सिद्ध देव ,देवी देवता
सिद्ध देव ,देवी देवता
नवकारवाली – 20 नमो सिद्धाणं
सिद्ध
प्रश्न. 1. : नवकार मंत्र का दूसरा पद कौनसा है ?
उ. 1. : णमो सिद्धाणं
प्रश्न. 2. :5 पदों में सबसे अधिक कौन है ?
उ. 2. : सिद्ध
प्रश्न. 3. : सिद्ध किसे कहते है ?
उ. 3. : जिन्होंने 8 कर्मों को नष्ट कर दिया हो
प्रश्न. 4. : सिद्ध भगवान कहा रहते है ?
उ. 4. : लोक के अग्रभाग पर
प्रश्न. 5. सिद्ध क्षेत्र कहा है ?
उ. 5. : सिद्धशिला से लगभग एक यपजं ऊपर
प्रश्न. 6. : सिद्धशिला और लोकांत के बीच कितना अन्तर है ?
उ. 6. 1 योजन का
प्रश्न. 7. :सिद्ध क्षेत्र कितना है ?
उ. 7. 333 धनुष 32 उंगली जितना
प्रश्न. 8. : सिद्ध क्षेत्र की चौड़ाई कितनी ?
उ. 8. : 45 लाख योजन
प्रश्न. 9. : 45 लाख योजन में कितने सिद्ध है ?
उ. 9. : अनंत
प्रश्न. 10. : सिद्ध भगवान कितना विहार करते है ?
उ. 10. : लघभग 7 रज्जु जितना
प्रश्न. 11. : सिद्ध भगवान किससे प्रतिहत है ?
उ. 11. : अलोक से
प्रश्न. 12. : कम से कम कितनी अवगाहना वाले कौन मोक्ष में गए ?
उ. 12. : 2 हाथ की अवगाहना वाले कुरमापुत्र
प्रश्न. 13. : मध्यम सिद्ध अवगाहना कौनसे जीव पा सकते है ?
उ. 13. : 7 हाथ अवगाहना वाले जीव
प्रश्न. 14. : 7 हाथ अवगाहना वाले कौन मोक्ष गए ?
उ. 14. : वीर प्रभु, सुधर्मा स्वामीजी, गौतम गणधर आदि
प्रश्न. 15. : अभी भगवान ऋषभदेव के आत्मप्रदेशों की अवगाहना कितनी है ?
उ. 15. : 333 धनुष्य 32 उंगल
प्रश्न. 16. : सर्वार्थ सिद्धविमान से सिद्धशिला कितनी दूर है ?
उ. 16. 12 योजन
प्रश्न. 17. : कौनसे स्थावर से आकर जीव मनुष्य बनकर मोक्ष जा सकता है ?
उ. 17. : पृथ्वीकाय, अपकाय, वनस्पतिकाय,
प्रश्न. 18. : विकलेन्द्रिय का जीव मरकर मनुष्य बनकर मोक्ष जा सकता है ?
उ. 18. : नहीं जा सकता
प्रश्न. 19. : एक जीव सिद्ध बनता है तब क्या होता है ?
उ. 19. : अव्यवहार राशी का 1 जीव व्यवहार राशी में आता है . ( निगोद से बाहर आना )
प्रश्न. 20. : अभी कहा से जीव सिद्ध बन सकते है ?
उ. 20. : 5 महाविदेह से
प्रश्न. 21. : महाविदेह में अभी कौनसा काल है ?
प्रश्न. 21. : महाविदेह में अभी कौनसा काल है ?
उ. 21. : अवस्थित काल
प्रश्न. 22. : कृत नपुसंक मोक्ष जाते है या जन्म नपुसंक जाते है ?
उ. 22. : कृत नपुसंक
प्रश्न. 23. : अवस्थित काल का अर्थ क्या होता है ?
उ. 23. : जहाँ वर्ण, रस, गंध, स्पर्श, आयु, बल, बुद्धि, अवगाहना आदि में विशेष ह्रास व वृद्धि यानी की घटना व बढ़ना ना हो, एक सरीखा सदाबहार व्यवहार चलता रहे .
प्रश्न. 24. : 6ठे आरे में मोक्ष गमन किस अपेक्षा से बताया गया है ?
उ. 24. : अन्य क्षेत्रों के चरम शरीरी जीवों के संहरण ( अपहरण ) की अपेक्षा से .
:प्रश्न. 25. : उत्सर्पिणी या अवसर्पिणी काल के पहले और दूसरे आरे में कितने जीव बन सकते है?
उ. 25. : प्रति समय 10 जीव
प्रश्न. 26. : जब युगलिक का मोक्ष गमन नहीं होता है तब पहले और दूसरे आरे में मोक्ष गमन किस कारण कहा गया है ?
उ. 26. : महाविदेह क्षेत्र से अपहरण करके लाये हुए चरम शरीरी मनुष्य की अपेक्षा से .
प्रश्न. 27. : कितने स्थानों से निकल हुआ जीव मोक्ष नहीं जा सकता ?
उ. 27. : 8 स्थानों से
5-6-7 = 3 नारकी
तेउकाय , वायुकाय = 2 स्थावर
2 इन्द्रिय, 3इन्द्रिय, 4 इन्द्रिय = 3 विकलेन्द्रिय
5-6-7 = 3 नारकी
तेउकाय , वायुकाय = 2 स्थावर
2 इन्द्रिय, 3इन्द्रिय, 4 इन्द्रिय = 3 विकलेन्द्रिय
3 + 2 + 3 = 8 स्थान
प्रश्न. 28. : कौनसे देवों से देवियाँ , 2 गुना मनुष्य बनकर मोक्ष जा सकती है ?
उ. 28. : ज्योतिष देवियाँ
प्रश्न. 29. : कौनसे स्त्री पुरुष समान संख्या में मनुष्य बनकर मोक्ष जा सकते है ?
उ. 29. : त्रियंच व त्रियंच स्त्री
प्रश्न. 30. : कौनसा नपुंसक संयम लेने के अयोग्य है ?
उ. 30. : जन्म नपुंसक क्योंकि उसका भोग दावानल के समान है
प्रश्न. 31. : कौनसे निर्ग्रन्थ मोक्ष में जाते है ?
उ. 31. : स्नातक निर्ग्रन्थ
प्रश्न. 32. : सिद्ध भगवान कौनसे बंधनों से रहित है ?
उ. 32. : 3 बंधनों से रहित है – जन्म, ज़रा, मृत्यु
प्रश्न. 33. : सिद्ध भगवान अशरीरी क्यों कहलाते है ?
उ. 33. : नाम कर्म के क्षय से शरीर रहित होने के कारण
प्रश्न. 34. : सिद्ध भगवान में प्रभेद गुण कितने है व कौन कौन से ?
उ. 34. : 8 कर्म के क्षय से 31 गुण प्राप्त होते है :-
1) ज्ञानावर्णीय की 5 प्रकृति क्षय करने से – 5 गुण
2) दर्शनावर्णीय की 9 प्रकृति क्षय करने से – 9 गुण
3) वेदनीय की 2 प्रकृति क्षय करने से – 2 गुण
4) मोहनीय की प्रकृति क्षय करने से – 2 गुण
5) आयु की 4 प्रकृति क्षय करने से – 4 गुण
6) नाम की 2 प्रकृति क्षय करने से – 2 गुण
7) गोत्र की 2 प्रकृति क्षय करने से – 2 गुण
8) अन्तराय की 5 पृकृति क्षय करने से – 5 गुण
2) दर्शनावर्णीय की 9 प्रकृति क्षय करने से – 9 गुण
3) वेदनीय की 2 प्रकृति क्षय करने से – 2 गुण
4) मोहनीय की प्रकृति क्षय करने से – 2 गुण
5) आयु की 4 प्रकृति क्षय करने से – 4 गुण
6) नाम की 2 प्रकृति क्षय करने से – 2 गुण
7) गोत्र की 2 प्रकृति क्षय करने से – 2 गुण
8) अन्तराय की 5 पृकृति क्षय करने से – 5 गुण
( 5+9+2+2+4+2+2+5 = 31 )
प्रश्न. 35. : सिद्ध भगवान लोक के बाहर ना जाने के कितने कारण है व कौन कौन से ?
उ. 35. :
1) गति के अभाव से – लोक से आगे इनका गति करने का स्वभाव नहीं होने से
2) निरूपग्रहत से – धर्मास्तिकाय रूप उपग्रह या निमित कारण का अभाव होने से
3) रुक्ष होने से – लोकांत में स्निग्ध पुद्गल भी रुक्ष रूप में हो जाते है जिससे उनका आगे गमन नहीं हो सकता है
4) लोकानुभव से – लोक की स्वभाविकमर्यादा ही ऐसी है जिससे लोकांत से बाहर नहीं जा सकते है
1) गति के अभाव से – लोक से आगे इनका गति करने का स्वभाव नहीं होने से
2) निरूपग्रहत से – धर्मास्तिकाय रूप उपग्रह या निमित कारण का अभाव होने से
3) रुक्ष होने से – लोकांत में स्निग्ध पुद्गल भी रुक्ष रूप में हो जाते है जिससे उनका आगे गमन नहीं हो सकता है
4) लोकानुभव से – लोक की स्वभाविकमर्यादा ही ऐसी है जिससे लोकांत से बाहर नहीं जा सकते है
( स्थानांग स्थानग 4 उद्देशक 3 )
प्रश्न. 36. : क्या पंचम काल में भी मनुष्य सिद्ध बन सकते हैं ?
उ. 36. : पंचम काल में कोई भी मनुष्य सिद्ध नहीं बनते हैं, किंतु चतुर्थ काल में जन्म लेकर पंचम काल में मोक्ष जा सकते हैं।
उ. 36. : पंचम काल में कोई भी मनुष्य सिद्ध नहीं बनते हैं, किंतु चतुर्थ काल में जन्म लेकर पंचम काल में मोक्ष जा सकते हैं।
प्रश्न. 37. : क्या सभी मनुष्य सिद्ध बन सकते हैं ?
उ. 37. : केवल आर्यखण्ड में जन्में आर्य मनुष्य सिद्ध बन सकते है ।
उ. 37. : केवल आर्यखण्ड में जन्में आर्य मनुष्य सिद्ध बन सकते है ।
प्रश्न. 38. : कौन से जीव सिद्ध हो सकते है ?
उ. 38. : जीवों में केवल मनुष्य ही सिद्ध हो सकते है ।
उ. 38. : जीवों में केवल मनुष्य ही सिद्ध हो सकते है ।
प्रश्न. 39. : जीवों में केवल मनुष्य ही सिद्ध बनने के अधिकारी क्यों ?
उ. 39. : क्योंकि केवल मनुष्य ही पूर्ण संयम धारण करके सम्पूर्ण कर्मों का नाश करके सिद्ध बन सकते है ।
उ. 39. : क्योंकि केवल मनुष्य ही पूर्ण संयम धारण करके सम्पूर्ण कर्मों का नाश करके सिद्ध बन सकते है ।
प्रश्न. 40. : ढाई द्वीप से ही सिद्ध क्यों होते है ?
उ. 40. : क्योंकि ढाई द्वीपों तक ही मनुष्यलोक है। अतः ढाई द्वीप से ही सिद्ध होते है
*🅿️8⃣0️⃣1️⃣ छठे देवलोक मे सामानीक देव कितने है ❓
🅰50000
🅿️8⃣0️⃣2⃣सातवें देवलोक मे सामानीक देव कितने है ❓
🅰40000
🅿️8⃣0️⃣3️⃣ आठवें देवलोक मे सामानीक देव कितने है ❓
🅰30000
🅿️8⃣0️⃣4️⃣ नवें, दसवें देवलोक मे सामानीक देव कितने है ❓
🅰20000
🅿️8⃣0️⃣5️⃣ ग्यारहवें, बारहवें देवलोक मे सामानीक देव कितने है ❓
🅰10000
🅿️8⃣0️⃣6️⃣पहले देवलोक के प्रमुख सेनापति देव कोन है❓
*🅰शकेन्द्रजी।*
🅿️8⃣0️⃣7⃣ दुसरे देवलोक के प्रमुख सेनापति देव कोन है❓
*🅰ईषानेन्द्रजी।*
🅿️8⃣0️⃣8⃣तीसरे देवलोक के प्रमुख सेनापति देव कोन है❓
*🅰सनत्कुमारेन्द्रजी।*
🅿️8⃣0️⃣9️⃣चौथे देवलोक के प्रमुख सेनापति देव कोन है❓
*🅰माहेन्द्रजी।*
🅿️8⃣1️⃣0️⃣पांचवें देव
लोक के प्रमुख सेनापति देव कोन है❓
*🅰ब्रह्मेन्द्रजी।*
https://www.facebook.com/groups/521310878315183/
*Date ~ 15/04/20*
💥 *गौतम ज्ञानशाला प्रश्र्न मंच* 💥
*प्रश्र्न माला क्रमांक 1️⃣7️⃣1️⃣*
*╔═══❖•ೋ° °ೋ•❖═══╗*
*आओ जाने 32 आगम के सार को*🅰म
*╚═══❖•ೋ° °ೋ•❖═══╝*
💥 *पच्चीस बोल*
*📚 प्रश्र्न कर्ता*
*परम पूज्य श्री पंकज मुनीजी म सा*
*✍ संकलन ✍*
*पवन सिसोदिया*
☀ *पहले बोले गति चार* ☀
🅰मम *👉 देव गति 👈*
🅿️8⃣3️⃣1️⃣ छठे देवलोक मे कोनसा घंटा है
महाघोषा
🅿️8⃣3️⃣2⃣ सातवें देवलोक मे कोनसा घंटा है ❓
🅰सुघोषा घंटा
🅿️8⃣3️⃣3️⃣ आठवें देवलोक मे कोनसा घंटा है ❓
🅰महाघोषा घंटा
🅿️8⃣3️⃣4️⃣ नवें, दसवें देवलोक मे कोनसा घंटा है ❓
🅰सुघोषा घंटा
🅿️8⃣3️⃣5️⃣ ग्यारहवें, बारहवदेवलोक मे कोनसा घंटा है ❓
🅰महाघोषा घंटा
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