धर्म पहेली 2
धार्मिक पहेली
1। कितना ज्ञान भरा है इसमें, भाव तो ज्ञानी ही जाने |
जीव अज्ञानी जीव भी कभी, वास्तविक रूप ना भिन्न ||
2। तीन लोक में अनुपम है, जो तीन लोक में सार |
उसकी महिमा बढ़ जाती है, जो उसे प्यार करता है ||
3। एक साल के भोजन में नहीं मिला, फिर भी भोजन करते थे |
भले ही तन को छोड़ दिया जाए, वे तो कभी न मरते थे ||
4। जहाँ वाणी प्रकट व्र की, छः अक्षर का नाम |
गौतम जहाँ गणधर हुए, वहाँ बैठाओ धाम ||
5। चार ड्रायवर एक सहयोगी, आगे पीछे रिश्तेदारी |
नाम बताओ उस गाडी का, जिसमें आया सबकी बारी ||
जीव अज्ञानी जीव भी कभी, वास्तविक रूप ना भिन्न ||
2। तीन लोक में अनुपम है, जो तीन लोक में सार |
उसकी महिमा बढ़ जाती है, जो उसे प्यार करता है ||
3। एक साल के भोजन में नहीं मिला, फिर भी भोजन करते थे |
भले ही तन को छोड़ दिया जाए, वे तो कभी न मरते थे ||
4। जहाँ वाणी प्रकट व्र की, छः अक्षर का नाम |
गौतम जहाँ गणधर हुए, वहाँ बैठाओ धाम ||
5। चार ड्रायवर एक सहयोगी, आगे पीछे रिश्तेदारी |
नाम बताओ उस गाडी का, जिसमें आया सबकी बारी ||
पहेली उत्तर
1। शास्त्र, २। आत्मा, ३। आदिनाथ, ४। समवशरण, ५। अर्थी
धार्मिक पहेली
6। मुझको लेकर गुन-गुन करते हैं, कुछ सज्जन लोग |
दुर्जन कभी न हाथ लगाते, न करते मेरा उपयोग ||
7। प्रतिवर्ष मा आती हूँ, नई रोशनी लाता हूँ |
जश्न सभी मनाते है, साथ में दीप जलाते है ||
8। पिंडी एफटी नाम जपिंग, चंद्रा प्रभु प्रकटटे उसमे से |
भस्मक व्याधि रोग था भारी, नाम कहें सब नर नारी ||
9। चार अड़तालीस डले थे, पहरेदार के लिए भाले थे |
भीतर बंद किया उन मुनि को, नाम बताओ तुम जन-जन को ||
10। आठ गुणों को प्राप्त किया है, निराकार पद धार लिया है |
अब न उन्हें आना जग में, लीन रहना निजी चेतन में ||
दुर्जन कभी न हाथ लगाते, न करते मेरा उपयोग ||
7। प्रतिवर्ष मा आती हूँ, नई रोशनी लाता हूँ |
जश्न सभी मनाते है, साथ में दीप जलाते है ||
8। पिंडी एफटी नाम जपिंग, चंद्रा प्रभु प्रकटटे उसमे से |
भस्मक व्याधि रोग था भारी, नाम कहें सब नर नारी ||
9। चार अड़तालीस डले थे, पहरेदार के लिए भाले थे |
भीतर बंद किया उन मुनि को, नाम बताओ तुम जन-जन को ||
10। आठ गुणों को प्राप्त किया है, निराकार पद धार लिया है |
अब न उन्हें आना जग में, लीन रहना निजी चेतन में ||
पहेली उत्तर
6। जवानी, ७। दीपावली, ८। समन्तभद्र, ९। मान्तुन्गाचार्य, १०। सिद्ध
धार्मिक पहेली
11। ऐसे इन्द्र का नाम बता, चार पैर अरु पूंछ दिखाओ |
शत इन्द्रों में आने वाला, इन्द्र की शोभा पाने वाला ||
12। उगला उगला उसका दाना, उसका बिन न अच्छा न खाना |
छह रस में से एक बताया, नाम उसका प्यारा होगा ||
13। तीन सौ तर्साथ मत को, वीर प्रभु का जीव कहाया |
आदिनाथके समय में आवे, तीर्थंकर की पदवी पावे ||
14। आदि कटे तो दुःख नेता, मध्यकटे तो उत्स जाता है |
अंत कटे तो हमें जलाता, पूर्ण रहा तो ज्ञान बढता है ||
15। दोनों भाई जुड़वाँ आवे, बहिन को देख विरक्ति पावे |
कुंथलगिरि से मोक्ष पधारें, हम सब उनका नाम उचारे ||
शत इन्द्रों में आने वाला, इन्द्र की शोभा पाने वाला ||
12। उगला उगला उसका दाना, उसका बिन न अच्छा न खाना |
छह रस में से एक बताया, नाम उसका प्यारा होगा ||
13। तीन सौ तर्साथ मत को, वीर प्रभु का जीव कहाया |
आदिनाथके समय में आवे, तीर्थंकर की पदवी पावे ||
14। आदि कटे तो दुःख नेता, मध्यकटे तो उत्स जाता है |
अंत कटे तो हमें जलाता, पूर्ण रहा तो ज्ञान बढता है ||
15। दोनों भाई जुड़वाँ आवे, बहिन को देख विरक्ति पावे |
कुंथलगिरि से मोक्ष पधारें, हम सब उनका नाम उचारे ||
पहेली उत्तर
11। शेर, १ .२ नमक, १। मारिच, १४ आगम, १५। कुलभूषण और देशभूषण
धार्मिक पहेली
16। जल में जीव बहुत कहलाए, धर्म और विज्ञान के लिए
एक बूँद में कितने जीव मिले, जीवों की संख्या तुम बताओ ||
17। अष्टम नारायण कहलाये, महिमा अदब आगम गाये |
रुक्मणी जिसका पटरानी नाम था नोयानी ||
18। श्रीपाल को जिसने बचाया, और समंदर मे जिसने गिरवाया |
नाम पता उसका प्यारे, वही सेठ का नाम उचारे ||
1 9। अरिहंतों से सिद्धों तक की दूरी, कैसे राजू तक की |
हमको बतलाओ जल्दी उत्तर तुम क्यों देर की ||
20। पदम् पुराण में राम कथा है, पढ लेंगें तो संसार व्यथा है |
लेखक ग्रंथ के हमसे पूछें, नाम बताकर ज्ञान बढ़ाने वाला ||
एक बूँद में कितने जीव मिले, जीवों की संख्या तुम बताओ ||
17। अष्टम नारायण कहलाये, महिमा अदब आगम गाये |
रुक्मणी जिसका पटरानी नाम था नोयानी ||
18। श्रीपाल को जिसने बचाया, और समंदर मे जिसने गिरवाया |
नाम पता उसका प्यारे, वही सेठ का नाम उचारे ||
1 9। अरिहंतों से सिद्धों तक की दूरी, कैसे राजू तक की |
हमको बतलाओ जल्दी उत्तर तुम क्यों देर की ||
20। पदम् पुराण में राम कथा है, पढ लेंगें तो संसार व्यथा है |
लेखक ग्रंथ के हमसे पूछें, नाम बताकर ज्ञान बढ़ाने वाला ||
पहेली उत्तर
16। ३६४५५०, १७। श्री कृष्ण, १ कृ धवल सेठ, १ ९। राजू, २०३। रविसेणाचार्य
धार्मिक पहेली
21। घर मे नित्य विरक्त रहे जो, सिद्धप्रभु का ध्यान जो |
एक दिन खुद मुनीपद पाया, अंतर मुहूर्त मे केवलज्ञान पाया ||
22। ँमोकार यह मंत्र सुंदर है, आया पहला किस ग्रंथ के अंदर |
लीपिबध यह किसने किया, नाम बताओ किसने किया ||
23। युद्ध देख हो वैरागी, कैलालोच गजपर कर अनारागी ||
ऐसे महापुरुष का नाम रखनेवाला, जैन धर्म की शान बढाओ ||
24। ऐसे गुरु के चरण पखारू, दिल कमल पर उन्हें बिठा लू ||
सीमंधर को नमन किए थे, प्रभुवर से सक्छत मिले थे ||
25। श्रीपाल को किसने बचाया, और समुंदर मे गिरिदे ||
नाम पता उसका प्यारे, उस सेठ का नाम उच्चारे ||
एक दिन खुद मुनीपद पाया, अंतर मुहूर्त मे केवलज्ञान पाया ||
22। ँमोकार यह मंत्र सुंदर है, आया पहला किस ग्रंथ के अंदर |
लीपिबध यह किसने किया, नाम बताओ किसने किया ||
23। युद्ध देख हो वैरागी, कैलालोच गजपर कर अनारागी ||
ऐसे महापुरुष का नाम रखनेवाला, जैन धर्म की शान बढाओ ||
24। ऐसे गुरु के चरण पखारू, दिल कमल पर उन्हें बिठा लू ||
सीमंधर को नमन किए थे, प्रभुवर से सक्छत मिले थे ||
25। श्रीपाल को किसने बचाया, और समुंदर मे गिरिदे ||
नाम पता उसका प्यारे, उस सेठ का नाम उच्चारे ||
पहेली उत्तर
21। भरत, २०२। षट्खंडागम आ.भूत्बली पुष्पदन्त, २३३। मधु रजा, २४४। आचार्य कुंद कुंड, २५। धवल सेठ
धार्मिक पहेली
26। ऐसे गेट का नाम बताना, जिससे कभी न कोई गुजरा |
बना हुआ हड्डी का है, जिसका रंग हैलाला नापला ||
27। ऐसी हूसी पलिश है, जिसके बनने मे हिंसा होती है |
उस पलिश का नाम बताओ, नाम बताओ इनाम पाओ ||
28। कौन सी पत्ती है वह, जिसके पीने मे दोष लगता है |
सुबह दोपहर शाम को पी जाती है, सबके मन को भाती है ||
2 9। हड्डी को जब पीसा जाता है, चिकना चिकना सा बन जाता है |
तुम सब अपने मुख मे लगाते, काले से गोरे बन जाते ||
30। जन्म दिवस पर काम मे आता है, लेकिन हिंसा बहुत करवाती है |
जो भी खाए दांत सडाये, बरने वाला मौज उड़ाए ||
बना हुआ हड्डी का है, जिसका रंग हैलाला नापला ||
27। ऐसी हूसी पलिश है, जिसके बनने मे हिंसा होती है |
उस पलिश का नाम बताओ, नाम बताओ इनाम पाओ ||
28। कौन सी पत्ती है वह, जिसके पीने मे दोष लगता है |
सुबह दोपहर शाम को पी जाती है, सबके मन को भाती है ||
2 9। हड्डी को जब पीसा जाता है, चिकना चिकना सा बन जाता है |
तुम सब अपने मुख मे लगाते, काले से गोरे बन जाते ||
30। जन्म दिवस पर काम मे आता है, लेकिन हिंसा बहुत करवाती है |
जो भी खाए दांत सडाये, बरने वाला मौज उड़ाए ||
पहेली उत्तर
26। कोलगेट, २०ग। नालपोलिश, २८८। चाय पत्ती, २० ९। पाउडर, ३००। टॉफ़ी
धार्मिक पहेली
31। सत्य अहिंसा के अनुरागी, वीतरागता जिसका नाम |
तीस साल में मुनि पद पाया, देवों तक ने उन्हें जगाया ||
32। माता आपकी वामा देवी, अश्वसेन पितु हैं सब सेवी |
बाल ब्रम्हचर्य व्रत को धारा, मुनि बनकर के मोक्ष सिद्धि ||
33। छोटा भाई को मरते देखा, शत्रुंजय से लड़ते देखा |
बोद्ध जोंस से किया विवाद, नाम आज उनका ||
34। महिमा जिसका जान हुआ था, गिरे शिला चकचुर हुआ था |
दानवता के नाशन हारे, पवन अंजना हितु तुम्हारे ||
35। महावीर की मौसी का, अब नाम तुमे सम्पलाना हैं |
प्रसिद्ध हो गए जग मे वो, क्या तुमने पहिचाना है ||
तीस साल में मुनि पद पाया, देवों तक ने उन्हें जगाया ||
32। माता आपकी वामा देवी, अश्वसेन पितु हैं सब सेवी |
बाल ब्रम्हचर्य व्रत को धारा, मुनि बनकर के मोक्ष सिद्धि ||
33। छोटा भाई को मरते देखा, शत्रुंजय से लड़ते देखा |
बोद्ध जोंस से किया विवाद, नाम आज उनका ||
34। महिमा जिसका जान हुआ था, गिरे शिला चकचुर हुआ था |
दानवता के नाशन हारे, पवन अंजना हितु तुम्हारे ||
35। महावीर की मौसी का, अब नाम तुमे सम्पलाना हैं |
प्रसिद्ध हो गए जग मे वो, क्या तुमने पहिचाना है ||
पहेली उत्तर
31। महावीर, ३३२। पार्श्वनाथ, ३३३। अकलंक, ३४४। हनुमान, ३५५। चंदना
धार्मिक पहेली
36। नया ज़मीन का मस्तक हूँ, किन्तु मैं बिल्कुल बेजान हूँ |
ज्ञान की बात शिक्षाता हूँ, यह मेरी पहचान है ||
37। चार अक्षर का है मेरा नाम, पहला कटे तो वचन कहाता |
मुनियों माताजी द्वारा सब भक्तो को, रोज सम्भोधा जाता है ||
38। अंत कटे तो स्वर्ण कहाऊँ, प्रथम कटे तो में गिर जाऊ |
न कटे तो तीर्थ कहाउँ, सब साधमि के मन को भाऊ ||
3 से 9। अग्नि परीक्षा दी सीता ने, छोड़ दिया राम ने उसको |
जिस माताजी से दीक्षा धारी, उस माताजी का नाम बताएं ||
40। राग मोह का नाम नहीं है, भूख प्यास का कम नहीं है |
ये ही तने से मोक्ष जु पावे, महिमा उनकी सब जन गावे ||
ज्ञान की बात शिक्षाता हूँ, यह मेरी पहचान है ||
37। चार अक्षर का है मेरा नाम, पहला कटे तो वचन कहाता |
मुनियों माताजी द्वारा सब भक्तो को, रोज सम्भोधा जाता है ||
38। अंत कटे तो स्वर्ण कहाऊँ, प्रथम कटे तो में गिर जाऊ |
न कटे तो तीर्थ कहाउँ, सब साधमि के मन को भाऊ ||
3 से 9। अग्नि परीक्षा दी सीता ने, छोड़ दिया राम ने उसको |
जिस माताजी से दीक्षा धारी, उस माताजी का नाम बताएं ||
40। राग मोह का नाम नहीं है, भूख प्यास का कम नहीं है |
ये ही तने से मोक्ष जु पावे, महिमा उनकी सब जन गावे ||
पहेली उत्तर
36। कंप्यूटर, ३७७। प्रवचन, ३चन८। सोनेगिरि, ३ ९ ९। प्रिथ्विमती माताजी, ४०। अरिहंत
विमल नाथ जी
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