तप साधना कविता



तप साधना के तीक्ष्ण तीरो को निशाने पर लगाना है,
लक्ष्य हैं,जीवन  को हमें आगे बढ़ाना ।
चूक न जाएं , कही ध्येय का
निशाना
कि, हम भव्य जीवों को भव्यता
पाना  है।
साधक तुम साधो,साधना  के जटिल  तरकश के तीर,
हो कितनी ही मुश्किल, मंज़िल हमें पानीहै,
चाहे मन माने न माने,
मन को रोक लगानी है
कषाय रास्ता नहीं रोक पाएगी,
मन को जब आत्मा जीत जाएगी
आत्मा को जागरूक
कर मोक्ष कि ओर कदम बढ़ाने है।।
निशाने  लक्ष्य पर लगाने है,
चूक जाएं ,चाहे कितने भी निशाने,
पर सपने हमें बड़े ही पाने है।
साधक  साधो निशाना ,मंज़िल सामने है,
गहरे पानी पेढ  सम्यक मोती
लाने है(स्वरचित)

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