दीपावली

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*माटी को मत भूल तू, माटी के इंसान।*

*माटी के दीपक बने, दीप पर्व की शान।।*


Topic -::- आत्म चिंतन - स्व अवलोकन


दीपावली पर्व :: जिनवाणी :: और हम


प्रश्न 1) दीपावली पर्व पर किस भगवान का कौन सा कल्याणक महोत्सव आता है ?

उत्तर 1) महावीर स्वामी जी भगवान का निर्वाण  कल्याणक महोत्सव


प्रश्न 2) दीपावली के दिवस का (अन्य दर्शी) वेदिक परंपरा में क्या महत्व है ?

उत्तर 2) मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम इस दिन अयोध्या नगरी में 14 वर्ष के वनवास के एवं रावण पर विजय हासिल करके पुनः लौटे थे


प्रश्न 3) दीपावली पर्व पर गौतम स्वामी जी को क्यों याद किया जाता है ?

उत्तर 3) गुरु गौतम स्वामी जी का केवल ज्ञान दिवस (महोत्सव )


प्रश्न 4) दीपावली के दिवस पर हम किन का पूजन करते हैं ?


 क्या यह उचित है ?

उत्तर 4) धन रूपी लक्ष्मी का पूजन करते हैं। जैन धर्म के अनुसार हमें मोक्ष रूपी लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए मोक्ष रूपी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए ।

           

             धन रूपी लक्ष्मी की वृद्धि में पाप कार्यों में वृद्धि होने के पूर्ण आसार रहते हैं जो कि हमें भव भव भटकाने का कार्य करेंगे । मोक्ष रूपी लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए हमें सतत प्रयास करते रहना चाहिए । मोक्ष रूपी लक्ष्मी हमें भव भव के बंधन से मुक्त बना सकती है ।


प्रश्न 5) वर्तमान में हम दीपावली पर्व पर क्या-क्या करते हैं ?

उत्तर 5) नए-नए कपड़े लाते हैं ।

    मिठाई बनाते हैं ( घर पर ) बाजार से भी मिठाईयाँ  लाते हैं ।

    करीब 1 महीने पहले से घर की साफ - सफाई शुरू होती है और किसी तिथि दिवस का कोई ध्यान रहे बिना बहुत सारा पानी भी सफाई कार्य में उपयोग में लाया जाता है ।

    नई गाड़ी , बाइक , फ्रिज , कूलर , टीवी आदि की भी खरीदी की जाती है ।

    घर पर अनेक प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं ।

    घर , दुकान , ऑफिस को सजाया जाता जाता है ।


प्रश्न 6) दीपावली पर्व पर व्यापारी वर्ग जो नई-नई खाता बही , रोकड़ बही  आदि जो कुछ बनाते हैं उसमें बुद्धि किसके जैसी होनी चाहिए लिखा जाता है ?

उतर 6) अभयकुमार जी जैसी बुद्धि


प्रश्न 7) सौभाग्य किसके जैसा ?

उत्तर 7)  कयवन्नाजी सेठ जैसा सौभाग्य


प्रश्न 8) लब्धि किसके जैसी ?

उत्तर 8) गौतम स्वामी जी जैसी लब्धि


प्रश्न 9) दान वृत्ति किसके जैसी होनी चाहिए ?

उत्तर 9) श्रेयांश कुमार जी जैसी


प्रश्न 10) पटाखे जलाकर खुशी होती है , आनंद का अनुभव करते हैं इससे किस कर्म का बंध होता है ?

उत्तर 10) मोहनीय कर्म


प्रश्न 11) पटाखे जलाने के कारण जीव डरते है , भयभीत होते हैं , जीवों को तकलीफ होती है तब कौनसा कर्म बंधता है ?

उत्तर 11) वेदनीय कर्म


प्रश्न 12) पटाखे जलाने से ज्ञानावरणीय कर्म किस तरह बंधता है ?

उत्तर 12) कागज जलते है ; पैर में आते हैं और अक्षर भी होने के कारण ज्ञानावरणीय कर्म का बंध होता है


प्रश्न 13) दीपावली पर्व पर कभी किसी गरीब को अन्न धन सामग्री संपत्ति दान दी ?

उत्तर 13) दीपावली पर्व पर दान आदि का विशेष महत्व है। हमें हर संभव तरीके से गरीब जरूरतमंद आदि की सहायता करनी चाहिए। 

      

            दीपावली पर गरीब जरूरतमंद आदि को ऐसी वस्तु दान देने चाहिए जो उनके लिए विशेष उपयोगी हो फटे पुराने जर्जर वस्त्र आदि नहीं देनी चाहिए। 


            रात्रि भोजन या अभक्ष्य  भोजन दान नहीं करना चाहिए।


            पटाखे आदि कभी भी किसी को नहीं देने चाहिए। 


           गरीब को देते समय भावपूर्ण बनकर स्वयं को भाग्यशाली समझ कर प्रेम भाव से और वात्सल्य पूर्वक दान देना चाहिए और परमात्मा का हर पल शुक्रिया अदा करना चाहिए कि आपको या हमको इस कार्य के काबिल बनाया ।


प्रश्न 14) दीपावली पर्व पर वर्तमान परंपरा में पटाखे जलाने का कार्य बहुत अधिक हो रहा है ये हमारे लिए कितना उचित है ?

उत्तर 14) पटाखे कभी नहीं जलाने चाहिए ! पटाखे जलाने से अनंत जीव हिंसा होती है ! 8 कर्मों का बंद होता है ! पाप का कार्य होने से हमें पटाखे नहीं जलाने चाहिए और अपने साधार्मिको    व मित्रों को भी पटाखे जलाने से होने वाले पापों की जानकारी  देकर उनको भी विशेष रूप से पटाखे का त्याग करवाना चाहिए !!


प्रश्न 15) क्या हमारे परिवार के बड़े-बड़े बच्चे पटाखे जलाते हैं? बच्चों को रोकने के लिए क्या करना चाहिए ?

उत्तर 15) बड़े बूढ़े तो नहीं जलाते हैं। 

 पर यह बच्चे नहीं मानते .......ऐसा कहकर हम हमारे परिवार में , हमारे घर में , हमारे समाज में गलत परंपरा को बढ़ा रहे हैं। 


              बच्चों को पटाखे ना जलाने के लिए विशेष प्रोत्साहन देना चाहिए।


              संस्कार वाटिका में बच्चों की पाठशाला आदि हो वहां पर बच्चों को विशेष प्रभावना देनी चाहिए।


             जहाँ गुरु भगवंत आदि की निश्रा हो वहां गुरु भगवंत , पूरा संघ मिलकर ऐसा प्रयास करें कि हमारे जैन परिवार के बच्चे पटाखे नहीं जलाए। इसके लिए बच्चों को विशेष पूजा , स्नात्र पूजा , सामायिक आदि धार्मिक क्रियाओं से जोड़कर पुरस्कार प्रभावना आदि देनी चाहिए।

  

             माता-पिता भी अपने बच्चों को प्रोत्साहित करके उनको मिठाई , खिलौने , नई ड्रेस आदि दिलवाकर पटाखों से दूर कर सकते हैं।

           पटाखे जलाने से अनंत पाप कर्म बढ़ते हैं। इसको रोकने के लिए विशेष प्रयास करना अति आवश्यक है।


प्रश्न 16) क्या हमें किसी गरीब के बच्चों को , जरूरतमंद को पटाखे दिलाने चाहिए ?

उत्तर 16) गरीब को नई ड्रेस, मिठाई आदि जरूर दिलवाये। पटाखे  जलाकर पाप के भागीदार नहीं बने। आजकल तो पटाखों पर देवी देवता आदि के फोटो भी होते हैं तो उन पटाखों को जलाकर हम देवी देवता की भी आशातना कर परम पाप करते हैं।


प्रश्न 17) दीपावली के दिवस रात्रि में क्या -  क्या जाप करने चाहिए ?

उत्तर 17) दीपावली के दिवस  ( कार्तिक वद अमावस) रात का जाप 


ऊँ ह्रीं श्री महावीर स्वामी सर्वज्ञाय नम:


ऊँ ह्रीं श्री महावीर स्वामी पारंगताय नम:


प्रश्न 18) दीपावली के दूसरे दिवस यानी कार्तिक सुद 1 के दिन क्या जाप करने चाहिए ?

उत्तर 18) कार्तिक सुद 1 के दिन का जाप


ऊँ ह्रीं श्री गौतमस्वामी केवल ज्ञानाय नम:


प्रश्न 19) वर्तमान की दीपावली मनाने की हमारी प्रणाली से परमात्मा कभी खुश हो सकेंगे ?

उत्तर 19) कभी भी खुश नहीं होंगे। 


भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण दिवस पर अनंत जीवों  पर प्रहार , जीव हिंसा का कार्य हो रहा है। 


भगवान महावीर के अहिंसा सिद्धांत की उनके ही कल्याणक दिवस पर धज्जियां उड़ाई जा रही है।


वर्तमान की बाजार की मिठाईयां हमारे धर्म , हमारी सेहत , हमारे स्वास्थ्य के लिए अहितकर है।


हमें अभक्ष्य मिठाइयां नहीं खानी चाहिए ! न ही दिलानी चाहिए पर अब इस सिलसिले को रोकना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। 


वर्तमान की नई ड्रेसिंग ......... और शर्ट पर नाम  अंकित होते हैं , फोटो बने होते हैं। उनको धोने से दोष लगता है पाप कर्म बंधता है।


बहुत से असामाजिक तत्व इस दिन बियर शराब आदि पीकर उत्पात मचाते हैं और स्वयं का और परिवार का नाम मिट्टी में मिलाते हैं।


रात को लक्ष्मी जी के पूजन के लिए 12 बजे 2 बजे तक नहाने की प्रक्रिया करते हैं। रात्रि स्नान से अनंत अनंत पाप / दोष लगता है और अनंत  कर्म बंधन होता है पर हमें कोई फर्क नहीं पड़ता।


प्रश्न 20) इस बार हमें दीपावली पर्व किस तरह मनाना चाहिए ?

उत्तर 20) इस बार की दीपावली पर्व पर हमें पाप का कार्य छोड़कर धर्म मार्ग पर आगे बढ़ना है। 


इस बार हम पटाखे नहीं जलाएंगे। 


बजार की मिठाइयां लाने की बजाय घर पर मिठाई बनाने का प्रयास करेंगे। 


बच्चों के लिए हमारे लिए नए कपड़े ऐसे लाएंगे जो हमारे चरित्र को और अधिक उज्जवल बनाएं। 


जितनी नई ड्रेस हम लाएंगे इतनी पुरानी ड्रेस जरूरतमंद गरीब को दे देंगे। 


जहां तक संभव हो किसी गरीब , जरूरतमंद , साधर्मिक को नए कपड़े दिलाएंगे।


किसी अन्य की खुशी में स्वयं को खुश करने का प्रयास करेंगे।


दीपावली पर्व पर रात्रि भोजन अभक्ष्य  भोजन नहीं करेंगे , नहीं करवाएंगे।


रात्रि स्नान नहीं करेंगे।


महालक्ष्मी जी का पूजन नहीं करेंगे और अगर हर वर्ष करते रहते हैं तो इस बार भी करना पड़े तो धन रूपी लक्ष्मी की बृद्धि की इच्छा नहीं करेंगे। 


सर्व मंगल मांगल्यम की भावना को चित्त में , हृदय में स्थापित करेंगे।


पापा मयी व्यापार में कमी करने की कोशिश करेंगे।


व्यापार में ठगी , बदमाशी नहीं करने का संकल्प करेंगे।


 लक्ष्मीजी को धर्म कार्य में क्षेत्रों में सदुपयोग करने की भावना को हृदय में स्थापित करेंगे। 


किसी साधार्मिक को , गरीब को छोटा बड़ा व्यापार कराने में मदद करेंगे और उनको कुछ कार्य सिखाएंगे।


सरकार के कर की चोरी नहीं करने का प्रयत्न करेंगे। 


कोई यैसा कार्य नहीं करेंगे जिससे जीवो की हिंसा हो या किसी का दिल दुखे।


*क्योंकि किसी का दिल दुखाना हमको महावीर ने ना सिखलाया।* 

*करे जो सेवा औरों की वही है जैनी कहलाया।*





1) दीपावली के दिन कौन से तीर्थंकर का कौन सा कल्याणक है❓

💡1) महावीरस्वामीजी - निर्वाण कल्याणक


2) सदा धनतेरस किसके यहां❓

💡2) शालीभद्रजी


3) सदा दीपावली किसके यहाँ❓

💡3) मरुदेवी माता


4) दीपावली के दिन किस राजा की मृत्यु हुई❓

💡4) चन्द्र प्रद्योतन राजा


5) दीपावली के फिन किसका राज्याभिषेक हुआ❓

💡5) पालक राजकुमार


6) दीपावली के दिन किस राजा का जन्मदिवस आता है❓

💡6) चंद्र प्रद्योतन राजा


7) दान की दिपावली किसने की❓

💡7) शालीभद्रजी


8) शील की दिपावली किसने की❓

💡8) सुदर्शनसेठ/विजयसेठ विजयासेठनी


9) तप की दिपावली किसने की❓

💡9) धन्ना अनगार


10) भाव की दिपावली किसने की❓

💡10) मरुदेवी


11) ज्ञान की दिपावली किसने की❓

💡11) गौतमस्वामीजी


12) दर्शन की दिपावली किसने की❓

💡12) सुलसा 


13) चारित्र की दिपावली किसने की❓

💡13) पुण्डरीक 


14) धर्म की दीपावली किसने की❓

💡14) श्रेणिक राजा/कृष्ण वासुदेव


15) केवलज्ञान रूपी प्रकाश आत्मा में प्रकट हो ऐसी भावना से कौन सी पूजा की जाती है❓

💡15) दीपक पूजा


16) अन्य लोगो को सम्यक्त्वी बना देता है पर स्वयं कोरा ही रहता है, ऐसा समकित कौन सा❓

💡16) दीपक समकित


17) दिपावली की रात्रि के अंतिम प्रहर में किसे केवलज्ञान हुआ❓

💡17) गौतमस्वामीजी


18) दीप महोत्सव सबसे पहले कहाँ हुआ❓

💡18) पावापुरी/अपापापुरी


19) दीप महोसत्व की परंपरा कब से प्रचलित हुई❓

💡19) महावीरस्वामीजी के निर्वाण बाद

*🙏♈जय भाग्यवर्धन पार्श्वनाथ जी♈🙏*

*💐💲दीपावली की सभी मेम्बर को हार्दिक बधाई हो💲💐*


जैन समाज द्वारा दीपावली, महावीर स्वामी के निर्वाण दिवस के रूप में मनाई जाती है।[1] जैन ग्रथों के अनुसार महावीर स्वामी (वर्तमान अवसर्पिणी काल के अंतिम तीर्थंकर) को चर्तुदशी के प्रत्युष काल में मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। चर्तुदशी का अन्तिम पहर होता है इसलिए जैन लोग दीपावली अमावस्या को मनाते है। संध्या काल में तीर्थंकर महावीर के प्रथम शिष्य गौतम गणधर को केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। अतः अन्य सम्प्रदायों से जैन दीपावली की पूजन विधि पूर्णतः भिन्न है।


हिंदी अनुवाद: देवताओं ने इस अवसर पर दीपक द्वारा पावानगरी (पावापुरी) को प्रबुद्ध किया। उस समय के बाद से, भारत के लोग जिनेन्द्र (यानी भगवान महावीर) के निर्वाणोत्सव पर उनकी की पूजा करने के लिए प्रसिद्ध त्यौहार "दीपलिक" मनाते हैं।

निर्वाण लड्डूसंपादित करें

इस दिन, कई जैन मंदिरों में निर्वाण लाडू चढ़ाया जाता है। लड्डू गोल होता है, जिसका अर्थ होता है जिसका न आरंभ है न अंत है। अखंड लड्डू की तरह आत्मा होती है, जिसका न आरंभ होता है और न ही अंत। लड्डू बनाते समय बूँदी को कड़ाही में तपना पड़ता है और तपने के बाद उन्हें चाशनी में डाला जाता है। उसी प्रकार अखंड आत्मा को भी तपश्चरण की आग में तपना पड़ता है तभी मोक्षरूपी चाशनी की मधुरता मिलती है।

मोक्ष लक्ष्मीसंपादित करें

जैन धर्म में लक्ष्मी का अर्थ होता है निर्वाण और सरस्वती का अर्थ होता है केवलज्ञान, इसलिए प्रातःकाल जैन मंदिरों में भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण उत्सव मनाते समय भगवान की पूजा में लड्डू चढ़ाए जाते हैं।[3] भगवान महावीर को मोक्ष लक्ष्मी की प्राप्ति हुई और गणधर गौतम स्वामीजी को केवलज्ञान रूपी सरस्वती प्राप्त हुई, इसलिए लक्ष्मी-सरस्वती का पूजन दीपावली के दिन किया जाता है। लक्ष्मी पूजा के नाम पर रुपए-पैसों की पूजा जैन धर्म में स्वीकृत नहीं है।


दीपावली शब्द से संबंधित शब्द, "दीपलिक" का सबसे पुराना संदर्भ आचार्य जिनसेन द्वारा लिखित हरिवंश-पुराण में मिलता है: [2]

ततस्तुः लोकः प्रतिवर्षमादरत् प्रसिद्धदीपलिकयात्र भारते |
समुद्यतः पूजयितुं जिनेश्वरं जिनेन्द्र-निर्वाण विभूति-भक्तिभाक् |२० |

हिंदी अनुवाद: देवताओं ने इस अवसर पर दीपक द्वारा पावानगरी (पावापुरी) को प्रबुद्ध किया। उस समय के बाद से, भारत के लोग जिनेन्द्र (यानी भगवान महावीर) के निर्वाणोत्सव पर उनकी की पूजा करने के लिए प्रसिद्ध त्यौहार "दीपलिक" मनाते हैं।




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