऊपर के कोई पद प्राप्त नही हो सकते।   साधु-साध्वीजी सत्ताइस गुण के धारक होते है, साधु संयम रूपी चद्दर पर कभी दाग न लगे, इसके लिए सदा जागृत रहते है।   जिनशासन गुण प्रधान है, वेश प्रधान नही, इसी विषय में पू° उपाध्याय यशोविजयजी म° सा ने लिखा है, संयम खप करता मुनि नमिये रे, गुणों से युक्त मुनि ही वंदनीय, नमनीय है।   श्रावक-श्राविकाओं को यंत्र-मंत्र, डोरे-राखरी धागे देकर उन्हें जिनपथ से भटकावें नही, उत्तम गुण वीतराग वाणी की शिक्षा देनी चाहिए।   साधू-साध्वी भगवंत अरिहंत की राह पर है, वे हमें भी उसी राह की ओर ले जाने का निरन्तर प्रयास में लगे रहते है, वे हमारे प्रेरक है, पूरक है, बिना उनके सानिध्य के हम अनाथ समान है।   हमें पाप कर्मों से बचाकर, पूर्व पापकर्मों से भी मुक्त करने की चेष्टा करने वाले सभी साधू-साध्वी भगवंतों को कोटिशः वंदन।

ओली श्रृंखला 5 वा पद " साधू "
प्रश्न. 1. : नमस्कार मंत्र का पांचवा पद कौनसा है ?

उ. 1. : णमो लोए सव्व साहूणं

प्रश्न. 2. : साधू किसे कहते है ?

उ. 2. : जो ज्ञान आदि के द्वारा आत्मा की साधना करते हुए मोक्ष की साधना करते है, वे साधू कहलाते है .

प्रश्न. 3. : साधू कब बन सकते है ?

उ. 3. : जब चारित्र मोहनीय कर्म का क्षय / क्षयोपशम हो तब .

प्रश्न. 4. : कितने वर्ष की उम्र वाला साधू बन सकता है ?

उ. 4. : जघन्य 8 वर्ष  झाझेरी ( कुछ अधिक ) की आयु वाला दीक्षा ले सकता है, माध्यम - उत्कृष्ट कितनी भी उम्र हो सकती है .

प्रश्न. 5. : चारित्र धर्म के 2 भेद कौनसे है ?

उ. 5. : अगारधर्म, अनगार धर्म

प्रश्न. 6. : साधू बनने वाल कौनसे धर्म का पालन करता है ?

उ. 6. : अनगार धर्म का

प्रश्न. 7. : साधू बनने वाला सर्वविरत होता है या देशविरत होता है ?

उ. 7. : सर्वविरत

प्रश्न. 8. : साधू बनने वाला किसका त्याग करता है ?

उ. 8. : सर्व सवाद्य योगों का ( सववं सावज्जं जोगं पच्चक्खामि )

प्रश्न. 9. : साधू कितने करण एवं कितने योग से सवाद्य योगों का त्याग करता है ?

उ. 9. : तीन करण व 3 योग से .

प्रश्न. 10. : साधक बनते समय प्रतिक्रमण किसका करते है ?

उ. 10. अपने पूर्व पापों का प्रतिक्रमण करते है ( पडिक्कमानी )

प्रश्न. 11. : निंदा किससे की जाती है ?

उ. 11. :गुरु साक्षी से ( निन्दामि )

प्रश्न. 12. : गर्हा किसे कहते है ?

उ. 12. : आत्म साक्षी से ( गरिहामि )

प्रश्न. 13.. : साधक दीक्षा लेते समय कौनसी आत्मा को छोड़ते अहि ?

उ. 13. : पापयुक्त आत्मा को छोड़ते है ( अप्पाणं वोसिरामि )

प्रश्न. 14. : प्रवजीत होने के कितने कारण है व कौन कौनसे ?

उ. 14. : 10 कारण .    1) छंदा, 2) रोषा, 3) परिधुन, 4) स्वप्न, 5) प्रतिश्रुत, 6) स्मरण, 7) रोगिणिका, 8) अनादृत-अनादर, 9) देवसंज्ञप्ति, 10) वत्सानुबंधिका .

प्रश्न. 15. : साधू के कितने परिषह है ?

उ. 15. : बावीस परिषह है

प्रश्न. 16. : परिषह किसे कहते है ?

उ. 16. :स्वीकृत मार्ग से च्युत ना होने के लिए तथा कर्म निर्जरा के लिए कुछ सहा जाता है उसे परिषह कहते है . ( मार्गा च्यवन निर्जरार्थ परिषोढव्या-परिषहाः , तत्वार्थ सूत्र 9/8 )

प्रश्न 17. : साधू कितने क्षेत्र में पाये जाते है ?

उ. 17. : 15 कर्मभूमि क्षेत्र में

प्रश्न. 18. : साधू लोक में पाये जाते है या अलोक में पाये जाते है ?

उ. 18. : लोक में

प्रश्न. 19. : एक समय में कम से कम कितने साधू हो सकते है ?

उ. 19. : 2 हजार करोड़ साधू

प्रश्न. 20. : ज्यादा से ज्यादा कितने साधू पाये जा सकते है ?

उ. 20. : 9 हजार करोड़ साधुजी

प्रश्न. 21. : भगवान सीमंधर स्वामी के सानिध्य में कितने श्रमण विचरणशील है ?

उ. 21. : 100 करोड़ .

प्रश्न. 22. : जब 160 - 170 तीर्थंकर होते है तब कितने साधुजी होते है ?

उ. 22. : 9 हजार करोड़

प्रश्न. 23. : कितने गुणस्थान साधुजी के है व कौनसे  ?

उ. 23. : छठे गुणस्थान से चौदहवे गुणस्थान तक .

प्रश्न. 24. : ऋजु और प्रज्ञा प्रकृति के साधू कितने महाव्रतो की आराधना करते है ?

उ. 24. : चार महाव्रतों की .

प्रश्न. 25. : साधू के पर्यायवाची नाम कौन कौन से है ?

उ. 25. : निर्ग्रन्थ, सयंत, यति, मुनि, अणगार, माह, ब्राह्मण, सयन्ति, श्रमण, भिक्षु, साधू, साधक, चारित्रि, महाव्रती, संयमवंत, संयमी .

प्रश्न. 26. : सूत्रकृतांग में साधू के चार नाम कौन कौन से से बताये है ?

उ. 26. : माहन, श्रमण, भिक्षु, निर्ग्रन्थ

प्रश्न. 27. : निर्ग्रन्थ किसे कहते है ?

उ. 27. : जिन्होंने राग-द्वेष की गाँठ अथवा ममता की ग्रंथि का छेदन कर दिया हो .

प्रश्न. 28. : साधू किसका पालन करते है ?

उ. 28. : पाँच आचार का

प्रश्न. 29.. : जो निर्ग्रन्थ के आचरण योग्य नहीं उसको क्या कहते है व कितने है ?

उ. 29. : अनाचार ,   52 है .

प्रश्न. 30. : साधू को कितनी उपमा से उपमित किया गया है ?

उ. 30. : 84 उपमाओं से

प्रश्न. 31. : साधू महाव्रतों का कितनी भावनाओं के साथ पालन करते है ?

उ. 31. 25 भावनाओं के साथ

प्रश्न. 32. : अनुयोग द्वार सूत्र में साधू के लिए कितनी उपमाएं दी गई है ?

उ. 32. : बारह उपमाएं दी गई है .

प्रश्न. 33. : प्रवज्ज्या के 10 कारण कौन कौन से सूत्रों में आये है ?

उ. 33. : ठाणांग  सूत्र स्थान 10, समवायांग के 10 वे समवाय में और भी अन्य स्थलों में वर्णित है .

प्रश्न. 34. : देव संज्ञप्ति प्रवज्ज्या किसने ली ?

उ. 34. : तेतलि पुत्र, देवर्द्धिगणि क्षमाश्रमण आदि ने .

प्रश्न. 35. : दूसरों की इच्छा से दीक्षा किसने ली ?

उ. 35. : भवदत की इच्छा से भवदेव ने ली ( जम्बूस्वामी के पूर्व भव में )
श्री नवपद ओली का पंचम दिवस साधु भगवंत की आराधना....  श्री  नवपद। शाश्वत। ओली  आराधना...  5  पंचम दिवस : साधु भगवंत की आराधना..   साधु भगवंत की आराधना को प्राणवंती बनाने के लिये उनका संक्षिप्त परिचय...   साधु पद अरिहंत, सिद्ध, आचार्य एवं उपाध्याय की जन्मभूमि है, साधु बने बिना ऊपर के कोई पद प्राप्त नही हो सकते।   साधु-साध्वीजी सत्ताइस गुण के धारक होते है, साधु संयम रूपी चद्दर पर कभी दाग न लगे, इसके लिए सदा जागृत रहते है।   जिनशासन गुण प्रधान है, वेश प्रधान नही, इसी विषय में पू° उपाध्याय यशोविजयजी म° सा ने लिखा है, संयम खप करता मुनि नमिये रे, गुणों से युक्त मुनि ही वंदनीय, नमनीय है।   श्रावक-श्राविकाओं को यंत्र-मंत्र, डोरे-राखरी धागे देकर उन्हें जिनपथ से भटकावें नही, उत्तम गुण वीतराग वाणी की शिक्षा देनी चाहिए।   साधू-साध्वी भगवंत अरिहंत की राह पर है, वे हमें भी उसी राह की ओर ले जाने का निरन्तर प्रयास में लगे रहते है, वे हमारे प्रेरक है, पूरक है, बिना उनके सानिध्य के हम अनाथ समान है।   हमें पाप कर्मों से बचाकर, पूर्व पापकर्मों से भी मुक्त करने की चेष्टा करने वाले सभी साधू-साध्वी भगवंतों को कोटिशः वंदन।

ओली श्रृंखला 5 वा पद " साधू "
प्रश्न. 1. : नमस्कार मंत्र का पांचवा पद कौनसा है ?

उ. 1. : णमो लोए सव्व साहूणं

प्रश्न. 2. : साधू किसे कहते है ?

उ. 2. : जो ज्ञान आदि के द्वारा आत्मा की साधना करते हुए मोक्ष की साधना करते है, वे साधू कहलाते है .

प्रश्न. 3. : साधू कब बन सकते है ?

उ. 3. : जब चारित्र मोहनीय कर्म का क्षय / क्षयोपशम हो तब .

प्रश्न. 4. : कितने वर्ष की उम्र वाला साधू बन सकता है ?

उ. 4. : जघन्य 8 वर्ष  झाझेरी ( कुछ अधिक ) की आयु वाला दीक्षा ले सकता है, माध्यम - उत्कृष्ट कितनी भी उम्र हो सकती है .

प्रश्न. 5. : चारित्र धर्म के 2 भेद कौनसे है ?

उ. 5. : अगारधर्म, अनगार धर्म

प्रश्न. 6. : साधू बनने वाल कौनसे धर्म का पालन करता है ?

उ. 6. : अनगार धर्म का

प्रश्न. 7. : साधू बनने वाला सर्वविरत होता है या देशविरत होता है ?

उ. 7. : सर्वविरत

प्रश्न. 8. : साधू बनने वाला किसका त्याग करता है ?

उ. 8. : सर्व सवाद्य योगों का ( सववं सावज्जं जोगं पच्चक्खामि )

प्रश्न. 9. : साधू कितने करण एवं कितने योग से सवाद्य योगों का त्याग करता है ?

उ. 9. : तीन करण व 3 योग से .

प्रश्न. 10. : साधक बनते समय प्रतिक्रमण किसका करते है ?

उ. 10. अपने पूर्व पापों का प्रतिक्रमण करते है ( पडिक्कमानी )

प्रश्न. 11. : निंदा किससे की जाती है ?

उ. 11. :गुरु साक्षी से ( निन्दामि )

प्रश्न. 12. : गर्हा किसे कहते है ?

उ. 12. : आत्म साक्षी से ( गरिहामि )

प्रश्न. 13.. : साधक दीक्षा लेते समय कौनसी आत्मा को छोड़ते अहि ?

उ. 13. : पापयुक्त आत्मा को छोड़ते है ( अप्पाणं वोसिरामि )

प्रश्न. 14. : प्रवजीत होने के कितने कारण है व कौन कौनसे ?

उ. 14. : 10 कारण .    1) छंदा, 2) रोषा, 3) परिधुन, 4) स्वप्न, 5) प्रतिश्रुत, 6) स्मरण, 7) रोगिणिका, 8) अनादृत-अनादर, 9) देवसंज्ञप्ति, 10) वत्सानुबंधिका .

प्रश्न. 15. : साधू के कितने परिषह है ?

उ. 15. : बावीस परिषह है

प्रश्न. 16. : परिषह किसे कहते है ?

उ. 16. :स्वीकृत मार्ग से च्युत ना होने के लिए तथा कर्म निर्जरा के लिए कुछ सहा जाता है उसे परिषह कहते है . ( मार्गा च्यवन निर्जरार्थ परिषोढव्या-परिषहाः , तत्वार्थ सूत्र 9/8 )

प्रश्न 17. : साधू कितने क्षेत्र में पाये जाते है ?

उ. 17. : 15 कर्मभूमि क्षेत्र में

प्रश्न. 18. : साधू लोक में पाये जाते है या अलोक में पाये जाते है ?

उ. 18. : लोक में

प्रश्न. 19. : एक समय में कम से कम कितने साधू हो सकते है ?

उ. 19. : 2 हजार करोड़ साधू

प्रश्न. 20. : ज्यादा से ज्यादा कितने साधू पाये जा सकते है ?

उ. 20. : 9 हजार करोड़ साधुजी

प्रश्न. 21. : भगवान सीमंधर स्वामी के सानिध्य में कितने श्रमण विचरणशील है ?

उ. 21. : 100 करोड़ .

प्रश्न. 22. : जब 160 - 170 तीर्थंकर होते है तब कितने साधुजी होते है ?

उ. 22. : 9 हजार करोड़

प्रश्न. 23. : कितने गुणस्थान साधुजी के है व कौनसे  ?

उ. 23. : छठे गुणस्थान से चौदहवे गुणस्थान तक .

प्रश्न. 24. : ऋजु और प्रज्ञा प्रकृति के साधू कितने महाव्रतो की आराधना करते है ?

उ. 24. : चार महाव्रतों की .

प्रश्न. 25. : साधू के पर्यायवाची नाम कौन कौन से है ?

उ. 25. : निर्ग्रन्थ, सयंत, यति, मुनि, अणगार, माह, ब्राह्मण, सयन्ति, श्रमण, भिक्षु, साधू, साधक, चारित्रि, महाव्रती, संयमवंत, संयमी .

प्रश्न. 26. : सूत्रकृतांग में साधू के चार नाम कौन कौन से से बताये है ?

उ. 26. : माहन, श्रमण, भिक्षु, निर्ग्रन्थ

प्रश्न. 27. : निर्ग्रन्थ किसे कहते है ?

उ. 27. : जिन्होंने राग-द्वेष की गाँठ अथवा ममता की ग्रंथि का छेदन कर दिया हो .

प्रश्न. 28. : साधू किसका पालन करते है ?

उ. 28. : पाँच आचार का

प्रश्न. 29.. : जो निर्ग्रन्थ के आचरण योग्य नहीं उसको क्या कहते है व कितने है ?

उ. 29. : अनाचार ,   52 है .

प्रश्न. 30. : साधू को कितनी उपमा से उपमित किया गया है ?

उ. 30. : 84 उपमाओं से

प्रश्न. 31. : साधू महाव्रतों का कितनी भावनाओं के साथ पालन करते है ?

उ. 31. 25 भावनाओं के साथ

प्रश्न. 32. : अनुयोग द्वार सूत्र में साधू के लिए कितनी उपमाएं दी गई है ?

उ. 32. : बारह उपमाएं दी गई है .

प्रश्न. 33. : प्रवज्ज्या के 10 कारण कौन कौन से सूत्रों में आये है ?

उ. 33. : ठाणांग  सूत्र स्थान 10, समवायांग के 10 वे समवाय में और भी अन्य स्थलों में वर्णित है .

प्रश्न. 34. : देव संज्ञप्ति प्रवज्ज्या किसने ली ?

उ. 34. : तेतलि पुत्र, देवर्द्धिगणि क्षमाश्रमण आदि ने .

प्रश्न. 35. : दूसरों की इच्छा से दीक्षा किसने ली ?

उ. 35. : भवदत की इच्छा से भवदेव ने ली ( जम्बूस्वामी के पूर्व भव में )

श्री नवपद ओली का पंचम दिवस साधु भगवंत की

ओली श्रृंखला 5 वा पद " साधू "
प्रश्न. 1. : नमस्कार मंत्र का पांचवा पद कौनसा है ?

उ. 1. : णमो लोए सव्व साहूणं

प्रश्न. 2. : साधू किसे कहते है ?

उ. 2. : जो ज्ञान आदि के द्वारा आत्मा की साधना करते हुए मोक्ष की साधना करते है, वे साधू कहलाते है .

प्रश्न. 3. : साधू कब बन सकते है ?

उ. 3. : जब चारित्र मोहनीय कर्म का क्षय / क्षयोपशम हो तब .

प्रश्न. 4. : कितने वर्ष की उम्र वाला साधू बन सकता है ?

उ. 4. : जघन्य 8 वर्ष  झाझेरी ( कुछ अधिक ) की आयु वाला दीक्षा ले सकता है, माध्यम - उत्कृष्ट कितनी भी उम्र हो सकती है .

प्रश्न. 5. : चारित्र धर्म के 2 भेद कौनसे है ?

उ. 5. : अगारधर्म, अनगार धर्म

प्रश्न. 6. : साधू बनने वाल कौनसे धर्म का पालन करता है ?

उ. 6. : अनगार धर्म का

प्रश्न. 7. : साधू बनने वाला सर्वविरत होता है या देशविरत होता है ?

उ. 7. : सर्वविरत

प्रश्न. 8. : साधू बनने वाला किसका त्याग करता है ?

उ. 8. : सर्व सवाद्य योगों का ( सववं सावज्जं जोगं पच्चक्खामि )

प्रश्न. 9. : साधू कितने करण एवं कितने योग से सवाद्य योगों का त्याग करता है ?

उ. 9. : तीन करण व 3 योग से .

प्रश्न. 10. : साधक बनते समय प्रतिक्रमण किसका करते है ?

उ. 10. अपने पूर्व पापों का प्रतिक्रमण करते है ( पडिक्कमानी )

प्रश्न. 11. : निंदा किससे की जाती है ?

उ. 11. :गुरु साक्षी से ( निन्दामि )

प्रश्न. 12. : गर्हा किसे कहते है ?

उ. 12. : आत्म साक्षी से ( गरिहामि )

प्रश्न. 13.. : साधक दीक्षा लेते समय कौनसी आत्मा को छोड़ते अहि ?

उ. 13. : पापयुक्त आत्मा को छोड़ते है ( अप्पाणं वोसिरामि )

प्रश्न. 14. : प्रवजीत होने के कितने कारण है व कौन कौनसे ?

उ. 14. : 10 कारण .    1) छंदा, 2) रोषा, 3) परिधुन, 4) स्वप्न, 5) प्रतिश्रुत, 6) स्मरण, 7) रोगिणिका, 8) अनादृत-अनादर, 9) देवसंज्ञप्ति, 10) वत्सानुबंधिका .

प्रश्न. 15. : साधू के कितने परिषह है ?

उ. 15. : बावीस परिषह है

प्रश्न. 16. : परिषह किसे कहते है ?

उ. 16. :स्वीकृत मार्ग से च्युत ना होने के लिए तथा कर्म निर्जरा के लिए कुछ सहा जाता है उसे परिषह कहते है . ( मार्गा च्यवन निर्जरार्थ परिषोढव्या-परिषहाः , तत्वार्थ सूत्र 9/8 )

प्रश्न 17. : साधू कितने क्षेत्र में पाये जाते है ?

उ. 17. : 15 कर्मभूमि क्षेत्र में

प्रश्न. 18. : साधू लोक में पाये जाते है या अलोक में पाये जाते है ?

उ. 18. : श्री नवपद ओली का पंचम दिवस साधु भगवंत की आराधना....  श्री  नवपद। शाश्वत। ओली  आराधना...  5  पंचम दिवस : साधु भगवंत की आराधना..   साधु भगवंत की आराधना को प्राणवंती बनाने के लिये उनका संक्षिप्त परिचय...   साधु पद अरिहंत, सिद्ध, आचार्य एवं उपाध्याय की जन्मभूमि है, साधु बने बिना ऊपर के कोई पद प्राप्त नही हो सकते।   साधु-साध्वीजी सत्ताइस गुण के धारक होते है, साधु संयम रूपी चद्दर पर कभी दाग न लगे, इसके लिए सदा जागृत रहते है।   जिनशासन गुण प्रधान है, वेश प्रधान नही, इसी विषय में पू° उपाध्याय यशोविजयजी म° सा ने लिखा है, संयम खप करता मुनि नमिये रे, गुणों से युक्त मुनि ही वंदनीय, नमनीय है।   श्रावक-श्राविकाओं को यंत्र-मंत्र, डोरे-राखरी धागे देकर उन्हें जिनपथ से भटकावें नही, उत्तम गुण वीतराग वाणी की शिक्षा देनी चाहिए।   साधू-साध्वी भगवंत अरिहंत की राह पर है, वे हमें भी उसी राह की ओर ले जाने का निरन्तर प्रयास में लगे रहते है, वे हमारे प्रेरक है, पूरक है, बिना उनके सानिध्य के हम अनाथ समान है।   हमें पाप कर्मों से बचाकर, पूर्व पापकर्मों से भी मुक्त करने की चेष्टा करने वाले सभी साधू-साध्वी भगवंतों को कोटिशः वंदन।

ओली श्रृंखला 5 वा पद " साधू "
प्रश्न. 1. : नमस्कार मंत्र का पांचवा पद कौनसा है ?

उ. 1. : णमो लोए सव्व साहूणं

प्रश्न. 2. : साधू किसे कहते है ?

उ. 2. : जो ज्ञान आदि के द्वारा आत्मा की साधना करते हुए मोक्ष की साधना करते है, वे साधू कहलाते है .

प्रश्न. 3. : साधू कब बन सकते है ?

उ. 3. : जब चारित्र मोहनीय कर्म का क्षय / क्षयोपशम हो तब .

प्रश्न. 4. : कितने वर्ष की उम्र वाला साधू बन सकता है ?

उ. 4. : जघन्य 8 वर्ष  झाझेरी ( कुछ अधिक ) की आयु वाला दीक्षा ले सकता है, माध्यम - उत्कृष्ट कितनी भी उम्र हो सकती है .

प्रश्न. 5. : चारित्र धर्म के 2 भेद कौनसे है ?

उ. 5. : अगारधर्म, अनगार धर्म

प्रश्न. 6. : साधू बनने वाल कौनसे धर्म का पालन करता है ?

उ. 6. : अनगार धर्म का

प्रश्न. 7. : साधू बनने वाला सर्वविरत होता है या देशविरत होता है ?

उ. 7. : सर्वविरत

प्रश्न. 8. : साधू बनने वाला किसका त्याग करता है ?

उ. 8. : सर्व सवाद्य योगों का ( सववं सावज्जं जोगं पच्चक्खामि )

प्रश्न. 9. : साधू कितने करण एवं कितने योग से सवाद्य योगों का त्याग करता है ?

उ. 9. : तीन करण व 3 योग से .

प्रश्न. 10. : साधक बनते समय प्रतिक्रमण किसका करते है ?

उ. 10. अपने पूर्व पापों का प्रतिक्रमण करते है ( पडिक्कमानी )

प्रश्न. 11. : निंदा किससे की जाती है ?

उ. 11. :गुरु साक्षी से ( निन्दामि )

प्रश्न. 12. : गर्हा किसे कहते है ?

उ. 12. : आत्म साक्षी से ( गरिहामि )

प्रश्न. 13.. : साधक दीक्षा लेते समय कौनसी आत्मा को छोड़ते अहि ?

उ. 13. : पापयुक्त आत्मा को छोड़ते है ( अप्पाणं वोसिरामि )

प्रश्न. 14. : प्रवजीत होने के कितने कारण है व कौन कौनसे ?

उ. 14. : 10 कारण .    1) छंदा, 2) रोषा, 3) परिधुन, 4) स्वप्न, 5) प्रतिश्रुत, 6) स्मरण, 7) रोगिणिका, 8) अनादृत-अनादर, 9) देवसंज्ञप्ति, 10) वत्सानुबंधिका .

प्रश्न. 15. : साधू के कितने परिषह है ?

उ. 15. : बावीस परिषह है

प्रश्न. 16. : परिषह किसे कहते है ?

उ. 16. :स्वीकृत मार्ग से च्युत ना होने के लिए तथा कर्म निर्जरा के लिए कुछ सहा जाता है उसे परिषह कहते है . ( मार्गा च्यवन निर्जरार्थ परिषोढव्या-परिषहाः , तत्वार्थ सूत्र 9/8 )

प्रश्न 17. : साधू कितने क्षेत्र में पाये जाते है ?

उ. 17. : 15 कर्मभूमि क्षेत्र में

प्रश्न. 18. : साधू लोक में पाये जाते है या अलोक में पाये जाते है ?

उ. 18. : लोक में

प्रश्न. 19. : एक समय में कम से कम कितने साधू हो सकते है ?

उ. 19. : 2 हजार करोड़ साधू

प्रश्न. 20. : ज्यादा से ज्यादा कितने साधू पाये जा सकते है ?

उ. 20. : 9 हजार करोड़ साधुजी

प्रश्न. 21. : भगवान सीमंधर स्वामी के सानिध्य में कितने श्रमण विचरणशील है ?

उ. 21. : 100 करोड़ .

प्रश्न. 22. : जब 160 - 170 तीर्थंकर होते है तब कितने साधुजी होते है ?

उ. 22. : 9 हजार करोड़

प्रश्न. 23. : कितने गुणस्थान साधुजी के है व कौनसे  ?

उ. 23. : छठे गुणस्थान से चौदहवे गुणस्थान तक .

प्रश्न. 24. : ऋजु और प्रज्ञा प्रकृति के साधू कितने महाव्रतो की आराधना करते है ?

उ. 24. : चार महाव्रतों की .

प्रश्न. 25. : साधू के पर्यायवाची नाम कौन कौन से है ?

उ. 25. : निर्ग्रन्थ, सयंत, यति, मुनि, अणगार, माह, ब्राह्मण, सयन्ति, श्रमण, भिक्षु, साधू, साधक, चारित्रि, महाव्रती, संयमवंत, संयमी .

प्रश्न. 26. : सूत्रकृतांग में साधू के चार नाम कौन कौन से से बताये है ?

उ. 26. : माहन, श्रमण, भिक्षु, निर्ग्रन्थ

प्रश्न. 27. : निर्ग्रन्थ किसे कहते है ?

उ. 27. : जिन्होंने राग-द्वेष की गाँठ अथवा ममता की ग्रंथि का छेदन कर दिया हो .

प्रश्न. 28. : साधू किसका पालन करते है ?

उ. 28. : पाँच आचार का

प्रश्न. 29.. : जो निर्ग्रन्थ के आचरण योग्य नहीं उसको क्या कहते है व कितने है ?

उ. 29. : अनाचार ,   52 है .

प्रश्न. 30. : साधू को कितनी उपमा से उपमित किया गया है ?

उ. 30. : 84 उपमाओं से

प्रश्न. 31. : साधू महाव्रतों का कितनी भावनाओं के साथ पालन करते है ?

उ. 31. 25 भावनाओं के साथ

प्रश्न. 32. : अनुयोग द्वार सूत्र में साधू के लिए कितनी उपमाएं दी गई है ?

उ. 32. : बारह उपमाएं दी गई है .

प्रश्न. 33. : प्रवज्ज्या के 10 कारण कौन कौन से सूत्रों में आये है ?

उ. 33. : ठाणांग  सूत्र स्थान 10, समवायांग के 10 वे समवाय में और भी अन्य स्थलों में वर्णित है .

प्रश्न. 34. : देव संज्ञप्ति प्रवज्ज्या किसने ली ?

उ. 34. : तेतलि पुत्र, देवर्द्धिगणि क्षमाश्रमण आदि ने .

प्रश्न. 35. : दूसरों की इच्छा से दीक्षा किसने ली ?

उ. 35. : भवदत की इच्छा से भवदेव ने ली ( जम्बूस्वामी के पूर्व भव में )


प्रश्न. 19. : एक समय में कम से कम कितने साधू हो सकते है ?

उ. 19. : 2 हजार करोड़ साधू

प्रश्न. 20. : ज्यादा से ज्यादा कितने साधू पाये जा सकते है ?

उ. 20. : 9 हजार करोड़ साधुजी

प्रश्न. 21. : भगवान सीमंधर स्वामी के सानिध्य में कितने श्रमण विचरणशील है ?

उ. 21. : 100 करोड़ .

प्रश्न. 22. : जब 160 - 170 तीर्थंकर होते है तब कितने साधुजी होते है ?

उ. 22. : 9 हजार करोड़

प्रश्न. 23. : कितने गुणस्थान साधुजी के है व कौनसे  ?

उ. 23. : छठे गुणस्थान से चौदहवे गुणस्थान तक .

प्रश्न. 24. : ऋजु और प्रज्ञा प्रकृति के साधू कितने महाव्रतो की आराधना करते है ?

उ. 24. : चार महाव्रतों की .

प्रश्न. 25. : साधू के पर्यायवाची नाम कौन कौन से है ?

उ. 25. : निर्ग्रन्थ, सयंत, यति, मुनि, अणगार, माह, ब्राह्मण, सयन्ति, श्रमण, भिक्षु, साधू, साधक, चारित्रि, महाव्रती, संयमवंत, संयमी .

प्रश्न. 26. : सूत्रकृतांग में साधू के चार नाम कौन कौन से से बताये है ?

उ. 26. : माहन, श्रमण, भिक्षु, निर्ग्रन्थ

प्रश्न. 27. : निर्ग्रन्थ किसे कहते है ?

उ. 27. : जिन्होंने राग-द्वेष की गाँठ अथवा ममता की ग्रंथि का छेदन कर दिया हो .

प्रश्न. 28. : साधू किसका पालन करते है ?

उ. 28. : पाँच आचार का

प्रश्न. 29.. : जो निर्ग्रन्थ के आचरण योग्य नहीं उसको क्या कहते है व कितने है ?

उ. 29. : अनाचार ,   52 है .

प्रश्न. 30. : साधू को कितनी उपमा से उपमित किया गया है ?

उ. 30. : 84 उपमाओं से

प्रश्न. 31. : साधू महाव्रतों का कितनी भावनाओं के साथ पालन करते है ?

उ. 31. 25 भावनाओं के साथ

प्रश्न. 32. : अनुयोग द्वार सूत्र में साधू के लिए कितनी उपमाएं दी गई है ?

उ. 32. : बारह उपमाएं दी गई है .

प्रश्न. 33. : प्रवज्ज्या के 10 कारण कौन कौन से सूत्रों में आये है ?

उ. 33. : ठाणांग  सूत्र स्थान 10, समवायांग के 10 वे समवाय में और भी अन्य स्थलों में वर्णित है .

प्रश्न. 34. : देव संज्ञप्ति प्रवज्ज्या किसने ली ?

उ. 34. : तेतलि पुत्र, देवर्द्धिगणि क्षमाश्रमण आदि ने .

प्रश्न. 35. : दूसरों की इच्छा से दीक्षा किसने ली ?

उ. 35. : भवदत की इच्छा से भवदेव ने ली ( जम्बूस्वामी के पूर्व भव में )

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