कालजयी प्रज्ञा पुरुष*

*कालजयी प्रज्ञा पुरुष*

तुलसी गणी के निष्णांत पट्टधर विज्ञ ।
धर्म चेतना के दिव्य केतन महाप्रज्ञ।।

संभव की अनाहत में, असम्भव स्थापित किया।
अपनी संबोधि सुबुद्धि से, शासन शासित किया।।

तराशा  विपरीतता ने, महान बन गये।
सहज इतने थे कि गहन बन गये ।।

साप्रदायिक -सौहार्द,विसर्जन अवधारणा ,जैसे अभिनव प्रयोग किये गए।
“कम्यूनल हार्मोनी अवार्ड” सेआप नवाजे गए।।

शब्दों पे आधिपत्य  ,अर्वाचीन ज्ञान अद्भुत था।
जीव विज्ञान ,प्रेक्षाध्यान,आपका अग्रदूत था।।

नारी चेतना ,युवा शक्ति,अहिंसा के नव उन्नयन, स्तंभ।
शोध -ग्रंथों के प्रणेता,हो सच दूसरे विवेकानंद।।

बौद्धिक औऱ आध्यात्मिक चेतना के ,किए नव मार्ग प्रशस्त।
समसामयिक प्रयोगों  में, थे सिद्ध हस्त।।

हे!योग पुनरुद्धारक , डी लिट् डिग्री धारक,
हे!युग प्रधान ,सिद्धान्त मंत्र  साधक

थे आप स्वंय में विश्वविद्यालय , पढ़ के यहां लोग पी एच डी धारक  हो गए
हे!, मोक्ष राह के पथिक , हम तो आपके, मुरीद हो गए
Anju Golchha

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